पांचवा अफ्रीका-यूरोप शिखर सम्मेलन 29-30 नवंबर, 2017 को आबिदजान, कोटे डी आइवर (आइवरी कोस्ट) में हुआ था। इस शिखर सम्मेलन का विषय “त्वरित समावेशी विकास और सतत विकास के लिए युवाओं में निवेश” करना था। इसका उद्देश्य पहचाने गए चार सामरिक क्षेत्रों - युवाओं के लिए आर्थिक अवसर, शांति और सुरक्षा, गतिशीलता और प्रवासन, और शासन पर सहयोग में "दोनों महाद्वीपों के मध्य सहयोग की भविष्य की दिशा को परिभाषित करना" था। यद्यपि वर्ष 2000 के बाद से यूरोप-अफ्रीका शिखर सम्मेलन संस्थागत रूप से आयोजित की जा रही हैं, परन्तु पांचवी शिखर सम्मेलन इस अंतरमहाद्वीपीय जुड़ाव में एक मूलभूत परिवर्तन लेकर आया है। इस शिखर सम्मेलन का शीर्षक, 5 वें अफ्रीकी संघ-यूरोपीय संघ (एयू-ईयू) शिखर सम्मेलन ने अफ्रीका-यूरोप के आगामी संबंधों के लिए पसंदीदा संस्था के रूप में अफ्रीकी संघ (एयू) की ओर कदम बढ़ाने का संकेत दिया। ये साझेदारी अधिक संस्थागत और संरचित जुड़ाव की ओर बढ़ी है।
पांचवे शिखर सम्मेलन में इन दोनों क्षेत्रों की साझेदारी की वैध रूपरेखा के रूप में 2007 में लिस्बन में दोनों क्षेत्रों द्वारा अपनाई गई संयुक्त साझेदारी की पुनः पुष्टि की गई, और 2014-2017 में ब्रसेल्स में आयोजित चौथे शिखर सम्मेलन में “आपसी विश्वास, संप्रभु समानता, अखंडता और परस्पर निर्भरता” के सिद्धांतों के आधार पर अपनाए गए रोडमैप में की गई प्रतिबद्धताओं को दोहराया गया।1 संयुक्त रणनीति ने अफ्रीका-यूरोपीय संघ की दीर्घकालिक साझेदारी के वर्तमान चरण को आकार दिया, जिसे पांचवीं शिखर सम्मेलन में भी अपनाया गया था। इसके अलावा, घोषणा में कहा गया, "दो संघ होने के नाते, हम क्षेत्रीय एकता, एकीकरण का समर्थन करते हैं और इस भागीदारी के प्रबंधन और कार्यान्वयन में एक ही सुर में बोलते हैं ...।" इसमें एक गहरी, पारस्परिक रूप से लाभप्रद, मजबूत, लक्षित और अधिक संचालात्मक जुड़ाव पर बल दिया गया। दोनों पक्षों ने एक मजबूत "पारस्परिक जुड़ाव और प्रभावी बहुपक्षवाद सुनिश्चित करने के लिए एक अधिक समन्वित दृष्टिकोण" की कामना की और "एयू-ईयू-यूएन-त्रिपक्षीय सहयोग" को मजबूत किया।
संयुक्त रणनीति को अपनाने के बाद से शिखर सम्मेलन ने एक दशक चिह्नित किया; और आगे, घोषणा में, अगले शिखर सम्मेलन (2020) तक की अवधि के लिए संयुक्त रणनीति की चार प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध किया गया। हालांकि, ये प्राथमिकताएं दीर्घकालिक संयुक्त सामरिक रूपरेखा के अनुरूप हैं, पर फिर भी इसमें तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता वाले मुद्दों को ध्यान में रखा गया है। ये प्राथमिकताएं हैं:
शिखर सम्मेलन में निर्धारित चार सामरिक प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से तीन क्षेत्रों में दोनों पक्षों के कार्रवाई उन्मुख दृष्टिकोण को दर्शाते हुए उठाए जाने वाले उपाय शामिल हैं। एक क्षेत्र - प्रवासन और गतिशीलता - वास्तव में एक ऐसा मुद्दा है जिस पर विशेष ध्यान देने के लिए इसे अलग रखा गया है। कई मुद्दों में से एक मुद्दे पर ध्यान देना, शिखर सम्मेलन में इसके महत्व को रेखांकित करता है। यह वास्तव में सबसे अधिक चर्चित मुद्दा था क्योंकि ये पुराना होने और घोषणाओं तथा वक्तव्यों में नियमित रूप से उल्लिखित होने के बावजूद, इसे पहली बार तत्काल सामरिक प्राथमिकता के रूप में एक स्थान मिला है।
अफ्रीका-यूरोप जुड़ाव को विस्तार में समझने के लिए, निम्न तालिका में अब तक के सभी अफ्रीका-यूरोप शिखर सम्मेलन की घोषणाओं पर प्रकाश डाला गया है।
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अफ्रीका-यूरोप शिखर सम्मेलन, काहिरा, 2000 |
यूरोपीय संघ-अफ्रीका शिखर सम्मेलन, लिस्बन, 2007 |
अफ्रीका-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन, त्रिपोली, 2010 |
यूरोपीय संघ-अफ्रीका शिखर सम्मेलन, ब्रसेल्स, 2014 |
अफ्रीकी संघ-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन, आबिदजान, 2017 |
व्यापार, विकास और क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग |
एसीपी-ईयू (अफ्रीकी, कैरेबियाई और प्रशांत देशों – यूरोपीय संघ) भागीदारी समझौते के आधार पर यूरो-मेडिटेरेनियन मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने का प्रयास।
अफ्रीका में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सहमति।
अफ्रीकी क्षेत्रीय एकीकरण और यूरोपीय संघ के बीच घनिष्ठ संबंध को बढ़ावा देना।
यूरोपीय संघ और अफ्रीका के बीच पारंपरिक साझेदारी को याद करते हुए, दोनों पक्षों के बीच व्यापार सहयोग बढ़ाने के लिए शुल्क की बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता को मान्यता दी गई।
अफ्रीकी देशों द्वारा उत्पादित उत्पादों पर "स्वच्छता और पादपस्वच्छता के उपाय लागू करना, प्रति पाटन और प्रतिकारी शुल्क" के संबंध में प्रतिबंधों को पहचाना गया।
यूरोपीय संघ और अफ्रीका दोनों बहुपक्षीय व्यापार समझौते की रूपरेखा के अंतर्गत प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर सहयोग के लिए सहमत हुए।
दोनों महाद्वीपों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को तीव्र करने और संसाधनों के अंतरण के लिए वैश्विक रूप से सहमत नियमों के अनुरूप संसाधन जुटाने पर सहमति व्यक्त की।
परिवहन, संचार, जल और ऊर्जा में अफ्रीका में पर्याप्त बुनियादी संरचनाओं की कमी को पहचानते हुए, इस संबंध में उचित बुनियादी संरचनाओं के निर्माण के लिए घरेलू और विदेशी संसाधनों के प्रवाह को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया। महाद्वीप में औद्योगिक विकास के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
अनुसंधान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता की पहचान की गई; और क्षमता को बढ़ावा देने के प्रयासों को पहचाना गया, विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा के केन्द्रों में और दोनों पक्षों के मध्य वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना।
शिखर सम्मेलन में आर्थिक सुधार कार्यक्रमों का पालन करके गरीब देशों के कर्ज के बोझ को कम करने के उद्देश्य से ‘भारी ऋणग्रस्त गरीब देश (एचआईपीसी)’ पहल शुरू करने के संबंध में यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों के विचार का स्वागत किया गया। यूरोपीय संघ ने सुशासन, सामाजिक क्षेत्रों और अवसंरचनाओं में सुधार करते आर्थिक सुधार के उपायों का कार्यान्वयन करने की शर्तों पर ऋण ग्रस्त अफ्रीकी देशों के लिए एचआईपीसी पहल2 के तहत ऋण से राहत प्रदान करने हेतु यूरोपीय संघ ने यूरोपीय विकास कोष से 1 बिलियन यूरो का आवंटन किया। |
अफ्रीका और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार और क्षेत्रीय एकीकरण पर सहयोग में निजी क्षेत्रों को शामिल किया जाना चाहिए, अवसंरचनाओं के विकास को बढ़ावा देना और दक्षिण-उत्तर तथा उत्तर-दक्षिण के मध्य बेरोक व्यापार प्रवाह के लिए व्यापारों का एकीकरण करना।
आर्थिक साझेदारी सहमति, उत्तर अफ्रीकी देशों के साथ ईयू-मेडिटरेनीयन मुक्त व्यापार समझौते का कार्यान्वयन करके मजबूत व्यापार संबंधों को बढ़ावा देना।
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मुख्य रूप से "निवेश, आर्थिक विकास और रोजगार सृजन" के विषय के साथ, शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ-अफ्रीका व्यापार के आंतरिक बाजारों और वित्तीय सेवाओं को मजबूत करना।
खनन और अन्य कच्चे माल के क्षेत्रों में ज्ञान और कौशल के निर्माण पर सहयोग।
ऊर्जा, कृषि, परिवहन, आईसीटी जैसे क्षेत्रों में बुनियादी अवसंरचनाओं के विकास की प्रतिबद्धता, अफ्रीकी और यूरोपीय निजी प्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित करना और निजी-सार्वजनिक-भागीदारी का निर्माण करना।
अफ्रीका में नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा सक्षम प्रौद्योगिकियों के निर्माण के लिए यूरोपीय संघ का समर्थन।
अफ्रीका-यूरोपीय संघ नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग कार्यक्रम का पूर्ण निष्पादन और आम अफ्रीकियों को आधुनिक और सस्ती ऊर्जा सेवाएं देने का प्रयास। |
समावेशी आर्थिक विकास और विकास को बढ़ावा देना।
दोनों महाद्वीपों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्रों में उच्च स्तरीय नीति संवाद करने पर सहमति व्यक्त की।
एनईपीएडी की रूपरेखा और व्यापक अफ्रीका कृषि विकास कार्यक्रम के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृषि परिवर्तन को बढ़ावा देना।
भूमि क्षरण, मरुस्थलीकरण और सूखे के मुद्दों को संबोधित किया गया।
शिखर सम्मेलन में विनिर्माण को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में मान्यता दी गई; दोनों महाद्वीपों ने जिम्मेदार खनिज स्रोतों पर बातचीत शुरू की।
रोजगार की बेहतर संभावनाएं पैदा करने के लिए छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) पर ध्यान दिया गया।
दोनों महाद्वीपों के बीच परिवहन, ऊर्जा पर विशेष ध्यान देते हुए अधिक से अधिक आर्थिक एकीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र का संयुक्त सहयोग। डब्ल्यूटीओ के दोहा विकास एजेंडा के लिए पूर्ण प्रतिबद्धता।
“समावेशी, खुली और सुरक्षित सूचना समाज” को बढ़ावा दिया गया जो विकास और वृद्धि में योगदान देते हैं।3
अफ्रीका में महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (सीएफटीए) शुरू करने के लिए अफ्रीका की प्रतिबद्धता, आर्थिक भागीदारी समझौतों (ईपीए) की प्रतिबद्धता को यूरोपीय संघ का समर्थन, जो दोनों महाद्वीपों के लिए लाभ सुनिश्चित करती है।
अफ्रीका ने व्यापार विकास के लिए यूरोपीय संघ की सहायता की सराहना की। |
युवाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए पर्याप्त रोजगार के अवसरों का सृजन।
यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ दोनों ने निवेश और व्यापार के लिए अनुकूल स्थान बनाने के लिए संयुक्त प्रयास जारी रखे और यूरोपीय बाह्य निवेश योजना और जी 20 अफ्रीका साझेदारी की स्थापना का स्वागत किया गया।
दोनों पक्ष अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (सीएफटीए) को बढ़ावा देने, अंतर-अफ्रीकी व्यापार बढ़ाने के लिए अफ्रीका में बुनियादी अवसंरचनाओं के विकास के कार्यक्रम (पीआईडीए) के लिए सहमत हुए। साझेदारी बढ़ाना और युवाओं में उद्यमशीलता बनाने के लिए ज्ञान, कौशल, अनुसंधान और विकास का आदान-प्रदान करना।
मानव निवेश के लिए यूरोपीय बाह्य निवेश योजना की शुरुआत का स्वागत किया गया, और कृषि, कृषि-व्यवसाय, विनिर्माण में रोजगार बनाकर कौशल क्षेत्र में निवेश करना और अफ़्रीकी देशों के लिए नीली अर्थव्यवस्था का स्वागत किया गया।
छोटे और मध्यम आकार के उद्योगों और स्टार्ट-अप में महिला उद्यमियों पर ध्यान देना।
आईसीटी द्वारा प्रदान किए गए अवसरों को पहचानते हुए, दोनों महाद्वीप एक दूसरे के साथ डिजिटल नीतियों का आदान-प्रदान करेंगे।
व्यापक अफ्रीका कृषि विकास कार्यक्रम (सीएएडीपी) के कार्यान्वयन हेतु एयू की व्यवसाय योजना, अफ्रीका की कृषि और उत्पादकता को बढ़ावा देने में मालाबो घोषणा 2017-2021 का समर्थन, अफ्रीकी किसानों को बेहतर आजीविका प्राप्त करने के लिए मजबूत करना, अफ्रीकी किसानों की उद्यमशीलता की गतिविधियों के संबंध में व्यावसायिक प्रशिक्षण और शिक्षा को बढ़ावा देना। |
मानवाधिकार, लोकतांत्रिक सिद्धांत और संस्थाएं, सुशासन और कानून प्रशासन |
जातिवाद, आहूति और नैतिक सफाई के नाम पर सामूहिक हत्या की अत्याचारपूर्ण घटनाओं में बड़े पैमाने पर मानव अधिकारों के अतिक्रमण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, शिखर सम्मेलन में यूरोपीय संघ और अफ्रीका दोनों को संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र और मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अधीन मानव अधिकारों की रक्षा करने और बढ़ावा देने के लिए सहयोग करने के लिए कहा गया।
शिखर सम्मेलन में 2001 में दक्षिण अफ्रीका में जातिवाद, नस्लीय भेदभाव, विदेशियों के प्रति घृणा और संबंधित असहिष्णुता पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन जैसे प्रयासों, अफ्रीका में ग्रांड बे घोषणा और मानव अधिकारों पर कार्य योजना और मानव और जन अधिकारों के लिए अफ्रीकी न्यायालय की स्थापना की सराहना की।
शिखर सम्मेलन में बीजिंग कार्य मंच और महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के विमूलन के लिए संयुक्त राष्ट्र महासंधी, बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र महासंधी और बाल अधिकारों तथा कल्याण पर अफ्रीकी घोषणा-पत्र का भी सम्मान किया गया।
सत्ता पाने के लिए अलोकतांत्रिक गतिविधियों की निंदा करते हुए, शिखर सम्मेलन में सुशासन और कानून प्रशासन के मूल्यों की पुनः पुष्टि करते हुए, 1999 में अल्जीयर्स में महाद्वीप में शासन की असंवैधानिक परिवर्तनों पर आयोजित ओएयू (अफ्रीकी संघ) शिखर सम्मेलन में लिए गए फैसले को अभिस्वीकृति दी गई।
निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक नागरिक सहभागिता पर बल देते हुए, शिखर सम्मेलन में नागरिक समाज, स्थानीय प्रशासन अधिकारियों और शासन में अन्य कार्यकर्ताओं को अधिक से अधिक शामिल करने पर बातचीत की गई। |
लोकतांत्रिक शासन और मानव अधिकारों का समर्थन करते हुए, शिखर सम्मेलन में अफ्रीका-यूरोपीय संघ की रणनीतिक साझेदारी की आवश्यकता को पहचाना गया, जो संयुक्त रूप से शासन के मुद्दों पर कार्य करेंगे जिसमें "मानव अधिकार, बाल अधिकार, लैंगिक समानता, लोकतांत्रिक सिद्धांत, कानून प्रशासन, स्थानीय शासन, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, जन कोष का पारदर्शी और विश्वसनीय प्रबंधन, सार्वजनिक क्षेत्र में सुधार, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व, संस्था निर्माण और विकास”4 के मुद्दें शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की रूपरेखा के अंतर्गत मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा के लिए अफ्रीका और यूरोपीय संघ की संयुक्त भागीदारी।
संस्थागत संरचना, क्षमता निर्माण का विकास करने, एयू के अखिल-अफ्रीकी शासन संरचना डिजाईन, जैसे कि अफ्रीकी सहकर्मी समीक्षा तंत्र और लोकतंत्र पर अफ्रीकी घोषणा-पत्र के लिए ज्ञान का साझा करने के प्रति ईयू की कटिबद्धता |
यूरोपीय संघ और एयू दोनों को अफ्रीकी देशों में राजनीतिक संकटों को दूर करने के लिए समन्वित कार्रवाई शुरू करनी चाहिए।
बहुपक्षीय प्रणाली के महत्व को समझते हुए, दोनों पक्ष संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं के कार्यान्वयन के लिए सहयोग बनाने पर सहमत हुए।
दोनों महाद्वीपों ने सांस्कृतिक सहयोग के लिए दृढ़ संकल्प दिखाया। |
यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ दोनों ने 2016 को अफ्रीकी मानवाधिकार वर्ष बनाने के अपने प्रयासों को जारी रखा।
कार्य की गरिमा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और शिक्षा के माध्यम से महिलाओं और युवाओं में उद्यमिता कौशल को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया गया।5
उच्च शिक्षा, छात्र विनिमय कार्यक्रमों को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया गया। |
अफ्रीकी शासन संरचना (एजीए) को पूर्ण समर्थन प्रदान करते हुए, पारदर्शी और जवाबदेह सरकार की आवश्यकता पर बल देना, शासन में लोगों की अधिक भागीदारी, इसमें स्थानीय प्रशासन द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी गई।
एयू और ईयू दोनों अफ्रीकी मानव और लोक अधिकार दशक के दस वर्षीय कार्य योजना, बीजिंग कार्य मंच और जनसँख्या और विकास पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीपीडी) की कार्य योजना के कार्यान्वयन के लिए साथ मिलकर काम करेंगे। |
प्रतिस्कंदन, शांति और सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण |
शांति और सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक विकास के बीच पूरक भूमिका को पहचानते हुए, शिखर सम्मेलन में संघर्ष की रोकथाम, प्रबंधन और समाधान के लिए तंत्र को बढ़ावा देने, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान करने की दिशा में ओएयू (अफ्रीकी संघ) के प्रयासों को पूर्ण समर्थन प्रदान किया गया।
संघर्ष के बाद के मुद्दों को संबोधित करने की आवश्यकता को अभिस्वीकृति दी गई, विशेष रूप से बाल सैनिकों का "निरस्त्रीकरण, सैन्य-वियोजन और पुनः एकीकरण"6, और पर्यावरणीय प्रभाव को पहचाना गया।
आतंकवाद को विफल करने और इसका मुकाबला करने में सहयोग के लिए दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हुए, शिखर सम्मेलन में छोटे हथियारों के प्रसार के मुद्दे पर, अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पहल का समर्थन किया गया, जैसे कि सभी पहलुओं में छोटे शस्त्रों और हलके हथियारों के गैर-कानूनी व्यापार पर 2001 की संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन और इसके उप-क्षेत्रों में हलके हथियारों के आयात, निर्यात और विनिर्माण पर इकोवास (पश्चिम अफ्रीकी राज्यों का आर्थिक समुदाय) द्वारा लगाया गया प्रतिबन्ध।
अफ्रीका की शांति, स्थिरता और सुरक्षा के प्रति खतरा बने हुए कई संघर्षों की मौजूदगी को पहचानते हुए, शिखर सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र और ओएयू (अफ्रीकी संघ) द्वारा अपनाई गई त्वरित समाधान योजनाओं के लिए आवश्यक कदम उठाने का प्रण लिया गया। |
सुरक्षा के लिए नागरिक समाज और गैर-राज्य कार्यकर्ताओं से युक्त एक एकीकृत दृष्टिकोण बनाने के लिए सहयोग।
संस्थागत सहयोग को मजबूत बनाने के माध्यम से आम मुद्दों को संबोधित किया गया, जैसे कि छोटे और हलके हथियारों की तस्करी और प्रसार, लैंडमाइन, पर्यावरणीय खतरे, जल अपघटन, विषाक्त अपशिष्टों का जमाव।
ईयू, एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में और एयू की शांति निर्माण संरचना, जैसे कि एयू शांति और सुरक्षा परिषद के लिए वित्त और मानव संसाधन के प्रदाता के रूप में, संघर्ष-पश्चात पुनर्निर्माण पर नीति गठन और सीमा का घोषणा कार्यक्रम।
अफ्रीका की शांति निधियन प्रयासों को बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जुटाने में यूरोपीय संघ का समर्थन। |
शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी शांति और सुरक्षा संरचना (एपीएसए) के संबंध में उपलब्धि की पहचान की गई।
अफ्रीकी शांति-सहायता कार्यों के वित्तपोषण के लिए प्रॉडी-पैनल की रिपोर्ट की भूमिका पर बल देते हुए, शिखर सम्मेलन में संघर्षों को रोकने के लिए भविष्य की क्षमता निर्माण उपायों को प्राथमिकता दी गई।
संघर्षों के दौरान नागरिकों और विशेषकर बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए और जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद जैसे अंतर-राष्ट्रीय खतरों को रोकने के लिए स्थानीय प्रतिस्कंदन क्षमता आरम्भ करना। |
संयुक्त राष्ट्र के घोषणा-पत्र के अनुसार शांति और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता।
अफ्रीकी शांति और सुरक्षा संरचना (एपीएसए), बहुआयामी अफ्रीकी अतिरिक्त बल, संकटों के प्रति तत्काल अनुक्रिया के लिए अफ्रीकी क्षमता (एसीआईआरसी) की रूपरेखा के अंतर्गत अफ्रीकी आकांक्षाओं की अभिस्वीकृति।
सोमालिया, माली, सूडान, सीएआर आदि देशों में एयू के प्रयासों को मान्यता दी गई।
हथियारों के प्रसार को रोकने के साथ-साथ आतंकवाद और अंतर-राष्ट्रीय संगठित अपराधों से लड़ने का सामूहिक प्रयास।
संघर्ष क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों का संरक्षण।
समुद्री सुरक्षा के प्रति बढ़ते खतरों को संबोधित किया गया, विशेषकर हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका के तट पर, जहां यूरोपीय संघ का नौसेना अटलांटा का महत्वपूर्ण संचालन होता है।7
जलवायु परिवर्तन, जल प्रबंधन, साइबर सुरक्षा जैसे गैर-पारंपरिक सुरक्षा मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया। |
मानव सुरक्षा को मजबूत बनाने के उद्देश्य से, यूरोपीय संघ अफ्रीका की परियोजना "2020 तक बंदूकों की आवाज़ बंद कराने" का समर्थन किया गया।8
शिखर सम्मेलन में देखा गया कि अफ्रीकी लोगों की समस्याओं को अफ्रीकी तरीकों से हल किया जा सकता है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अधिकृत एयू और ईयू द्वारा शांति संचालन के सफल निष्पादन का समर्थन किया गया है।
सुरक्षा और शांति के मुद्दों में महिलाओं और युवाओं पर विशेष ध्यान देना। |
विकास के मुद्दे |
आर्थिक विकास में वृद्धि और सतत विकास के लिए गरीबी उन्मूलन हेतु शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, जल और विकास से जुड़े एक बहु-क्षेत्रीय समाधान आधारित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
विशेष विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा में निवेश।
मानव संसाधन के विकास के लिए एचआईवी/ एड्स और मलेरिया, ट्यूबरकुलोसिस, पोलियो और रिवर ब्लाइंडनेस जैसी अन्य बीमारियों के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धता लेने को कहा गया।
खाद्य तक पहुँच प्रदान में सुधार करने का लक्ष्य, जिससे खाद्य सुरक्षा में स्थायी सुधार आएगा।
पर्यावरण के खतरों, जैसे कि मिट्टी का क्षरण और जल अपघटन का मुकाबला करने के लिए रणनीतिक और सहभागी दृष्टिकोण।
शिखर सम्मेलन में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और तस्करी के कारण युवाओं पर इसका नकारात्मक प्रभाव देखा गया, और "संयुक्त राष्ट्र महासभा का 20 वां विशेष सत्र” कार्यान्वित करने के लिए सहमत हुए, जिसका लक्ष्य गैर-कानूनी दवाओं की परिघटना को काफी हद तक कम करना है।"9 |
यूरोपीय संघ के निवेश की मदद से अफ्रीकी देशों को गरीबी से मुक्त कराना, प्राथमिक शिक्षा, लैंगिक समानता बनाना, बाल मृत्यु दर घटाना, एचआईवी/ एड्स और अन्य बीमारियों के क्षेत्र में सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों (एमडीजी) को प्राप्त करना चाहिए।
सहायता की प्रभावशीलता पर पेरिस घोषणा को इस तरह से निष्पादित किया जाना चाहिए कि यूरोपीय संघ कुछ सोपाधिकता को बढ़ावा दे, जैसे कि एमडीजी की पूर्ति में अफ्रीकी राष्ट्रों का प्रदर्शन।
अफ्रीका में गरिमापूर्ण कार्यों का सृजन शिखर सम्मेलन का एजेंडा था जिसमें निजी क्षेत्र के विकास पर अधिक ध्यान दिया गया था। |
प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने, मातृ एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य की सुरक्षा, भूमि सुधारों का कार्यान्वयन और सतत विकास, विकलांग लोगों के लिए विशेष देखभाल, जल की सुविधा और स्वच्छता बनाए रखने पर ध्यान देने के लिए इन कार्रवाइयों को एमडीजी में शामिल करने की प्रतिबद्धता।
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के लिए, शिखर सम्मेलन में इस बात को प्राथमिकता दी गई कि ग्रेट ग्रीन वॉल फॉर सहारा और साहेल पहल (जीजीडब्लूएसएसआई) का दूसरा चरण और क्लाइमदेव पहल को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए। |
समुद्री नीति में सहयोग और समुद्री पर्यावरण का संरक्षण।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र रूपरेखा महासंधी को अपनाया गया, अफ्रीका में "राष्ट्रीय और क्षेत्रीय जलवायु-प्रतिस्कंदीय और निम्न-उत्सर्जन विकास रणनीतियों" के निर्माण के लिए यूरोपीय संघ का समर्थन।
यूरोपीय संघ और अफ्रीका दोनों ने गरीबी उन्मूलन और पर्यावरण की सुरक्षा पर बल देते हुए, 2015 तक एमडीजी के लक्ष्यों को हासिल करने के प्रति संयुक्त रूप से प्रयास किया। |
सीओपी22 (पक्षों के सम्मेलन के 22 वें संस्करण) में पेरिस समझौते और मार्राकेच कार्य योजना के लिए पूरी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, शिखर सम्मेलन में संबोधित किया गया कि यह जलवायु वित्त पर 2022 तक प्रति वर्ष यूएस $ 100 बिलियन के लक्ष्य तक पहुंचने की कोशिश करेगा।
अफ्रीकी संघ और यूरोपीय संघ दोनों अफ्रीका नवीकरणीय ऊर्जा पहल (आरईआई) में सहायता प्रदान करने, एयू-ईयू ऊर्जा साझेदारी (एईईपी) को गहरा बनाने के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करेंगे।
दोनों महाद्वीप समस्त स्तरों पर गुणवत्ता शिक्षा प्रदान करना सुनिश्चित करने के लिए अपनी गतिविधियाँ बढ़ाएंगे, विशेष तौर पर लड़कियों के लिए, शिक्षा और स्वास्थ्य को आपस में जोड़ते हुए, शिखर सम्मेलन में बल दिया गया कि लड़कियों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य की बेहतर देखभाल के लिए नियमित और उचित रूप से सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए।
युवाओं का कौशल और ज्ञान बढ़ाना, विशेष रूप से, लड़कियों के लिए, नौकरी के बाजारों में बेहतर अवसर पाने के लिए।
युवा छात्रों और शोधकर्ताओं की गतिशीलता के लिए यूरोप और अफ्रीका के बीच साझेदारी को मजबूत किया जाना चाहिए।
दोनों महाद्वीपों को बेहतर अनुसंधान और नवाचार के लिए वैज्ञानिक, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग के प्रयासों को बढ़ाना चाहिए।
संबंधित समाजों की संस्कृति के संरक्षण के संबंध में एयू और ईयू के बीच अंतर-सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देना। |
प्रवासन और गतिशीलता |
प्रवासन पर, शिखर सम्मेलन में अफ्रीका से यूरोप में कुशल श्रमिकों के प्रवासन के मुद्दे से निपटने के लिए एक एकीकृत और व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता को पहचाना गया।
यूरोपीय संघ ने छह मिलियन शरणार्थियों और अफ्रीका में आंतरिक रूप से विस्थापित लगभग 20 मिलियन लोगों को सहायता प्रदान करने का वादा किया।
शरणार्थियों के शिविरों की सुरक्षा के लिए सुरक्षाकर्मियों की संख्या में इजाफा। |
प्रवासन को हमारे समय की प्रमुख चुनौती के रूप में बताया गया। |
प्रवासियों के अवैध और अनियमित प्रवाह को कम करने के लिए उपाय अपनाना और प्रवासियों तथा शरणार्थियों की सुरक्षा के लिए प्रावधान बनाए गए।
रोजगार और गरीबी उन्मूलन पर ऊगाडुगु कार्य योजना के कार्यान्वयन, अफ्रीका की विकास प्रक्रिया में प्रवासी अफ्रीकियों के विकास सहित छात्रों और शिक्षाविदों की गतिशीलता को मजबूत करने पर ध्यान दिया गया। |
शिखर सम्मेलन में प्रवासियों के जीवन और जिंदगी की स्थिति पर बहुत चिंता जताई गई, और अफ्रीकी संघ और यूरोपीय संघ दोनों को व्यापक तरीके से प्रवास की समस्या से निपटने के लिए कहा गया। |
अगले शिखर सम्मेलन तक प्रवासन और गतिशीलता को सामरिक प्राथमिकता के रूप में सूचीबद्ध किया गया।
शरणार्थियों और प्रवासियों के लिए संयुक्त राष्ट्र घोषणा (2016) को राजनीतिक रूपरेखा के रूप में मान्यता देते हुए, शिखर सम्मेलन में प्रवासन और शरणार्थियों पर एक मजबूत और समावेशी ग्लोबल कॉम्पेक्ट विकसित करने की दिशा में काम करने, मूल, पारगमन और गंतव्य के देशों के बीच सहयोग को बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।
अनियमित और मजबूरन प्रवास के कारणों को संबोधित करते हुए, शिखर सम्मेलन में युवा प्रवासियों पर ध्यान दिया गया।
शिखर सम्मेलन में विस्तृत शरणार्थी अनुक्रिया रूपरेखा (सीआरआरएफ) और अफ्रीकी विप्रेषण संस्थान (एआईआर) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई गई। |
तालिका: अब तक के अफ्रीका-यूरोप शिखर सम्मेलन घोषणाओं की मुख्य बिन्दुएँ
हालाँकि आबिदजान शिखर सम्मेलन का एजेंडा विस्तृत था, पर फिर भी भाषणों और चर्चाओं में मुख्य रूप से (i) प्रवासन और गतिशीलता और (ii) शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर प्रकाश डाला गया था। गुलामों के बाजारों के बेचे गए प्रवासियों और शरणार्थियों की रिपोर्ट, यूरोप, विशेष रूप से लीबिया, जाने के मार्ग में माफिया द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहारों और उनकी खराब स्थितियों ने इस मुद्दों को विचार-विमर्श में शीर्ष दर्जा दिलाया। इसने अफ्रीकी देशों की नाराजगी के साथ-साथ यूरोपीय संघ की चिंताओं को भी प्रतिबिंबित किया। इन मुद्दों पर बल देते हुए, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि हालांकि यूरोपीय संघ ने 2004 से मात्र अफ्रीकी शांति सुविधा में € 2.5 बिलियन का योगदान दिया है, पर फिर भी दोनों पक्षों को शांति और सुरक्षा के लिए “अधिक सामरिक” सहयोग करने की आवश्यकता है। अफ्रीकी प्रवासियों के प्रवासन मार्ग के भयावह अनुभव को देखते हुए, उन्होंने दोनों पक्षों के लिए प्रवासन को "दीर्घकालिक मुद्दा" बताया। उन्होंने इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच एक साझा आधार की पहचान करने का आह्वान किया ताकि वे अधिक "ठोस रूप से" और "प्रभावी ढंग से" सहयोग कर सकें।10
वर्तमान में, यूरोपीय दृष्टिकोण से, सुरक्षा राजनयिक को विकास राजनयिक की तुलना में अधिक प्राथमिकता हासिल है।11 अफ्रीका में एक स्थायी व्यवसाय माहौल बनाना शांति और सुरक्षा के लिए इसकी साझेदारी और रणनीति का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। यद्यपि प्रवासन यूरोपीय संघ और अफ्रीका दोनों के लिए एक गंभीर समस्या रही है, लेकिन पिछले शिखर सम्मेलन में इसे तत्काल सामरिक प्राथमिकता नहीं दी गई थी। यूरोपीय संघ आम तौर पर विकास, मानवीय सहायता और व्यापार संबंधों के मुद्दों पर केंद्रित था। हालाँकि, इस शिखर सम्मेलन में, यूरोप में प्रवासी-विरोधी भावनाएं पनपने के साथ-साथ अफ्रीकी प्रवासियों और शरणार्थियों के साथ की जाने वाली बर्बरता पर बड़े पैमाने की मीडिया कवरेज के कारण, एयू और ईयू दोनों के नेताओं का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकर्षित हुआ और इसे एक सामरिक प्राथमिकता के रूप में पहचाना गया। शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे को संबोधित किया गया, इस तथ्य को स्वीकार करते हुए कि अफ्रीका के 80 प्रतिशत प्रवासी और शरणार्थी अफ्रीका के भीतर ही प्रवास करते हैं।12 उन्होंने इस प्रवासन का लाभ उठाने की योजना बनाने और तरीके विकसित करने की आवश्यकता महसूस की। हालांकि, दोनों महाद्वीपों के बीच वैध मार्ग का निर्माण करने के साथ-साथ यूरोपीय संघ और अफ्रीका के सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा में सुधार होना चाहिए। मुख्य मुद्दा अफ्रीका में अफ्रीकी आबादी के लिए स्थायी व्यवसाय माहौल बनाकर यूरोपीय देशों पर प्रवासी बोझ को कम करना था।
अफ्रीका के भीतर सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए, जिसके कारण बेहतर जीवन की तलाश में अफ्रीकी प्रवासियों का विशाल समूह यूरोप की ओर विस्थापित होता है, यूरोपीय संघ ने अतीत में असुरक्षा को संबोधित करने और महाद्वीप में स्थिरता लाने के लिए विभिन्न पहलों की शुरुआत की है। इस उद्देश्य के लिए, इसने फंड बनाया है, रक्षा के उपकरण प्रदान किए हैं, प्रशिक्षण अभियान आयोजित किया है, क्षमता निर्माण पहल से लेकर एयू में शांति बनाए रखने का संचालन और आतंकवाद का मुकाबला करने का अभियान चलाया है। इस शिखर सम्मेलन में पिछले पहलों के अंतर्गत हुए निर्माण पर, यूरोपीय संघ और अफ्रीका दोनों ने एक सामान्य सुरक्षा खतरे के रूप में सीमा-पार आतंकवादी गतिविधियों के सामने आने पर चर्चा की, और उनके मूल को संबोधित करने के लिए एक संरचित ढांचा दस्तावेज बनाने का निर्णय लिया। शिखर सम्मेलन में इन सुरक्षा खतरों की जटिलता को पहचाना और अफ्रीकी शांति और सुरक्षा संरचना (एपीएसए) और अफ्रीकी शांति समर्थन संचालनों की अनुवर्ती स्थिति और यूरोपीय संघ की आम सुरक्षा और रक्षा नीति (सीएसडीपी) अभियान के प्रति उत्तरदायित्व की पुनःपुष्टि की गई।
इन दोनों मुद्दों के महत्व और उनपर तत्काल ध्यान देते हुए विचार-विमर्श करने की आवश्यकता को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव, एंटोनियो गुटेरेस, अफ्रीकी संघ आयोग के अध्यक्ष, मूसा फ़की महामत, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष, जीन-क्लाउड जुनकर, और उच्च प्रतिनिधि/उपराष्ट्रपति फेडेरिका मोगेरिनी ने शिखर सम्मेलन के हाशिये पर बैठक कर प्रवासियों और आपराधिक नेटवर्क के शरणार्थी पीड़ितों की स्थिति को संयुक्त रूप से संबोधित करने के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक ठोस कदमों पर चर्चा की। उन्होंने प्रवासन मार्ग में और विशेष रूप से लीबिया में प्रवासियों और शरणार्थियों के जीवन की रक्षा करने और बचाने के लिए एक संयुक्त कार्यदल गठित करने पर सहमति जताई। यूरोपीय संघ द्वारा वित्तपोषित इस कार्य बल, शरणार्थियों के स्वैच्छिक प्रत्यावर्तन की चल रही प्रक्रिया में मूल देशों और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईएमओ) की मदद करेगा। इस प्रक्रिया को लीबिया के अधिकारियों के साथ समन्वित किया जाएगा; और त्रिपक्षीय सहयोग की तरफ से तस्करी और आपराधिक नेटवर्क को खत्म करने के लिए काम किया जाएगा।14
शिखर सम्मेलन और अफ्रीका-यूरोप साझेदारी
अफ्रीका-यूरोप के जुड़ाव में परिवर्तन देखा गया है, जहाँ पहले अफ्रीका पूर्ण रूप से यूरोप पर आश्रित था लेकिन अब अफ्रीका यूरोप के साथ सम्माननीय शर्तों पर अपने भविष्य पर अपना हक़ रखने की आकांक्षा कर रहा है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों, मुख्य रूप से एशिया में बढ़ती/ उभरती शक्तियों के कारण भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक परिदृश्य में हुए बदलावों ने अफ्रीका को विविधीकरण और इसकी सम्पूर्ण निर्भरता से छुटकारा पाने का मार्ग प्रदान किया है, जहाँ पहले ये पूर्ण रूप से यूरोप पर निर्भर करता था। यद्यपि, उनके संबंध में अब भी यूरोपीय वित्त पर निर्भरता का पर्याप्त और उल्लेखनीय तत्व बना हुआ है। यूरोपीय संघ, अब भी, अफ्रीका का सबसे बड़ा व्यापार और विकास भागीदार है। यूरोपीय आयोग (ईसी) की योजना है की वो 2014-20 की अवधि में अफ्रीका में € 31 बिलियन का निवेश करेगा। 2014-16 की अवधि के लिए, इसने अफ्रीका-यूरोप व्यापार को बढ़ाने के लिए € 680 मिलियन का आवंटन किया, और 18.2 मिलियन लोगों को यूरोपीय संघ की सहायता से ऊर्जा की सुविधा प्रदान की गई थी। 2016 में यूरोपीय संघ और उसके सदस्य राज्यों द्वारा विकास सहायता के रूप में € 21 बिलियन की राशि भी अफ्रीका को प्रदान की गई, जिससे वे महाद्वीप के सबसे बड़ा सहायता दाता बन गए।15
ईसी द्वारा € 4.1 बिलियन के योगदान के साथ, 2015 में शुरू की गई बाह्य निवेश योजना, 2020 तक अफ्रीका के लिए € 44 बिलियन का निवेश उत्पन्न करने का वादा करती है। 2015 में € 31 बिलियन के योगदान के साथ अफ्रीका में यूरोपीय विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की कुल रकम € 294 बिलियन रही। यह क्षेत्र अफ्रीका का एक शीर्ष एफडीआई स्रोत बना रहा।16 हालांकि, यूरोप के इस ओहदे को अफ्रीका के नए खिलाड़ियों से खतरा है। उदाहरण के लिए, 2016 में, पूंजी निवेश के मामले में 55 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली एशिया-प्रशांत, अफ्रीका में एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत था। एशिया-प्रशांत से कुल अमेरिकी $50.8 बिलियन निवेश आया जबकि पश्चिमी यूरोप ने कुल अमेरिकी $12 बिलियन का निवेश किया, अर्थात अफ्रीका में कुल एफडीआई का 13 प्रतिशत निवेश किया। अमेरिकी $36.1 बिलियन का एफडीआई निवेश करके चीन इस क्षेत्र का सबसे बड़ा निवेशक बन गया, जो रकम यूरोपीय संघ द्वारा किए गए कुल योगदान से अधिक थी। यूनाइटेड किंगडम (यूके), ब्रेक्सिट दबाव के तहत, अफ्रीका का शीर्ष एफडीआई योगदानकर्ता बना था, जिसने कुल अमेरिकी $ 2.3 बिलियन का निवेश किया, अर्थात अफ्रीका में हुए कुल एफडीआई का 3 प्रतिशत निवेश किया था।17 ये आंकड़े अफ्रीका-यूरोपीय संघ के सहयोग की बदलती गतिशीलता और सामना किए जा रहे दबाव की छवि प्रकट करता है।
ईसी के अध्यक्ष के भाषण में बदलते परिदृश्य का उल्लेख देखा गया। उन्होंने कहा, “हमारे दोनों महाद्वीप बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं। वैश्विक व्यवस्था में मुकाबला हो रहा है और मूलभूत सिद्धांतों को चुनौती दी जा रही है।” इस प्रकाश में, उन्होंने "कोटोनू पश्च रूपरेखा" पर ठोस और प्रभावी अफ्रीका-यूरोप वार्ता का आह्वाहन किया। वर्ष 2000 से, अफ्रीका-यूरोप की साझेदारी मुख्य रूप से कोटोनू रूपरेखा द्वारा मार्गदर्शित हो रही है, जो 2020 तक विधिमान्य रहेगा।18 हालांकि अफ्रीका अब भी एयू मंच के माध्यम से विभिन्न मुद्दों पर अपने सामान्य रुख पर बातचीत कर रहा है, लेकिन कोटोनू के बाद के परिदृश्य पर चिंतन शुरू हो चुका है। शिखर सम्मेलन के नाम में अफ्रीका के बदले एयू का उपयोग करना आकस्मिक नहीं है। यह पैंतरेबाज़ी भले ही शब्दार्थ की तरह नज़र आती हो, लेकिन अफ्रीका और यूरोप एक-दूसरे के साथ जुड़ने के लिए जो संस्थागत रूचि और रुख अपना रहे हैं, उसे प्रतिबिंबित करता है।
इस शिखर सम्मेलन में, दोनों महाद्वीपों पर एक-दूसरे के साथ समानता के आधार पर सहयोग करने, एक-दूसरे की कमियों और प्रतिबंधों को संबोधित करने और भविष्य की साझेदारी का पुनर्गठन करने पर भी बल दिया गया। फेडेरिका मोगेरिनी, यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि ने कहा:
यह दाता और प्राप्तकर्ता का शिखर सम्मेलन नहीं है। यह राजनीतिक साझेदारों के बीच का शिखर सम्मेलन है जो वैश्विक मुद्दों और बहुपक्षवाद के लिए समान दृष्टिकोण साझा करते हैं, और जिनके लिए विकास का एक आम एजेंडा है। यह यूरोपीय संघ और अफ्रीकी संघ के बीच कई अलग-अलग क्षेत्रों में, शांति से लेकर सुरक्षा के क्षेत्र में, साझेदारी का शिखर सम्मेलन है, जहां हमें जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय मुद्दों जैसे वैश्विक मुद्दों पर; अर्थव्यवस्था से लेकर निवेश, रोजगार बनाना, शिक्षा के मुद्दों पर अपना सहयोग और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है।18
वैश्विक शासन के पहलू में, शिखर सम्मेलन की घोषणा में संयुक्त राष्ट्र, जी 20, और सभी बहुपक्षीय संस्थानों सहित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ एक समन्वित दृष्टिकोण के लिए उच्च स्तरीय नीति संवाद को मजबूत करने के लिए सहयोग बढ़ाने का वादा किया गया। एयू-ईयू-यूएन त्रिपक्षीय सहयोग को शांति और सुरक्षा, मानवाधिकार, लोकतंत्र, वैश्विक शासन और विकास में इसकी भूमिका के कारण बढ़ावा दिया जाना है। नेताओं ने बहुपक्षीय संस्थानों के व्यापक संस्थागत सुधारों, महासभा के पुनरोद्धार और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार में रचनात्मक सहयोग और संवाद की आशा की।
अफ्रीका के मुद्दों और समस्याओं के समाधान के संबंध में शिखर सम्मेलन की दृष्टि से, श्री मूसा फ़की महामत, अध्यक्ष, अफ्रीकी संघ आयोग और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के कथनों में इसका उल्लेख मिला था। उनके भाषणों में एक एकीकृत दृष्टिकोण का उल्लेख था, जिसमें अफ्रीका-यूरोप संयुक्त रणनीति की रूपरेखा के अंतर्गत तात्कालिक और दीर्घकालिक प्राथमिकताएं शामिल थीं। श्री फकी ने, तात्कालिक विषय के तदनुरूप, इस बात पर बल दिया कि युवा, जो महाद्वीप की कुल आबादी का 60 प्रतिशत हिस्सा हैं, उन्हें "शिक्षा, प्रशिक्षण, रोजगार, बौद्धिक, सांस्कृतिक, खेल और कलात्मक विकास" में निवेश की अपेक्षा है।19 इसके बिना अफ्रीका और यूरोप का कोई भविष्य नहीं है, और दोनों पक्षों को इन क्षेत्रों में अधिक संलग्न होने की आवश्यकता है। श्री गुटेरेस ने "बहुपक्षीय सहयोग और क्षमता निर्माण" के महत्व, और सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा और अफ्रीकी संघ का एजेंडा 2063 पर कार्यान्वयन करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उनके अनुसार, ये विश्व शांति, सभी के लिए समृद्धि और गरिमा के लिए "महत्वाकांक्षी और परस्पर को सुदृढ़ बनाता ब्लूप्रिंट" है।20 शिखर सम्मेलन की घोषणा दृष्टिकोण से मिलती है और दोनों पहलुओं को शामिल करती है।
आबिदजान शिखर सम्मेलन की घोषणा प्रभावी संयुक्त तंत्र और संरचनाओं के माध्यम से साझेदारी को एक नई गति प्रदान करने का आशय अभिव्यक्त करता है, जिसमें वार्षिक संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठकें शामिल हैं। चूंकि 2007 के बाद से आयोजित सभी पिछले शिखर सम्मेलन के तहत संयुक्त कार्य योजना और रोडमैप तैयार किया जा रहा है, एयू और ईयू दोनों आयोगों को एयू-ईयू के संयुक्त प्राथमिकता क्षेत्रों के अंतर्गत परियोजनाओं और कार्यक्रमों की पहचान करने और संयुक्त रूप से अनुवर्ती कार्रवाई करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने के लिए एक कार्य योजना बनाने का अनुरोध किया गया था।
निष्कर्ष
5 वीं एयू-ईयू शिखर सम्मेलन, वर्तमान वैश्विक भू-आर्थिक परिदृश्य के साथ-साथ शांति और सुरक्षा की तत्काल अनिवार्यता के कारण सामान्य अफ्रीका-यूरोप जुड़ाव से प्रस्थान का संकेत देता है। अंतरमहाद्वीपीय साझेदारी एक अधिक संस्थागत प्रारूप की ओर बढ़ी है। इसने समानता के प्रति अफ्रीकियों की इच्छा और इसकी समस्याओं के वास्तविक समाधानों पर भी प्रकाश डाला। यह भी ध्यान देने योग्य था कि यद्यपि यूरोप में अफ्रीकी लोगों का अनियमित प्रवासन करना, महाद्वीप के लिए एक सामाजिक-आर्थिक और सुरक्षा समस्या है, यूरोपीय संघ ने नियम अनुसार कानूनी प्रवासन को आगे बढ़ाने का सकारात्मक संकेत दिया। हालांकि, इसका विवाद इसकी विस्तृत सूचना में निहित है। अफ्रीका-यूरोप शिखर सम्मेलन की घोषणाओं में पहले भी प्रवासन और गतिशीलता का उल्लेख रहा है, लेकिन यह शिखर सम्मेलन में समाधान के "मूल", अर्थात युवाओं पर केन्द्रित था। यह माना गया कि युवाओं की समस्याओं को हल करने से प्रवासन और गतिशीलता के साथ-साथ शांति और सुरक्षा की समस्याओं का भी समाधान होगा। इसलिए, जहाँ 4 वें शिखर सम्मेलन में "लोगों की समृद्धि और शांति में निवेश करने" पर सामान्य ध्यान दिया गया था, वहीँ 5 वां शिखर सम्मेलन अफ्रीका के विकास के साथ-साथ समस्याओं को संचालित करते कारकों पर ध्यान देने के अर्थों में अधिक विशिष्ट और कार्य उन्मुख था। शिखर सम्मेलन के दौरान यह भी स्पष्ट था कि अफ्रीकी-यूरोपीय साझेदारी परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ रही है। जुड़ाव की प्रकृति भी लोमे से कोटोनू में बदल गई है, और बदलते हुए विश्व के परिदृश्य के तहत अफ्रीका ने धीरे-धीरे अधिक जिम्मेदारियां लेनी शुरू की हैं। यूरोपीय संघ ने भी हाल ही में अपने आंतरिक आर्थिक दबाव और अफ्रीकी महाद्वीप में नए खिलाड़ियों और प्रतियोगियों के उद्भव के कारण अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को बदलने का प्रयास किया है। हालाँकि आबिदजान शिखर सम्मेलन मुख्य रूप से अफ्रीका-यूरोप के द्विपक्षीय मुद्दों पर केंद्रित था, लेकिन इसमें बदलते हुए वैश्विक प्रकरण के बारे में भी सुनने को मिला। अफ्रीकी नेताओं ने अपने कथनों में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर संयुक्त जिम्मेदारी और संयुक्त रणनीति के सिद्धांत पर बल दिया।
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* लेखक और लेखिका, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफेयर्स, नई दिल्ली
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार शोधकर्ता के विचार हैं, परिषद के नहीं।
अंत टिप्पण
1 Clause 1, 5th AU-EU Summit Declaration.
2 Africa-Europe Summit under the aegis of the OAU and the EU, Cairo, 3-4 April, 2000 [Cairo Declaration].
3 Fourth EU-Africa Summit, 2-3 April, 2014, Brussels.
4 The Africa-EU Strategic Partnership- A joint Africa-EU Strategy”, Lisbon Declaration.
5 Fourth EU-Africa Summit, 2-3 April, 2014, Brussels.
6 Ibid.
7 Fourth EU-Africa Summit, 2-3 April, 2014, Brussels.
8 African Union-European Union Summit 2017.
9 Ibid.
10 Speech by Mr. Donald Tusk, President of the European Council at the 5th AU-EU Summit, November 29-30, 2017.
11 “Eurpean Intervention in Africa: Past and Future”, in Catherine Gegout (2017): Why Europe Intervenes in Africa: Security, Prestige and the Legacy of Colonialism, C. Hurst Publishers Ltd., London, 2017, p.291.
12“Six things to watch at the 2017 AU-EU Summit”, November 27, 2017, https://www.devex.com/news/6-things-to-watch-at-the-2017-au-eu-summit-91517
13 AU-EU Summit Declaration 2017 14 “Joint Press Release of the United Nations, the African Union and the European Union”, November 29, 2017, at https://au.int/en/pressreleases/20171129/joint-press-release-united-nations-african-union-and-european-union
15 “5th African Union-EU Summit”, European Council, at http://www.consilium.europa.eu/en/meetings/international-summit/2017/11/29-30/
16 European Commission factsheet on the EU’s key partnership with Africa, at http://www.consilium.europa.eu/media/31793/au-eu-summit_factsheet-v27nov.pdf
17 Africa Investment Report 2017
18“Africa: EU and African leaders to meet for summit focused on youth”, at https://eeas.europa.eu/headquarters/headquarters-homepage/36287/africa-eu-and-african-leaders-meet-summit-focused-youth_es, 27 November 2017.
19 Speech of Mr. Moussa Faki Mahamat, Chairperson, African Union Commission at the 5th AU-EU Summit, November 28-30, 2017.
20 Speech by UN Secretary General António Guterres at the closing of the 5th AU-EU Summit, November 28-30, 2017.