भारतीय विश्व मामले परिषद्
सप्रु हाउस, बाराखंभा रोड, नई दिल्ली
उज्बेक-भारत सहयोग के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के विकास की संभावना
द्वारा
डिलोरोम मैमटकूलोवा
रिपब्लिक आफ उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति के
अधीन रणनीतिक और अंतर्क्षेत्रीय अध्ययनों
हेतु शीर्ष अनुसंधान
सहचर संस्थान
13 दिसम्बर, 2018
इन दिनों उज्बेकिस्तान और भारत मैत्रीपूर्ण संबंधों की ऐतिहासिक परंपराओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए द्विपक्षीय सहयोग को एक ऊंचाई तक ले जाने में परस्पर हित को व्यक्त करते हैं। स्पष्टत: यह हाल की उच्च स्तरीय आधिकारिक समझौतों से सिद्ध होता है जिसके दौरान दोनों देशों के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए। नि:संदेह, सितम्बर में समरकंद में ‘भारत और मध्य एशिया वार्ता’ की हाल की बैठक में उज्बेकिस्तान और समग्र रूप में मध्य एशिया के साथ सहयोग को बढ़ाने के लिए भारत की उत्कट रूचि की पुष्टि हुई है।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ स्वीकार करते हैं कि मध्य एशिया में क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की बढ़ती प्रवृत्ति उज्बेकिस्तान के साथ भारत के व्यापक सहयोग को बढ़ाने के लिए अभूतपूर्व अवसरों के द्वार खोलती है। वर्तमान में, दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के संबंध में संयुक्त वक्तव्य राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और मानविकी क्षेत्रों में बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक ठोस आधार के रूप में कार्य करता है।
भारत उन कुछ पहले देशों में से है जिन्होंने उज्बेकिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता प्रदान की। दूतावास स्तर (1992) पर कूटनीतिक संबंध को स्थापित करने संबंधी प्रोटोकोल के अनुसार अगस्त, 1998 में ताशकंद में स्थापित भारत के महावाणिज्य दूतावास को 1992 में भारतीय दूतावास के रूप में बदल दिया गया और नई दिल्ली स्थित रिपब्लिक आफ उज्बेकिस्तान के वाणिज्यिक दूतावास को उज्बेक दूतावास में बदल दिया गया।
उज्बेकिस्तान की स्वतंत्रता के शुरूआती दिनों से लेकर वर्तमान समय तक रिपब्लिक आफ उज्बेकिस्तान के प्रथम राष्ट्रपति इस्लाम करिमोव का पांच बार भारत दौरा (1991, 1994, 2000, 2005 और 2011), भारत के प्रधानमंत्री का उज्बेकिस्तान का तीन सरकारी दौरा (1993, 2006, 2015), भारत के विदेश मंत्री स्तर का उज्बेकिस्तान का सात दौरा (1996, 1999, 2003, 2009, 2010, 2013, 2018), उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों का भारत का चार सरकारी दौरा (1996, 2003, 2004 और 2017) हुआ।
भारत के निवर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जुलाई, 2015 में उज्बेकिस्तान का अपना पहला दौरा किया जो दोनों ही देशों के सामाजिक और राजनीतिक जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस दौरे ने ऐतिहासिक मैत्रीपूर्ण उज्बेक-भारतीय संबंधों को और मजबूती प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान किया। इस दौरे के दौरान मोदी ने स्वीकार किया कि उज्बेकिस्तान मध्य एशिया में भारत के महत्वपूर्ण और विश्वसनीय साझेदारों में से एक है। मुख्य क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को सुलझाने में दोनों ही देशों की समान संमिलित नीतिगत स्थिति को क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय ढ़ांचों में द्विपक्षीय संबंधों का विश्वसनीय आधार माना जाता है। भारत के प्रधानमंत्री ने 2016 में भी एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए उज्बेकिस्तान का दौरा किया था।
प्रधानमंत्री मोदी और उज्बेकिस्तान के नव निर्वाचित राष्ट्रपति शावकट मिर्जियोयेव के बीच 2017 में अस्ताना (कजाकिस्तान) में एससीओ शिखर सम्मेलन की रूपरेखा में और 2018 में क्विंग्डाओ (चीन) में भी मुलाकात हुई थी। इन ऐतिहासिक मुलाकातों ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने तथा इन्हें गुणात्मक रूप से एक नई ऊंचाई तक ले जाने हेतु ठोस उपाय करने का एक अवसर प्रदान किया। यह माना जाता है कि रिपब्लिक आफ उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति मिर्जियोयेव के अक्टूबर, 2018 में हुए भारत के प्रथम सरकारी दौरे से द्विपक्षीय संबंधों विशेषकर आर्थिक, व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में एक नयी शक्ति मिलेगी।
अंतर-संसदीय संबंध भी द्विपक्षीय संबंध के मुख्य तत्वों में से एक है। उज्बेक और भारतीय विदेश कार्यालय सहयोग की रूपरेखा में राजनीतिक परामर्श नियमित आधार पर होते हैं। ऐसे परामर्श का गत दौर दिल्ली में मार्च, 2017 में हुआ था जिस दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने राजनीतिक, व्यापार, आर्थिक, सांस्कृतिक, मानविकी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति तथा एससीओ, संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे क्षेत्रीय और वैश्विक प्रारूपों में व्यापक सहयोग के अवसरों पर चर्चा की। इन अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
ऐसी अंतर-सरकारी बैठकों से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक व सुरक्षा संबंधी मुद्दों, व्यापार के विस्तार, परस्पर लाभकारी आर्थिक परियोजनाओं विशेषकर उज्बेकिस्तान के मुक्त आर्थिक क्षेत्रों (एफईजेड), को लागू करने के संबंध में मेल-जोल बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
उज्बेकिस्तान भारत को एशिया महादेश के सबसे बड़े देशों में से एक और ऐसे देश के रूप में मानता है जिसके पास विशाल राजनीतिक, आर्थिक, मानविकी क्षमता है और एक ऐसा राष्ट्र है जो विश्व की न केवल राजनीतिक बल्कि आर्थिक समस्याओं के समाधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम है।
वर्तमान में, उज्बेकिस्तान और भारत के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंध व्यापारिक व आर्थिक सहयोग संबंधी ऐसे मूलभूत द्विपक्षीय समझौतों (1993), दोहरे कराधान से बचने संबंधी समझौते (1993) और निवेश संबंधी परस्पर बढ़ावा और संरक्षण देने संबंधी समझौतों से नियंत्रित होता है।
वर्ष 1993 में गठित व्यापारिक, आर्थिक, वैज्ञानिक व तकनीकी सहयोग संबंधी उज्बेक-भारतीय अंतर-सरकारी आयोग इस प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के विकास में योगदान करता है। ताशकंद में 16 अगस्त, 2018 को हुई इस आयोग की गत बैठक में भारत ने उज्बेकिस्तान के साथ तरजीही व्यापार संबंधी संधि पर तैयारी करने और हस्ताक्षर करने व इस परस्पर व्यापार की प्रमाप को एक बिलियन डॉलर तक ले जाने के प्रति अपनी तत्परता दिखायी।
यदि हम पिछले पांच वर्षों में आंकड़ों को देखें तो हम पाएंगे कि इस द्विपक्षीय व्यापार में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हुई और 2017 तक उज्बेकिस्तान से भारत में 32.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात तथा 291.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर के आयात सहित यह 323.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।
विशेषज्ञ यह सिद्ध करते हैं कि द्विपक्षीय व्यापार में और बढ़ोतरी करने तथा दोनों ही देशों के उत्पादन श्रृंखला को व्यापक बनाने की बहुत अधिक क्षमता है। इस संबंध में ताशकंद और नई दिल्ली ने कृषि उत्पादों, खनिज उर्वरकों, दुर्लभ धातुओं, रेशम और अन्य वस्तुओं को भारतीय बाजार में लाने तथा अगस्त 2017 में70 मिलियन से अधिक अमेरिकी डॉलर मूल्य वाले 20 निवेश समझौतों सहित 80 मिलियन से अधिक के अमेरिकी डॉलर मूल्य के संविदाओं पर हस्ताक्षर किए।
उज्बेकिस्तान और भारत के बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में सहयोग को विकसित करना द्विपक्षीय निवेश संबंध को मजबूत करने के मुख्य तत्वों में से एक है। विशेषकर, उज्बेकिस्तान अवसंरचना और आवास निर्माण के क्षेत्र में परियोजनाओं को लागू करने के लिए भारत के निर्यात-आयात बैंक के साथ सहयोग करने पर विचार कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय पूंजी की भागीदारी से 100 से अधिक उपक्रम उज्बेकिस्तान में सक्रिय हैं। वर्तमान में, उच्च तकनीक वाले उत्पादन मिंडा एंड ओलिव टेलिकम्युनिकेशन नामक भारतीय कंपनी मुक्त आर्थिक क्षेत्र (एफईजेड) नावोई में सफलतापूर्वक कार्य कर रही है। नोवा फार्म, ब्रेवो फार्म, अल्ट्रा हैल्थ केयर और गूफिक एविसेना जैसी संयुक्त भेषज कंपनियां भी हैं।
भविष्य में उज्बेकिस्तान रसायनों, औषधियों, वस्त्रों और चमड़े से बने उत्पादों व आईसीटी वस्तुओं सहित देश में संगत पहले से तैयार औद्योगिक वस्तुओं के उत्पादन के लिए संयुक्त परियोजनाओं के कार्यान्वयन में अधिकाधिक भारतीय उच्च प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों के साथ जुड़ने के इच्छुक हैं। इसलिए, विदेशी निवेशकों के लिए बेहतर दशाओं के सृजन से उज्बेकिस्तान हाल में सृजित एफईजेड (न्युकस-फार्म, जोमिन फार्म, कोसोन्सोय फार्म, सिरदारया फार्म, बॉयसुन फार्म, बोस्तोंलिक फार्म और पार्केंट फार्म) जो भेषज वस्तुओं के उत्पादन के लिए विशेषीकृत हैं, सहित आंग्रेन, जिजाख, हजारस्प, कोकांड, गिजडूवन और उर्गूट जैसे शहरों में एफईजेड में औद्योगिक परियोजनाओं के कार्यान्वयन में शामिल होने के लिए भारतीय कारोबारी सर्किल का स्वागत करता है।
सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग:
उज्बेक और भारतीय नागरिकों के इतिहास, साहित्य, संगीत, पेंटिंग और वास्तुकलाओं में समानता है। नि:संदेह यह उज्बेक राजनीतिज्ञ, कवि और लेखक जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर के नाम और उसके उत्तराधिकारियों से संबंधित है। द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने विशेषकर उज्बेकिस्तान और भारत के बीच वैज्ञानिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए उनकी चिरस्थायी विरासत में बहुत क्षमता है।
पिछले वर्ष में भारतीय राष्ट्रीय संग्रहालय ने बाबर की हस्तलिखित दस्तावेज दिवाने बाबर की प्रतियों, जो 1528 ईस्वी की है, तथा 1640 के ‘राजकुमार दाराशिकोह की बारात जुलूस’ के लघुचित्र को उज्बेकिस्तान को सौंप दिया। ये द्विपक्षीय सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में सांकेतिक कदम हैं।
दोनों देशों के बीच जन कूटनीति में भी बढ़ोतरी हो रही है। उज्बेकिस्तान-भारत फ्रेंडशिप सोसाइटी, जो सांस्कृतिक संबंधों को विस्तार देने के लिए एक माध्यम है, सन् 1991 से ही ताशकंद में कार्य कर रहा है। सतत द्विपक्षीय सांस्कृतिक और शैक्षणिक संबंधों के कारण दोनों देशों के नागरिकों को विभिन्न क्षेत्रों में एक दूसरे के बारे में व्यापक सूचना है।
इसके अतिरिक्त, ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर रखे गए भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र में भारतीय शास्त्रीय नृत्य ‘कथक’, योग और हिंदी भाषा की नियमित कक्षाएं आयोजित की जाती हैं। ताशकंद स्टेट इंस्टीच्युट आफ ओरियंटल स्टडीज में हिंदी भाषा की पढ़ाई होती है। इस संस्था में भारतीय अध्ययन का एक केन्द्र भी है जिसे महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया है। नई दिल्ली स्थित जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में उज्बेक भाषा संबंधी पाठ्यक्रम उपलब्ध है।
स्पष्टत:, भारत में शिक्षा के क्षेत्र में स्थिति सुधर रही है, किंतु कतिपय दक्षिण और पूर्वी एशियाई देशों में कई गुणवत्तापूर्ण संकेतकों को अधिक ऊंचा माना जाता है। भारत के विश्वविद्यालयों में सबसे लोकप्रिय विषय सूचना प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और औषध विज्ञान हैं। इस संबंध में उज्बेकिस्तान के विभिन्न विश्वविद्यालयों ने 10 से अधिक भारतीय विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केन्द्रों के साथ सहयोग स्थापित किया है।
वार्षिक रूप से उज्बेकिस्तान को भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् (आईसीसीआर) के कार्यक्रमों के तहत भारतीय विश्वविद्यालयों में विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए 25 छात्रवृत्तियां प्राप्त होती हैं। अधिकांश उज्बेक विशेषज्ञों को अंग्रेजी, बैंकिंग, छोटे कारोबारों, प्रबंधन, कृषि और अन्य क्षेत्रों में भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहायता कार्यक्रम (आईटीईसी) के कारण भारत में अर्हताएं प्राप्त हुईं।
ताशकंद सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में जवाहरलाल नेहरू के नाम पर भारत-उज्बेक सूचना प्रौद्योगिकी केन्द्र की स्थापना की गयी है जिसका लक्ष्य आईटी क्षेत्र के प्रोफेसरों और छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान करना है।
दोनों राष्ट्रों के बीच साझेदारी स्वास्थ्य के क्षेत्र में सतत रूप से बढ़ रही है। अपोलो, अर्टेमिस, मेदांता, मैक्स, बीएलके जैसी भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ताशकंद चिकित्सा अकादमी, ताशकंद शिशु रोग संस्थान और उज्बेकिस्तान के अन्य विशेषीकृत चिकित्सा केन्द्रों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं।
पर्यटन द्विपक्षीय सहयोग की अलग दिशाओं में से एक है। नि:संदेह, उज्बेकिस्तान में विदेशी पर्यटकों का वार्षिक प्रवाह महत्वपूर्ण रूप से बढ़ रहा है। एक आंकड़े के अनुसार वर्ष 2017 में हमारे देश में लगभग 3 मिलियन पर्यटक आएं जिनमें भारत के 24,000 से अधिक पर्यटक थे।
इस वर्ष फरवरी से उज्बेकिस्तान ने भारत सहित 39 देशों के नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा जारी करने की की सुविधा प्रदान की। नि:संदेह इन उपायों से उज्बेकिस्तान में भारतीय पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी करने में सहायता प्राप्त होगी।
समग्र रूप में, भारत और उज्बेकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत किए जाने से दोनों देशों के दीर्घकालिक हित पूरे होंगे। आर्थिक रूप से तेजी से विकास करता भारत का इरादा व्यापार, निवेश, उच्च प्रौद्योगिकी और पर्यटन के क्षेत्रों में उज्बेकिस्तान का एक स्थायी साझेदार बनना है। बदले में इससे न सिर्फ भारत और उज्बेकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध और विस्तारित और प्रगाढ़ होने के लिए सभी आवश्यक देशा और पूर्वोपेक्षाएं सृजित होंगी बल्कि दक्षिण एशियाई देशों के साथ मध्य एशिया का सबंध भी बढ़ेगा।
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अस्वीकरण: व्यक्त मंतव्य लेखक के हैं और परिषद के मंतव्यों को परिलक्षित नहीं करते।
संदर्भ :
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iiTashkent hosted an Uzbek-Indian business forum, 22.02.2018http://chamber.uz/news/1813
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ivUmar Asrorov, "Uzbekistan-India: results of consistent cooperation", 04.02.2016, http://uza.uz/ru/society/uzbekistan- indiya-rezultaty-posledovatelnogo-sotrudnichestva-04-02-2016
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vihttp://uznews.uz/ru/article/8547 viihttp://www.kultura.uz/view_2_r_11961.html
viiiVisa of the Republic of Uzbekistan, https://mfa.uz/ru/consular/visa/