20 नवंबर 2015 को माली की राजधानी बमाको में रेडिसन ब्लू होटल पर हमला हुआ, जिसमें 20 से अधिक लोग मारे गए। यह महला अफ्रीकी महाद्वीप में नवीनतम आतंकवादी हमलों में से एक है, जो इस्लामी चरमपंथ में वृद्धि का गवाह बना। अल-मौरीबातून (एएमबी), अल-क़ायदा इन इस्लामिक मग्रेब (एक्यूआईएम), अंसार अल-डाइन (एएडी), पश्चिम अफ्रीका में एकता और जिहाद का आंदोलन, अल-शबाब, बोको हरम जैसे इस्लामी समूह समेत हाल के दिनों में इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) लगातार अपनी ताकत को बढ़ाने की उम्मीद में आतंकवादी गतिविधियों के घातक और हिंसक रूप में लगे हुए हैं। इन समूहों द्वारा अतिवाद के मद्देनजर माली, विशेष रूप से, बेहद असुरक्षित हो गया हैं। इस पृष्ठभूमि के मद्देनजर यह शोध पत्र माली में आतंकवादी चुनौतियों की पड़ताल करता है। यह शोध पत्र 20 नवंबर को होटल में हुए हमले से माली में आतंकवाद के पनपने के पीछे के कारक, इसे संचालित करने वाले आतंकवादी समूहों, उनके मकसद, लक्ष्य, रणनीति और वित्तपोषण के तरीके पर केंद्रित है। इसमें राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं और निहितार्थ का भी आकलन करता है।
माली में आतंक की समस्या
2015 में माली ने सैन्य हमलों पर ही नहीं; बल्कि सॉफ्ट टारगेट पर भी आतंकी हमलों में भी वृद्धि का गवाह रहा है। माली पर आईआरआईएन (इंट्रीगेटेड रिजीनल इंर्फॉमेशन नेटवर्क) की रिपोर्ट के अुनसार, विशाल उत्तरी क्षेत्र कुछ हिस्सों से हिंसक चरमपंथियों को खदेड़ने के मद्देनजर किए गए सुरक्षा प्रयासों और उसमें मिली सफलता के बावजूद उत्तरी माली में नागरिकों और सुरक्षा बलों के खिलाफ विभिन्न इस्लामी समूहों द्वारा असंतुलित हमलों की गति और तीव्रता बढ़ गई है। जून 2015 के बाद से माली और पश्चिमी दोनों लक्ष्यों पर हमले आइवरी कोस्ट और बुर्किना फासो के साथ सीमाओं के पास और पारंपरिक उग्रवादी गढ़ों से परे दक्षिण तक फैल गए।¹ 7 अगस्त 2015 को माली सशस्त्र बल पोस्ट के पास स्थित बामाको से लगभग 600 किलोमीटर उत्तर पूर्व में मध्य माली के सेवारे में एक होटल की घेराबंदी के दौरान चार एमआईएनयूएसएमए या मिनुस्मा शांति सैनिकों सहित लगभग 17 लोग मारे गए थे।² 2015 में आतंकवादी हमले कम से कम 3423 लोग मारे गए हैं - जिसमें संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिक, विदेशी कर्मचारी शामिल हैं।
आसान लक्ष्यों पर हमलों की अधिकता को देखते हुए बमाको होटल पर हमला कई विश्लेषकों के लिए अप्रत्याशित नहीं था। यह एक सावधानीपूर्वक, योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया ऑपरेशन था, जिसे संदेश भेजने के लिहाज से डिज़ाइन किया गया था। संयुक्त राष्ट्र और फ्रांसीसी स्रोतों का दावा है कि इसका उद्देश्य तुआरेग अलगाववादियों और सरकार के बीच शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारना था। सरकार और तुआरेग अलगाववादी समूह कोऑर्डिनेशन देस मोवेमेंट्स डी एल अज़ावद (सीएमए) के बीच माली में 20 जून को शांति और सुलह के लिए अल्जीयर्स प्रक्रिया से निकले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। अंसार डाइन जैसे इस्लामी चरमपंथी समूहों ने समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद सहमति के खिलाफ जोरदार हमला किया और अलगाववादियों पर स्थानीय आबादी को धोखा देने का आरोप लगाया। यह हमला तब हुआ जब होटल सहमति के कार्यान्वयन की दिशा में काम करने वाली समिति नवीनतम बैठक की मेजबानी की तैयारी कर रहा था। प्रवासियों और विदेशी राजनयिकों के बीच एक लोकप्रिय स्थान होने के नाते इस होटल को निशाना बनाने के लिए चुना गया था। इसके अलावा इसका अधिकतम अंतरराष्ट्रीय प्रभाव तय था, साथ में यह हमला चुनौती के वैश्विक स्वरूप को प्रदर्शित करता है।
चूंकि पेरिस हमले के तुरंत बाद यह हमला हुआ, इस घटना के साथ आईएसआईएस संपर्क की संभावना के हिलाज से चिंता जाहिर की गई थी। बहरहाल, जैसा कहा गया ऐसा कुछ भी नहीं था। क्राइसिस ग्रुप के एक वरिष्ठ विश्लेषक साहेल ने कहा है कि हमले में स्थानीय और वैश्विक दोनों कारक हो सकते हैं: एक ऐसा हमला जिस पर लंबे समय से योजना बनाई गई थी, उसे तेज किया जा सकता था। बहरहाल, दोनों घटनाएं एक समान लगती हैं, क्योंकि यह आसान लक्ष्यों पर हमले की घातक शैली को उजागर करता है, जो विभिन्न आतंकवादी समूहों के बीच प्रमुखता देखा जा रहा है, चाहे यह केन्या के वेस्टगेट मॉल या मुंबई होटल हमले का मामला हो।
सुर्खियों में माली
बमाको होटल के हमले ने माली को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया; वैश्विक स्तर पर पश्चिम अफ्रीका में बोको हराम की हिंसात्मक गतिविधियों से आईएसआईएस की ओर ध्यान बंट जाने के कारण इससे ध्यान थोड़ा हट गया था। फ्रांसीसी हस्तक्षेप और संयुक्त राष्ट्र मिशन के तैनाती के दो साल बाद विभिन्न इस्लामी समूहों द्वारा आतंकवादी हमलों में वृद्धि हुई है, जो बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर प्रकाश डालता है, जिसमें समानांतर इस्लामिक आतंकवादी नेटवर्क प्रतिस्पर्धा के तहत अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रहे हैं। इन समूहों द्वारा आतंकी हमलों में वृद्धि और उन हमलों की गंभीरता इस क्षेत्र में खेली जा रही प्रतिस्पर्धात्मक गतिशीलता की ओर इशारा करती है, जिसमें प्रत्येक समूह अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना चाहता है। बहुत सारे विश्लेषकों का मानना है कि इन समूहों ने आईएसआईएस के प्रभुत्व से लड़ने के लिए नफरत पैदा करने वाला मीडिया करवेज पाने के लिए नेटवर्क बनाया है। ऐसी आशंकाएं हैं कि जैसे-जैसे आईएसआईएस अपने हमलों में वृद्धि करता है, क्षेत्र में अन्य आतंकी समूहों में हमले के लिए आगे बढ़ने के लिहाज से लोगों को भर्ती करने और वित्त पोषण के लिए दबाव महसूस हो सकता है। इस प्रतियोगिता की गतिशीलता को माली में आतंकवादी समस्या को और अधिक जटिल बनाने में देखा जा सकता है, क्योंकि आतंकवाद के पनपने में राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर के विभिन्न कारकों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
माली में राजनीतिक हिंसा की पृष्ठभूमि
हालांकि ऐतिहासिक रूप से माली में अपेक्षाकृत कम हिंसा वाला देश रहा है, हालांकि बार-बार हिंसा के चपेट में आना, हिंसा का स्तर, आतंकवादी हमलों के मद्देनजर मृत्यु-दर में नाटकीय घटना 2011 के अंत तक हुआ। यह दो विभिन्न तरह के हिंसक अभियानों का केंद्र रहा है; एक, तुआरेग अलगाववादियों में से एक जातीय अल्पसंख्यक, माली में जिसकी आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा है⁴ और दूसरा इस्लामिक आतंकवादी समूहों द्वारा माघरेब (एक्यूआईएम) में अल-कायदा से जुड़ा है।
नवंबर 2011 में तुआरेग खानाबदोश, जो लीबिया में मुहम्मर गद्दाफी के लिए लड़े थे, हथियारों के साथ माली में लौट आए और मुवमेंट फॉर दि लिबरेशन ऑफ दि आज़ावाद (एमएनएलए) नामक स्वतंत्र तुआरेग राज्य की स्थापना के लिए आंदोलन शुरू किया। एमएनएलए की स्थापना के साथ माली में एक नए हिंसक दौर की शुरुआत हुई। 2012 में राष्ट्रपति अमादौ तौमानी टूरे के एक सैन्य तख्तापलट में शामिल होने के लगभग छह महीने बाद राजनीतिक शून्य पैदा हुई, जिसने सरकार के खिलाफ हथियारों से लैस तुआरेग अलगाववादियों को सशस्त्र विद्रोह शुरू करने का अवसर प्रदान किया। यह अल-कायदा, मुजाओ और अंसार डाइन के साथ पंक्तिबद्ध समूहों द्वारा चलाए जानेवाले हिंसा के अभियान के साथ मेल खाता है, जो स्वयं अपने तरह के इस्लामी कानून और शासन की मांग करता है। तुआरेग अलगाववादियों और इस्लामवादी समूह - दोनों ने सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़े, लेकिन बाद में उनमें दरार पड़ गया।⁵ हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि समूह में दरार क्यों आया? संभवतया एक्यूआईएम और मुजाओ समेत एमएनएलए के धर्मनिरपेक्षता और उत्तर में इस्लामी समूहों द्वारा नागरिकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा वगैरह इसके कारण थे। इन दोनों समूहों के बीच झड़पों से बाद में इस्लामवादियों ने उत्तरी के बड़े क्षेत्रों पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
विद्रोहियों से लड़ने के लिए माली सैनिकों के पास हथियारों की कमी थी। माली सरकार के एक अनुरोध के बाद 2013 में फ्रांसीसी हस्तक्षेप ने गौ, किडल और टिम्बकटू जैसे क्षेत्रों से इस्लामवादियों को बाहर कर दिया, जिन्हें उन्होंने अपने कब्जे में लिया था।
स्रोत: एजेंस फ्रांस प्रेसे |
लेकिन फ्रांस केवल उन्हें खदेड़ सकता था और उन्हें नष्ट नहीं कर सकता था। माली को सामान्य स्थिति में लाने के प्रयास के तहत एक नए राष्ट्रपति का चयन करने के लिए चुनाव हुए और 2015 की शुरुआत में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि इन सभी प्रयासों ने इस्लामिक समूहों को हमला करने से नहीं रोका। मौजूदा समय में शांति और स्थिरता के मद्देनजर केंद्र सरकार कमजोर पड़ रही है और फ्रांस तथा संयुक्त राष्ट्र पर अत्यधिक निर्भर है। अब तक, सरकार और तुआरेग अलगाववादियों के बीच शांति समझौते वांछित परिणाम बहुत धीमा रहा है।⁶ |
माली में आतंक की समस्या के उदय के कारक
माली में आतंकवाद के बढ़ने के कारण कई कारकों का एक जटिल प्रवृत्ति सामने आई है। पहला माली में 2011 और 2012 के राजनीतिक संकट में लीबिया का विद्रोह महत्वपूर्ण कारक रहा है, जिसने हिंसक सशस्त्र विद्रोह को अंजाम देने के लिए इस्लामवादियों और अलगाववादियों को अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराया। इसके परिणामस्वरूप माली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर इस्लामवादी अतिवादियों को विश्व ध्यान आकर्षित करना और माली की सुरक्षा और राजनीति में हस्तक्षेप करने जैसे कई फायदे हुए।
दूसरा कारक शासन का संकट है। 2013 में फ्रांसीसी हस्तक्षेप के बाद बहाल की गई केंद्र सरकार उत्तरी क्षेत्रों पर शासन करने के लिहाज से अभी भी बहुत कमजोर है। कमजोर कानून प्रवर्तन और पुराने भ्रष्टाचार के कारण विशाल साहेल क्षेत्र में स्थानीय कट्टरपंथी इस्लामी समूहों और आतंकवादी गुटों के लिए ड्रग्स, हथियारों और मानव तस्करी जैसे संगठित अपराध और हवाला के लिए एक अभयारण्य बन गया है, जो आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने में मदद करता है। असली शासन के मुद्दों को हल करने के लिए ठोस और समन्वित प्रयासों की कमी ने माली को आतंकवाद के प्रति संवेदनशील बना दिया है।
तीसरा कारक वह हिंसक प्रतियोगिता हो सकता है, जो इस क्षेत्र में चल रही है। इनमें से हरेक समूह अपनी ताकत का दावा करने के लिए हिंसक हमलों को अंजाम देकर एक-दूसरे को पछाड़ने की कोशिश कर रहा है।
चौथा महत्वपूर्ण कारक है बामाको और उत्तरी समूहों समेत तुआरेग के साथ शांति प्रक्रिया विफल होना, जिसने 2012 में उत्तरी माली को पस्त कर दिया था। शांति वार्ता ने इस्लामवादियों को छोड़ दिया और तुआरेग से निपट लिया, जबकि इस्लामवादियों के लिए सबसे गंभीर चुनौती है राज्य। अंसार अल डाइन जैसे समूहों ने शांति समझौते के खिलाफ दृढ़ता के साथ बात की है। जिस दिन बामाको में होटल में हमला हुआ था, उस दिन शांति वार्ता होनी थी। वर्षों से लड़ाई के बाद शांति बहाल करने के माली के नाजुक प्रयासों पर भयानक हमला एक तरह का प्रहार था।
पांचवां फ्रांसीसी कारक भी महत्वपूर्ण है, चूंकि माली में कुछ समूहों के हस्तक्षेप और दीर्घकालिक उपस्थिति के कारण क्षेत्र में फ्रांसीसी हितों को निशाना बनाया गया है। माली में अपनी भागीदारी के लिए अल-मौराबितून जैसे समूहों के इरादे फ्रांस और उसके सहयोगियों पर हमला करना है। बमाको और पेरिस के हमलों से स्पष्ट है कि आतंकवाद के खिलाफ फ्रांस की रणनीतियों को देश और विदेश दोनों जगह चुनौती दी जा रही है।
छठा निर्णायक कारक उत्तरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर गरीबी, असमानता, शिक्षा का अभाव, बेरोजगारी है और वंचित समुदायों के लिए गतिशील सरकार की नीतियों की कमी है, जो कट्टरता के लिए गुंजाइश पैदा करता है।
माली आतंकवादी समूह और उनके इरादे में
अल-मौराबितून, जिसने बामको होटल हमले की जिम्मेदारी ली थी, उत्तरी माली में संचालित चार प्रमुख इस्लामी आतंकवादी समूहों में से एक है; जिसमें अंसर अल-डाइन (एएडी), मुवमेंट फॉर यूनिटी एंड जिहाद इन वेस्ट अफ्रीका (मुजाओ), और अल-कायदा इन माघरेब (एक्यूएमआई) शामिल हैं।
अल-कायदा इन माघरेब (एक्यूएमआई) अल-कायदा का उत्तरी अफ्रीकी शाखा है, जिसकी जड़ें अल्जीरिया में हैं। ज्यादातर विदेशी लड़कों को लेकर तैयार है, यह इस्लामी कानून के प्रसार और माली को फ्रांसीसी औपनिवेशिक विरासत से मुक्त करना चाहता है। यह पश्चिम के नागरिकों के अपहरण के लिए जाना जाता है। समूह ने दक्षिणी माली, सेनेगल, नाइजर, मॉरिटानिया और अन्य पड़ोसी देशों के हताश-निराश और बेरोजगार युवाओं और प्रवासियों को अपनी ओर आकर्षित किया है। एक्यूएमआई का मुख्य नेता अल्जीरियाई अब्देल मालेक ड्रूकडेल है।
अंसार अल-डाइन (एएडी) एक इस्लामी आतंकवादी समूह के रूप में शुरू हुआ। यह स्थानीय इफोगास, तुआरेग, बेराबीब अरब और अन्य जातीय समूहों से युक्त एक समूह है, जो नाइजीरिया में बोको हरम को पसंद करते हैं, उत्तरी माली में शरिया कानून को संस्थागत बनाना चाहते हैं। अंसार डीन के संस्थापक और प्रमुख इयाद अग घाली हैं, जो 1990 के दशक के पूर्व तुआरेग नेता हैं। अंसार डाइन लड़ाकों में से अधिकांश इयाद अग घाली इफोगास जनजाति के तुआरेग और टिम्बकटू क्षेत्र के बेराबेची अरब से हैं। इसके कई आतंकवादी तुआरेग लड़ाके हैं, जो मुअम्मर गद्दाफी के सैनिकों के साथ लड़ने के बाद लीबिया से लौटे थे।⁷
मुवमेंट फॉर यूनिटी एंड जेहाद इन वेस्ट अफ्रीका (मुजाओ) एक एक्यूआईएम का छिटका हुआ समूह है, जिसका उद्देश्य पूरे पश्चिम अफ्रीका में जिहाद फैलाना है। इसने एक्यूआईएम के नेतृत्व के अल्जीरियाई प्रभुत्व पर आपत्ति जताई। यह इस्लामी कानून की वकालत करता है और इसमें तुआरेग अलगाववादियों के खिलाफ हिंसा का अभियान छेड़ा हुआ है। यह आरोप लगाया जाता है कि इसके सदस्यों में साहेल क्षेत्र और उत्तरी अफ्रीका के स्थानीय और विदेशी दोनों शामिल हैं।⁸
अल-मौराबितून अल कायदा से जुड़ा एक समूह है, जिसका उद्देश्य शरीयत (इस्लामी कानून) को लागू करना है। समूह का गठन 2013 में अल-मुलतामुन ("नकाबपोश शख्स") बटालियन (एएमबी) के बीच एक विलय से हुआ था, जिसकी अगुवाई अल्जीरियाई जिहादी मोख्तार बेलमोख्तार और मुवमेंट फॉर यूनिटी एंड जेहाद इन वेस्ट अफ्रीका (मुजाओ) ने की थी। 2012 में, मोख्तार बेलमोख्तार ने एक्यूआईएम से अपनी अल-मुलतामुन बटालियन (एएमबी) को अलग कर लिया। जनवरी 2013 में अल्जीरिया में एक गैस स्टेशन पर हमले का मास्टरमाइंट एएमबी था, जिसमें 40 लोग मारे गए थे। मई 2013 में एएमबी और मुजाओ ने नाइजर में दो आत्मघाती बम धमाके किए, जिसमें कम से कम 20 लोग मारे गए; जिसमें उन्होंने दावा किया कि जनवरी में पेरिस आतंकी हमले के आतंक के मद्देनजर एकजुटता दिखाने के लिए पेरिस रैली में नाइजर के राष्ट्रपति महामदौ इस्सौफौ ने शिरकत की थी।⁹ अगस्त 2013 में दोनों समूहों का विलय हो गया। यह बताया जाता है कि अल मौरीबतून को मई 2015 में एक विखंडन का सामना तब करना पड़ा, जब कुछ सदस्यों ने आईएसआईएस के प्रति वफादारी जाहिर किया।¹⁰ जुलाई 2015 में अल-मौरीबतून ने अल-क़ायदा के साथ आधिकारिक तौर पर गठबंधन किया और इसका नाम बदलकर "अल मुरबैतून - पश्चिम अफ्रीका में अल-क़ायदा" हो गया।
बमाको होटल हमला इस समूह द्वारा किया गया तीसरा हमला था। इसका इरादा क्षेत्र में फ्रांस और उसके सहयोगियों के लिए "मार्ग" बनाना का हैं। समूह ने क्षेत्र में फ्रांसीसी हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए हमले किए, अफ्रीकी सैन्य इकाइयों ने इस्लामवादी ताकतों और अफ्रीकी नागरिकों के खिलाफ समन्वय किया। अल-मौरीबतून ने माली में 2013 में फ्रांस पर बीच-बचाव के दौरान "शांतिपूर्ण बच्चों, महिलाओं और बूढ़ों" की हत्या का आरोप लगाया।¹¹ पेरिस हमलों के एक हफ्ते बाद होटल हमला माली में आतंकवाद से लड़ने के इसके प्रयासों के खिलाफ फ्रांस को संदेश भेजना हो सकता है।
आतंक रणनीति, वित्त और भर्ती
इस्लामिक समूहों द्वारा अल-मौरीबतून और एक्यूआईएम द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति में गुरिल्ला शैली के छापे समेत सेना, सरकार और नागरिक को निशाना बना कर आत्मघाती हमले रणनीति शामिल हैं। एक्यूआईएम के सदस्य अक्सर सहायता कार्यकर्ता, पर्यटक, राजनयिक और बहुराष्ट्रीय निगमों के कर्मचारी का अपहरण करते हैं और कभी-कभी हत्या भी कर देते है।
अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, फिरौती और आपराधिक गतिविधियों, जैसे कि हथियारों की तस्करी, वाहनों, सिगरेट और व्यक्तियों के लिए अपहरण के माध्यम से उन्हें वित्त मदद की जाती है।¹² समूह महत्वपूर्ण आकर्षक तस्करी के मार्गों को नियंत्रित करता है, जिसके द्वारा ड्रग्स, सिगरेट और यहां तक कि लोगों को ले जाया जाता है। विश्लेषकों का कहना है कि एक्यूआईएम भी नशीले पदार्थों की तस्करी करता है, जो लैटिन अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में आपूर्तिकर्ताओं के बीच साहेल का रास्ता एक महत्वपूर्ण स्टेशन होता है।¹³
हालांकि तस्करी की गतिविधियों में स्थानीय नेटवर्क से इन समूहों के साथ पारम्परिक आयाम होता है, जो स्थानीय स्तर पर सत्ता और स्थानीय दलालों के नियंत्रण और समन्वय के माध्यम से चलता है।¹⁴ संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति के अनुसार, अल मौरीबतून प्रमुख बेलमोख्तार का "स्थानीय जनजातियों के साथ पारिवारिक संबंध [एक्यूआईएम और संबद्ध समूहों] को दक्षिणी मघरेब में आतंकवाद को वित्तपोषण जैसे आपराधिक मौके पर पूंजी लगाने की सहूलियत देता है।"¹⁵ समूह को संभवतया अन्य आतंकवादी संगठनों से इसके संपर्कों माध्यम से धन प्राप्त होता है।
मुजाओ को पहले क्षेत्रीय ड्रग तस्करी के माध्यम से धन प्राप्त होता था। 2011 में मुजाओ अल्जीरिया में तीन सहायताकर्मियों के अपहरण में भी शामिल था, जिन्हें बाद में फिरौती के बदले में रिहा किया गया था। अक्टूबर 2012 में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग में आतंकवाद और वित्तीय खुफिया विभाग के अवर सचिव डेविड कोहेन ने कहा कि केएफआर "आतंकवाद को आर्थिक मदद के मद्देनजर आज सबसे बड़ा खतरा है।"¹⁶
भर्ती
अल मौरीबतून, एक्यूआईएम, मुजाओ के लिए प्राथमिक भर्ती के मामले में उत्तरी और पश्चिमी अफ्रीका, विशेष रूप से अल्जीरिया, मॉरिटानिया, माली और नाइजर शामिल हैं। समूह की सटीक भर्ती विधियां अज्ञात हैं, लेकिन एक संभावित रणनीति क्षेत्र में फ्रांसीसी प्रभाव और हितों के खिलाफ लड़ना तय है।¹⁷
साहेल के महासचिव के विशेष दूत हीरूटे ग्यूब्रे सेलासी के अनुसार, साहेल में युवा और महिलाएं, जिनसे बहुसंख्यक आबादी का गठन होती है, को इन आंदोलनों में भर्ती का लक्ष्य था। बुर्किना फासो, चाड, माली, मॉरिटानिया और नाइजर में 25 वर्ष से कम आयु के 41 मिलियन युवाओं को निराशा का सामना करना पड़ा और उनके साथ कट्टरता का खतरा था।¹⁸
बाहरी संबंध और अंतरराष्ट्रीय गतिशीलता
माली में आतंकवाद सीमा पार क्षेत्रीय घटना है, जिसका पूरे पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। माली में इसका उदय न केवल लीबिया के विद्रोह के पतन से जुड़ा हुआ है, बल्कि रसद और वित्तीय नेटवर्क से भी जुड़ा हुआ है। कई जानकारों और पर्यवेक्षकों का कहना है कि माली में इस्लामी उग्रवादियों के पास भर्ती के लिए, जानकारी एकत्र करने, हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति और रसद संसाधनों और उपकरणों को सुरक्षित करने के लिए पड़ोसी देशों में स्थानीय समर्थन का एक नेटवर्क हैं। वे नाइजीरिया में बोको हरम के सदस्यों की तरह आतंकवादी समूहों के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। वे नाइजीरिया में बोको हराम के सदस्यों की तरह आतंकवादी समूहों के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।¹⁹ एक्यूआईएम और बोको हराम के बीच संपर्क को एक्यूआईएम ड्रॉक्डेल के नेता ने अल जज़ीरा के साथ एक साक्षात्कार में पुष्टि की गई है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनका 'समूह बोको हराम को नाइजीरिया में मुसलमानों तक अपनी पहुंच बढ़ाने और बचाव के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और रसद प्रदान करेगा। जारी किए गए विभिन्न वीडियो में उत्तरी माली में इस्लामी सशस्त्र समूहों के साथ बोको हराम के अबुबाकर शेकू की भागीदारी की पुष्टि करते हैं। बोको हराम के आतंकवादी उत्तरी माली में विद्रोह में मुजाओ और एक्यूआईएम के साथ गठबंधन में शामिल हो सकते थे। और हो सकता है अबूबकर शेकू और उनके कमांडरों ने नाइजीरियाई सुरक्षा बलों के शिकंजे से बचने के लिए या जिसे ‘विदेशी हमला’ माना जाता था, उसके खिलाफ लड़ने में अपने माली के समकक्षों की सहायता के लिए उत्तरी माली में शरण लिया हो।²⁰ बमाको में हाल के हमलों से ऐसी अटकलें लगायी जाने लगी कि वे आतंकवादी बोको हराम के साथ संबंध रख सकते हैं, क्योंकि वे अंग्रेजी में बात कर रहे थे।
बेनिन, कैमरून और चाड जैसे देशों की माली के साथ निकटता और उनके व्यापक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों के कारण माली कट्टरपंथी तत्वों का संभावित लक्ष्य माना जाता है।²¹ माली में अतिवाद का उदय अटकलों को खारिज करने का काम करता है कि माली एक इनक्यूबेटर बन सकता है, जहां इस्लामवादी समूह हिंसक जिहाद²² (हिंशॉ 2013, 1) के लिए अफ्रीकियों को प्रशिक्षण देने और जुटाने में शामिल हैं। माली में आतंकवाद ऐसे अंतरराष्ट्रीय विशेषता वाले इस क्षेत्र के देशों, अफ्रीकी संघ और अंतरराष्ट्रीय नीति निर्माताओं के लिए चिंता में इजाफा का कारण बन गई है।
आतंकवाद के मद्देनजर राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
पड़ोसी देशों में अन्य समूहों के साथ संबंध और नेटवर्क से जुड़े विभिन्न चरमपंथी समूहों के साथ मिल कर काम करने से माली में, दरअसल, आतंकवाद की चुनौतियों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई हैं। ऐसी चुनौतियों का जवाब देना किसी भी राष्ट्र के लिए कठिन होगा। वहीं विश्व बैंक के अनुसार, माली गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली 43.6 प्रतिशत आबादी वाले अफ्रीका के सबसे गरीब राष्ट्रों में से एक है। लगभग 480,000 वर्ग मील की दूरी तक फैला माली; अल्जीरिया, नाइजर, मॉरिटानिया, सेनेगल, गिनी, कोटे-डिलवोइरे और बुर्किना फासो सहित सात देशों की सीमा के साथ जुड़ा है। उत्तर में माली का लगभग 65 प्रतिशत क्षेत्र रेगिस्तानी है। |
सीआईए वर्ल्ड फैक्टबुक माली |
इतना विशाल क्षेत्र और माली की शासन क्षमता को देखते हुए विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ सैन्य और राजनीतिक दोनों ही रूप से आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने में लगा हुआ है। प्रमुख अंतरराष्ट्रीय अभिकर्ता फ्रांस, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका हैं और क्षेत्रीय अभिकर्ता अफ्रीकी संघ, ईसीओडब्ल्यूएएस और पांच देशों के समूह हैं। उत्तरी क्षेत्र में माली यूएन मल्टीडायमेंशनल इंट्रीगेटेड स्टैबिलाइजेशन मिशन इन माली (एमआईएनयूएसएमए या मिनुस्मा) और फ्रांसीसी सेना पर बहुत अधिक भरोसा करता रहा है।
राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
माली सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर इस्लामी चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए विभिन्न गतिविधियों की शुरुआत की। माली ने राष्ट्रीय सुलह और उत्तरी क्षेत्रों के विकास के लिए एक नया मंत्रालय स्थापित किया। राष्ट्रीय सुलह को प्रोत्साहन देने, जनसंख्या की शिकायतों को दूर करने और उत्तर में हिंसक घटनाओं को कम करने के उपायों की पहचान करने के लिए नवंबर में उत्तर में एक राष्ट्रीय संवाद का आयोजन किया।
माली ने आतंकवाद के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिकूल कथ्य का इस्तेमाल किया और आतंकवाद से पीड़ितों के पक्ष के विस्तार के लिए एक तंत्र स्थापित किया। माली अधिकारियों और प्रमुख धार्मिक नेताओं ने नियमित रूप से हिंसक चरमपंथी विचारधारा और आतंकवादी कृत्यों की निंदा की। ज्यादातर माली सूफी इस्लामी विचारधारा में निहित सहिष्णुता के कायल है, इसीलिए सामान्य तौर पर हिंसक चरमपंथी विचारधाराओं को माली वासियों के बीच स्वीकृति नहीं मिली है।
क्षेत्रीय प्रतिक्रियाएं
क्षेत्र के देश, जो आशावादी हैं, ने साहेल क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी चुनौतियों को स्वीकार करते हुए इस पहल का नेतृत्व किया और स्वामित्व ग्रहण किया है। ग्रुप ऑफ फाइव फ़ॉर द साहेल (जी 5 साहेल), अफ्रीकी संघ, पश्चिम अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय (इकोवास), मध्य अफ्रीकी राज्यों के आर्थिक समुदाय (ईकैस) और लेक चाड बेसिन कमीशन जैसे मंच चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय अभिकर्ताओं के साथ भागीदारी और समन्वय को बढ़ाया। क्षेत्र में काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं ने भी सहेल (यूएनआईएसएस) के लिए संयुक्त राष्ट्र की एकीकृत रणनीति के तहत समन्वय और सुसंगतता में सुधार किया है।²⁴ पिछले कुछ महीनों में माली में क्षेत्रीय स्तर के अंतरराष्ट्रीय बलों को मजबूत किया गया है। मिसाल के तौर पर उत्तरी माली में चाड आतंकवादी समूहों के खिलाफ 2,500 से अधिक सैनिकों का योगदान दे रहा है, और नाइजीरिया, कैमरून, नाइजर और बेनिन के साथ मिलकर बोको हरम के खिलाफ यह पांच देशों के गठबंधन का हिस्सा है।
बहरहाल, ये क्षेत्रीय पहल साहेल क्षेत्र के स्थायी स्थिरता की दिशा में सबसे ज्यादा उम्मीद जगाते हैं, फिर भी अभी यह देखा जाना बाकी है कि उत्तर और पश्चिम अफ्रीकी सरकारें आखिरकार एक साथ कैसे काम करने की योजना बनाती है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
संयुक्त राष्ट्र संघ:
यूनाइटेड नेशन्स मल्टीडायमेंशनल इंग्रीगेटेड स्टैबलाइजेशन मिशन इन माली (एमआईएनयूएसएमए या मिनुस्मा) की स्थापना 25 अप्रैल 2013 को सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 2100 द्वारा की गयी थी; ताकि उस देश में राजनीतिक प्रक्रियाओं का समर्थन किया जा सके और सुरक्षा से जुड़े कई कार्य किए जा सकें। इसमें 11,200 सैन्य कर्मी और 1,440 पुलिस कर्मी हैं। यह एक पुख्ता प्रस्ताव था; क्योंकि इसने अपने शासनादेश को लागू करने के मद्देनजर “सभी आवश्यक साधनों” का उपयोग करने के लिए शांति सैनिकों को अधिकृत करने के लिए मिनुस्मा को एक दुर्लभ “शांति प्रवर्तन” भूमिका सौपा, जिसमें नागरिकों की सुरक्षा और मानवाधिकारों का संवर्धन और संरक्षण शामिल था। 2014 में एमआईएनयूएसएमए या मिनुस्मा जनादेश के हिस्से के रूप में उत्तर में अपनी उपस्थिति का काफी विस्तार किया और प्रमुख जनसंख्या केंद्रों और अन्य क्षेत्रों में जहां नागरिक जोखिम में हैं, को स्थिर करने के लिए लंबी दूरी की गश्त शुरू किया। यह उन क्षेत्रों में सशस्त्र तत्वों की वापसी को रोकने के लिए सक्रिय कदम भी उठा रहा है, जिसमें राष्ट्रीय राजनीतिक संवाद और सुलह का समर्थन भी शामिल है।
फ्रांस
साहेल क्षेत्र में ऑपरेशन बरखाने की एकीकृत आतंकवाद निरोधी फ्रांस की रणनीति है। माली में पिछले फ्रांसीसी मिशन को इसने ऑपरेशन सर्वल में बदल दिया। माली बलों के सहयोग से, बरखाने ने उत्तरी माली में हिंसक चरमपंथी तत्वों को नीचा दिखाने के लिए कई अभियान चलाए, जिनमें इस्लामिक मघरेब (एक्यूआईएम), अल-मौरीबतून (एएमबी) में अल-कायदा, मुवमेंट फॉर यूनिटी एंड जिहाद इन वेस्ट अफ्रीका (मुजाओ) और अंसार अल-डाइन (एएडी) शामिल हैं। ऑपरेशन बरखाने केवल माली तक ही सीमित नहीं है। अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में इसका व्यापक क्षेत्रीय दायरा है। चाड और नाइजर में भी इस्लामिक चरमपंथ को निशाना बनाने के लिए सीमाओं को पार करने का आदेश जारी किया है। मिशन के जनादेश को पूरा करने के लिए 3,000 मजबूत आतंकवाद निरोधक बल माली में अनिश्चित काल तक रहेंगे।
अमेरिका
अमेरिका माली में लोकतांत्रिक संस्था, जवाबदेह प्रशासन, मानवाधिकारों के लिए सम्मान को बड़ावा देने पर जोर दे रहा है और अंतरराष्ट्रीय खतरों से क्षेत्रीय सुरक्षा का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा सहायता प्रदान कर कर रहा है। वित्त वर्ष 2014 में माली को कुल मिला कर 135.4 मिलियन डॉलर से अधिक अमेरिकी वित्तीय सहायता मिली।²⁵ महिला, शांति और सुरक्षा (डब्ल्यूपीएस), ट्रांस-साहेल काउंटर टेररिज्म पार्टनरशिप (टीओटीसीपी), सिक्योरिटी गवर्नेंस इनिशिएटिव (SGI)। समेत अन्य यूएसजी सहायता उपक्रमों के भी माली केंद्र में रहा है। अमेरिकी विदेश विभाग का मानना है कि साहेल में आतंकवाद से निपटने के लिए सबसे अच्छी रणनीति क्षेत्रीय सरकारों के साथ काम करना, क्षेत्रीय सहयोग और हिंसक चरमपंथ का मुकाबला करने के लिए अपनी क्षमता बढ़ाने में है।
बहरहाल, अल्जीयर ने अमेरिका और फ्रांस जैसी पश्चिमी शक्तियों के लिए प्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद-विरोधी भूमिका को समाप्त कर दिया है; लेकिन कांग्रेस रिसर्च लाइब्रेरी (सीआरएस) के अनुसार इसने उनके अप्रत्यक्ष समर्थन का स्वागत किया है।²⁶
निष्कर्ष
हाल के दिनों में पड़ोसी देशों के उभरते संपर्कों के अच्छी तरह से प्रचारित मामलों के साथ उत्तरी अफ्रीका में माली आतंकवाद प्रभावित एक प्रमुख स्थान है। आतंकवाद को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिए माली के कई राज्य और अंतर सरकारी अभिकर्ता मिल कर काम कर रहे हैं। लेकिन इसी के साथ ड्रग्स, हथियारों, सामानों के अवैध व्यापार के लिए क्षेत्रीय और वैश्विक नेटवर्क के साथ देश में विभिन्न आतंकी समूह भी काम कर रहे हैं और इससे लोगों के लिए आतंकवाद की समस्या का सामना करना मुश्किल बना हौ रहा है।
बमाको में 20 नवंबर के हमलों ने साबित कर दिया कि माली में आतंकवाद को खत्म करने के लिए इन अभिकर्ताओं के सभी प्रयास अपर्याप्त हैं। माली में राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं के लिए अपनाए गए विभिन्न दृष्टिकोणों ने अराजकता पर अंकुश लगाया है, लेकिन पुख्ता स्थिरता का निर्माण नहीं किया है और व्यवहार्य दीर्घकालिक समाधान अभी तक सामने नहीं आए हैं।
जानकारों का कहना है कि बमाको में हाल ही में किए गए समन्वित हमला एक चेतावनी है कि हस्तक्षेप करने और आतंकवाद के लिए वैश्विक युद्ध में ध्यान आकर्षित करने के मामले में माली सीरिया का प्रतिद्वंद्वी हो सकता है। यदि माली के आतंकी समूह आईएसआईएस के अफ्रीकी सहयोगियों के लिए एक विश्वसनीय विकल्प स्थापित करने का निर्णय लेते हैं तो और हमलों की उम्मीद की जा सकती है। इस दौड़ में अफ्रीकी और अंतरराष्ट्रीय नीति निर्माताओं को अफ्रीका से उन्हें उखाड़ फेंकने के लिए आतंकवाद निरोधी साधनों को कई गुणा पुख्ता की आवश्यकता है।
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* लेखिका, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स, नई दिल्ली मेंक रिसर्च फेलो हैं।
इस आलेख में जाहिर किए गए विचार शोधकर्ता के निजी हैं, न कि काउंसिल के।
अंत टिप्पण:
1 Asymmetric attacks, UN Security Council Report, 22 September 2015.
2 Ibid.
3 Militancy in Mali: Conflict Map, IRIN, 20 November 2015, http://newirin.irinnews.org/dataviz/2015/11/20/map-of-conflict-in-mali-2015.
4 CIA Fact Book Mali.
5 (Jacinto, June 6, 2014).
6 Country Report Mali 2015, http://www.acleddata.5555com/wp-content/uploads/2015/01/ACLED-Country-Report_Mali.pdf5ASAA
7 West Africa‘s Terrorist Challenge and the Dynamics of Regional Response, Insight on Africa, 2013, file:///C:/Users/HP/Downloads/West%20Africa's%20Terrorist%20Challenge%20(1)%20(4).pdf
8 Ibid.
9 Counter Extremism Project, http://www.counterextremism.com/threat/al-mourabitoun
10 Maggie Fick, ―Why does Mali have a Terror Problem? ‖ Financial Times, November 22, 2015.
11 Counter Extremism Project, no viii.
12 Al-Qaida in the Maghreb, CFR Backgrounder, Council for Foreign Relations, Council for Foreign Relations.
13 Algeria: current issues, CRS Report for the Congress, Congress Research Service, 10 February 2011
14 Country Report Mali 2015, http://www.acleddata.5555com/wp-content/uploads/2015/01/ACLED-Country-Report_Mali.pdf5ASAA.
15 Counter Extremism Project, http://www.counterextremism.com/threat/al-mourabitoun.
16 Emmanuel Letouzé and Sarah Cramer, Kidnapping Paid the Bills for Jihadist Groups in Mali. Now What? IPI, Global Observatory, 6 February 2013. http://theglobalobservatory.org/2013/02/kidnapping-paid-the-bills-for-jihadist-groups-in-mali-now-what/
17 Ibid.
18 United Nations, ―Root Causes of Increasing Instability Must Be Addressed to Prevent Further Deterioration in Sahel,‖ Special Envoy Tells Security, 25 November 2015 Council, http://www.un.org/press/en/2015/sc12136.doc.htm
19 Zenn, J., ‗Boko Haram‘s International Connections,‘ CTC Sentinental, no 6: 7–12, 2013. (www.ctc.usma.edu/posts/boko-harams—international-connections.)
20 Ibid.
21 Security Council Report, 2012, ‗Threats to Peace and Security in West African and the Sahel Region.‘ (http://www.securitycouncilreport.org/monthly-forecast/2012-02/lookup_ c_glKWLeMTIsG_b_7966245.php — (Accessed on 11 November 2012).
22 Hinshaw, D. 2013, ‗Timbuktu Terrorist Site Shows Terrorist Reach.‘ The Wall Street Journal. http://online.wsj.com/article/SB10001424127887323926104578278030474 477210.html — (Accessed on 12 February 2013).
23 United States Department of State, Country Reports on Terrorism 2013 - Mali, 30 April 2014, http://www.refworld.org/docid/536229d7aed.html
24 United Nations, Ibid.
25 US Relations with Mali, Bureau of African Affairs, Factsheet, US Department of State, 15 October 2015, http://www.state.gov/r/pa/ei/bgn/2828.htm
26 ‗Al-Qaeda in the Islamic Maghreb,‘ Council for Foreign Relations, http://www.cfr.org/terrorist-organizations-and-networks/al-qaeda-islamic-maghreb-aqim/p12717.