02 अप्रैल, 2017 को इक्वाडोर में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में श्री लेनिन मोरेनो की जीत को अभी-अभी राष्ट्रपति पद त्यागने वाले राफेल कोरिया के अंतर्गत ‘’नागरिक क्रांति’’ को जारी रखने और इसका विस्तार करने की कूंजी के रूप में देखा जा रहा है और यह उस गुलाबी लहर का एक हिस्सा है जिसने विगत दो दशकों में लैटिन अमेरिकी राजनीति बहा दिया है। राष्ट्रपति कोरिया के अधीन 63 वर्षीय बुजुर्ग पूर्व उपराष्ट्रपति (2007-2013) ने 48.8 की तुलना में 51.16 प्रतिशत के मामूली अंतर से दक्षिणपंथी उम्मीदवार गुइलरमो लेसो को हरा दिया, इस चुनाव में 99.65 प्रतिशत मतदान हुआ। आगामी परिणाम 19 फरवरी, 2017 को हुई प्रथम दौर के चुनावों का अनुवर्ती परिणाम था। चुनाव के प्रथम चरण में श्री मोरेनो को अपने सबसे नजदीकी प्रतिद्वंद्वी श्री लेसो के 28.09 प्रतिशत मत की तुलना में 39.36 प्रतिशत मत प्राप्त हुआ। यद्यपि, वे अपने प्रतिद्वंद्वीश्री मोरेनो से 10 प्रतिशत से अधिक मत से आगे थे किंतु वे अपेक्षित निर्णायक मत के 40 प्रतिशत से कम थे। इक्वाडोर में चुनाव अंतिम दौर में था जिसमें किसी भी उम्मीदवार को सीधे सीधे चुनाव जीतने के लिए बहुमत प्राप्त नहीं हुआ। यह अंतिम दौर दूसरी बार था जिसमें इक्वाडोर में चुनाव का निर्णय 2006 के चुनाव के बाद दूसरे दौर के मतदान के बाद हुआ जिसमें राष्ट्रपति कोरिया की जीत इसी प्रकार से हुई। श्री मोरेनो, नव निर्वाचित राष्ट्रपति 24 मई, 2017 को आधिकारिक रूप से इस पद के लिए नामित किए जाएंगे।
श्री लैसो, धनाढ्य बैंकर की चुनौती से निपटने के बाद सोशलिस्ट पार्टी पीएआईएस अलियांजा (पेट्रोयोटिक अलियांजा, एपी) के श्री मोरेनो ने राष्ट्रपति कोरिया की ‘’नागरिक क्रांति’’ का समर्थन किया है। यह स्पष्ट है कि राष्ट्रपति कोरिया ने श्री मोरेनो की जीत में मुख्य भूमिका अदा की है। ऐसा देखा गया कि चुनावी अभियान के दौरान राष्ट्रपति कोरिया मतदाताओं का आह्वान कर रहे थे कि वे उस उम्मीदवार को चुने जो उनकी गरीब समर्थक नीतियों को लागू करना जारी रखे, जबकि विपक्षी उम्मीदवार ने अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के एक प्रयास के रूप में राष्ट्र की संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था में बड़ी कटौती का वादा किया।
श्री मोरेनो के चुनावी अभियान पर कई प्रमुख मुद्दे हावी रहे। इस अभियान का फोकस देश की खराब होती आर्थिक दशा, वैश्विक आर्थिक मंदी और एसमेराल्डा व मनाबी प्रातों में आए विनाशकारी भूकंपों के बाद लोगों को पुन: बसाने की जरूरत पर था। मोटे तौर पर घरेलु आवश्यकताओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए श्री मोरेनो के चुनावी अभियान में विक्लांग इक्वाडोर नागरिकों के अधिकारों और उनकी चुनौतियों की पहचान की गयी जिन पर नए राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान फोकस किया जाना था। इसमें बढ़ते रोजगार अवसरों तथा सभी इक्वाडोर नागरिकों को उच्च शिक्षा का अवसर प्रदान करने पर भी फोकस किया गया था। उन्होंने मानव विकास बांड की राशि में बढ़ोतरी करने तथा मूल्य वर्धित कर (वैट) को घटाने का भी वचन दिया। इन बिंदुओं को प्रकटत: इक्वाडोर के मतदाताओं ने समझा है।
विपक्ष में श्री लैसो ने सार्वजनिक अर्थव्यवस्था की भूमिका को कम करने का वचन दिया जो राष्ट्रपति कोरिया की एक आवश्यक नीति थी और यह तर्क देते हुए निजी क्षेत्र में भारी बदलाव का वचन दिया कि ‘’मुक्त बाजार’’ देश की बढ़ती आर्थिक क्षमता की कूंजी है। उन्होंने कारोबार हितैषी कार्यसूची की घोषणा की जिसका लक्ष्य अमीरों के लिए करों में कटौती की नव उदारवाद नीति को प्रस्तुत करते हुए विदेश निवेशों को आकर्षित करना, करों को घटाना और अधिक से अधिक रोजगार सृजित करना, स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा को निजी क्षेत्रों को सौंपना था ताकि देश का बजट घाटा कम किया जा सके। उन्होंने केन्द्रीय बैंके की स्वतंत्रता को पुनर्बहाल करने का भी वचन दिया जो सहायक भूमिका अदा करे ताकि 1990 के उत्तरार्द्ध में उत्पन्न बैंकिंग क्षेत्र में पतन की स्थिति से बेहतर तरीके से निपटा जा सके। उन्होंने चीन के साथ अनुबंध के संबंध में विदेशी और आर्थिक नीतियों में पारदर्शिता का आह्वान किया और लंदन स्थित उनके देश के दूतावास से विकिलिक्स संस्थापक जुलियन आसांजे को निकालने का प्रस्ताव किया।
श्री लैसो के अभियान के नव उदारवाद के सहारे के प्रतिकूल श्री मोरेनो की प्रतिज्ञा राष्ट्रपति कोरिया द्वारा शुरू की गयी आर्थिक नीतियों को जारी रखने की है जिसमें लाखों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के एजेंडे से मतदाता उनके पक्ष में जा सकते थे।
इसके विपरित, श्री लैसो 1999 में राष्ट्रपति जमील महुआद की सरकार में वित्त मंत्री थेऔर उनकी नीतियों के कारण आर्थिक संकट आया, अर्थव्यवस्था का डालरीकरण हुआ और 1998 से 2002 के बीच रोजगार की तलाश में तीन मिलियन इक्वाडोर नागरिक प्रवजन किए। माना जाता है कि श्री लैसो 1999 से 2000 के बीच इस आर्थिक संकट से अपनी वित्तीय आस्तियों को बढ़ाकर 3000 प्रतिशत कर लिया, लाखों डॉलर की राशि को पनामा में निवेश किया और वे सक्रिय रूप से कर देने से बचते रहे हैं। ये सभी कारक इस जनमत संग्रह (राष्ट्रपति कोरिया द्वारा आह्वान किए गए) के पीछे कारक थे और साथ हीं इक्वाडोर में 2017 का राष्ट्रपति का चुनाव कि राजनीतिज्ञों अथवा सरकारी अधिकारियों जिनके पास कंपनियां हैं अथवा जिनका अल्पकरदायी देशों में खाते हैं के पास विदेश से इक्वाडोर पूंजी लाने का एक वर्ष का समय होगा अन्यथा उन्हें पद से हटा दिया जाएगा। इस जनमत संग्रह का अनुमोदन कुल 45.24 प्रतिशत मतदान की तुलना में 54.76 प्रतिशत द्वारा किया गया। श्री लैसो की जीत ने सामाजिक कार्यक्रमों को समाप्त किया होता और नव उदारवाद आर्थिक नीतियों को प्रोत्साहित किया होता।
व्यक्तिगत मोर्चे पर श्री मोरेनो की अधरांगघातिक और विश्व के कुछेक विक्लांग राष्ट्रीय नेताओं में से एक के रूप की सार्वजनिक छवि का भी मतदाताओं के निर्णय पर प्रभाव पड़ा हो। वे राष्ट्र के पहले ऐसे अधरांघातिक प्रमुख होंगे जो 1998 में डकैती के दौरान गोली लगने के बाद ह्वील चेयर का प्रयोग करेंगे। एक उपराष्ट्रपति के रूप में उन्होंने विक्लांग इक्वाडोरियाई नागरिकों के लिए संघीय बजट में बहुत अधिक बढ़ोतरी की। शारीरिक रूप से अक्षम लोगों हेतु सतत सहायता के लिए उन्हें वर्ष 2012 के लिए नोबल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। श्री मोरेनो को उनके परिश्रम के लिए भी जाना जाता है जिससे जब उन्होंने विक्लांग्ता और पहुंच संबंधी विशेष दूत के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ का पदभार ग्रहण करने के लिए 2013 में उप राष्ट्रपति पद को छोड़ा तो उन्हें 90 प्रतिशत से अधिक का अनुमोदन रेटिंग हासिल हुआ।
श्री मोरेनो की जीत से आशा है कि राष्ट्रपति कोरिया के लोकप्रिय नाम से शुरू राजनीतिक अभियान ‘कोरियेज्म’ का और दस वर्ष जारी रहना। वर्ष 2006, 2009 और 2013 में चुनाव जीतने के बाद राष्ट्रपति कोरिया पर वर्ष 2008 के नए संविधान के अनुच्छेद 144 के तहत तीसरे कार्यकाल के लिए संवैधानिक रूप से प्रतिबंध लग गया था। चूंकि राष्ट्रपति कोरिया को पुन: चुनाव में खड़े होने की अनुमति नहीं थी, इसलिए उसके समर्थकों ने राफैल कोंटिगो सिम्पर (राफेल, सदा आपके साथ) नामक एक राजनीतिक अभियान शुरू किया। 15 अगस्त, 2016 को 1.2 मिलियन हस्ताक्षर राष्ट्रीय चुनाव परिषद् को सौंपे गए जिसमें इक्वाडोर में जनमत संग्रह में राष्ट्रपति कोरिया को चुनाव में फिर से खड़े होने देने का अनुरोध किया गया। यद्यपि, इक्वाडोर के संसद ने दिसम्बर, 2016 में एक संविधान संशोधन पारित किया था जिसमें असीमित पुनर्चुनाव की अनुमति दी गयी थी, जिसे राष्ट्रपति कोरिया ने निरस्त कर दिया था।
राष्ट्रपति कोरिया के तीनों कार्यकाल को लोकप्रिय सामाजिक कल्याण कार्यक्रम यथा शिक्षा व स्वास्थ्य पर सब्सिडी में बढ़ोतरी, संवर्धित कृषि सब्सिडी, सड़क निर्माण और सुधार तथा अधिक रोजगार सृजन के रूप में विशेषीकृत किया गया है। उनकी सरकार ने 1990 में बैंकिंग घोटाले में शामिल प्रभावशाली परिवार के सदस्यों द्वारा स्वाधिकृत कंपनियों को भी जब्त किया। यद्यपि, इक्वाडोर वेनेजुएला का निकट सहयोगी रहा है, किंतु राष्ट्रपति कोरिया ने राष्ट्रपति शावेज के तथाकथित ‘बोलिवेरियन क्रांति’ के अत्यधिक बढ़ाने से परहेज किया। यह सरकार अधिक व्यावहारिक थी, राजनीति में सेना का हस्तक्षेप कम था, अर्थव्यवस्था में विविधता अधिक थी और राजनीतिक वैमनस्यता अधिक हिंसक नहीं थी। श्री कोरिया के राष्ट्रपति के तीन कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण विकास हैं: वर्ष 2006 और 2014 के दौरान गरीबी की दर 37.6 प्रतिशत से घटकर 22.5 प्रतिशत होने पर प्रभाव। बेरोजगारी का वर्ष 2005 के 4.8 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2014 में 3.8 प्रतिशत होना। उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा सुविधा हेतु वित्तीय सहायता में जीडीपी के 2.12 प्रतिशत की भी बढ़ोतरी की गयी- शिक्षा पर व्यय का यह आंकड़ा कई ओईसीडी देशों के कहीं अधिक है। राष्ट्रपति कोरिया ने विगत दस वर्षों के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं में 16 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है जो 2000 और 2006 के बीच किए गए निवेश के आठ गुने से भी अधिक है, और यह अनुमानत: 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसलिए राष्ट्रपति कोरिया और उसके प्रशासन को नया विकासकर्ता, 21वीं सदी का समाजवाद, मुक्ति धर्मशास्त्र का कैथोलिक समर्थक, वामपंथ राष्ट्रवाद कहा जाता है।
आर्थिक समस्याएं, भ्रष्टाचार और कोरियेइज्म की विरासत और सामाजिक न्याय संबंधी कार्यक्रम इन चुनावी अभियान के मुख्य बिंदू थे। वर्ष 2006 और 2014 के बीच जब तेल की कीमत बहुत अधिक थी, तो मध्य 2014 के बाद से तेल की कीमत में कमी के कारण लगभग 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सरकारी राजस्व घटकर 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम हो गया है। इसके परिणामस्वरूप चीन के साथ नजदीकी बढ़ती गयी। जल विद्युत परियोजना के संबंध में बीजिंग का 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश तथा प्रशांत महासागर में मांटा पत्तन के निकट तेल शोधक के निर्माण के लिए लगभग 7 बिलियन डॉलर का निवेश किया जा रहा है। किंतु सबसे अधिक राष्ट्रपति शावेजके बाद वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था के नाटकीय रूप से ध्वस्त होने से इक्वेडोर के निर्यातों में भारी कमी आयी है।
तथापि, इक्वाडोर के संबंध में अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक और विनियामक निकायों की वैषम्य रिपोर्टें हैं। लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देश के आर्थिक आयोग (ईसीएलएसी) के अनुसार इक्वाडोर में वर्ष 2016 में आर्थिक वृद्धि नकारात्मक (-2.3 प्रतिशत) थी और वर्ष 2017 के लिए इसका पूर्वानुमान 0.5 प्रतिशत किया गया। तथापि, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट (2016) के अनुसार इक्वाडोर की जीडीपी के वर्ष 2017 में सिमट कर 2.7 प्रतिशत होने का अनुमान है क्योंकि तेल की कीमत कम है।
संभावित घटना के रूप में कम से कम अल्पकालिक साधन के रूप में श्री मोरेनो को मुख्य निर्यात वस्तु तेल की कीमत में तेजी से कमी से उत्पन्न होने वाली कठिनाइयों के माध्यम से आगे बढ़ना होगा और डॉलर को मजबूत करना होगा जिसका पहले से ही घट रहे सरकारी राजस्व पर नकारात्मक असर होगा । इसका तात्पर्य यह हुआ कि एक महात्वाकांक्षी आवास योजना और सामाजिक कार्यक्रम सहित शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल, अवसंरचना में सुधार, जो श्री मोरेनो के चुनावी वायदे थे, पर सब्सिडी की बढ़ोतरी से सतत बढ़ोतरी के लिए एक कठिन चुनौती होगी।
श्री मोरेनो ने अपने चुनावी अभियान में यह संकेत दिया था कि वे राष्ट्रपति कोरिया की वर्तमान नीतियों को जारी रखेंगे। तथापि, देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव की आवश्यकता हे। चूंकि आर्थिक अवरूद्धता में बढ़ोतरी हो रही है इसलिए श्री मोरेनो को कारोबारी नेताओं के साथ बातचीत करने और सार्वजनिक खर्चे के प्रभाव के लिए सामाजिक अभियान चलाए जाने एवं बाहरी ऋण पर निर्भर विशेष कर चीन पर निर्भर हुए बिना प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने की आवश्यकता है। पिछले दशक में इक्वाडोर ने चीन के साथ अपने संबंध को मजबूत किया, और लैटिन अमेरिका में चीनी निवेश और सहायता पाने वाले मुख्य प्राप्त कर्ताओं में से एक बन गया। वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक अंतर अमेरिकी वार्ता के चीन-लैटिन अमेरिका वित्तीय डाटाबेस के अनुसार वेनेजुएला और ब्राजील के बाद इक्वाडोर चीनी सहायता पाने वाला तीसरा प्राप्तकर्ता देश है और यह आंकड़ा 17.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसके अतिरिक्त, सकारात्मक हिस्से में इक्वाडोर की राष्ट्रपति कोरिया के अंतर्गत कई वर्षों तक मजबूत आर्थिक स्थिति रही है तथा यहां के नागरिक अधिकांश लैटिन अमेरिकी देशों के नागरिकों की तुलना में धनी रहे हैं। आकस्मिक वैश्विक आर्थिक तथ्यों के मद्देनजर नयी सरकार ने राष्ट्रपति कोरिया द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करते हुए प्रकटत: इस आर्थिक संकट से पार पाने के लिए रास्ता अपना लिया है। यह देखा जाना है कि यह कार्य करेगा या नहीं।
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* डॉ. मोहम्मद अब्दुल गफ्फार , भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
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