भारत-जापान के बीच पहली 2 + 2 वार्ता द्विपक्षीय सामरिक संबंधों को मजबुती प्रदान करने हेतु दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह वार्ता भारत और जापान के बीच हितों के बढ़ते अभिसरण के साथ इंडो-पैसिफिक में महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में उभरने के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण है।
पिछले एक दशक में भारत-जापान के बीच संबंध काफी मजबुत हुए हैं। इंडो-पैसिफिक में भू-आर्थिक और भू-आकृतिक हितों में बदलाव ने दोनों देशों को और करीब ला दिया है। उद्घाटन भारत-जापान विदेश और रक्षा मंत्री संवाद (2 + 2) का आयोजन 30 नवंबर, 2019 को नई दिल्ली में किया गया, जिसमें भारत के रक्षा मंत्री, राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री, एस. जयशंकर ने अपने जापानी समकक्षों रक्षा मंत्री तारो कोनो और विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोटेगी से मुलाकात की। 2 + 2 संवाद आयोजित करने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे की उपस्थिति में अक्टूबर 2018 में जापान के टोक्यो में 13वीं भारत-जापान वार्षिक शिखर बैठक में लिया गया।1
जापान अब संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) के बाद एकमात्र दूसरा देश है, जिसके साथ भारत का 2 + 2 संवाद आयोजित होता है। यह संवाद भारत और जापान के बीच 2014 में 'विशेष सामरिक तथा वैश्विक साझेदारी' को आगे बढ़ाने हेतु एक तंत्र के रूप में शुरू किया गया है। यह वार्षिक रक्षा मंत्री के संवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के संवाद, प्रत्येक सेवा के बीच कर्मचारियों के स्तर के संवाद तथा वार्षिक प्रधानमंत्री स्तर के शिखर सम्मेलन सहित रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने हेतु पहले से मौजूद तंत्र को और सुदृढ़ करता है।
उद्घाटन संवाद के दौरान समुद्री सुरक्षा और बचाव सहित सामान्य चिंताओं और हितों के महत्वपूर्ण मुद्दों, भारत-प्रशांत में शांति, समृद्धि और प्रगति का साझा उद्देश्य तथा तंत्र की पहचान करना और सामरिक रक्षा तथा सुरक्षा सहयोग को गहरा करने के तरीके चर्चा हेतु सामने रखे गए थे। यह लेख पहले 2 + 2 संवाद की पृष्ठभूमि में अवसंरचा विकास, समुद्री सुरक्षा, रक्षा और प्रौद्योगिकी सहित कुछ प्रमुख क्षेत्रों में भारत-जापान सामरिक सहयोग को गहरा करने के प्रयासों का मुल्यांकन करता है।
स्रोत: mea.gov.in
इंडो-पैसिफिक के संदर्भ में सामरिक सहयोग
क्योंकि विश्व का आर्थिक और राजनीतिक केंद्र इंडो-पैसिफिक के रुप में बदल गया है, क्षेत्र भू-राजनीति के अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसकी वजह क्षेत्रीय तथा वैश्विक शक्तियों के बीच जटिल अंतर है। भारत-जापान संबंध का इंडो-पैसिफिक की परिवर्तनशील भू-राजनीतिक वास्तविकताओं के व्यापक संदर्भ में विश्लेषण करने की आवश्यकता है।
भारत-जापान सामरिक साझेदारी की मजबूत नींव 2008 में हुई सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त घोषणा द्वारा तय की गई है, जो विशेष रूप से लोकतंत्र तथा कानून के उनके साझा मूल्यों पर जोर देती है और समग्र रूप से दोनों देसों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने हेतु व्यापक ढांचे के लिए प्रतिबद्धता है।2
भारत और जापान इंडो-पैसिफिक में महत्वपूर्ण साझेदार हैं, जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2 + 2 संवाद से पहले जापानी विदेश और रक्षा मंत्रियों के साथ अपनी बैठक के दौरान जोर लेकर कहा था, कि “जापान के साथ भारत का संबंध इंडो-पैसिफिक में शांति, स्थिरता और समृद्धि के हमारे विजन का एक प्रमुख घटक है, और साथ ही साथ भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी की आधारशिला है।”3 इसी तरह, जापानी विदेश मंत्री तारो कोनो ने कहा कि "भारत स्वतंत्र एवं मुक्त इंडो-पैसिफिक (एफओआईपी) को वास्तविक बनाने हेतु सबसे महत्वपूर्ण भागीदार है।" दोनों देशों में नीति लेख और दस्तावेजों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र हेतु अपने विजन और रणनीति को उन्नत किया है, जिसका विश्लेषण करने पर यह प्रकृति में पूरक प्रतीत होता है। शांगरी-ला वार्ता 2018 में अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया भारत का विजन "इंडो-पैसिफिक (जो अफ्रीका के तटों से अमेरिका तक फैला है) “मुक्त, खुली और समावेशी” है।” उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि इंडो-पैसिफिक "सीमित सदस्यों का समूह" नहीं है और आसियान केंद्रीयता दृष्टि से अभिन्न है।4 दूसरी ओर, जापान ने 2016 में अपनी विदेश नीति की रणनीति में एफओआईपी को पहले से ही शामिल कर लिया है। रणनीति "दो समुद्रों के क्षेत्र के रूप में आसियान के साथ एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों के बीच संपर्क, कानून का शासन, नेविगेशन की स्वतंत्रता, बाजार अर्थव्यवस्था" को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।5 संवाद के दौरान दोनों पक्षों ने जून 2019 में इंडो-पैसिफिक पर आसियान दृष्टिकोण (एओआईपी) का भी स्वागत किया, जो जून 2019 में सामने आया और "संवाद और सहयोग" के माध्यम से इस क्षेत्र में "शांति, स्थिरता और समृद्धि हेतु सक्षम वातावरण को बढ़ावा देने" का समान दृष्टिकोण साझा करता है।6
जापानी पक्ष ने नवंबर, 2019 में बैंकाक में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (आईपीओआई) का स्वागत करते हुए सुरक्षित और स्थिर समुद्री क्षेत्र को बढ़ावा देने का भी स्वागत किया। आईपीओआई समुद्री सुरक्षा; समुद्री संसाधनों का स्थायी उपयोग; आपदा की रोकथाम और प्रबंधन के केन्द्रित क्षेत्रों में इच्छुक राष्ट्रों के बीच साझेदारी बनाने पर भी जोर देता है।7 जापान इस पहल को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भागीदार हो सकता है। वास्तव में, जापानी विदेश मंत्री ने जापान की एफओआईपी पहल, एओआईपी और आईपीओआई के बीच समानता और तालमेल पर जोर दिया।8 इसलिए, शांति, समृद्धि और प्रगति के साझा उद्देश्य और इंडो-पैसिफिक को मुक्त, खुला और समावेशी बनाने की साझा प्रतिबद्धता भारत-जापान सामरिक सहयोग को गहरा करने में मजबूत आधार प्रदान करती है।
भारत-जापान साझेदारी में प्राथमिकता का क्षेत्र इंडो-पैसिफिक में कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग कर रहा है। भारत और जापान दोनों भारत में विशेष रूप से देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के माध्यम से कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने तथा साथ ही “खुली, पारदर्शी और गैर-विशिष्ट” तरीके से तीसरे देशों जैसे श्रीलंका (कोलंबो पोर्ट पर संयुक्त रूप से ईस्ट कंटेनर टर्मिनल बनाने के लिए), म्यांमार, बांग्लादेश और अफ्रीका में चल रही परियोजनाओं में भागीदार रहे हैं।9 2017 में शुरू किया गया एक्ट ईस्ट फोरम भारत के "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" और जापान के एफओआईपी के बीच भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के आर्थिक आधुनिकीकरण हेतु परियोजनाओं की पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दूसरी ओर, 'एशियाई अफ्रीकी विकास कॉरिडोर’(एएजीसी) एशिया और अफ्रीका के उप-क्षेत्रों के बीच देशों की "विकास आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं" के साथ कनेक्टिविटी और सहयोग को बढ़ावा देने हेतु महत्वपूर्ण है।10 इस क्षेत्र में औद्योगिक गलियारों और औद्योगिक नेटवर्क को विकसित करने के लिए बी 2 बी एक्सचेंजों को बढ़ाने के लिए “एशिया-अफ्रीका क्षेत्र में जापान-भारत व्यापार सहयोग के लिए मंच” की स्थापना के लिए भी बातचीत चल रही है। स्मार्ट द्वीपों का विकास, पारिस्थितिक प्रबंधन और आपदा जोखिम में कमी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनपर दोनों देश भविष्य के सहयोग के लिए ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। जापान अन्य अवसंरचना निवेश भागीदारी में भी शामिल है, जिसे व्यापक रूप से चीन के बीआरआई का मुकाबला करने के लिए स्पष्ट प्रयास के रूप में देखा जाता है, जैसे अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ त्रिपक्षीय साझेदारी और यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ हाल ही में किया गया समझौता।11
द्विपक्षीय संबंधों को आकार देने में क्षेत्रीय भू-राजनीतिक मजबूरियां निश्चित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इंडो-पैसिफिक में भू-राजनीति एक प्रवाह में है, जो अमेरिका और चीन के बीच भू-आर्थिक तनाव की वर्तमान पृष्ठभूमि को देखते हुए, भारत-चीन सामरिक प्रतिस्पर्धा और जापान तथा चीन के बीच तनाव पर विशेष रूप से पूर्वी चीनी समुद्र में सेनकाकू / जियाओयू द्वीपों के विवाद पर है। चीन का उदय और भारत-अमेरिका संबंधों में कुछ हद तक हुए महत्वपूर्ण परिवर्तन ने भारत और जापान के बीच बदलते समीकरण में योगदान दिया है। भारत और जापान दोनों में, क्षेत्र में चीन की मुखरता के प्रति कुछ हद तक चिंताएं है, जिसमें बेल्ट रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत इसकी व्यापक कनेक्टिविटी परियोजनाओं के विस्तार, गैर-पारदर्शी और निरंतर प्रकृति विशेष है। 2 + 2 संवाद के दौरान दोनों पक्षों ने दक्षिण चीन सागर में स्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की और समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (यूएनसीएलओएस) और अन्य अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मिलकर एक प्रभावी और महत्वपूर्ण, आचार संहिता के जल्द समापन की आवश्यकता पर जोर दिया।
आसियान और आसियान के नेतृत्व वाले मंचों के प्रति प्रतिबद्धता सहित बहुपक्षीय सहयोग, समग्र भारत-जापान संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू है। 2 + 2 संवाद के दौरान, दोनों पक्षों ने भारत-जापान-अमेरिका (जेएआई) के बीच त्रिपक्षीय सहयोग में हाल की महत्वपूर्ण प्रगति को चिन्हित किया। पहली बार त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए ब्यूनस आयर्स में दिसंबर, 2018 में जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर तीनों देशों के शासनाध्यक्षों की मुकाता त्रिपक्षीय संबंध की गति को दर्शाता है। तीनों पक्षों ने अपने साझा बुनियादी मूल्यों को दोहराया और सतत विकास, समुद्री सुरक्षा, कनेक्टिविटी, आपदा राहत और नेविगेशन की स्वतंत्रता सहित सहयोग के केन्द्रित क्षेत्रों पर प्रकाश डाला।12
जुलाई 2019 में जापान में आयोजित मालाबार अभ्यासों, माइन-काउंटरमेशर्स अभ्यास (एमआईएनईएक्स) और 'कोप इंडिया' वायु सेना के अभ्यास में त्रिपक्षीय सहयोग भी परिलक्षित होता है जिसमें जापान ने दिसंबर 2018 में एक पर्यवेक्षक के रूप में भाग लिया था। अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ 'चतुर्भुज सुरक्षा संवाद' (क्वाड) का भी विशेष महत्व है, जो इस स्तर पर परामर्श तंत्र के रूप में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। हाल ही में 'क्वाड' प्रारूप में जापान-भारत-ऑस्ट्रेलिया-अमेरिका के विदेश मंत्री स्तरीय परामर्श बैठक सितंबर 2019 में न्यूयॉर्क में आयोजित की गई थी।
इसलिए, जिस तरह इंडो-पैसिफिक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है, भारत और जापान के बीच संबंध क्षेत्र में उभरते भू-राजनीतिक रुझानों को आकार देने में काफी भूमिका निभाएंगे।
रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना
दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना 2 + 2 संवाद का प्रमुख एजेंडा था। भारत और जापान ने 2014 में रक्षा सहयोग और आदान-प्रदान पर ज्ञापन पर सहमति व्यक्त की है। दोनों देशों के सशस्त्र बलों के सभी तीन घटक द्विपक्षीय अभ्यास में संलग्न हैं। संवाद में मंत्रियों ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच हाल ही में आयोजित 'धर्म गार्जियन’ 2019 और वायु सेनाओं के बीच दूसरे ‘शिन्यु मैत्री अभ्यास 2019’ का स्वागत किया। दोनों देश पहले संयुक्त लड़ाकू विमान अभ्यास करने पर भी सहमत हुए हैं।
2 + 2 संवाद के दौरान चर्चा का महत्वपूर्ण विषय समुद्री सुरक्षा और बचाव हेतु स्वतंत्र, खुला, समावेशी और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक के लिए सहयोग था। आर्थिक और सामरिक दृष्टि से इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और स्थिरता भारत तथा जापान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों देश समुद्रों पर बहुत अधिक निर्भर हैं, उनका लगभग 90% व्यापार समुद्री मार्गों से होता है। दोनों देशों ने क्षेत्र के महत्वपूर्ण जलमार्गों के माध्यम से जहाजों के सुरक्षित मार्ग के लिए आगे सहयोग करने की इच्छा व्यक्त की है। भारत तथा जापान समुद्री क्षेत्र में सहयोग और नीतिगत कार्यों के क्षेत्रों की पहचान करने हेतु नियमित समुद्री संवाद करते हैं। 5वीं भारत-जापान समुद्री मामलों की वार्ता 24 दिसंबर 2019 को टोक्यो में आयोजित की गई थी। 2 + 2 संवाद के दौरान दोनों पक्षों ने 2018 में दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सहमति से विशेष रूप से मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (एमडीए) में सहयोग बढ़ाने हेतु समुद्री सहयोग के लिए कार्यान्वयन व्यवस्था के समापन का स्वागत किया।
2012 के बाद से दो देशों के नौसैनिक द्विपक्षीय अभ्यास जेआईएमईएक्स के लिए मिलते हैं, जापान 2015 के बाद से मालाबार अभ्यास में भारत तथा अमेरिका के साथ एक स्थायी भागीदार बन गया है। त्रिपक्षीय मालाबार 2019 का 23वीं बार आयोजन जापान के तट पर हुआ, जिसका उद्देश्य साझा मूल्यों और सिद्धांतों के आधार पर अंतर-क्षमता को बढ़ाना है। दोनों देशों के तट रक्षक संयुक्त अभ्यास भी किया; जिसमें 'सहयोग-काइजिन-XV' नामक अभ्यास जनवरी 2018 में आयोजित किया गया था।स्रोत: https://twitter.com/indiannavy
इसके अलावा, दोनों नौसेनाएं सूचना के आदान-प्रदान और सर्वोत्तम प्रथाओं, सद्भावना यात्राओं और बंदरगाह यात्राओं में भी भाग लेती हैं, जैसे जापानी नौसेना का जहाज सज़ानामी 25 दिसंबर 2019 को तीन दिवसीय यात्रा के लिए मुंबई पहुंचा था। आत्मविश्वास और क्षमता निर्माण, समुद्री सुरक्षा के लिए सूचनाओं का आदान-प्रदान, समुद्री डकैती और आतंकवाद का मुकाबला करना, मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) खोज और बचाव (एसएआर) और एमडीए के लिए बढ़ी हुई अंतरप्रक्रिया कुछ ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जहां दोनों देश साथ मिलकर काम कर सकते हैं।
एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक शेयरिंग समझौता यानी एक्विजिशन एंड क्रॉस-सर्विसिंग एग्रीमेंट (एसीएसए) जल्द ही होने की संभावना है। यह उन समझौतों की तर्ज पर होगा जिनपर भारत ने अमेरिका और फ्रांस के साथ हस्ताक्षर किए हैं। निष्कर्ष निकालने के बाद यह भारतीय और जापानी नौसेना के बीच अन्तरसंक्रियता को बढ़ाने में योगदान देगा।
रक्षा उद्योग और प्रौद्योगिकी द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को बढ़ाने के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभर रहा है, जो 2 + 2 संवाद के दौरान भी केंद्र में था। भारत-जापान ने 2016 में रक्षा उपकरण और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण पर द्विपक्षीय समझौते पर अपने विशेष सामरिक तथा वैश्विक भागीदारी के हिस्से के रूप में हस्ताक्षर किए। दोनों देश सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों से जुड़े सहयोग पर जोर देने को तैयार हैं। भारत और जापान के बीच पहला रक्षा उद्योग मंच सितंबर 2017 में आयोजित किया गया था। नई दिल्ली द्वारा यूएस-2 उभयचर विमान की खरीद के संबंध में भी प्रयास जारी हैं। जापान भारत में हवाई जहाजों के विनिर्माण और संयोजन के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए सहमत हो गया है। इस अधिग्रहण से भारतीय नौसेना की मौजूदा एचएडीआर / एसएआर और एमडीए क्षमताएं बढ़ जाएंगी।
सामरिक साझेदारी को बढ़ाते हुए दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों ने जुलाई 2018 में पहले 'दृश्य सहकारी स्थानीयकरण एवं मानचित्रण (एसएलएएम) आधारित ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) आधारित मानव रहित ग्राउंड व्हीकल (यूजीवी) / रोबोटिक्स' के लिए प्रौद्योगिकी पर अनुसंधान के विषय में पहली बार सहकारी अनुसंधान परियोजना व्यवस्था पर सहमति व्यक्त की है। अधिग्रहण के परिणामस्वरूप, जापान की प्रौद्योगिकी एवं रसद एजेंसी (एटीएलए) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने यूजीवी और रोबोटिक्स के विकास के क्षेत्र में पहली संयुक्त परियोजना पर काम करने पर सहमति व्यक्त की है। इसलिए, द्विपक्षीय तकनीकी क्षमता का निर्माण करके रक्षा सहयोग के विस्तार की संभावना बहुत अधिक है।
निष्कर्ष
पहली 2 + 2 बैठक ने दोनों पक्षों के लिए सामरिक रूप से इंडो-पैसिफिक के संदर्भ में रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर विचारों की स्थिति की समीक्षा करने और आदान-प्रदान करने का समयबद्ध अवसर प्रदान किया। क्योंकि भारत एसएजीएआर (सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और आईपीओआई के दृष्टिकोण के तहत पारस्परिक रूप से सहायक और सहकारी तरीके से क्षेत्र में आर्थिक संबंधों तथा विकास को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है, जापान दोनों पहलों में भारत का एक महत्वपूर्ण भागीदार होगा। इसी तरह जापान के लिए, भारत उसकी एफओआईपी पहल के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है। संक्षेप में, भारत-जापान संबंध इस क्षेत्र में सबसे मजबूत संबंध हो सकते हैं। 2 + 2 संवाद और बाद की बातचीत में समुद्री सुरक्षा, बुनियादी ढांचे, रक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग पर ध्यान देने के साथ, दोनों देश क्षेत्र में मुक्त, खुले, समावेशी और नियमों पर आधारित व्यवस्था के अपने साझा उद्देश्यों के लिए अपनी साझेदारी को बढ़ा सकते हैं। भारत-जापान सामरिक संबंधों को और गहरा करने हेतु चर्चाओं को आगे बढ़ाने के लिए अगली उच्च स्तरीय 2 + 2 बैठक 2020 में टोक्यो में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है।
*डॉ. प्रज्ञा पाण्डेय, रिसर्च फेलो, विश्व मामलों की भारतीय परिषद।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
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अंत टिप्पण
[1]India-Japan Vision Statement, October 29, 2018 https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/30543/IndiaJapanVisionStatement
2 Joint Declaration on Security Cooperation between Japan and India, https://www.mofa.go.jp/region/asia-paci/india/pmv0810/joint_d.html
3 Foreign Minister and Defense Minister of Japan call on Prime Minister, November 30, 2019, https://mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/32129/Foreign_Minister_and_Defense_Minister_of_Japan_call_on_Prime_Minister
5 Mission of Japan to ASEAN, https://www.asean.emb-japan.go.jp/files/000352880.pdf
6 ASEAN Outlook on the Indo-Pacific, https://asean.org/storage/2019/06/ASEAN-Outlook-on-the-Indo-Pacific_FINAL_22062019.pdf
7 Transcript of Media Briefing by Secretary (East) during PM's visit to Thailand (November 04, 2019),https://www.mea.gov.in/media-briefings.htm?dtl/32007/Transcript_of_Media_Briefing_by_Secretary_East_during_PMs_visit_to_Thailand_November_04_2019
8 Extraordinary Press Conference by Foreign Minister Motegi Toshimitsu
Saturday, November 30, 2019, New Delhi, https://www.mofa.go.jp/press/kaiken/kaiken4e_000727.html
9 India-Japan Vision Statement, 29 October 2018, https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=184458
10 Asia Africa Growth Corridor: Partnership for Sustainable and Innovative Development, A Vision Document, Africa Development Bank Meting, Ahmedabad, India, May 2017, http://www.eria.org/Asia-Africa-Growth-Corridor-Document.pdf, p.6
11 India-Japan Vision Statement, October 29, 2018, https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/30543/IndiaJapan_Vision_Statement,
12 Japan has agreed to partner the EU in September 2019 to promote connectivity between Asia and Europe see: https://eeas.europa.eu/headquarters/headquarters-homepage/68018/partnership-sustainable-connectivity-and-quality-infrastructure-between-european-union-and_en
13 In first-ever trilateral summit, India-Japan-US focus on ‘inclusive' Indo-Pacific , Indrani Bagchi, Times of India, 01 December 2019, https://timesofindia.indiatimes.com/india/in-first-ever-trilateral-summit-india-japan-us-focus-on-inclusive-indo-pacific/articleshow/66889722.cms, Accessed on May 18, 2019
14 5th Round of India-Japan Maritime Affairs Dialogue, December 26, 2019
https://mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/32240/5th_Round_of_IndiaJapan_Maritime_Affairs_Dialogue
15 Japan and India initiate cooperative research on Unmanned Ground Vehicles and Robotics, 01 August 2018, https://www.in.emb-japan.go.jp/itpr_en/00_000647.html