सार
इस पत्र में आंतरिक आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है जो राष्ट्रपति जोकोवि के लिए एक चुनौती बना हुआ है क्योंकि वेअपने पद का दूसरा कार्यकाल शुरू कर रहे हैं। ग्लोबल मैरीटाइम फुलक्रम [जीएमएफ] के तहत 2014 में घोषित उनके प्रशासन के विकास के एजेंडे को बाहरी वातावरण से होकर गुजरना होगा जिसमें काफी बदलाव हुए हैं और जिसका प्रभाव उनके पिछले कार्यकाल के दौरान महसूस किया गया था। यह पत्र भारत के साथ हितों के अभिसरण की खोज करता है, जिसके साथ इंडोनेशिया द्विपक्षीय व्यापक रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से सहयोग के लिए एक मजबूत ढांचे के साथ अच्छे द्विपक्षीय संबंधों का आनंद लेता है।
20 अक्टूबर, 2019 को जकार्ता में संसद में अपने उद्घाटन समारोह के दौरान शपथ लेते इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोकोविडोडो
श्री जोको विडोडोने 20 अक्टूबर, 2019 को दूसरी बार इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के पद की शपथ ली। अप्रैल 2019 के चुनावों के परिणामों के अनुसार, उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी श्री प्रबोवो सुबिआन्तोको प्राप्त44.5 प्रतिशत मतों की तुलना में 55.5 प्रतिशत मत मिले। यह जोकोवि के पद के अंतिम कार्यकाल होगा क्योंकि इंडोनेशिया का संविधान एक राष्ट्रपति को केवल दो कार्यकाल के लिए ही राष्ट्रपति पद धारण करने की अनुमति देता है। उनके प्रशासन के दूसरे कार्यकाल में दो मुद्दे हावी होने की अपेक्षा है: अर्थव्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा चुनौतियां।
1997 की एशियाई वित्तीय संकट के बाद से इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था 1960 से 1990 के शुरुआती दशक के बीच देखी गई7 से 10 प्रतिशत का उच्च विकासप्राप्त करने में सक्षम नहीं हो पाई है। 2008 की वैश्विक वित्तीय संकट ने इसकी विकास दर को और भी प्रभावित किया था क्योंकि उस समय वैश्विक मांग में गिरावट और विश्व भर में संरक्षणवादी प्रवृत्तियों में वृद्धि हुई थी। परिणामस्वरूप इंडोनेशिया की आर्थिक वृद्धि 5 से 6 प्रतिशत के बीच स्थिर रह गई थी। दूसरी चुनौती 9/11 सुरक्षा आयाम के बाद के परिदृश्य से है। विभिन्न धार्मिक कट्टरपंथी और अलगाववादी समूहों से हिंसा की बढ़ती घटनाओं के कारण इस विशाल द्वीपसमूह की आंतरिक सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के मुद्दे सवालों के घेरे में आ गए।
कम अनुकूल आर्थिक विकास गाथा
इंडोनेशिया आसियान राज्यों में से सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनिया में 16 वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, 2018 में जिसका सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] अनुमानित रूप से 1.042 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।[1] एशियाई विकास आउटलुक 2019 के अनुसार, इंडोनेशिया की वार्षिक जीडीपी 2019 और 2020 के बीच 5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।[2] चित्र संख्या एक में दिखाई गई इंडोनेशिया की जीडीपी दर्शाती है किजोकोवि के पद के पहले कार्यकाल के दौरान, विकास दर 5 प्रतिशत पर स्थिर रहा था। इसके अलावा, 2012 में वृद्धि दर में आई 6 प्रतिशत की गिरावट यह दर्शाती है कि बाहरी कारकों के अलावा, इसकी आंतरिक आर्थिक संरचना की कमजोरियां वैश्विक बाजार में इंडोनेशिया के व्यापार विस्तार और प्रतिस्पर्धा की क्षमता को सीमित करती हैं।
चित्र संख्या एक: इंडोनेशिया का वार्षिक जीडीपी विकास [प्रतिशत में], 2010-2018[3]
चल रहे अमेरिकी-चीन व्यापार युद्ध और 2008 के वित्तीय संकट के बाद से वैश्विक मांग में गिरावट जैसे बाहरी कारकों ने भी नकारात्मक दबाव डाला है। जबकि ग्लोबल मैरीटाइम फुलक्रम के माध्यम से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को राष्ट्रपति जोकोवि के पहले कार्यकाल के दौरान बड़ा बढ़ावा मिला, पर अपेक्षा के विपरीत7 प्रतिशत का विकास दर प्राप्त ना किया जा सका। मित्सुई एंड को. ग्लोबल स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडोनेशिया के मध्यम विकास दर के लिए इसके विनिर्माण क्षेत्र में आती गिरावट को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। रिपोर्ट से पता चलता है कि इंडोनेशिया समय से पहले “विऔद्योगीकरण”से गुजर रहा है, एक प्रक्रिया जहां विनिर्माण उद्योग का प्रदर्शन औद्योगिक विकास के पर्याप्त स्तर तक आने से पहले ही प्रदर्शन घटने लगता है।इंडोनेशिया के विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट का कारण बनने वाले प्राथमिक कारक के रूप में 2010 में आसियान-चीन मुक्त व्यापार समझौते [एफटीए] की स्थापना के बाद से इंडोनेशिया के बाजार में भारी मात्रा में चीनी आयात को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। एफटीए से पहले इंडोनेशिया के बाजार सुहार्तो की साम्यवाद विरोधी रुख के कारण चीनी आयात से अछूता रहा। एफटीए के बाद, चीन द्वारा निर्मित सस्ते उत्पादों से भयंकर प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप इंडोनेशिया निर्माण क्षेत्र का विस्थापन हुआ है। इसके परिणामस्वरूप इंडोनेशिया चीन को कृषि-आधारित उत्पाद और प्राकृतिक संसाधन निर्यात करने लगा, जबकि चीन से मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल उत्पाद, मशीनरी और परिवहन उपकरण, मोबाइल टेलीफोन, कपड़ा सूत इत्यादि आयात करता था।[4]इंडोनेशिया लगातार चीन के साथ अपना व्यापार घाटा बढ़ा रहा है जो उसका सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। इंडोनेशिया में चीन का निर्यात 2017 में 23.05 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2018 में 27.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि इसका आयात 2017 में 34.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2018 में 45.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।[5] इंडोनेशिया का विनिर्माण क्षेत्र चीन से भारी मात्रा में आने वाले माल का मुकाबला ना कर सका और कमजोर वैश्विक मांग का भी दबाव पड़ता रहा। बाहरी कारकों के अलावा, इंडोनेशिया की कई आंतरिक कमजोरियां भी हैं जैसे कि उच्च-प्रौद्योगिकी वस्तु और सेवा क्षेत्र के लिए कुशल श्रम बल की कमी होना। यह इंडोनेशिया की उच्च-प्रौद्योगिकी उत्पादों में उत्पादन और निर्यात में उद्यम की क्षमता को सीमित करता है जो भविष्य में एक विकास क्षेत्र है। उदाहरण के लिए, अन्य वस्तुओं के व्यापार की तुलना में उच्च-प्रौद्योगिकी वस्तुओं में व्यापार बहुत तेज गति से बढ़ रहा है और अनुमान है कि 2030 तक पूरे विश्व में व्यापार की जाने वाली समस्त वस्तुओं में से 25 प्रतिशत उच्च-प्रौद्योगिकी वस्तुओं का व्यापार होगा।
इंडोनेशियाई अर्थव्यवस्था की मंदी को दूर करने का वादावह बड़ा तख्ता था जिसने 2014 में जोकोवि को अपना पहला कार्यकाल जिताया था, लेकिन ये वादा पूरा नहीं हुआ है। उनके दूसरे कार्यकाल में इंडोनेशिया की विकास क्षमता को सीमित करने वाली कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक चुनौतियों का समाधान करना होगा। अन्य राष्ट्रों के साथ आर्थिक सहयोग को मजबूत करके, इंडोनेशिया विकास दर बढ़ाने में मदद कर सकता है ताकि 2045 तक इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके।
आंतरिक सुरक्षा और प्रादेशिक अखंडता की चुनौती
कम अनुकूल अर्थव्यवस्था वृद्धि के अलावा, आंतरिक सुरक्षा भी एक प्रमुख मुद्दा रही है। सुहार्तो के बाद की अवधि में जावा के बाहर के क्षेत्रों में स्वाग्रह में जोरदार वृद्धि देखी गई, जो उच्च केंद्रीकृत सरकारी प्रणाली की नज़रों में खटकने लगी। ये क्षेत्र, अपनी मजबूत पहचान के कारण, राष्ट्रपति हबीबी द्वारा27 जनवरी, 1999 को पूर्वी तिमोर में स्वतंत्रता पर जनमत संग्रह करवाने का प्रस्ताव दिए जाने के बाद, स्वतंत्रता की आकांक्षा करने लगे। इसलिए, बढ़ती पहचान की राजनीतिके परिणामस्वरूप तनाव बढ़ने के साथ राजनीतिक रूढ़िवाद, धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरतावाद इंडोनेशिया की सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक चुनौती बनने लगा।
चित्र संख्या दो: इंडोनेशिया का राजनीतिक मानचित्र
स्रोत: https://www.freeworldmaps.net/asia/indonesia/, नवम्बर 4, 2019 को प्राप्त
पापुआ और आसेह प्रांत, जो सुमात्रा द्वीप के उत्तर-पश्चिमी छोर पर स्थित है(चित्र दो) में चल रहेअलगाववादी आंदोलन से इस द्वीपसमूह की स्थिरता और भविष्य की क्षेत्रीय अखंडता पर चिंताएं बढ़ती रही हैं। मजबूत जातीय पहचान के मुद्दे पर इन प्रांतों में चल रहे अलगाववादी आंदोलन के कारण उग्रवाद और हिंसा बढ़ी है। उदाहरण के लिए, आसेह प्रांत में, पहचान की एक मजबूत भावना बनी हुई है जो सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी से चलती आ रही है। इंडोनेशिया की आबादी का दो प्रतिशत हिस्सा बनने वाले प्रांत में 100 प्रतिशत लोगमुस्लमान हैं।आसेहने सैन्य आपातकाल के साथ-साथ स्वतंत्रता के लिए लंबे समय तक चलने वाला युद्ध देखा है, जिसके कारण अगस्त 2005 में हेलसिंकी में इंडोनेशियाई सरकार और फ्री आसेहआंदोलन [गेरकान आसेहमेर्देकाया जीएएम] के नेताओं के बीच शांति समझौता पर हस्ताक्षर हुआ। सकारात्मक विकास के बावजूद, आसेह वासियों में पहचान की एक मजबूत भावना बनी हुई है।[6]
फकफक, पश्चिम पापुआ में स्वतंत्रता-समर्थन की हिंसा, अगस्त 21, 2019
पिछले कुछ वर्षों में कुछ उपाय अपनाकर यह प्रांत इंडोनेशिया के बाकी हिस्सों के साथ अधिक समेकित हुआ है, जैसे कि मुख्य स्वतंत्रता-समर्थन समूह, अर्थातजीएएमको क्षेत्रीय सरकार का हिस्सा बनने का प्रस्ताव देना। हालांकि, हाल ही अगस्त 2019 में जातीय उपेक्षा के कारण पश्चिम पापुआ में हुई हिंसा दर्शाती है कि विभिन्न जातीय समूहों के मन में अब भी पहचान का मुद्दा घर किया हुआ है। यह चिंता का कारण है क्योंकि इसकी वजह सेआसेह और पापुआ समेत इंडोनेशिया के अन्य स्वायत्त प्रांतों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। धर्म और जातीयता पर टिकी हुई पहचान की राजनीति अब भी जारी है और ये एक अति संवेदनशील मुद्दा बन गया है जो इंडोनेशिया की क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बना है।
जोकोवि 2.0 के तहत भारत-इंडोनेशिया की साझेदारी
आर्थिक और आंतरिक सुरक्षा का यह जुड़वां मुद्दा राष्ट्रपति जोकोवि के राष्ट्रपति पद के दूसरे कार्यकाल के दौरान एक बड़ी चुनौती बना रहेगा। इससे उभरने के लिए, इंडोनेशिया को अपने पड़ोसी देशों के साथ जुड़ाव को और मजबूत बनाने की आवश्यकता होगी। जैसे-जैसे भारत दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया में अपनी पहुँच को और मजबूत करता जा रहा है, इंडोनेशिया के भूगोल और आसियान के भीतर इसके प्रभाव को देखते हुए, इंडोनेशिया भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार बनता है। व्यापार के मामले में, आसियान देशों में से इंडोनेशिया भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। चित्र संख्या तीन में दिखाया गया बार आरेख 2013 से 2018 तक भारत-इंडोनेशिया द्विपक्षीय व्यापार को इंगित करता है। द्विपक्षीय व्यापार के क्षेत्र में 2005-06 में 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से लेकर2018 में 21.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक की पांच गुना बढ़त हुई है। 2013 से 2018 के बीच इंडोनेशिया को भारत का निर्यात बढ़कर 5.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।उत्पादों के संदर्भ में, भारत में इंडोनेशिया से आयात किए जाने वाली प्रमुख वस्तुएं कोयला और ताड़ का कच्चा तेल है। अन्य आयातों में खनिज, रबर, लुगदी और कागज और हाइड्रोकार्बन भंडार शामिल थे। इंडोनेशिया में भारत के निर्यात में परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद, वाणिज्यिक वाहन, दूरसंचार उपकरण, कृषि वस्तुएं, गोजातीय मांस, स्टील उत्पाद और प्लास्टिक शामिल हैं।[7]
चित्र संख्या तीन: भारत-इंडोनेशिया द्विपक्षीय व्यापार, 2013-2018 [बिलियन अमेरिकी डॉलर में ][8]
मई 2018 में पीएम मोदी की जकार्ता दौरे के दौरान, दोनों पक्षों ने 15 समझौतों / समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए, जिसमें रेलवे, स्वास्थ्य और दवा क्षेत्रों में सहयोग शामिल था। दोनों राष्ट्र ऊर्जा क्षेत्र में अपने सहयोग के दायरे को भी बढ़ा रहे हैं जिसमें तेल और गैस, कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा शामिल हैं।[9] व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते [सीईसीए] की स्थापना के लिए भारत और इंडोनेशिया के बीच चल रही बातचीत, यदि सफलतापूर्वक संपन्न हुई, तो इनकी आपसी साझेदारी और भी बढ़जाएगी। यह समझौता बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्र में गभीर सहयोग का आधार बनेगा जो दोनों देशों के भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, सीईसीए के माध्यम से बाजार की पहुंच आर्थिक विकास और रोजगार पैदा करने के अवसर प्रदान करने साथ-साथ नए क्षेत्रों में आपसी निवेश प्रवाह भी बढ़ाएगा। भारत और इंडोनेशिया के बीच स्थापित व्यापक रणनीतिक साझेदारी इनके मध्य सहयोग और समन्वयक्षेत्र विस्तारकरनेका एक और मंच प्रदान करता है। उन्नत साझेदारी व्यापार और निवेश बढ़ाएगी; और नीली अर्थव्यवस्था विकास सहित समुद्री संसाधनों के सतत विकास के लिए सहयोग का निर्माण भी करेगा।
आतंकवाद और उग्रवाद की घटनाओं के कारण दोनों देशों के सामने खड़ी सुरक्षा चुनौती मानव सुरक्षा के लिए खतरा है और यह सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करता है, जो राष्ट्र निर्माण का आधार है। क्योंकि इंडोनेशिया में दूर-दूर तक फैली भूमि है, जो दक्षिण चीन सागर से लेकर सेलेबस सागर, प्रशांत महासागर और हिंद महासागर तक फैला, इसकी वजह से इंडोनेशिया बाहरी खतरों से ज्यादा असुरक्षित है। इसके अलावा, 26/11 का आतंकवादी हमला, जो समुद्र से किया गया था, ने उस भेद्यता को उजागर किया, जिसका सामना भारत को भी करना पड़ा था और अपनी समुद्री सुरक्षा में सुधार करने की आवश्यकता का भी पता चला। भारत और इंडोनेशिया समान समुद्री सीमा के साथ-साथ समान समुद्री हित और चुनौतियां भी साझा करते हैं। दोनों राष्ट्र विभिन्न पहल और बहुपक्षीय व्यवस्थाओं के माध्यम से सहयोग करते आ रहे हैं। हालांकि, गैर-पारंपरिक रणनीति अपनाने वाले गैर-राज्य कार्यकर्ताओंसे उद्भूत खतरे की बदलती प्रकृति को देखते हुए, दोनों देशों के लिए अपने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग का विस्तार करना अनिवार्य हो जाता है। आवश्यकता है कि वर्तमान की सुरक्षा सहयोग व्यवस्था से आगे बढ़ा जाए और डेटा और खुफिया साझाकरण, क्षमता और योग्यता निर्माण इत्यादि के माध्यम से सहयोग बढ़ाया जाए।
दिसंबर 2016 में राष्ट्रपति जोकोविके भारत दौरे के दौरान, दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय समुद्री सहयोग को मजबूत करने की आवश्यकताऔर साथ ही साथ इस क्षेत्र में अन्य देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया। दोनों राष्ट्रों ने अपने समुद्री सहयोग को और गहरा करने का संकल्प लिया, और इस दिशा में, एक अलग से "समुद्री सहयोग पर वक्तव्य" जारी किया, जिसमें समुद्री सुरक्षा, समुद्री उद्योग, समुद्री रक्षा और नेविगेशन समेत कई क्षेत्र शामिल थे।[10]
क्योंकि आर्थिक विकास और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए संपर्कता एक महत्वपूर्ण पहलु है, दोनों देश अपने सहयोग को गहरा करने पर जोर दे रहे हैं। मई 2018 में भारतीय प्रधान मंत्री के इंडोनेशिया दौरे के दौरान, एक संयुक्त कार्य बल की घोषणा की गई, जिसके तहत सबांग में और उसके आसपास के क्षेत्रों में बंदरगाह संबंधी बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए परियोजनाएँ शुरू की जाएंगी।[11]5 सितंबर, 2019 को इंडोनेशिया के दौरे के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने समकक्ष, रेतनो मर्सुदी से मुलाकात की। दोनों पक्ष, भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और इंडोनेशिया के आसेह प्रांत के बीच संपर्क क्षेत्र समेत समुद्री सहयोग पर विशेष बलदेते हुए द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा बनाने पर सहमत हुए।[12]3 नवंबर, 2019 को थाईलैंड में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय पीएम और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के बीच मुलाकात के दौरान यह दोहराया गया। दोनों नेताओं ने सुरक्षा, व्यापार और संपर्कता पर बल देते हुए द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर सहमति जताई।[13]
3 नवंबर, 2019 को बैंकॉक में आयोजित आसियान शिखर सम्मेलन के मौके पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के साथ भारतीय प्रधान मंत्री की मुलाकात
राष्ट्रपति जोकोवि के दूसरे कार्यकाल के दौरान, आर्थिक विकास सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक परिस्थितियाँ बनाने का प्रयास किया जाएगा जो इस द्वीपसमूह की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। भारत और इंडोनेशिया साझा आदर्शों और हितों की समानता पर आधारित अपने राजनयिक संबंधों के सत्तर साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। यह अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, सतत विकास और साथ ही उभरते हुए भारत-प्रशांत अवधारणा के मुद्दों पर द्विपक्षीय और साथ ही बहुपक्षीय स्तर पर देखे गए अभिसरण का आधार बनता है। इसके अलावा, भारत और इंडोनेशिया द्वारा सामना की जा रहीं आंतरिक चुनौतियां द्विपक्षीय साझेदारी को और मजबूत करने की आवश्यकता को दोहराता है। चूंकि 2019 में भारत और इंडोनेशिया दोनों ने अपनी चुनाव प्रक्रिया पूरी की है, इसलिए हितों और चुनौतियों के मामले में उभरता अभिसरण मौजूदा व्यापक रणनीतिक साझेदारी ढांचे के तहत अपना सहयोग बनाने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
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[1]See: https://data.worldbank.org/country/indonesia, Accessed on October 24, 2019.
[2] See: https://www.adb.org/countries/indonesia/economy, Accessed on October 24, 2019.
[3]“Indonesia’s Annual GDP Growth, 2010-2018”, World Bank, https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.KD.ZG?locations=ID, Accessed on October 24, 2019.
[4]Yuki Fukuoka, Indonesia’s Jokowi to Commence Second Term: Challenges of becoming a leading Economy by 2045”, Mitsui & Co. Global Strategic Studies Institute Monthly Report, July 2019, https://www.mitsui.com/mgssi/en/report/detail/__icsFiles/afieldfile/2019/08/13/1907c_fukuoka_e_1.pdf, Accessed on November 4, 2019.
[5] See: https://globaledge.msu.edu/countries/indonesia/tradestats, Accessed on December 2, 2019.
[6]Harold Crouch, Political Reform in Indonesia After Soeharto, (Institute of Southeast Asian Studies: Singapore, 2010), p. 280-282 and 305.
[7]“India-Indonesia Bilateral Relations”, Embassy of India, Jakarta, Indonesia, https://www.indianembassyjakarta.com/pages?id=eyJpdiI6IldOSklXYVl5b3dvN3kwUmZ4RWRNa0E9PSIsInZhbHVlIjoiak13WXYyMkdcL0lRV0ZcLzUrVjNxbjVRPT0iLCJtYWMiOiJkY2NiNmJmZDA2MWI3YmE5ZGI0NGM2ZmZkYTQ2Yjk2YTk5YmUwZjJhMDY1OGFjYzg4MDcxN2JkNTRmMTRiZGM4In0=&subid=eyJpdiI6IlFGU0JrbWg3VU1vaTZycDN3VTlEclE9PSIsInZhbHVlIjoiWDgzSDFNWWtPUlA2OWpcL2RSUG1sRVE9PSIsIm1hYyI6IjZjZTVkZmMzNTJmZmE4ODUxN2ZmZTViNDZiZjQ4YzcxM2Q0M2RhYjE3NjM1MmEwZTgxMjY1M2M4YzRmOTU0ODQifQ==, Accessed on June 4, 2018.
[8]“India’s Bilateral Trade with Indonesia, 2013-2018”, Department of Commerce, Ministry of Commerce and Industry, Government of India,https://commerce-app.gov.in/eidb/Default.asp, Accessed on November 11, 2019.
[9]“India-Indonesia Economic and Commercial Relations”, Embassy of India, Jakarta, December 31, 2018, https://www.indianembassyjakarta.gov.in/users/assets/pdf/menu/ECRmenu.pdf, Accessed on November 4, 2019.
[10]“India-Indonesia Joint Statement during the State visit of President of Indonesia to India”, Ministry of External Affairs, December 12, 2016, https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/27805/IndiaIndonesia+Joint+Statement+during+the+State+visit+of+President+of+Indonesia+to+India, Accessed on November 4, 2019.
[11]“India, Indonesia to set up task force to enhance connectivity between Andaman and Sabang”, The Economic Times, May 30, 2019, https://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/india-indonesia-to-set-up-task-force-to-enhance-connectivity-between-andaman-and-sabang/articleshow/64385454.cms?from=mdr,
Accessed on October 24, 2019.
[12]“Official Visit of External Affairs Minister to Indonesia (September 04-06, 2019)”, Ministry of External Affairs, September 5, 2019,https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/31800/Official_Visit_of_External_Affairs_Minister_to_Indonesia_September_0406_2019, Accessed on October 24, 2019.
[13]“PM’s Meeting with President of Indonesia”, PM India, November 3, 2019, https://www.pmindia.gov.in/en/news_updates/pms-meeting-with-president-of-indonesia/?comment=disable, Accessed on November 4, 2019.