सार
यूरोपीय संघ और भारत इस दृष्टिकोण को साझा करते हैं कि संपर्कता का उपगमन पर्यावरणीय, आर्थिक, सामाजिक और वित्तीय रूप से स्थायी होना चाहिए और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों का सम्मान करते हुए और शासन बढ़ाते हुए व्यवसायों के लिए एक स्तरीय खेल मैदान प्रदान करना चाहिए। दोनों अभिकर्ता अब क्षेत्रीय संपर्कता के मानदंडों को आकार देने की दिशा में काम कर रहे हैं। अब तक, भारत के साथ यूरोपीय संघ के संबंधों को आर्थिक और व्यापारिक सहयोग से पहचाना गया है जिसमें सामरिक पहलू शिथिल पड़ा हुआ था। भारत और यूरोपीय संघ के बीच स्थायी संपर्क प्राप्त करने की यह क्षमता अब तक अप्रयुक्त रही है और यह दोनों के बीच सहयोग बढ़ाने की संभावना बढ़ाता है और अपनी साझेदारी को सामरिक बनाने का अवसर प्रदान करता है।
परिचय
यूरोपीय संघ (ईयू) और भारत, दोनों के लिए संपर्कता पहल उनके संबंधित विकास लक्ष्यों के प्रमुख संचालक के रूप में उभरे हैं। हाल के वर्षों में, यूरोपीय संघ और भारत ने अपने संबंधित पड़ोस क्षेत्रों में संपर्कता पहल को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण निवेश किया है। भारत पर यूरोपीय संघ की रणनीति में दोनों भागीदारों के बीच संपर्कता को सहयोग हेतु उच्च क्षमता वाले क्षेत्र के रूप में भी पहचाना गया था। हालांकि भारत ने अब तक संपर्कता पर एक नीतिगत रूपरेखा तैयार नहीं की है, जबकि यूरोपीय संघ 2018 में “यूरोप और एशिया को जोड़ना: ईयू रणनीति के लिए भवन खंड” नामक अपना सामरिक दस्तावेज प्रकाशित कर चुका है। यह पत्र यूरोप और भारत में संपर्कता की दिशा में अभिसरण की तलाश करता है। यह कई सवाल उठाता है, जैसे कि भारत के साथ संपर्कता पहल पर सहयोग करने के लिए यूरोपीय संघ द्वारा स्वयं की भूमिका की परिकल्पना क्या है, क्या संपर्कता की आम समझ बीआरआई परियोजनाओं के विस्तार से प्रभावित हुई है या नहीं आदि।
संपर्कता की दिशा में उपगमन
यूरोपीय संघ ने अपनी वैश्विक रणनीति 2016 में उजागर किया कि, “यूरोपीय समृद्धि और एशियाई सुरक्षा के बीच एक सीधा संबंध है… हम (ईयू) आतंकवाद-रोध, तस्करी-रोध और प्रवासन पर अपना सहयोग गहराएंगे और इसके साथ-साथ परिवहन, व्यापार और ऊर्जा संपर्कता को बढ़ाएंगे।” (बल देते हुए कहा)i यूरोपीय आयोग और यूरोपियन एक्सटर्नल एक्शन सर्विस ने “‘सॉफ्ट’ और ‘हार्ड’ दोनों तत्वों, अंतर और अंतः-क्षेत्रीय संपर्कता और वाणिज्य संबंधी नीतियों” को शामिल करते हुए संपर्कता को परिभाषित करने के उद्देश्य से 2017 में एक यूरो-एशियन संपर्कता मैपिंग एक्सरसाइज का आयोजन किया।ii इसमें परिवहन (सड़क, रेल, वायु और समुद्री); ऊर्जा (नवीकरणीय और गैर-नवीकरणीय स्रोत); लोगों-से-लोगों का संपर्क (युवा और संस्कृति, अनुसंधान, नवाचार, शिक्षा); और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्र शामिल थे। मैपिंग एक्सरसाइज के संयुक्त कर्मचारी कार्य दस्तावेज में कहा गया है कि, “अच्छी गुणवत्ता के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से स्थायी अवसंरचनाएं संपर्कता की दिशा में यूरोपीय संघ के दृष्टिकोण के लिए सर्वोपरि है। इस तरह की अवसंरचनाएं सुरक्षित और लचीली होनी चाहिए; इसमें जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन शामिल होना चाहिए; उचित परिणाम के लिए निवेशों की सुरक्षा हेतु सामान्य पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन मानकों का पालन होना चाहिए; और इसमें कोई भी पीछे नहीं छूटना चाहिए। संपर्कता हस्तक्षेपों की वित्तीय स्थिरता न केवल एक विकासात्मक चिंता है बल्कि इसका एक व्यापक राजनीतिक निहितार्थ भी है।”iii
संपर्कता की यह विस्तृत परिभाषा और विशेषताएं 2018 में जारी “यूरोप और एशिया को जोड़ना: ईयू रणनीति के लिए भवन खंड” पर यूरोपीय संघ की रणनीति का आधार है। यह रणनीति इस बात पर प्रकाश डालती है कि, “यूरोपीय संघ और एशिया के बीच के संबंध वैश्विक महत्व के हैं और आने वाले वर्षों में संबंधों में विकास होने की संभावना है। एशिया, जहाँ विश्व की लगभग 60% आबादी रहती है, यूरोपीय संघ के निर्यात का 35% (€ 618 बिलियन) और यूरोपीय संघ के आयात का 45% (€ 774 बिलियन) बनता है।”iv यह दोहराता है कि आर्थिक अवसरों का दोहन करने और सहयोग बढ़ाने के लिए यूरोप और एशिया को दोनों महाद्वीपों के बीच स्थायी और कुशल संपर्कता बनाने हेतु सहयोग करना चाहिए। रणनीति दस्तावेज़ इसके अलावा संपर्कता के लिए यूरोपीय संघ के दृष्टिकोण को भी परिभाषित करता है: “स्थायी संपर्कता - लंबी अवधि में आर्थिक, वित्तीय, पर्यावरणीय और सामाजिक रूप से स्थिर होना चाहिए; व्यापक संपर्कता - नेटवर्क बनाने की अवधारणा पर आधारित होना चाहिए जिसमें परिवहन, लोगों-से-लोगों का संपर्क, डिजिटल और ऊर्जा संपर्क शामिल है; और नियम आधारित संपर्कता की अवधारणा खुली और पारदर्शी निवेश प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना है”।v
हालाँकि, भारत के पास अब तक कोई लिखित संपर्कता नीति उपलब्ध नहीं है, पर फिर भी यह ऐसी कई परियोजनाओं का अनुसरण कर रहा है जो संपर्कता की इसकी आम समझ को उजागर करते हैं। 2015 में रायसीना संवाद में बोलते हुए, तत्कालीन विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा कि “संपर्कता ... राष्ट्रीय आर्थिक विकास का एक संचालक और एक परिणाम दोनों है - आंतरिक और बाहरी आयामों के साथ ... सामरिक हितों और संपर्कता पहल के बीच परस्पर क्रियाशील गतिशीलता - एक सार्वभौमिक प्रस्ताव – विशेष रूप से हमारे महाद्वीप में झलकती हैं। प्रमुख मुद्दा यह है कि क्या हम परामर्श प्रक्रियाओं के माध्यम से या एक-तरफा फैसलों के माध्यम से अपनी संपर्कता बनाएंगे।” (बल देते हुए कहा)vi संपर्कता पर भारत की दृष्टि प्रधान मंत्री मोदी के विचारों से प्रकट होती है जिसमें “पुलों को बहाल करना और भारत को हमारे तत्काल और विस्तारित भूगोल के साथ पुनः जोड़ना... ऐसी विकास साझेदारी बनाना जो हिंद और प्रशांत महासागर के द्वीपों से लेकर कैरिबियन के द्वीपों तक फैली हो और महान अफ्रीकी महाद्वीप से लेकर अमेरिकी महाद्वीप तक फैली हो”।vii
संपर्कता की दिशा में भारत का दृष्टिकोण बहु-मोडल विकास और अवसंरचना परियोजनाओं पर आधारित है जिसमें रेल और सड़क संपर्क, ऊर्जा सहयोग, सीमा-पार पारगमन, वित्तीय सहायता शामिल हैं। पड़ोसी देशों में चल रही इसकी परियोजनाओं के कुछ उदाहरणों में म्यांमार के साथ कलादान बहु-मोडल पारगमन परिवहन परियोजना और भारत-म्यांमार-थाईलैंड के बीच एक त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना शामिल हैं। इस क्षेत्र को और अधिक एकीकृत बनाने के लिए, 2016 में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के साथ मिलकर भारत ने क्षेत्रीय संपर्कता के विकास में 5 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की, ताकि लोगों के आवागमन और व्यापार को सुविधाजनक बनाया जा सके। इसके तहत, एडीबी की मदद से, भारत दो “प्राथमिक सड़क कॉरिडोर बना रहा है। पहला उत्तरी बंगाल के माध्यम से भारत को बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से जोड़ेगा और दूसरा मणिपुर के माध्यम से भारत-म्यांमार को जोड़ेगा”viii सड़क पहल के साथ, भारत-बांग्लादेश और भारत-म्यांमार सीमा पर कई एकीकृत चेक पोस्ट भी बनाए जाएंगे और चलाए जाएंगे ताकि व्यापार और लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाया जा सके। अपने विकासात्मक सहयोग को आगे बढ़ाते हुए, भारत ने अपने पड़ोसी देशों के विकास संबंधी परियोजनाओं के लिए उन्हें कई ऋण व्यवस्थाएं (एलओसी) प्रदान की है, जैसे कि 2017 में बांग्लादेश में कई परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए बांग्लादेश को 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया थाix; नेपाल के लिए भारत ने “जलविद्युत, सिंचाई और अवसंरचनात्मक परियोजनाओं के वित्तपोषण” हेतु 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का ऋण दिया था”x; इसी तरह श्रीलंका के लिए भी भारत ने इसके रेलवे नेटवर्क के विकास के लिए लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण प्रदान किया है।xi
बहुपक्षीय क्षेत्रीय संपर्कता का एक अन्य उदाहरण अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) है, जो बड़े यूरेशियन क्षेत्र को पाटने के लिए भारत की ओर से किया गया एक प्रयास है। यह 2000 में शुरू की गई थी और 7,200 किलोमीटर लंबी आईएनएसटीसी को एक सबसे छोटे बहु-मोडल परिवहन मार्ग के रूप में परिकल्पित किया गया है जो हिंद महासागर को फारस की खाड़ी के साथ, कैस्पियन सागर और सेंट पीटर्सबर्ग को आपस में जोड़ेगा। भारत एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर (एएजीसी) विकसित करने के लिए जापान के साथ भी साझेदारी कर रहा है। 2016 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान, भारत और जापान दोनों ने एशिया और अफ्रीका के सामाजिक-आर्थिक विकास को संस्थागत बनाने की इच्छा प्रकट की। ग्रोथ कॉरिडोर का उद्देश्य भारत-जापान सहयोग के माध्यम से अफ्रीका में अवसंरचना और डिजिटल संपर्कता विकसित करना है। इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि स्वास्थ्य, अवसंरचना, विनिर्माण और संपर्कता में संयुक्त पहल करना है। भारत और जापान ने संपर्क और अवसंरचनाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए श्रीलंका, म्यांमार और बांग्लादेश को सहयोग के लिए संभावित क्षेत्रों के रूप में पहचाना है।xii
भारत और ईयू के बीच सहयोग या अभिसरण
जहाँ भारत इस क्षेत्र में अवसंरचना और संपर्कता विकास की पहल को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, वहीं ईयू भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यद्यपि संपर्कता पहलों के बारे में उनकी समझ में काफी समानताएं हैं, पर फिर भी ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब पाना आवश्यक है – पहला – क्या ये पहल बीआरआई की प्रगतियों के प्रति एक प्रतिक्रिया है। दोनों भागीदारों के बीच अभिसरण के अनेक क्षेत्रों में से एक क्षेत्र ये है कि वे संपर्कता को कैसे परिभाषित करते हैं। दोनों ने संपर्कता को आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता के आधार पर, अंतर्राष्ट्रीय नियमों और मानदंडों के आधार पर परिभाषित किया है और इसे होस्ट देश के लिए वित्तीय रूप से व्यवहार्य बताया है, यह कहा है कि इसके कारण कोई देश वित्तीय रूप से अस्थिर नहीं बनना चाहिए। यह दृष्टिकोण चीन की बीआरआई के प्रति काफी हद तक एक प्रतिक्रिया प्रतीत होता है। भारत ने कहा है कि, “हमें दृढ़ विश्वास है कि संपर्कता पहल सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों, सुशासन, कानून के शासन, खुलेपन, पारदर्शिता और समानता पर आधारित होनी चाहिए, और इसका अनुसरण इस तरह से करना चाहिए की इससे संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होता हो”।xiii इसने आगे भी स्पष्ट रूप से कहा है कि “संपर्कता पहल को वित्तीय जिम्मेदारी के नियमों का पालन करना चाहिए ताकि ऐसी परियोजनाओं से बचा जा सके जो समुदायों के लिए अस्थायी ऋण बोझ पैदा करेंगी; संतुलित पारिस्थितिक और पर्यावरणीय संरक्षण और संरक्षण मानकों; परियोजना लागत का पारदर्शी मूल्यांकन; और परिसंपत्तियों के दीर्घकालिक परिचालन और रखरखाव में सहायता के लिए कौशल और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के नियमों का भी पालन करना चाहिए”।xiv यूरोप के भीतर भी बीआरआई को लेकर बहस छिड़ी हुई है, और देखा गया है कि ये यूरोपीय हितों और पर्यावरणीय मानकों, गैर-पारदर्शी वित्तीय नियमों आदि को कमजोर करता है, इसे एक खतरे के रूप में भी देखा जाता है, क्योंकि चीन ने दक्षिण-पूर्वी यूरोप में इसमें निवेश बढ़ा दिया है और ग्रीस में एक बंदरगाह भी खरीद लिया है।xv
संक्षेप में, दोनों भागीदार अपने-अपने पड़ोस में बीआरआई परियोजनाओं के निहितार्थों को लेकर एक-समान चिंताएं साझा करते हैं। बहरहाल, भारत द्वारा शुरू की गई संपर्कता परियोजनाओं को बीआरआई की प्रतिक्रिया के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। हालांकि, भारत ने बीआरआई के संबंध में संपर्कता की अपनी परिभाषा तैयार की है, पर फिर भी इसकी संपर्कता परियोजनाएं 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में शुरू की गई थीं।
दूसरा सवाल जिसका जवाब पाना आवश्यक है - दक्षिण एशिया में संपर्कता को आगे बढ़ाने में यूरोपीय संघ अपनी क्या भूमिका देखता है – एशिया अपने विकास क्षमता का दोहन करने के लिए अपना संपर्कता नेटवर्क सुधार रहा है, अपनी बाधित रहने वाली परियोजनाओं के लिए अपनी संसाधन उपलब्धता बढ़ा रहा है। एडीबी की ‘एशिया की अवसंरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करना (2017)’ नामक एक रिपोर्ट के अनुसार इसकी जलवायु-समायोजित अवसंरचना विकास में “...एशिया के विकास के लिए 2016 से लेकर 2030 तक 15-सालों में 26 ट्रिलियन डॉलर, या 1.7 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष निवेश करने की आवश्यकता होगी”।xvi यूरोपीय संघ स्वयं को इस क्षेत्र में एक स्थायी, व्यापक और नियम-आधारित संपर्कता विकसित करने में मदद के लिए एक उपयुक्त भागीदार के रूप में देखता है। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ ने “यूरोप और एशिया को जोड़ना: ईयू रणनीति के लिए भवन खंड” में अपने “सुविकसित यूरोपीय-पार परिवहन नेटवर्क (टीईएन-टी) रूपरेखा को एशियाई नेटवर्क के साथ जोड़ने” के लिए एक प्रस्ताव रखा है। टीईएन-टी एक बहु-मोडल परियोजना है जिसके तहत “रेलवे मार्गों, सड़कों, अंतर्देशीय जलमार्गों, समुद्री नौवहन मार्गों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों और रेलवे टर्मिनलों की एक यूरोप-व्यापी नेटवर्क स्थापित की गई है”।xvii इस एकीकृत अवसंरचना में 217,000 किमी रेल मार्ग, 77,000 किमी सड़कें, 42,000 किमी अंतर्देशीय जलमार्ग, 329 प्रमुख बंदरगाह और 320 हवाई अड्डे शामिल होंगे।xviii कोर नेटवर्क 2030 तक और व्यापक नेटवर्क 2050 तक पूरा होने की उम्मीद है।1 संपर्कता की रणनीति बताती है कि यूरोपीय संघ साझेदारों को अपना एकीकृत परिवहन प्रणाली मैप करने के लिए अपनी विशेषज्ञता और तकनीकी ज्ञान प्रदान कर सकता है, और जहां भी उपयुक्त हो, अवसंरचना विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए धन प्रदान कर सकता है।
चित्र 1: टीईएन-टी नेटवर्क
स्रोत: टीईएन-टी नेटवर्क्स, यूरोपीय आयोग, https://ec.europa.eu/transport/themes/infrastructure/news/ten-t-corridors_en
यूरोपीय संघ विभिन्न वित्तीय साधनों के माध्यम से स्थायी वित्तपोषण और संसाधनों के बेहतर संघटन का एक वैकल्पिक सुझाव देता है। इसके लिए वित्तपोषण दो योजनाओं के माध्यम से उपलब्ध होगा। पहला, यूरोपीय आयोग ने 2021-2027 के लिए अपने बहुराष्ट्रीय वित्तीय रूपरेखा में स्थायी संपर्कता में निवेश को शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत, यूरोपीय संघ ने “प्रबलित ईयू गारंटी के माध्यम से सार्वजनिक और निजी वित्तपोषण जुटाने की योजना बनाई है, जो अनुदानों और ऋणों से पूरा होगा”।xix वैकल्पिक तरीका है अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ भागीदारी करना। यूरोपीय निवेश बैंक और यूरोपीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में अवसंरचनात्मक और संपर्कता पहलों को शामिल करने के लिए ऋण प्रदान किए हैं। अब एडीबी और एशियन अवसंरचना निवेश बैंक (एआईआईबी) के साथ यूरोपीय संघ का सहयोग बढ़ाने और विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की तरकीब लगाई जा रही है। यूरोपीय संघ आर्थिक राजनय में अपने प्रयासों को बढ़ाना चाहता है और “एसएमई पर ध्यान देते हुए यूरोपीय और एशियाई व्यवसायों के साथ मिलान के लिए मंचों का समर्थन करने का इरादा रखता है, और यूरो-एशियाई संपर्कता के लिए एक व्यवसाय परामर्शी समूह बनाने की परिकल्पना करता है”।xx
तीसरा सवाल यह है कि क्या यूरोपीय संघ अपने अवसंरचना और संपर्कता विकास के घरेलू तलाश में भारत के साथ संलग्न हो सकता है – अभिसरण की स्थिति दोनों भागीदारों को संपर्कता के लिए एक सुसंगत नीति योजना तैयार करने का अवसर प्रदान करती है। यूरोपीय संघ ने संपर्कता पर अपनी रणनीति में भारत को एक प्राथमिक देश के रूप में पहचाना है और 2017 भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि “संपर्कता पहल सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों, सुशासन, कानून के शासन, खुलेपन, पारदर्शिता और समानता पर आधारित होना चाहिए और इसे वित्तीय जिम्मेदारी, जवाबदेह ऋण वित्तपोषण प्रथाओं, संतुलित पारिस्थितिक और पर्यावरणीय संरक्षण, संरक्षण मानकों और सामाजिक स्थिरता के नियमों का पालन करना चाहिए”।xxi चूंकि संपर्कता हार्ड अवसंरचना और सॉफ्ट अवसंरचना दोनों को संदर्भित करता है,xxii इसलिए ईयू भारत में कई सॉफ्ट अवसंरचना विकास पहल में शामिल रहा है। यूरोपीय निवेश बैंक (ईआईबी) ने भारत में तीन अलग-अलग मेट्रो लाइनों के लिए ऋण प्रदान किया है - लखनऊ मेट्रो लाइन के लिए €450 मिलियन, पुणे में दो मेट्रो लाइनों के निर्माण में सहायता के लिए €600 मिलियन और बैंगलोर में नया मेट्रो लाइन बनाने के लिए €500 मिलियन का ऋण प्रदान किया है।xxiii यूरोपीय संघ भारत के विभिन्न उपक्रमों जैसे कि 'स्मार्ट सिटीज़' में एक सक्रिय भागीदार है, जहाँ दोनों भागीदारों ने “स्मार्ट और सतत शहरीकरण के विकास” में अपना सहयोग बढ़ाने के लिए एक संयुक्त कार्य योजना 2019-2020 पर हस्ताक्षर किया है”xxiv जो भारत की 'मेक इन इंडिया' योजना के अनुरूप हैं और जो “गुणवत्ता और लचीले अवसंरचना विकास का लक्ष्य रखते हैं”। इसके तहत, ईआईबी “मेट्रो परियोजनाओं में अपने निवेश से अलग शहरी परिवहन में €1 बिलियन तक के मूल्य की अतिरिक्त निवेश परियोजनाएं आरम्भ करेगा”।xxv
संपर्कता की समझ का दायरा बढ़ाते हुए - लोगों से लोगों का संपर्क, ऊर्जा नेटवर्क्स और डिजिटल संपर्कता अब भारत और यूरोपीय संघ के बीच साझेदारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लोगों से लोगों के संपर्क के संदर्भ में, भारत और यूरोपीय संघ के मध्य एक मजबूत सहयोग बना है जहाँ भारत उच्च शिक्षा के लिए इरास्मस मुंडस फंडिंग का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है। ईयू भारतीय नागरिकों को प्रति वर्ष लगभग 5,800 छात्रवृत्ति वित्त-पोषित करता है और लगभग 200 भारतीय विश्वविद्यालयों को विभिन्न इरास्मस निधियन कार्यक्रमों से लाभ प्राप्त होता है।xxvi इसके अलावा, दोनों पक्ष जीआईएएन योजना2 और इरास्मस+ योजना जैसे पहलों द्वारा सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उभरते डिजिटल संपर्कता क्षेत्र में, भारत और यूरोपीय संघ में उनके अपने-अपने डिजिटल पहल चल रहे हैं जैसे कि क्रमशः डिजिटल इंडिया और डिजिटल सिंगल मार्केट (डीएसएम)। अपने डीएसएम के अलावा, ईयू ने अपने विकासात्मक सहयोग में ‘डिजिटल4डेवलपमेंट’ नामक डिजिटलकरण कार्यक्रम को भी एकीकृत किया है। यह डिजिटल साक्षरता, डिजिटल उद्यमशीलता और रोजगार सृजन, किफायती ब्रॉडबैंड संपर्कता और डिजिटल अवसंरचना को बढ़ावा देने पर बल देता है।xxvii भारत और यूरोपीय संघ दोनों ने अन्य चीजों के साथ-साथ सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) बाजार पहुंच, अनुसंधान और विकास, नवाचार और इंटरनेट शासन जैसे मुद्दों की एक श्रृंखला को संबोधित करके डिजिटल इंडिया और डीएसएम को जोड़ने के अपने प्रयासों को बढ़ाया है।xxviii
संपर्कता की बड़ी परियोजनाओं के अंतर्गत सहयोग का एक अन्य क्षेत्र भारत और यूरोपीय संघ के बीच ऊर्जा नेटवर्क का विकास है। यूरोपीय संघ-भारत स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदारी की स्थापना के साथ, नवीन समाधानों के लिए अनुसंधान और विकास, मौजूदा ऊर्जा प्रणालियों के अंतर्गत नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण और सभी के लिए स्वच्छ और किफायती ऊर्जा तक आसान पहुंच पर बल देते हैं। यूरोपीय संघ की क्षितिज 2020 योजना के अधीन स्वच्छ, सुरक्षित और कुशल ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए लगभग € 9 मिलियन (2018-2020) निवेश किया गया है और यह ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साथ मिलकर बराबर काम कर रहा है।
इस सन्दर्भ में उठने वाला चौथा और आखरी सवाल है - क्या ईयू तीसरे देश में भारत के साथ सहयोग कर सकता है, जापान के साथ भारत की साझेदारी पर आधारित एक मिसाल। जापान, भारत समेत कई दक्षिण एशियाई देशों में अवसंरचना के विकास हेतु एक प्रमुख भागीदार बन कर उभरा है। जापान ने भारत की कई बड़ी परियोजनाओं में अपनी उपस्थिति स्थापित की है जैसे कि बुलेट ट्रेन, वेस्टर्न-फ्रेट कॉरिडोर और रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम। यह पूर्वोत्तर राज्यों में महत्वपूर्ण अवसंरचनात्मक विकास में भी एक सक्रिय भागीदार है। जापान ने भारत के साथ न केवल देश के भीतर अवसंरचना विकसित करने के लिए सहयोग किया है बल्कि जैसा कि पहले कहा गया है दोनों साझेदार मिलकर भारत के पड़ोस में कई अवसंरचना विकास की पहल के साथ-साथ एएजीसी को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहे हैं। इन सहयोगों ने हिन्द-प्रशांत अवधारणा के संचालन को गुंजायमान बनाया है। हिन्द-प्रशांत में, दोनों साझेदार “हिन्द-प्रशांत के अंतर-योजित जल के अधीन आने वाले क्षेत्रों में संपर्कता, अवसंरचना और क्षमता-निर्माण को बढ़ावा देने के लिए” अधिक निकटता से सहयोग करने की योजना बना रहे हैं।xxix अवसंरचना विकास में भारत-जापान सामरिक सहयोग एक ऐसा खाका प्रस्तुत करता है जिस पर यूरोपीय संघ भारत के प्रति अपनी नीतियां बना सकता है। साथ ही, भारत ऐसे साझेदारों की तलाश कर रहा है जो देश के भीतर और साथ ही क्षेत्रीय स्तर पर स्थायी संपर्कता और अवसंरचना विकास को प्राप्त करने में मदद कर सकें। उदाहरण के लिए, भारत और यूरोपीय संघ अफ्रीका में सहयोग के संभावित क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं। दोनों क्षेत्र की विभिन्न अवसंरचना विकास परियोजनाओं में सक्रिय रूप से संलग्न हैं, जिन्हें संपर्कता पहलों में अपने सहयोग का विस्तार करने के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, यूरोपीय संघ अपने भौगोलिक अवस्थिति और आर्थिक भार को देखते हुए भारत और जापान के साथ उनके महत्वाकांक्षी एएजीसी में भी सहयोग कर सकता है।xxx
मूल्यांकन
चूंकि यूरोपीय संघ एशिया में एक प्रमुख निवेशक बनने की इच्छा रखता है, इसलिए यह क्षेत्र के स्थायी वित्त पोषण में अपना योगदान कर सकता है, बेहतर संपर्कता और सीमा पार अवसंरचना जुड़ावों के लिए उन्नत तकनीक प्रदान कर सकता है। यह एशिया में वित्त पोषण संपर्कता पहल के अपने मौजूदा इतिहास और “2014 से लेकर 2020 के बीच एशिया में €8 बिलियन से अधिक के वित्तपोषण प्रबंधन पर बुनियाद बना सकता है, जिनमें से महत्वपूर्ण संसाधन संपर्कता के संदर्भ में द्विपक्षीय और क्षेत्रीय पहल का समर्थन करते हैं, उदाहरण के लिए संपर्कता पर आसियान का मास्टर प्लान और शैक्षिक विनिमय कार्यक्रम एरास्मस+”।xxxi इसके अलावा, 2021-2027 के लिए अगले बहु-वार्षिक बजट में, यूरोपीय आयोग ने यूरोपीय संघ की बाह्य कार्रवाई का बजट बढ़ाकर €123 बिलियन करने का प्रस्ताव रखा है।
आंतरिक और क्षेत्रीय संपर्कता, न केवल भारत के आंतरिक वृद्धि के विस्तार के आर्थों में बल्कि इस क्षेत्र और उसके बाहर भी अपना व्यापार और भूमिका बढ़ाने के लिए भारतीय नीति का केंद्र बनकर उभरा है। भारत की विकास गाथा में सहयोग देकर और इसके संपर्कता पहल में सहयोग देकर, ईयू एक बड़ा भागीदार बन कर उभर सकता है। अब तक, भारत के साथ इसके संबंधों को आर्थिक और व्यापारिक सहयोग से पहचाना गया है जिसमें सामरिक पहलु शिथिल बना रहा है। भारत और यूरोपीय संघ के बीच स्थायी संपर्क प्राप्त करने की यह क्षमता अब तक अप्रयुक्त रही है और यह दोनों के बीच सहयोग बढ़ाने की संभावना बढ़ाता है। यूरोपीय संघ ने भारत के साथ जुड़ने के लिए अपनी तत्परता व्यक्त की है जैसा कि 2018 में जारी ‘भारत पर अपनी रणनीति’ से स्पष्ट है। संपर्कता पर, यह रणनीति बताती है कि, “संपर्कता स्थायी, व्यापक और नियम-आधारित होना चाहिए.....और पर्यावरणीय, आर्थिक, सामाजिक, और वित्तीय रूप से स्थायी होना चाहिए...और ऐसा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का भी सम्मान किया जाना चाहिए”।xxxii ईयू और भारत को संयुक्त रूप से परियोजनाएं अपनाने के लिए, दोनों भागीदारों को आपस में सामरिक विश्वास बढ़ाने और अधिक निवेशों के साथ इसकी पूर्ती करने की आवश्यकता है। दोनों के बीच बेहतर संवाद, नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, स्थायी संपर्कता और निवेशों में पारदर्शिता को बढ़ावा देने में आपसी तालमेल का प्रतीक है। भारत की बदलती विदेश नीति और संपर्कता के मुद्दों के प्रति इसके व्यावहारिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, अब समय आ गया है कि यूरोपीय संघ भारत की महत्वाकांक्षाओं के साथ अपने हितों को निकटता से संरेखित करे।
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*डॉ. अंकिता दत्ता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली की शोधकर्ता हैं।
अस्वीकरण: इसमें व्यक्त किए गए विचार शोधकर्ता के हैं, परिषद के नहीं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
1कोर नेटवर्क में सबसे महत्वपूर्ण कनेक्शन होते हैं जो सबसे महत्वपूर्ण नोड्स को आपस में जोड़ते हैं और व्यापक नेटवर्क सभी यूरोपीय क्षेत्रों को शामिल करता है। कोर नेटवर्क को नौ कोर नेटवर्क कॉरिडोर द्वारा दर्शाया गया है, जिन्हें कोर नेटवर्क के समन्वित विकास को सुव्यवस्थित करने और सुविधाजनक बनाने के लिए पहचाना गया था। दो क्षैतिज प्राथमिकताएँ, यूरोपीय रेल यातायात प्रबंधन प्रणाली (ईआरटीएमएस) और मोटरवे ऑफ़ सी इनके पूरक हैं।
2वैश्विक शैक्षणिक नेटवर्क पहल (जीआईएएन) कार्यक्रम मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से भारत में उच्चतर शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आरम्भ किया गया था। अधिक जानकारी के लिए: http://www.gian.iitkgp.ac.in/cgenmenu/objectives देखें।
अंत टिप्पण:
[i]Shared Vision, Common Action: A Stronger Europe – A Global Strategy for the European Union’s Foreign and Security Policy, EEAS, June 2016, http://eeas.europa.eu/archives/docs/top_stories/pdf/eugs_review_web.pdf, Accessed on 16 December 2019
[ii]Ibid.
[iii]Ibid.
[iv]Connecting Europe and Asia - Building blocks for an EU Strategy, European Commission and EEAS, Brussels, September 2018, https://eeas.europa.eu/sites/eeas/files/joint_communication_-_connecting_europe_and_asia_-_building_blocks_for_an_eu_strategy_2018-09-19.pdf, Accessed on 17 December 2019
[v]Ibid.
[vi]Speech by Foreign Secretary at Raisina Dialogue in New Delhi, Ministry of External Affairs, Government of India, 2 March 2015, https://mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/26433, Accessed on 17 December 2019
[vii]“Inaugural Address by Prime Minister at Second Raisina Dialogue”, MEA, January 17, 2017, mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/27948/Inaugural_Address, Accessed 21 January 2020
[viii]The Indian Express, 11 May 2016, https://indianexpress.com/article/business/business-others/with-adb-aid-india-to-develop-regional-infra-projects-of-5-bn-shaktikanta-das-2794400/, Accessed on 18 December 2019
[ix] The Daily Star, 3 May 2017, https://www.thedailystar.net/world/south-asia/india-cabinet-gives-ex-post-facto-nod-5b-loc-bangladesh-1399999, Accessed on 21 January 2020
[x] The Economic Times, 3 December 2014, https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/finance/exim-bank-extends-1-bn-of-loc-to-nepal/articleshow/45361203.cms?from=mdr, Accesses on 21 January 2020
[xi] The Hindu Businessline, 5 July 2016, https://www.thehindubusinessline.com/economy/india-wants-to-construct-new-rail-line-in-sri-lanka/article8812150.ece, Accessed on 21 January 2020
[xii]Factsheet, India Japan Relations, Ministry of External Affairs, Government of India https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/30544/IndiaJapan+Fact+Sheets, Accessed on 18 December 2019
[xiii]Official Spokesperson's response to a query on participation of India in OBOR/BRI Forum, 13 May 2017Ministry of External Affairs, Government of India, https://mea.gov.in/media-briefings.htm?dtl/28463/Official+Spokespersons+response+to+a+query+on+participation+of+India+in+OBORBRI+Forum, Accessed on 18 December 2019
[xiv]Ibid.
[xv]Dr. Astrid Skala-Kuhmann, European Responses to BRI - An Overdue Assessment, Horizons, Issue No. 14, Center For International Relations And Sustainable Development, 2014, pp. 144-155
[xvi]Meeting Asia’s Infrastructure Needs, Special Report, Asian Development Bank, 2017, https://www.adb.org/sites/default/files/publication/227496/special-report-infrastructure.pdf, Accessed on 19 December 2019
[xvii]Trans-European Transport Network (TEN-T), European Commission, https://ec.europa.eu/transport/themes/infrastructure/ten-t_en, Accessed on 19 December 2019
[xviii]Infrastructure and Investment, Mobility and Transport, European Commission, https://ec.europa.eu/transport/themes/infrastructure_en, Accessed on 20 December 2019
[xix]Connecting Europe and Asia - Building blocks for an EU Strategy, n.4
[xx]Ibid.
[xxi]Joint Statement 14th India-EU Summit, New Delhi, 6 October 2017, https://ec.europa.eu/commission/presscorner/detail/en/STATEMENT_17_3743, Accessed on 20 December 2019
[xxii]Factsheet, Connecting Europe & Asia -The EU Strategy, EEAS, https://eeas.europa.eu/sites/eeas/files/europe_asia_connectivity_factsheet_1.pdf, Accessed on 24 December 2019
[xxiii]EIB in Asia and the Pacific, European Investment Bank, 16 May 2019, https://www.eib.org/attachments/country/the-eib-in-asia-and-the-pacific-en.pdf, Accessed on 24 December 2019
[xxiv] EU India to intensify cooperation on smart and sustainable urbanization, EEAS, 19 September 2019, https://eeas.europa.eu/delegations/india/67566/eu-india-intensify-cooperation-smart-and-sustainable-urbanization_en, Accessed on 24 December 2019
[xxv]Ibid.
[xxvi]The Hindu Businessline, 8 December 2018, https://www.thehindubusinessline.com/news/education/india-largest-recipient-of-erasmus-funding-eu-ambassador/article25697529.ece, Accessed on 26 December 2019
[xxvii] The EU Digital for Development policy, European Commission, https://ec.europa.eu/futurium/en/eu-au-digital-economy-task-force/eu-digital-development-policy-0, Accessed on 26 December 2019
[xxviii]EU-India Partnership on Information and Communication Technology, https://eeas.europa.eu/sites/eeas/files/ict.pdf, Accessed on 26 December 2019
[xxix] Media Statement by Prime Minister during his visit to Japan, Press Information Bureau, November 11, 2016, http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=153525, Accessed on 27 December 2019
[xxx] J. Panda, Is There Space for Europe in the Asia-Africa Growth, Asia Global Online, 7 June 2018, Corridor?https://www.asiaglobalonline.hku.hk/is-there-a-place-for-europe-in-the-asia-africa-growth-corridor/, Accessed on 27 December 2019
[xxxi] Explaining the European Union's approach to connecting Europe and Asia, Press Corner, European Commission, 19 September 2018, https://ec.europa.eu/commission/presscorner/detail/en/MEMO_18_5804, Accessed on 3 January 2020
[xxxii]Joint Communication To The European Parliament And The Council - Elements for an EU strategy on India, European Commission, November 2018, https://eeas.europa.eu/sites/eeas/files/jc_elements_for_an_eu_strategy_on_india_-_final_adopted.pdf, Accessed on 27 December 2019