सारांश (Abstract)
भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच संबंधो का इतिहास प्रमुख रूप से सांस्कृतिक और प्राचीन रेशम मार्ग के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है| समय के साथ -साथ भारत की तुर्कमेनिस्तान के प्रति विदेश निति में मात्रात्मक और गुणात्मक रूप से परिवर्तन आया है| जैसे भारत द्वारा तुर्कमेनिस्तान एवं मध्य एशिया के प्रति झुकाव और मजबूत सम्बन्ध स्थापित करने के लिए कनेक्ट मध्य एशिया नीति, और फोकस:CIS, का निर्माण किया गया है| 1995 में तत्काल भारतीय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने तुर्कमेनिस्तान की यात्रा के दौरान कहा कि भारत के लिए मध्य एशिया एक उच्च प्राथमिकता हैi| भारत का तुर्कमेनिस्तान के साथ आर्थिक कूटनीति में भी एक सतत सकारात्मक रुझान रहा है इसी के साथ, नियमित स्तर पर उच्च स्तरीय यात्राओं का आदान प्रदान किया जाता रहा है| वर्तमान में, दोनों देश अपने आर्थिक सहयोग को बढावा देने के साथ- साथ सुरक्षात्मक सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान तथा द्विपक्षीय व्यापार के अन्य क्षेत्रो में अहम भूमिका निभा रहे है|
भारत और तुर्कमेनिस्तान के द्विपक्षीय संबंधो की चर्चा करे तो इसका जीता जागता उदहारण तुर्कमान गेट है, जो दिल्ली में 1650 में निर्मित किया गया| दूसरा, मध्य एशिया में थाखारिस्तान (Tokharistan) ऐसा राज्य था जो भारतीय सांस्कृतिक व बौद्ध धर्म बहुल है|ii तीसरा, मध्य काल के दौरान मध्य एशिया व तुर्कमेनिस्तान के विद्वान भारत आते थे| चोथा, भारतीय संगीत और सिनेमा को तुर्कमेन के लोगो द्वारा काफी सराहा गया है|
तुर्कमेनिस्तान की भौगोलिक स्थिति का वर्णन किया जाए तो इसकी भोगौलिक सीमा कज़ख्स्तान उत्तर, उज़्बेकिस्तान उत्तर पूर्व, ईरान दक्षिण में और अफ़ग़ानिस्तान दक्षिण पूर्व की सीमा से लगा हुआ है| तुर्कमेनिस्तान ने अपनी भौगोलिक स्थिति और ऊर्जा के भंडार के कारण विश्व में अपनी मजबूत स्थिति कायम की और अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध के लिए सकारात्मक तटस्थता की नीति का अनुसरण कर रहा है|
तुर्कमेनिस्तान की भौगोलिक स्थिति
Source: http://www.bbc.com/news/world-asia-16094646
तुर्कमेनिस्तान में विशाल हाइड्रोकार्बन संसाधन हैं, विशेष रूप से प्राकृतिक गैस, लेकिन बाजारों में निर्यात करने के लिए अपर्याप्त ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और सीमित विदेशी निवेश, भौगोलिक चुनौतियों, अपर्याप्त निर्यात पाइपलाइन के बुनियादी ढांचे और एक कठोर आर्थिक संरचना आदि समस्याओ के कारण हाइड्रोकार्बन निर्यात करने की बाधाए आ रही है|
Turkmenistan's Key Energy Statistics
Total Primary Energy Production |
3.373 |
1.39 |
|
265 |
|
1,617 |
|
2,684 |
Source: https://www.eia.gov/beta/international/country.cfm?iso=TKM
भारत को तुर्कमेनिस्तान के साथ द्विपक्षीय सम्बन्ध को स्थापित करने की जरुरत तब महसूस हुई जब भारत द्वारा ऊर्जा की आपूर्ति की आवश्यकता पर ध्यान दिया गया| दूसरा, अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद, ड्रग्स तस्करी की समस्याओं का जन्म व मध्य एशिया में अशान्त भौगोलिक स्थिति तथा राजनीतिक आर्थिक सुधारो की असामान्य स्थिति आदिiii के कारण भारत ने तुर्कमेनिस्तान के प्रति अपनी द्विपक्षीय रणनीति का गठन किया|
राजनयिक सम्बन्ध
भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच राजनयिक सम्बन्धो की शुरुआत, सोवियत संघ के विघटन के बाद से भारत द्वारा तुर्कमेनिस्तान को अपनी मान्यता देने से हुई और दोनों देशो के बीच राजनयिक सम्बन्धो की शुरुआत अश्गबाद में भारतीय दूतावास की स्थापना 1994 मे करके हुई| भारत के प्रधान मंत्री नरसिम्हा राव द्वारा 1995 में तुर्कमेनिस्तान की यात्रा की गयी| उस दौरान, भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच छ: द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर हुए उनमे व्यापार और आर्थिक अंतर-सरकारी कमीशन का गठन मुख्य थे|
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 -11 जुलाई 2015 के दौरान अशगबत का दौरा किया और तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति श्री गुरबान्गुली बेर्दिमुहमेदोव (Gurbanguly Berdimuhamedov) के साथ वार्ता की| भारतीय प्रधान मंत्री नेरन्द्र मोदी ने अश्गबाद में योग और परम्परागत चिकित्सा केंद्र का उद्घाटन किया जो इस क्षेत्र में अपने प्रकार का पहला केंद्र था| इस यात्रा के दौरान 7 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए| उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने 13 दिसम्बर 2015 को तुर्कमेनिस्तान का दौरा किया| उन्होंने तुर्कमेनिस्तान तथा अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ तुर्कमेनिस्तान में गैस पाइपलाइन परियोजना के शिलान्यास समारोह में भी भाग लिया| उन्होंने अश्ग्बाद में स्थाई तटस्थता की 20 वी वर्षगाठ को मनाने के लिए अन्तराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि गुटनिरपेक्षता आंदोलन और स्थाई तटस्थता के मूलभूत उदेश्यों में विश्व शांति और सुरक्षा का संरक्षण जैसे विचारो में उल्लेखनीय समानता है|iv तुर्कमेनिस्तान की तरफ से 1992 में तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति निज्योव द्वारा भारत की यात्रा 1992 में की गयी| उस दौरान दोनों के बीच छ: आर्थिक सहयोग पर हस्ताक्षर करके संबंधो को संस्थागत रूप प्रदान किया| 2008 में नए राष्ट्रपति गुरबान्गुली बेर्दिमुहमेदोव द्वारा भारत की यात्रा सम्पन की गयी|
आर्थिक सम्बन्ध
यदि हम तुर्कमेनिस्तान की आर्थिक व्यवस्था को देखे तो यह ज्ञात होता है कि तुर्कमेनिस्तान ने अपनी आर्थिक व्यवस्था में संस्थागत सुधार करके विश्व स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूती प्रदान करने में निर्णायक सफलता प्राप्त की| तुर्कमेनिस्तान की वर्ष 2016 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत दर्ज की और 2016 में विदेशी व्यापार में वृद्धि 48.9 बिलियन मनात दर्ज की गयी|v जिसके कारण तुर्कमेनिस्तान की भौगोलिक स्थिति विश्व के लिए एक आकर्षण का केंद्र रही है जिसमे भारत इसका अपवाद नही है|
India Trade by Principle of Commodities with Turkmenistanvi
Main Import by Commodities |
Main Exports by Commodities |
Cotton, Raw, Metafiles ores, Inorganic chemical raw wool etc. |
Tea, Rice, Machinery instruments, cotton yarn, electric goods, RMC, Manmade fibers, Drugs, and Pharmaceuticals etc. |
S.No. |
Year |
2011-2012 |
2012-2013 |
2013-2014 |
2014-2015 |
2015-2016 |
2016-2017 |
1. |
EXPORT |
43.95 |
69.92 |
73.62 |
91.98 |
68.53 |
57.75 |
2. |
IMPORT |
19.46 |
8.33 |
14.10 |
13.05 |
46.97 |
21.32 |
3. |
TOTAL TRADE |
63.41 |
78.25 |
87.73 |
105.03 |
115.50 |
79.07 |
SOURCE: http://commerce.nic.in/eidb/iecnt.asp
आर्थिक स्तर पर देखा जाए तो तुर्कमेनिस्तान भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक बाजार के रूप में उभर सकता है जैसे: कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य प्रशिक्षण और सौर ऊर्जा के क्षेत्र आदि छोटे और सामुदायिक आधारित विकास परियोजनाओं की शुरुआत की जा सकती है|viii भारत का तुर्कमेनिस्तान से प्रगाढ़ आर्थिक सम्पर्क स्थापित करने का सब से अच्छा तरीका बैंकिंग, बीमा, कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी और दवा उद्योग (Sun Pharma Ltd., Turkmenderman-Ajanta Pharma) में संयुक्त उद्यम के जरिए हो सकता है| वर्तमान में भारत स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में तुर्कमेनिस्तान को सहायता और विशेषज्ञता प्रदान करने में सहायता कर रहा है|ix विश्व स्तर पर, भारत की चिकित्सा मूल्य यात्रा अगले पांच सालो में 32.5 अरब डॉलर तक पहुंचे का अनुमान है|x
कनेक्टिविटी के स्तर
भौगोलिक रूप से भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच कोई सीमा नहीं लगती है यह दोनों देशो के बीच की कनेक्टिविटी को प्रभावित करती है| भारत और तुर्कमेनिस्तान के द्विपक्षीय संबंधो के बीच की मजबूत कड़ी 1814 किमी व 10 बिलियन लागत वाली तापी परियोजना को माना जाता है| इस योजना में 33 अरब घन मीटर सालाना गैस अफगानिस्तान के हेरात और कंधार शहरों से होते हुए पाकिस्तान से होकर भारत में सीमान्त नगर फाजिल्का, पंजाब तक पहुंचेगी| अभी तक, तापी गैस पाइपलाइन मार्ग के तुर्कमेनिस्तान के हिस्से का विस्तृत रूप से निर्माण कार्य पूरा हो चुका है| 2017 में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के क्षेत्रों में पाइप लाइन मार्ग पर कम शुरू हो चुका है| 2020 तक इस परियोजना के पूर्ण होने की उम्मीद की गयी है|xi
TAPI Gas Pipeline
भारत को तुर्कमेनिस्तान और चार अन्य देशो के बीच एक सम्भावित व्यापार गलियारा का हिस्सा बनकर इस परियोजना के निष्पादन से काफी फायदा होगा| यदि वर्तमान में तापी परियोजना सफ़ल हो जाती है तो भारत के पास एक मजूबत विकल्प उपस्थित हो पाएगा और भारत तुर्कमेनिस्तान में अपनी आर्थिक उपस्थिति बढ़ा सकता है| भारत प्राकृतिक गैस की खरीद शुरू कर सकता है इससे व्यापार को भविष्य में संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी| तापी परियोजना भारत की ऊर्जा सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है यदि तापी परियोजना सफ़ल होती है तो यह शांति, समृद्धि और स्थिरता का प्रतीक होगा क्योंकि यह उन क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों के नए क्षेत्र को खोल देगा जहां से यह संचालित होगा|
International North-South Transport Corridor (INSTC) प्रोजेक्ट भारत को यूरोप और मध्य एशिया से जोड़ेगा| ईरान की भौगोलिक स्थिति और भारत के साथ निकटता रूस तथा मध्य एशिया के देशो तक पहुचने के लिए उसे आदर्श पारगमन केंद्र बनाती है| INSTC से ईरान के रास्ते मध्य एशिया के देशो तक माल पहुचने में लगने वाला समय और खर्च कम हो जाएगा | भारत और मध्य एशिया देशो के बीच कम व्यापार होने का कारण सीधे रास्ते की कमी भी है| इस नए रास्ते से माल की ढुलाई सस्ती पड़ेगी, अभी स्वेज नहर से गुजरना बहुत महंगा पड़ता है क्योंकि स्वेज नेहर का टोल टैक्स बहुत है| INSTC परियोजना बड़ी सख्या में नई परियोजनाओ के शुरू होने की बदौलत यह गलियारा उपयोगी सिद्ध होगा और इस पर बड़ी मात्रा में मालो की ढुलाई करना काफी आसान हो जायेगा|
International North-South Transport Corridor
source: http://www.idsa.in/system/files/issuebrief/instc.msroy180815.jpg
भारत, रूस और ईरान द्वारा बनाए जा रहे अन्तराष्ट्रीय परिवहन गलियारे में चाहबहार बंदरगाह की महत्वपूर्ण भूमिका है| भौगोलिक रूप से ईरान की सीमा तुर्कमेनिस्तान व अफ़ग़ानिस्तान से लगती है, यह पाकिस्तान को बाईपास करता हुआ मध्य एशिया को जोड़ सकेगा| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2016 में ईरान यात्रा के दौरान इस प्रोजेक्ट में चाहबहार-ज़ाहेदान रेल लाइन बनाने पर जोर दिया गया जो चाहबहार बंदरगाह को भी मार्ग प्रशस्त कर सकेगा| इस परियोजना को कार्यकारी रूप देने के लिए भारत ने ईरान के दक्षिणी तट पर अफगानिस्तान के लिए ट्रांजिट कॉरिडोर के हिस्से के रूप में 1.6 अरब डॉलर की लागत से चाहबहार बंदरगाह से 500 किमी की रेल लाइन का निर्माण करना है|xii भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 2016 की ईरान यात्रा के दौरान कहा कि "इस उद्देश्य के लिए भारत कि ओर से लगभग 500 मिलियन डालर की उपलब्धता, हमारे संबंधों में महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस प्रमुख प्रयास से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।"xiii
Map of Chabahar Port
Source: http://idsa.in/issuebrief/india-gears-up-to-enter-the-eurasian-integration-path_pstobdan_070617
चाहबहार बंदरगाह पर अफ़ग़ानिस्तान के साथ त्रिपक्षीय परिवहन और पारगम पर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए जो यह भारत, ईरान और अफगानिस्तान को आपस में कनेक्ट करने के लिए नए मार्ग खोलेगा| ईरान मध्य एशिया में और हिंद महासागर के उत्तरी हिस्से में बसे बाजारों तक आवागमन आसान बनाने के लिए चाहबहार पोर्ट को एक ट्रांजिट हब के तौर पर विकसित करने की योजना है जिसके ज़रिये भारत को अफगानिस्तान और ईरान के लिए समुद्री रास्ते से व्यापार बढाने का मौका मिल सकेगा तथा युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराए जा सकेगे|
शिक्षा और सांस्कृतिक स्तर
भारत और तुर्कमेनिस्तान शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रहे है| 2012 में भारत के संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल की तुर्कमेनिस्तान की यात्रा इस बात का सूचक है कि भारत अपनी कनेक्ट मध्य एशिया की नीति को बढावा देने के लिए तुर्कमेनिस्तान के साथ ई-गवर्नेंस, ई-शिक्षा और ई-स्वास्थ्य सहित सूचना- संचार और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भारत की विशेषज्ञता साझा करने की पेशकश का स्वगत किया है| इसके माध्यम से भारत का तुर्कमेनिस्तान के साथ सरकार से सरकार का सम्बन्ध, व्यवसाय से व्यवसाय तथा लोगो से लोगो के सम्पर्क को मजबूत किया जा सकेगा| भारत ने तुर्कमेनिस्तान के छात्रो के लिए शैक्षिक उपग्रह स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है, जिसे भारत के राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है| दोनों देशो के बीच द्विपक्षीय शैक्षणिक स्तर को तेज़ करने के लिए भारत ने Optical Fibre Cable (OFC) Network, ओर Global Positioning System (GPS) Network की स्थापना की पेशकश की गयी जो कि तुर्कमेनिस्तान के कैस्पियन सागर में अन्तराष्ट्रीय तुर्कमेनबाशी बंदरगाह के लिए महत्वपूर्ण होगा| शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र का दायरा बढानें के लिए भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क का गठन किया जिसमे भारत नई प्रौद्योगिकियों; टेली-मेडिसिन और दूर- शिक्षा को शामिल किया इसका उद्देश्य भविष्य में शिक्षा, चिकित्सा, सूचना प्रौद्योगिकी और ऊर्जा में सहयोग को बढ़ावा व आदान- प्रदान करना है|
सुरक्षा स्तर
आतंकवाद, कट्टरपंथ और अस्थिरता के कारण पैदा होने वाली नई चुनौतिया न केवल भारत की सम्प्रभुता और अखंडता के लिए ख़तरा बनी हुई है, बल्कि भारत के आस-पास स्थित पड़ोसी देशो तथा मध्य एशिया के लिए भी एक गंभीर ख़तरा पैदा कर रही है| भारत और तुर्कमेनिस्तान, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के साथ अपनी सीमाओं को साझा करते है| तुर्कमेनिस्तान की आन्तरिक और बहरी सुरक्षा को ध्यान रखते हुए अफ़ग़ानिस्तान के सम्बन्ध में क्षेत्रीय सुरक्षा में इसका योगदान अप्रत्यक्ष और विविधतापूर्ण रहा है, तो भारत अफ़ग़ानिस्तान के सम्बन्ध में शांति और अखंडता की स्थापना करने के लिए सॉफ्ट पॉवर दृष्टिकोण को अपनाता है जिसमे बिना किसी परस्पर विरोधी हितो, बिना हथियारों और धमकी दिए बिना अफ़ग़ानिस्तान को प्रभावित कर विकास व शांति की स्थापना करना है| इस क्षेत्र में SCO का क्षेत्रीय आतंक विरोधी ढ़ांचा (RATS) तथा यहाँ साझी समस्या से निपटने के लिए सूचना तथा अनुभव साझा हेतू मंच प्रदान करता है|
भारत द्वारा अफ़ग़ानिस्तान के प्रति नीति में चार व्यापक क्षेत्रो पर ध्यान दिया गया है: बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, मानवीय सहायता, छोटे और सामुदायिक आधारित विकास परियोजनाएं, और शिक्षा व क्षमता निर्माण कार्यक्रम आदि में निवेश करना| भारत इस ढांचे के भीतर 2016 में अफ़ग़ानिस्तान में एक बिलियन डॉलर का निवेश कर चूका है|xiv कुल मिलाकर, अफ़ग़ानिस्तान भारतीय सहायता प्राप्त करने वाला दूसरा सबसे बड़ा लाभ प्राप्त देश है| तुर्कमेनिस्तान अफ़ग़ानिस्तान के आर्थिक विकास में एक मत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है यह अफ़ग़ानिस्तान को बिजली प्रदान करता है साथ ही कनेक्टिविटी को ध्यान में रखते हुए तुर्कमेनिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान-ताजिकिस्तान रेल लाइन का निर्माण किया जा रहा है जो दक्षिणी एशिया को मध्य एशिया से जोड़ सकेगा| इस परियोजना का संचालन 2018 तक होने की सम्भवना है|xv
निष्कर्ष
भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच ऐतिहासिक सम्बन्ध रहे है| रेशम मार्ग के समय से ही ये सभ्यताए एक दूसरे के करीब रही है| पिछले 25 वर्षो से इनके राजनयिक सम्बन्धो में कोई समस्या नहीं रही है| लेकिन भारत की ऊर्जा की बढती मांग को ध्यान में रखते हुए तुर्कमेनिस्तान के साथ आर्थिक संबंधो को बढाया जाना चाहिए और उन्हें अधिक मजबूत किया जाना चाहिए| हलाकि, सक्रिय रूप से तुर्कमेनिस्तान भारत की सयुंक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद (UNOSC) में स्थायी सदस्यता का समर्थक देश रहा है|
भारत को तुर्कमेनिस्तान में अपनी उपस्थिति बढानें के लिए नए रास्तो पर विचार करना चाहिए| ईरान पर प्रतिबन्ध हटने के बाद, भारत के समक्ष ईरान के माध्यम से भूमि-समुद्र पाइपलाइन मार्ग की संभावना का पता लगाना सुगम हो सकता है जिससे तुर्कमेनिस्तान- ईरान- भारत (TII) पाइपलाइन का विकल्प और अधिक प्रबल हो पाएगा|xvi भारत अश्ग्बाद समझौते से जुड़ने में हित रखता है जो मध्य एशिया को पश्चिम एशिया तथा हिन्द महासागर से जोड़ता| भारत और तुर्कमेनिस्तान के समक्ष ऐसे नए विकल्पों की खोज करना चाहिए जिससे दोनों देशो के द्विपक्षिय संबंधो को मजबूत किया जा सके जैसे ऊर्जा के गैर पारंपरिक संसधानो सौर ऊर्जा, बायो गैस आदि पर बल देना चाहिए| लोगों का लोगों से सम्बन्ध को सुगम करने के लिए हवाई सेवाओं की सुविधाओ को बढावा देना चाहिए जिसके माध्यम से दोनों देशो के लोगो के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक, व्यापारिक संबंधो को बढानें में आसानी हो पाएगी तथा मेडिकल टूरिज्म को भी लाभ मिल सकेगा|
*****
* लेखिका इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स, नई दिल्ली में शोध प्रशिक्षु हैं।
डिस्क्लेमर: आलेख में दिये गए विचार लेखिका के मौलिक विचार हैं और काउंसिल के विचारों को प्रतिबिम्बित नहीं करते।
Endnotes
i Pradhan, R (2011), Dynamic of India- Central Asia Relations: Energy as strategic Factor, in Journal of Central Asia, UNIVERSITY OF KASHMIR: SRINAGAR, vol 1(20).
ii Sengupta, A (2011), perceptions and strategies: India Relation with the Central Asia Region, in Mapping Central Asia: Indian Perceptions and Strategies, Laruelle, M & Peyrouse, S. (eds.) England: Ashgate Publishing Limited.
iii Kavaki, E. (2010), India and Central Asia: The Mythmaking and International Relations of a Rising Power, New York: Tauris Academic Studies, pp.83
iv Dr. Athar Zafar, India-Turkmenistan Relations: Energizing South Asia-Central Asia Connectivity, ICWA: New Delhi
v Ministry of Foreign Affairs of Turkmenistan, http://www.mfa.gov.tm/en/articles/4
vi Attri, A (2010), "India and Central Asia Republics", Regal Publications: New Delhi
vii Ministry of External Affairs of India, Media Statement by Prime Minister during his visit to Turkmenistan, July 11, 2015, http://www.mea.gov.in/SpeechesStatements.htm?dtl/25458/media+statement+by+prime+minister+during+his+visit+to+turkmenistan
viii Firdous, T & Dar, F (2014), "The New Silk Road Strategic Revisited", The Journal of Central Asian Studies, University of Kashmir, vol. XXI.
ix Fact Sheet from Indian Embassy official in Turkmenistan, http://www.eoi.gov.in/ashgabat/?0794?000
x विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, India’s medical tourism market expected to reach USD 8 billion by 2020 October 11, 2016, http://www.mea.gov.in/articles-in-foreign-media.htm?dtl/27505/indias+medical+tourism+market+expected+to+reach+usd+8+billion+by+2020
xi GAIL India: TURKMENISTAN-AFGHANISTAN-PAKISTAN-INDIA (TAPI) PIPELINE PROJECT, 01/28/2017, Online: Web, accessed on 20 May 2017, http://www.4-traders.com/GAIL-INDIA-LIMITED-9743098/news/GAIL-India-TURKMENISTAN-AFGHANISTAN-PAKISTAN-INDIA-TAPI-PIPELINE-PROJECT-23770260/
xii Chabahar port: India to build 500 km rail line on southern coast of Iran as part of transit corridor to Afghanistan, 23 May 2016, DNA, Daily News analysis Online: Web, accessed on 21 May 2017, http://www.dnaindia.com/money/report-chabahar-port-india-to-build-500-km-rail-line-on-southern-coast-of-iran-as-part-of-transit-corridor-to-afghanistan-2215791
xiii विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, ईरान यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा मीडिया वक्तव्य (23 मई, 2016), http://www.mea.gov.in/Speeches-Statements hi.htm?dtl/26840/media+statement+by+prime+minister+during+his+visit+to+iran+may+23+2016
xiv India offers $1bn in fresh aid to Afghanistan, September 14, 2016, Online: Web, accessed on 21 May 2017, https://www.dawn.com/news/1283902
xv Dr. Athar Zafar, India-Turkmenistan Relations: Energizing South Asia-Central Asia Connectivity, ICWA: New Delhi
xvi Replacing the TAPI Pipeline with TII? January 4, Online: Web, accessed on 21 May 2017, 2016https://therearenosunglasses.wordpress.com/2016/01/04/replacing-the-tapi-pipeline-with-tii/