ईरान में 12वां राष्ट्रपति चुनाव 19 मई, 2017 को होने वाला है। यह चुनाव ईरान और विश्व शक्तियों के बीच परमाणु समझौते की पृष्ठभूमि के तहत लड़ा जाने वाला चुनाव है और यह मुद्दा चुनावी अभियान में केंद्र-बिंदु बने रहने की उम्मीद है। ईरान के आंतरिक मंत्रालय के अनुसार, इस राष्ट्रपति चुनाव के लिए पंजीकृत उम्मीदवारों की कुल संख्या 1,636 थी। गार्डियन काउंसिल ने 16 अप्रैल को उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग की प्रक्रिया शुरू की थी और 20 अप्रैल को उसने केवल छह उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की मंजूरी दी। ईरान के आंतरिक मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इन छह उम्मीदवारों में हसन रूहानी, इब्राहिम रायसी, मोहम्मद-बकरकालिबफ, मुस्तफा-अक्वा-मिरसलीम, एसहाकजहांगिरी और मुस्तफा हशमी-तबा शामिल हैं। इस चुनाव को लड़ने के लिए पंजीकृत 137 महिला उम्मीदवारों में से किसी को भी अनुमति नहीं दी गई थी।
हसन रूहानी ईरान के वर्तमान राष्ट्रपति हैं। वह विशेषज्ञों की विधानसभा और व्यय परिषद के सदस्य भी हैं। वह पहले मजलिस (ईरानी संसद) के सदस्य और ईरान के सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रमुख थे। इब्राहिमरायसी वर्तमान में रज़वी होली शरायन के संरक्षक हैं, जो एक संगठन है और जो इमाम रेज़ा, मशहद शहर में आठवें शिया इमाम का प्रबंध करता है। पूर्व में वह रेडियो और टेलीविजन (सेडा-सिमा) में पर्यवेक्षी परिषद के प्रमुख थे। वह ईरान के महा-अभियोजक और मौलवियों के लिए
महा-अभियोजक भी थे। वह तेहरान में एसोसिएशन ऑफ कॉम्बैटेंट क्लेरिक्स के सदस्य हैं और असेम्बली ऑफ एक्सपर्ट के एक पीठासीन सदस्य हैं।
वर्तमान में मोहम्मद्ब बक़रक़ालीबफ तेहरान के मेयर हैं। वह ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कोर्प्स एयर फ़ोर्स के पूर्व कमांडर हैं। वह राष्ट्रीय पुलिस और ईरान के खतम अल-अंबिया एयर डिफेंस बेस के कमांडर के प्रमुख भी रहे हैं। मुस्तफा अक्वा-मिरसलीम, वर्तमान में इस्लामिक गठबंधन पार्टी के केंद्रीय परिषद के प्रमुख हैं। एक रूढ़िवादी राजनेता और इंजीनियर, ने 1994-1997 के दौरान ईरान के संस्कृति और इस्लामी मार्गदर्शन मंत्री के रूप में कार्य किया। 1981-1989 के दौरान, वह ईरानी राष्ट्रपति अयातुल्ला सैय्यद अली खामेनी के सलाहकार थे। मुस्तफा हशमी-तबा ने पूर्व राष्ट्रपति अयातुल्ला अकबर हशमी रफसंजानी के तहत एक उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। उन्होंने उद्योग मंत्री के रूप में और ईरान के खेल संगठन के प्रमुख के रूप में भी कार्य किया। ईशाकजहांगीरी वर्तमान में प्रथम उपराष्ट्रपति हैं। वह पहले खान मंत्री, इस्फ़हान के गवर्नर और एक सांसद थे।
महमूद अहमदीनेजाद, जिन्होंने लगातार दो बार राष्ट्रपति के रूप में ईरान की सेवा की और उनके पूर्व सहयोगी हामिद बकेई यह चुनाव लड़ने में प्रतिबंधित दो उच्च प्रोफ़ाइल उम्मीदवारों में से हैं। अहमदीनेजाद और बकेई अपने कार्यकाल के दौरान ‘प्रशासनिक उल्लंघनों’ के लिए अपने खिलाफ दायर मुकदमों का सामना कर रहे हैं, और अब तक न्यायपालिका द्वारा कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है।
30 अगस्त, 2016 को अहमदीनेजाद के साथ एक बैठक में, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनी ने उन्हें राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने की सलाह दी थी क्योंकि उनकी उम्मीदवारी ईरानी समाज का ‘ध्रुवीकरण’ कर देगी। इसके बाद, 27 सितंबर, 2016 को, अहमदीनेजाद ने सर्वोच्च नेता को एक ’राजकीय पत्र भेजा था जिसमें कहा गया था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे।‘ हालांकि, उन्होंने इस राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक उम्मीदवार के रूप में नाकांकन कर सभी को चौंका दिया।
ईरान में चुनावों के लिए पूर्व राष्ट्रपति को अयोग्य ठहराना कोई नई बात नहीं है। हशमी रफसंजानी, जिन्होंने लगातार दो बार ईरान के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था, को 2013 में हुए पिछले चुनाव में लड़ने से रोक दिया गया था। इसी तरह, मोहम्मद खातमी, जो लगातार दो बार ईरान के राष्ट्रपति रहे, को भी पद छोड़ने के बाद अपने राजनीतिक जीवन में गंभीर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा। मौलवियों द्वारा नियंत्रित रानजीतिक तंत्र में, यह एक ऐसी व्यवस्था प्रतीत होती है, जहाँ गैर-मौलवी लोग एक निश्चित अवधि तक देश की घरेलू और विदेश नीति के संचालन में भाग ले सकते हैं, लेकिन उन्हें राजनीतिक व्यवस्था में गहराई से प्रवेश करने की अनुमति नहीं है ताकि वे मौलवी तंत्र की मूल संरचना को चुनौती न दे सकें।
लाइव राष्ट्रपतिय डिबेट
तीन लाइव डिबेट की प्रक्रिया, जिसमें सभी उम्मीदवारों को लाइव टीवी पर बहस करने का अवसर दिया जाता है, ईरान में 2013 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव में शुरू की गई थी। इस प्रक्रिया को 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में भी जारी रखा गया था। 2017 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए तीन लाइव टीवी डिबेट क्रमशः
28 अप्रैल, 5 मई और 12 मई, 2017 को फारसी भाषा में आयोजित किए गए थे और राष्ट्रीय टेलीविजन के चैनल 1 पर प्रसारित किए गए थे। तीनों डिबेट की खबरें प्रेस टीवी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं जिन्हें क्रमशः 28 अप्रैल, 5 मई और 12 मई, 2017 को पोस्ट किया गया था।
इस अंक में प्रस्तुत तीन राष्ट्रपतिय बहसों का विश्लेषण प्रेस टीवी, जो ईरान के एक अंग्रेजी समाचार चैनल है और इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ब्रॉडकास्टिंग (आईआरआईबी) से संबद्ध है, की इन तीन समाचार रिपोर्टों पर आधारित है। इसी प्रकार, इस अंक में उल्लेखित संबंधित उम्मीदवारों के दृष्टिकोण को एकल उद्धरणों में प्रस्तुत किया गया है और वे इन प्रेस टीवी समाचार रिपोर्टों पर आधारित हैं और उन्हें टेड़े/तिरछे शब्दों में उद्धृत किया गया है।
जैसा कि प्रेस टीवी द्वारा बताया गया है, इन बहसों के दौरान उम्मीदवारों ने अपनी उन योजनाओं को रेखांकित किया जिन्हें वे चुनाव जीतने के बाद आगे बढ़ाएंगे। इन बहसों का आशय उम्मीदवारों द्वारा प्रचार लागत में कटौती करना था। सभी तीन लाइव बहसों की मेजबानी एक ‘प्रसिद्ध ईरानी टेलीविजन समाचार होस्ट’ मोर्टेज़ाहीदरी द्वारा की गई थी। प्रथम टीवी डिबेट/बहस का फोकस सामाजिक मुद्दा था, दूसरा डिबेट राजनीतिक मुद्दों पर केंद्रित था जबकि तीसरा डिबेट आर्थिक मुद्दों के ईर्द-गिर्द था। इन बहसों में शामिल छह उम्मीदवारों में हसन रूहानी, सय्यद इब्राहिमरायसी, मोहम्मद बकरकालिबफ, एशहाकजहांगीरी, मुस्तफाअक्वा-मिरसलीम और मुस्तफा हशमी-ताबा शामिल हैं।
प्रथम डिबेट (28 अप्रैल, 2017)
तीन घंटे तक चले प्रथम लाइव डिबेट में शहरों के बाहरी इलाके में बस्तियों, सामाजिक न्याय, युवा विवाह, लालफीताशाही को समाप्त किया जाना, शहर की यातायात समस्याओं और पर्यावरण के मुद्दों जैसे सामाजिक मुद्दों को कवर किया गया था। इस डिबेट के दौरान, रूहानी अपने प्रशासन की उपलब्धियों का बचाव करते हुए और उनमें से कुछ का बखान करते हुए दिखाई दिए। उदाहरण के तौर पर, ईरानी शहरों के बाहरी इलाकों और परिधि पर बस्तियों से निपटने पर, जो ईरानी प्रशासन के लिए एक बढ़ती समस्या थी, अक्वा-मिरसलीम ने इसे 'प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन की कमी' और 'उचित स्थानिक योजना के प्रति ध्यान नहीं दिए जाने का अभाव' का दोष करार देते हुए कहा कि ‘ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों में आव्रजन को कम करने के लिए सही जल प्रबंधन पहला कदम होगा।' इस आरोप के लिए, चुनावी उम्मीदवार हसन ने जवाब दिया 'कि बेरोजगार और कम आय न केवल ईरान में बल्कि बड़े शहरों में आव्रजन के सबसे बड़े कारण हैं।‘ उनके विचारों को जहांगिरी ने आवाज दी, जिन्होंने कहा कि 'बड़े शहरों में अप्रवासियों पर ध्यान देना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।' 'उनकी उपलब्धियों के संबंध में, रूहानी ने उल्लेख किया कि उनके प्रशासन ने 'तेल राजस्व पर निर्भरता 30 प्रतिशत से कम कर दी थी।' अपनी अन्य प्रमुख उपलब्धियों में, रूहानी ने महिलाओं के लिए 700,000 नौकरियों के सृजन का जिक्र किया।
रायसी ज्यादा संजीदा लग रहे हैं और उन्होंने आम जनता को अपने बौद्धिक पक्ष को बेहतर व्यक्त किया है। उदाहरण के लिए, आंतरिक प्रवासन के मुद्दे पर, रायसी ने इस मसले को यह कहते हुए उठाया कि 'पहली प्राथमिकता बड़े शहरों में सही आंकड़ों का होना है।' इसी तरह, सामाजिक न्याय पर एक सवाल का जवाब देते हुए, रायसी ने कहा कि जीआईएनएआई सूचकांक 'ईरान में वर्ग विभाजन में वृद्धि हुई है’ और उसने निम्न वर्ग को तीन गुणा सब्सिडी देने का सुझाव दिया। इसी तरह, रायसी के युवा विवाह, जो वर्तमान ईरानी चिंताओं में एक प्रमुख सामाजिक मुद्दा है, को बढ़ावा देना ‘बैंकिंग सुविधाओं, आवास और रोजगार’’ को बढ़ावा देना है। रायसी ने ई-गवर्नेंस के महत्व पर भी जोर दिया, जिससे उनके विचार में ‘पारदर्शिता बढ़ेगी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुविधा प्राप्त होगी।‘
डिबेट के दौरान, क़ालिबफ़ ने रूहानी की प्रशासन की गंभीर आलोचना की। अपनी ओर से, रूहानी ने अपने आरोपों से इनकार कर दिया, जिसमें एक मुद्दा यह भी था कि रूहानी ने पिछले चुनाव अभियान के दौरान चार मिलियन नौकरियां पैदा करने का वादा किया था। यह डिबेट रूहानी और कालीबफ के बीच काफी कटु था। कालीबफ ने रूहानी के अन्य दावों को खोखला बताने के अलावा, 'ईरानी राष्ट्रपति की वेबसाइट का एक स्क्रीनशॉट प्रदर्शित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि चार मिलियन नौकरियां पैदा करने के लिए पिछले अभियान के दौरान रूहानी की प्रतिज्ञा के बारे में उनकी टिप्पणी की पुष्टि होती है।‘ इस डिबेट के दौरान, कालीबफ ने जहाँगीरी की उम्मीदवारी पर भी सवाल उठाया क्योंकि वह ‘केवल रूहानी का समर्थन करने के लिए नामांकित किए गए हैं।‘ इस आरोप के लिए, जहाँगीरी ने कहा कि उन्होंने
‘सुधारवादी कैम्प के प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रपति चुनाव में भाग लिया था।‘
दूसरा डिबेट (5 मई, 2017)
दूसरे लाइव डिबेट के दौरान, छह उम्मीदवारों ने अपनी संबंधित योजनाओं को लागू करने पर विस्तार से बात की, यदि वह राष्ट्रपति के रूप में चुने जाते हैं। दूसरी डिबेट के विषय में घरेलू और विदेश नीति के साथ-साथ सांस्कृतिक मुद्दे भी शामिल थे। विशेष रूप से, उम्मीदवारों ने ईरानी-इस्लामी जीवन शैली पर चर्चा करने के अलावा, वैज्ञानिक प्रगति, आलोचकों के साथ बातचीत, परमाणु अधिकार, विदेश नीति, रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर बहस की। इस डिबेट में सभी उम्मीदवारों ने परमाणु समझौते का समर्थन किया, लेकिन इसके कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप ईरान द्वारा प्राप्त आर्थिक लाभों के बारे में उनमें एकमत नहीं दिखाई दिया।
ईरान के परमाणु अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए अपनी योजनाओं पर जोर देते हुए, रायसी ने कहा कि 2015 के परमाणु समझौते या संयुक्त व्यापक योजना (जेसीपीओएए) का 'सभी संबंधित पक्षों द्वारा सम्मान किया जाना चाहिए' और कहा कि 'वर्तमान राष्ट्रपति ने वादा किया था कि जेसीपीओए के निष्कर्ष के बाद सभी प्रतिबंध हटा दिए जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।’ उन्होंने यह कहते हुए कि ‘जेसीपीओए ईरान की आर्थिक मंदी को समाप्त करने और सभी बैंकिंग प्रतिबंधों को हटाने में विफल रहा है।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘सभी ईरानी प्रशासनों को परमाणु समझौते के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।' इसी तरह, कालीबफ ने कहा 'जेसीपीओए या तो ईरान की आर्थिक समस्याओं को हल करने या लोगों की आजीविका में सुधार करने में विफल रहा है।‘ अक्वा-मिरसलीम के अनुसार, 'परमाणु समझौते ने दुनिया को साबित कर दिया कि ईरान परमाणु हथियार विकसित करना नहीं चाहता है।‘
इस बिंदु पर, रूहानी ने सभी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को 'जेसीपीओए से संबंधित अपनी योजनाओं के बारे में ईरानी लोगों को स्पष्ट रूप से सूचित करने और दुनिया के साथ बातचीत करने' का आह्वान किया और यह भी कहा कि जेसीपीओए ने वास्तव में 'सभी परमाणु संबंधी प्रतिबंधों को हटाने का नेतृत्व किया।' उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि 'ईरान प्रति दिन 200,000 बैरल तेल का निर्यात करेगा, अगर जेसीपीओए तक नहीं पहुंचा गया।' रूहानी के समर्थन में, जहाँगीरी ने कहा कि 'परमाणु समझौता ईरान के इतिहास में सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक था।’ उन्होंने यह भी कहा कि 'ईरान के तेल निर्यातों को बंद करना पड़ता, यदि परमाणु डील नहीं होती।‘
विदेश नीति के मुद्दों पर भी जहाँगीरी ने अपनी सरकार के ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक कूटनीति’ के दृष्टिकोण का समर्थन किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘ईरान की सॉफट पावर को अपनी हार्ड पावर के साथ समानांतर बढ़ना चाहिए।’ इसी तरह, रूहानी ने कहा कि ‘उनके प्रशासन ने शक्तिशाली कूटनीति के माध्यम से P5 + 1 देशों के समूह के साथ परमाणु वार्ता में देश के अधिकार को हासिल किया था।‘ हाशमी-तबा भी रूहानी के दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए कह रहे थे कि ‘ईरान अपने ऊर्जा निर्यात का उपयोग अन्य देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए कर सकता है’ और उन्होंने यह भी कहा कि ‘निर्यात प्रतिरोध अर्थव्यवस्था को लागू करने में एक प्रमुख कारक है।’ उन्होंने आगे जोर देते हुए कहा कि ‘निवेश आकर्षित करने के लिए निवेशकों को आवश्यक गारंटी दी जानी चाहिए।’
विदेश नीति के संबंध में रूहानी की आलोचना करते हुए, कालीबफ ने कहा कि '11वां प्रशासन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संबंध में उपयुक्त नहीं है' क्योंकि ‘देश को अन्य लोगों के साथ बातचीत में अपनी कूटनीति के सभी रूपों का प्रयोग करना चाहिए।' रायसी ने यह भी कहा कि 'ईरान को अन्य देशों के साथ अपने संबंधों में मजबूत आर्थिक विकास हासिल करने पर कार्य करना चाहिए’ और उन्होंने ‘सभी देशों में ईरानी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के महत्व पर जोर दिया।'
रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर, रूहानी ने अपने स्वयं के प्रशासन के रिकॉर्ड की प्रशंसा करते हुए कहा कि 'ईरान को वर्तमान में इस क्षेत्र और दुनिया में एक बड़ी शक्ति माना जाता है' और कहा कि 'अतीत की तुलना में इस्लामिक रिपब्लिक की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में बहुत सुधार हुआ है।’ इसी तरह, जहाँगीरी ने कहा कि 'ईरान की संस्कृति देश की शक्ति सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है।’ उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रपति को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों से निपटने में अनुभव होना चाहिए’ और यह भी व्यक्त किया कि ‘ईरान की सांस्कृतिक शक्ति ने उनसे ठीक से फायदा नहीं उठाया।‘ जहाँगीरी के दावों का प्रतिकार करते हुए, रायसी ने कहा कि ‘ईरानी लोगों की [राजनीतिक परिदृश्य में] उपस्थिति राष्ट्रीय सामर्थ्य का सबसे महत्वपूर्ण घटक था।’ अक्वा-मिरसलीम ने भी रूहानी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि ‘11वें प्रशासन को अनुसंधान बजट 0.5 प्रतिशत से भी कम कर दिया।‘
इस दूसरे डिबेट के दौरान भी क़ालिबफ ने अपना आक्रामक रुख जारी रखा। यह कहते हुए कि सांस्कृतिक मुद्दे ईरान में आर्थिक मुद्दों की जड़ थे, उन्होंने कहा कि ‘शिक्षा मंत्रालय में वर्तमान अधिकारियों पर अपनी जिम्मेदारियों को निभाने पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।‘
इस डिबेट के दौरान, अक्वा-मिरसलीम ने कहा कि आलोचना को गले लगाना किसी भी प्रशासन के लिए सफलता का एकमात्र तरीका है और उन्होंने रुहानी के 'आलोचना को स्वीकार करने में विफल रहने और आलोचकों का अपमान करने में प्रशासन' की भर्त्सना की। इस आरोप के लिए, हाशमी-तबा ने रूहानी के प्रशासन का समर्थन करते हुए कहा कि ‘कुछ मीडिया संस्थाओं ने 11वें प्रशासन की कड़े शब्दों में निंदा की।’ जहाँगीरी ने यह कहते हुए कि ‘सभी को रचनात्मक आलोचना का स्वागत करना चाहिए’ यह भी कहा कि ‘वर्तमान प्रशासन, आलोचकों को हैंडिल करने में और सामाजिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में सफल रहा।’ अक्वा-मिरसलीम की तरह, रायसी ने भी रूहानी के प्रशासन पर अपने आलोचकों पर हमला करने का आरोप लगाया।
ईरानी-इस्लामिक जीवनशैली को बढ़ावा देने के मुद्दे पर, जो मौलवियों के बीच एक संवेदनशील विषय था, रूहानी ने कहा कि 'ईरानी लोगों को एक अधिनायकवादी प्रशासन और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाले प्रशासन के बीच चयन करना चाहिए।' उन्होंने यह भी कहा कि ‘ईरान के राष्ट्रपति सभी लोगों के लिए हैं।' रायसी का मत था कि ‘संसाधनों का इष्टतम उपयोग और राष्ट्रीय एकता का संवर्धन ईरानी -इस्लामिक जीवनशैली के प्रमुख घटक हैं।‘ उन्होंने यह भी कहा कि ‘सांस्कृतिक गतिविधियों में राजधानी में हाल ही के वर्षों में काफी प्रगति हुई है’, जिसे उन्होंने तेहरान के मेयर के रूप में अपनी सफलता को श्रेय दिया। अक्वा-मिरसलीम ने अपने जवाब में ‘ईरानी-इस्लामिक जीवन शैली को बढ़ावा देने में विफल होने के लिए रूहानी सरकार की आलोचना की।' अपनी सरकार की आलोचनाओं का जवाब देते हुए, रूहानी ने कहा कि ‘कुछ उम्मीदवार ईरानियों को आर्थिक विकास के लिए झूठे सपने दिखा रहे थे।
तीसरा डिबेट (12 मई, 2017)
तीसरे और अंतिम लाइव टीवी डिबेट में छह उम्मीदवारों को देश के लिए अपनी संबंधित आर्थिक योजनाओं के बारे में विस्तार से बताने का मौका दिया गया। विशेष रूप से, इस डिबेट के दौरान शामिल मुद्दों में तस्करी और आयात, तेल निर्भरता, बैंकिंग मुद्दे, घरेलू उत्पादन, सब्सिडी और आर्थिक विकास शामिल थे।
सभी उम्मीदवार तस्करी पर अंकुश लगाने के पक्ष में थे और उन्होंने ईरानी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने में इस खतरे से लड़ने के लिए अपनी-अपनी योजनाओं की रूपरेखा तैयार की। इस मुद्दे पर, रायसी ने जोर देते हुए कहा कि उनकी तस्करी-विरोधी योजना की रीढ़ ईरानी विश्वविद्यालयों में किए गए व्यापक शोध पर आधारित होगी। उन्होंने माल की तस्करी से निपटने में गंभीर नहीं होने के लिए रूहानी सरकार की भी आलोचना की। इसी तरह, कालीबफ ने दावा किया कि रूहानी सरकार के कुछ कैबिनेट मंत्री ईरान को वस्तुओं के अवैध आयात में संलिप्त थे। अपने प्रशासन का बचाव करते हुए, रूहानी ने कहा कि 'तस्करी के संबंध में पहली चिंता उसका मूल कारण है' और उन्होंने यह भी कहा कि 'निजी क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को तस्करी को कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।' अपनी सरकार का समर्थन करते हुए, जहाँगीरी ने कहा कि 'माल की तस्करी से लड़ने में न्यायपालिका कमजोर रही है।' उन्होंने यह भी कहा कि ‘वर्तमान प्रशासन ने खगोलीय संवेदनशीलता को रोकने के लिए गंभीर कदम उठाए हैं।‘ उन्होंने कालिबफ की यह कहकर भी आलोचना की कि 'तेहरान नगरपालिका कुछ लोगों को कम मूल्यों पर संपत्तियों की बिक्री करने में पारदर्शी नहीं रही है।'
तेल पर देश की निर्भरता को कम करने के मुद्दे पर, रूहानी ने दावा किया कि 'उनके प्रशासन ने 2015 के परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर कर और उसके कार्यान्वयन के माध्यम से ईरान के निर्यात बाजार खोलने में कामयाबी हासिल की है' और उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि 'अगर देश साझा ऊर्जा का दोहन नहीं करता है, तो पड़ोसी देश उनके तेल भंडार को खोज निकालेगा।’ इस संबंध में, जहाँगीरी ने कच्चे माल के निर्यात को कम करने के लिए रूहानी के प्रशासन का समर्थन किया। इस मुद्दे पर रायसी का दृष्टिकोण था कि 'विभिन्न प्रांतों में रिफाइनरियों के निर्माण से कच्चे तेल की बिक्री कम हो जाएगी।' इसी प्रकार से, अक्वा-मिरसलीम ने कहा कि ‘ऊर्जा क्षेत्रों की संरक्षा के लिए ईरान को अपने पड़ोसी देशों के साथ कार्य करना होगा’ और उन्होंने ‘ईरान के विदेशी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए जेसीपीओए का उपयोग करने’ में विफलता के लिए रूहानी के प्रशासन की निंदा की। उन्होंने ‘निर्यातों में सुधार लाने हेतु आधुनिक तकनीक तक ऐक्सस के महत्व पर भी बल दिया।‘
उम्मीदवारों ने ईरान की बैंकिंग प्रणाली में समस्याओं को हल करने के लिए भी अपनी योजनाओं को उजागर किया। रूहानी ने कहा कि 'ईरान की बैंकिंग प्रणाली को मूलभूत सुधारों की आवश्यकता है' और उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार 'आर्थिक क्षेत्र में अधिक सक्रिय होने के लिए देश द्वारा संचालित बैंकों की पूंजी को दोगुना करने में कामयाब रही है।' इस मुद्दे पर रूहानी का समर्थन करते हुए, जहाँगीरी ने कहा कि 'पिछले प्रशासन ने बैंक संसाधनों की कमी के बारे में जानकारी दी थी’ और बताया कि रूहानी का ‘प्रशासन बैंकों के लिए विकास योजना को लागू कर रहा है ताकि उन्हें उत्पादन में सक्रिय होने में मदद मिल सके।' हशमी-तबा ने भी जहाँगीरी के इस रुख का समर्थन करते हुए कहा कि 'बैंकिंग समस्याओं को उनके पूर्ववर्ती द्वारा 11वें प्रशासन को सौंप दिया था।' रायसी ने कहा कि '11वां प्रशासन सभी समस्याओं के लिए अपने पूर्ववर्ती को दोषी ठहराता है।' उन्होंने यह भी कहा कि 'वर्तमान प्रशासन ने देश को चार साल के लिए अधर में छोड़ दिया है।' इसी प्रकार से कालीबफ ने वर्तमान प्रशासन की यह कहकर आलोचना की कि ‘राष्ट्रपति रूहानी बैंकों के उपयुक्त पर्यवेक्षण और प्रबंध में विफल रहा है’ और उन्होंने यह भी कहा कि ‘तरलता वर्तमान प्रशासन के तहत तीन गुणा बढ़ी है।‘ इस मुद्दे का समर्थन करते हुए अक्वा-मिरसलीम ने कहा कि ‘वर्तमान में बैंकिंग प्रणाली काफी सूदखोर है‘ और उन्होंने यह भी कहा कि रूहानी के प्रशासन को ‘बैंकिंग समस्याओं से निपटने में’ ज्यादा संजीदा रहना चाहिए था।‘ अपने प्रशासन के खिलाफ लगाए गए आरोपों का नकारते हुए, रूहानी ने पूछा, 'न्यायपालिका पिछले प्रशासन के कारण होने वाली वित्तीय समस्याओं से क्यों नहीं निपटी' और कहा कि 'उनके प्रशासन ने बैंक के बकाया को बहुत कम कर दिया है और बैंकों को सही रास्ते पर वापस ला दिया है।'
घरेलू उत्पादन की वृद्धि पर रूहानी ने कहा कि 'उत्पादन समृद्धि के लिए और अधिक निवेश तथा प्रौद्योगिकी के समुचित उपयोग की आवश्यकता है।' इस मुद्दे पर भी उन्हें जहाँगीरी का समर्थन मिला जिन्होंने कहा कि 'निजी क्षेत्र देश में उत्पादन और निवेश की कुंजी है।‘ और कहा कि रूहानी का ‘प्रशासन ईरानी अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने में सफल रहा है।’ घरेलू उत्पादन में वृद्धि के लिए हाशमी-तबा के वादों में कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण, निर्यात उन्मुख उत्पादन, निवेश और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार शामिल हैं। पहले की तरह, अन्य तीन उम्मीदवारों, कालीबफ, अक्वा-मिरसलीम और रायसी ने ईरान के घरेलू उत्पादन में सुधार करने में असफल रहने के लिए रूहानी के प्रशासन की निंदा की। कालीबफ ने कहा कि 'वर्तमान उत्पादन समस्याओं को देश के मामलों के कुप्रबंधन से जोड़ा जा सकता है,' अक्वा-मिरसलीम ने कहा कि 'कई उत्पादन समस्याएं आर्थिक मंदी के लिए प्रशासन की असावधानी का परिणाम हैं' और रायसी ने आरोप लगाया कि 'वर्तमान प्रशासन के तहत 250,000 कारोबार बंद हो गए हैं।’ ईरान के घरेलू उत्पादन पर चर्चा के अंत में, हाशमी-तबा ने ईरानी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए रूहानी के दृष्टिकोण का खुल्ला बचाव करते हुए कहा कि ‘देश का उद्योग विफल रहेगा, यदि यह निर्यात-उन्मुख नहीं होता है’ और कहा कि ‘उद्योगों में खराब हो गई प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के कारण कई व्यवसाय बंद हो गए हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘कुछ मीडिया संस्थाओं ने विदेशी निवेश आकर्षित करने हेतु किए गए हर प्रयास की आलोचना की।
तीसरे लाइव प्रेसिडेंशियल डिबेट में उठाया जाने वाला अगला मुद्दा सब्सिडी थी। इस बिंदु पर, हाशमी-तबा, जो अब तक रूहानी के प्रशासन का परोक्ष रूप से समर्थन कर रहे थे, ने सीधे तौर पर रूहानी का व्यक्तिगत समर्थन करने लग गए। हाशमी-तबा ने सपाट रूप से कहा कि 'वर्तमान प्रशासन महंगाई से निपटने में सफल रहा है।' रायसी ने कहा कि रूहानी के प्रशासन की नीतियों के कारण ‘देश के अंदर गरीबी बढ़ रही है' और यह भी कहा कि 'गरीब लोगों को दी गई सब्सिडी कम होने के कारण उसमें वृद्धि होनी चाहिए।' देश की आर्थिक समस्याओं को हल करने में विफल रहने के लिए कालीबफ और अक्वा-मिरसलीम दोनों ने उनकी आलोचना की। रूहानी ने अपने प्रशासन का यह कहते हुए बचाव किया कि ‘कुछ लोग पिछले प्रशासन द्वारा इस्तेमाल किए गए तरीकों को पुनर्जीवित करने के इच्छुक हैं।’ जैसा तीन लाइव डिबेट के दौरान देखा गया, जहाँगीरी ने रूहानी के प्रशासन का समर्थन करना जारी रखा और कहा कि ‘मौजूदा समस्याएँ पिछले प्रशासन द्वारा गलत नीतियों को अपनाने का परिणाम हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘बढ़ते कैश हैंड्स आउट देश की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देंगे।’ इस बिंदु पर, रायसी ने रूहानी को चुनौती दी कि वह उनके साथ 'आमने-सामने डिबेट’ करें।
तीसरे और अंतिम लाइव डिबेट में उठाए जाने वाले अंतिम मुद्दा ईरान की आर्थिक वृद्धि था। इस समय तक, छह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों में से दो विरोधी खेमे स्पष्ट रूप से उभरकर आए। उनकी संबंधित एकता का व्यापक आधार या तो वर्तमान प्रशासन का समर्थन करना या विरोध करना था। पहला कैम्प का नेतृत्व रूहानी कर रहे थे जिसमें जहाँगीरी और हाशमी-तबा शामिल थे। जहाँगीरी, रूहानी के प्रशासन (जिसका वह भी एक हिस्सा थे) के कट्टर समर्थक के रूप में उभरकर आए। हशमी-तबा कई मौकों पर रूहानी की नीतियों को स्पष्ट रूप से स्वीकृति देते नजर आए। दूसरे कैम्प का नेतृत्व रायसी कर रहे थे और उसमें क़ालिबफ़ और अक्वा-मिरसलीम शामिल थे। इस कैम्प की एकता का आधार प्राथमिक तौर पर रूहानी की नीतियों की आलोचना करना और उनके प्रशासन की विफलता को उजागर करना था। इसमें क़ालीबफ़, रायसी की तुलना में अधिक मुखर थे, जिनके बाद अका-मिरसलीम थे। इन उम्मीदवारों ने देश में सुधार लाने के लिए अपनी संबंधित योजनाएं प्रस्तुत कीं।
यह ईरान के आर्थिक विकास के मुद्दे पर स्पष्ट रूप से देखा गया, जो डिबेट का अंतिम मुद्दा था। इस सत्र में क़ालिबफ़ ने रूहानी की विफलताओं को गिनाते हुए ईरान की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए अपनी योजनाओं को प्रस्तुत किया। कालीबफ ने कहा कि 'ईरान पूर्ण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।' उन्होंने यह भी कहा कि 'राष्ट्रपति रूहानी का प्रशासन देश के आर्थिक संकट को हल करने में सफल नहीं रहा है।' उन्होंने कहा कि 'ईरान में कर चोरी 40 प्रतिशत तक है' और कहा कि ‘आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए नौकरियां सृजित करना सबसे महत्वपूर्ण कदम है।‘ उन्होंने कसम खाई कि ‘अगर वे चुने गए तो उनका प्रशासन ग्रामीण जिलों के लिए 1.5 मिलियन नौकरियां सहित निश्चित रूप से पाँच लाख रोज़गार पैदा करेगा’ और कहा कि ‘आवास क्षेत्र और पर्यटन की समृद्धि उनकी मुख्य योजनाओं में शामिल है।‘ उन्होंने कहा कि 'देश का राजस्व 2.5 गुना बढ़ाना संभव है।'
लाइव टीवी पर दो दिनों की बहस के बाद, 15 मई को कालीबफ ने घोषणा की कि वह राष्ट्रपति पद की दौड़ से अपना नाम वापस ले रहे हैं और इब्राहिम रायसी को समर्थन दे रहे हैं। एक दिन बाद, 16 मई को जहाँगीरी ने भी राष्ट्रपति पद की दौड़ से अपना नाम वापस ले लिया।
संभावित विजेता
अधिकतर ओपिनियन पोल्स रूहानी को 2017 के चुनाव में राष्ट्रपति पद का अग्रणी उम्मीदवार बता रहे हैं, उनके बाद रायसी का अनुमान लगाया जा रहा है। साथ ही, इन चुनावों में रूहानी के 50 प्रतिशत (जो रन ऑफ से बचने के लिए आवश्यक है) से अधिक मत प्राप्त नहीं करने की भविष्यवाणी की गई है। इन संकेतकों के अनुसार, 19 मई के राष्ट्रपति चुनाव के एक सप्ताह बाद रूहानी और रायसी के बीच एक रन-ऑफ होने की संभावना है। हालांकि, ओपिनियन पोल्स के माध्यम से संभावित विजेता की भविष्यवाणी करने का पारंपरिक तरीका ईरान के मामले में सबसे प्रभावी नहीं हो सकता है। इसका कारण यह है कि ईरान में चुनाव प्रक्रियाओं को मौलवियों द्वारा गहराई से नियंत्रित किया जाता है, जिसमें गार्डियन काउंसिल सबसे प्रमुख भूमिका निभाती है और सर्वोच्च नेता किसी भी विवाद के मामले में अंतिम निर्णायक होता है।
यह मौलवी तंत्र उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देने के चरण से लेकर चुनाव परिणाम तक अपना प्रभाव बनाए रखता है, जिसका पर्यवेक्षण गार्डियन काउंसिल द्वारा किया जाता है। पर्यवेक्षण की यह प्रक्रिया प्राय: सर्वोच्च नेता की प्राथमिकताएं तय करती हैं। उदाहरण के लिए, आगामी राष्ट्रपति चुनाव 2017 में, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनी ने महमूद अहमदीनेजाद को इस चुनाव में नहीं लड़ने की सलाह दी थी। गार्डियन काउंसिल ने तत्पश्चात उन्हें अयोग्य करार दे दिया, जब उन्होंने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने की संवैधानिक योग्यता वही थी (जब इस वर्ष के दौरान अहमदीनेजाद को अयोग्य घोषित किया गया) जिसके आधार पर उन्हें 2005 और 2009 में दो पिछले चुनावों में लड़ने और जीतने की अनुमति दी गई थी।
यद्यपि उम्मीदवारों का प्रारंभिक चयन और अंतिम परिणाम घोषित तक मौलवियों द्वारा गहराई से चुनाव पर नियंत्रण किया जाता है, फिर भी ईरानी चुनाव निष्पक्ष तरीके से संचालित होते हैं। यह सत्तारूढ़ वर्ग को लोकलुभावन भावनाओं पर कड़ी नजर रखने और न्यूनतम अराजकता के अनुसार उत्तरोत्तर निर्णय लेने का अवसर प्रदान करता है। यह ईरान में मौलवियों की शासन की निरंतरता का रहस्य है।
आगामी ईरानी राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अधिक संभावित विजेता का पूर्वानुमान करने का एक और तरीका वर्तमान पूर्वता का पुनरावलोकन करना। अब, यदि हम ईरानी राष्ट्रपति चुनावों को पूर्वता के आधार पर देखते हैं तो हम देखेंगे कि 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद, पहले दो उम्मीदवारों को छोड़कर, अन्य सभी राष्ट्रपतियों ने लगातार दो कार्यकालों तक कार्य किया है। पहले दो राष्ट्रपतियों के कार्यकाल अल्पकालिक थे। प्रथम राष्ट्रपति अबुलहसन बनीसाद्र को 1981 पर महाभियोग लगाया गया था और उसी वर्ष अगले राष्ट्रपति मोहम्मद-अली राजाई की हत्या कर दी गई थी। 1981 में अयातुल्ला खामेनी के बाद ईरान के सभी राष्ट्रपतियों ने दो कार्यकाल पूरे किए हैं। अकबर हशमी रफसंजानी, मोहम्मद खातमी, महमूद अहमदीनेजाद और वर्तमान राष्ट्रपति हसन रूहानी थे। इस्लामी गणतंत्र ईरान में कोई भी राष्ट्रपति ने कभी भी दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव नहीं हारा। इससे यह भी इंगित होता है कि रूहानी आगामी चुनाव में संभावित विजेता हैं।
हालाँकि, इस चुनाव के दौरान राष्ट्रपति चुनावों में पूर्वता को ध्यान में रखना पर्याप्त नहीं होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह चुनाव इस्लामी गणतंत्र के इतिहास में एक विशेष मोड़ पर लड़ा जा रहा है। इस बात की संभावना है कि अगले राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान अगले सर्वोच्च नेता को आगामी राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान चुना जा सकता है। इस कारण से, इस राष्ट्रपति चुनाव के संभावित विजेता को निर्धारित करने का प्रयास करते समय एक सर्वोच्च नेता को चुनने की पूर्वता को भी ध्यान में रखना होगा।
लगभग तीन वर्षों में वर्तमान सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनी शक्तिशाली हो जाएंगे। यह उनके लिए एक प्रेरक कारण हो सकता है कि वह अपने संभावित उत्तराधिकारी का मार्गदर्शन करें। 1989 में ईरान के पहले सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खुमैनी की मृत्यु के समय, जब उनके उत्तराधिकारी को विशेषज्ञों की सभा द्वारा चुना जा रहा था, खामेनी ईरान के राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में सेवारत थे। इस स्थिति ने उन्हें विशेषज्ञों की सभा द्वारा सर्वोच्च नेतृत्व की स्थिति में न केवल उनकी उन्नति में बहुत मदद की थी, बल्कि ईरान के लोगों द्वारा उनकी स्वीकृति के संदर्भ में भी की।
राष्ट्रपति के पद पर कार्य करते हुए प्रशासनिक कौशल ने उन्हें अतिरिक्त लाभ पहुंचाया। वर्तमान में, खामेनी ने अपनी पसंदीदा उत्तराधिकारी के रूप में इब्राहिम रायसी के कुछ संकेत दिए। इनमें से, सबसे प्रमुख संकेत खामेनी का रज़ावी होली शरायन के संरक्षक के रूप में नियुक्त करने का निर्णय है। रायसी वर्तमान में विशेषज्ञों की विधानसभा के सदस्य भी हैं, जो एक ऐसी निकाय है जिसे अगला सर्वोच्च नेता चुनने का कार्य सौंपा दिया गया है। एक बात जो रायसी का दोष है वह एक जनप्रिय और अपेक्षित प्रशासनिक कौशल वाले उम्मीदवार नहीं है। यदि उन्हें ईरान के अगले राष्ट्रपति के रूप में चुना जाता है, तो उन्हें एक उन्नत सार्वजनिक प्रोफ़ाइल और आवश्यक प्रशासनिक कौशल प्राप्त होंगे, जो उन्हें अपने कार्यालय के कार्यों का निवर्हन करने में सहायता करेंगे।
हालांकि खामेनी ने सार्वजनिक रूप से किसी भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए अपनी प्राथमिकता व्यक्त नहीं की है, लेकिन 19 मई को होने वाले घटनाक्रमों के अलावा, अहमदिनेजाद और रूहानी के खिलाफ उनकी कार्रवाई इस चुनाव के दौरान रायसी के अनुकूल है। उदाहरण के लिए, अहमदीनेजाद, जो हार्ड-लाइनर्स के बीच बेहद लोकप्रिय थे, को पहली बार खामेनी द्वारा चुनाव नहीं लड़ने की सलाह दी गई थी और अंततः गार्डियन काउंसिल द्वारा उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इसी तरह, पहले राष्ट्रपति की डिबेट के दो दिन बाद, अयातुल्ला खामेनी ने रूहानी के परमाणु समझौते के लाभों से संबंधित दावों पर सवाल उठाया। 30 अप्रैल, 2017 को खामेनी ने कहा, “कुछ लोग कहते हैं कि जब से हमने पदभार संभाला है युद्ध की छाया दूर हो गई है। यह सही नहीं है।" उन्होंने यह भी कहा कि "यह राजनीतिक परिदृश्य में लोगों की उपस्थिति रही है जिसने देश से युद्ध की छाया को हटा दिया है।"
पुन:, दूसरे राष्ट्रपति की डिबेट के दो दिन बाद, खामेनी ने अप्रत्यक्ष रूप से रूहानी की एक ऐसे गंभीर आरोप के साथ आलोचना की कि उन्होंने ईरानी शिक्षा प्रणाली में पश्चिमी प्रभाव को बढ़ावा दिया।
7 मई, 2017 को, अयातुल्ला खामेनी ने कहा कि ईरान यूनेस्को की वैश्विक शिक्षा 2030 एजेंडा के समक्ष आत्मसमर्पण नहीं करेगा, और यह भी कहा कि "यूनेस्को 2030 के शिक्षा एजेंडा और उस तरह के एजेंडे वो नहीं हैं जिनके आगे इस्लामी गणतंत्र ईरान को आत्मसमर्पण करना चाहिए।" इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के खिलाफ अपने फैसले की घोषणा करते हुए, खामेनी ने कहा, "यह गलत है, उदाहरण के लिए, अगर हम इस तरह के एजेंडे पर हस्ताक्षर करते हैं और इसे गुप्त रूप से इसे लागू करना शुरू करते हैं। मैं घोषणा करता हूं कि इसे किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है।” ऐसा कहते हुए, खामेनी ने रूहानी की अध्यक्षता में एक निकाय की जिम्मेदारी ली, जिसने यूनेस्को के कार्यक्रम को अपनाने का निर्णय लिया, एक ऐसा निर्णय जो लगभग दो साल पहले लिया गया था। ऐसी आलोचना के लिए रूहानी के पसंदीदा चुनाव समय का रूहानी की उम्मीदवारी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यहां यह उल्लेख किया जा सकता है कि इस्लामिक गणराज्य में, अपने पहले सर्वोच्च नेता, अयातुल्ला खुमैनी के दिनों से ही, ईरानी समाज और संस्कृति पर कोई भी पश्चिमी प्रभाव एक अत्यंत अस्वीकार्य प्रस्ताव है। चुनाव से पहले सर्वोच्च नेता के दिनों से ऐसी गंभीर आलोचना रूहानी के दूसरे कार्यकाल जीतने की संभावनाओं के बारे में संकेत देती है।
जबकि उपर्युक्त तर्क का मूल तर्क यह है कि रायसी 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में विजेता हो सकते हैं, वहीं कुछ अन्य सीमा पर संबंधी संकेतक भी हैं। ऐसे समय में जब ईरानी लोग ईरान परमाणु समझौते के आर्थिक लाभ नहीं मिलने के कारण ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, पश्चिम के साथ वार्ता न करने के चैंपियन अहमदीनेजाद ने भारी जन समर्थन हासिल किया होगा। अब जब अहमदीनेजाद को बाहर कर दिया गया है और कालीबफ ने भी अपना नाम वापस ले लिया है। ऐसे में रायसी इस चुनाव में अपने संभावित वोटों के एकीकरण के माध्यम से लाभान्वित होंगे।
खामेनी की चेतावनी से इस तरह के निहितार्थ भी निकाले जा सकते हैं कि वह इस चुनाव के दौरान किसी के भी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेंगे। 10 मई को, ईरान के सर्वोच्च नेता ने चेतावनी दी कि चुनाव को बाधित करने के किसी भी प्रयास से गंभीरता से निपटा जाएगा। उम्मीदवारों को किसी भी ऐसी चाल या टिप्पणियों के खिलाफ चेतावनी देते हुए, जो ईरान की सुरक्षा को संभावित रूप से अवरूद्ध कर सकती है, खामेनी ने कहा "चुनाव में देश की सुरक्षा के खिलाफ कोई भी कार्रवाई से निश्चित रूप से निपटा जाएगा" और कहा कि "सुरक्षा का मुद्दा देश के लिए, लोगों के लिए, और फलस्वरूप मेरे लिए बहुत महत्व रखता है, और चुनाव में सुरक्षा पूरी तरह से होनी चाहिए।" जैसा कि 2009 में देखा गया था, अगर कोई रूढ़िवादी या लोकप्रिय उम्मीदवार जीत जाता है तो लोकलुभावन प्रतिघात होने की संभावना है। खामेनी की चेतावनी का अर्थ उक्त लोकलुभावन प्रतिघात की पुनरावृत्ति को रोकने का प्रयास कहा जा सकता है।
खामेनी के लिए, ईरान में मौलवी तंत्र, एक ऐसा तंत्र जिसे उन्होंने माना है और जिसने उनके जीवन के अधिकांश समय तक शासन किया है, को संरक्षित करना महत्वपूर्ण है। यह स्वाभाविक है कि वह इस तंत्र की निरंतरता को अपने चुने हुए तरीके से सुनिश्चित करना चाहेंगे जब उसके पास मौका होगा। ईरान के राष्ट्रपति के रूप में रायसी की जीत उन्हें यह अवसर प्रदान कर सकती थी। अगर रायसी उनके पसंदीदा उत्तराधिकारी होते तो इस राष्ट्रपति चुनाव में उनकी जीत खामेनी की भी पसंद होती। इस्लामी गणतंत्र ईरान में, यह बहुत दुर्लभ है कि सर्वोच्च नेता की प्राथमिकताएं पूरी नहीं की जाती हैं।
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* लेखक, भारतीय विश्व मामले परिषद, नई दिल्ली में अध्येता हैं
अस्वीकरण: व्यक्त मंतव्य लेखक के हैं और परिषद के मंतव्यों को परिलक्षित नहीं करते।
पादटिप्पणियां :
1 Islamic Republic News Agency (IRNA), “Brief summary of presidential candidates’ backgrounds,” अप्रैल 21, 2017, http://www.irna.ir/en/News/82500644/, मई 2, 2017 को अभिगम्य.
2 Cited in Islamic Republic News Agency (IRNA), “Brief summary of presidential candidates’ backgrounds,” अप्रैल 21, 2017, http://www.irna.ir/en/News/82500644/, मई 2, 2017 को अभिगम्य.
3 The Guardian, “Iran disqualifies Ahmadinejad from bid to regain presidency,” अप्रैल 20, 2017, https://www.theguardian.com/world/2017/apr/20/iran-disqualifies-ahmadinejad-from-bid-to-regain-presidency, मई 3, 2017 को अभिगम्य.
4 For a brief summary of candidates profiles, see Islamic Republic News Agency (IRNA), “Brief summary of presidential candidates’ backgrounds,” अप्रैल 21, 2017, http://www.irna.ir/en/News/82500644/, मई 2, 2017 को अभिगम्य.
5 Islamic Republic News Agency (IRNA), “Brief summary of presidential candidates’ backgrounds,” अप्रैल 21, 2017, http://www.irna.ir/en/News/82500644/, मई 2, 2017 को अभिगम्य.
6 Press TV, “Iran’s Interior Ministry announces final list of presidential candidates,” अप्रैल 20, 2017, http://www.presstv.ir/Detail/2017/04/20/518818/Iran-Abbas-Ali-Kadkhodaei, मई 3, 2017 को अभिगम्य.
7 Al-Monitor, “How Khamenei played his ace to sideline Ahmadinejad,” सितम्बर 29, 2016, http://www.al-monitor.com/pulse/originals/2016/09/iran-mahmoud-ahmadinejad-reelection-bid-second-term.html, मई 3, 2017 को अभिगम्य.
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12 Al-Monitor, “Who was the winner of Iran’s first presidential debate?,” अप्रैल 30, 2017, http://www.al-monitor.com/pulse/originals/2017/04/iran-अप्रैल -28-first-presidential-debate-rouhani-jahangiri.html, मई 17, 2017 को अभिगम्य.
13 Press TV, “Iran 2017 presidential candidates hold first live debate,” अप्रैल 28, 2017, http://www.presstv.ir/Detail/2017/04/28/519772/Iran-presidential-election-debate, मई 12, 2017 को अभिगम्य.
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16 BBC Monitoring, “Guide to Iranian Media and Broadcasts,” retrieved from the website of Arab Media & Society, http://www.arabmediasociety.com/UserFiles/DOCUMENTS%20Iran%20Media%20Guide.pdf, मई 17, 2017 को अभिगम्य.
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18 Press TV, “Iran 2017 presidential candidates hold first live debate,” अप्रैल 28, 2017, http://www.presstv.ir/Detail/2017/04/28/519772/Iran-presidential-election-debate, मई 12, 2017 को अभिगम्य.
19 पूर्वोक्त
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23 Press TV, “Iran presidential candidates begin second live face-off,” मई 5, 2017, http://www.presstv.ir/Detail/2017/05/05/520669/Iran-presidential-election-live-debate, मई 12, 2017 को अभिगम्य.
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33 Press TV, “Iran presidential candidates begin final live TV debate,” मई 12, 2017, http://www.presstv.ir/Detail/2017/05/12/521610/Iran-presidential-election-debate-TV, मई 15, 2017 को अभिगम्य.
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40 Press TV, “Tehran mayor to quit Iran’s presidential race, backs Raeisi,” मई 15, 2017, http://www.presstv.com/Detail/2017/05/15/521967/Tehran-mayor-qalibaf-Raeisi-, मई 16, 2017 को अभिगम्य.
41 Press TV, “Iran’s first VP drops out of presidential race to back President Rouhani,” मई 16, 2017, http://www.presstv.com/Detail/2017/05/16/522119/Iran-Hassan-Rouhani-Eshaq-Jahangiri-presidential-election-withdrawal, मई 16 2017 को अभिगम्य.
42 Al-Monitor, “Polls put Rouhani in lead with one week to go,” मई 12, 2017, http://www.al-monitor.com/pulse/originals/2017/05/iran-ispa-ippo-polls-rouhani-lead-presidential-vote-2017.html, मई 15, 2017 को अभिगम्य.
43 Quoted in Middle East Eye, “Iran’s supreme leader dismisses Rouhani’s detente policy ahead of vote,” अप्रैल 30 2017, http://www.middleeasteye.net/news/irans-leader-dismisses-rouhanis-detente-policy-ahead-vote-995115390, मई 15, 2017 को अभिगम्य.
44 पूर्वोक्त
45 Official Website of Iran’s Supreme Leader Ayatollah Khamenei, “Iran won’t submit to agendas like UNESCO 2030: Ayatollah Khamenei,” मई 7, 2017, http://english.khamenei.ir/news/4796/Iran-won-t-submit-to-agendas-like-UNESCO-2030-Ayatollah-Khamenei, मई 15, 2017 को अभिगम्य.
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47 Al-Monitor, Khamenei increases pressure on Rouhani ahead of elections, मई 8, 2017, http://www.al-monitor.com/pulse/originals/2017/05/iran-khamenei-criticism-unesco-education-program-rouhani.html, मई 15, 2017 को अभिगम्य.
48 Quoted in Tasnim News Agency, “Leader Warns Enemies of Iran’s Hard Response to Aggression,” मई 10, 2017, https://www.tasnimnews.com/en/news/2017/05/10/1403784/leader-warns-enemies-of-iran-s-hard-response-to-aggression, मई 15, 2017 को अभिगम्य.
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