सारांश
पिछले कुछ वर्षों में रक्षा क्षेत्र में भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंधों में वृद्धि देखी गई है। भारत पर अवरोधोंऔर प्रतिबंधों की अवधि से हीसंयुक्त राज्य अमेरिका सक्रिय रूप से भारतीय रक्षा साझेदारी और निर्यात प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। दोनों राष्ट्र गहरे सैन्य सहयोग हेतु रक्षा संबंध विकसित कर रहे हैं जो इस क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए महत्वपूर्णहोगा। जैसा कि दोनों राष्ट्र त्रिपक्षीय तथा बहुपक्षीय प्रक्रियाओं के माध्यम से एक-दूसरे के साथ जुड़े हैं, 2 + 2 संवाद प्रक्रिया दोनों देशों के पारस्परिक चिंता के मुद्दों पर द्विपक्षीय रूप से जुड़ाव का एक मंच है।
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच पहला2 + 2 संवाद 2018 में आयोजित किया गया था।एक वर्ष के दौरान, दोनों लोकतंत्रों के बीच संबंध अमेरिकी रक्षा हार्डवेयर खरीदने वाले भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में बढ़े हैं, दोनों देशों ने संचार संगतता और सुरक्षा समझौता को लागू किया है, आतंकवाद जैसे वैश्विक चिंता के मामलों पर निकट सहयोग का निर्माण और स्वतंत्र तथा खुले भारत-प्रशांत के विकास की दिशा में एक साथ काम कर रहे हैं। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि विशेष रूप से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ व्यापार टैरिफ को लागू करने और भारत की अधिमान्य व्यापार स्थिति को समाप्त करने को लेकर व्यापार क्षेत्र में इनके बीच मतभेद नहीं हैं। बहरहाल, इस तरह केमतभेद पिछले एक दशक में विकास का अवरोधक नहीं बना है, जो पिछले एक दशक में देखा गया है और संबंधों के भविष्य हेतु नींव रखी है।
भारत-अमेरिका संबंध: विगत दस वर्षों का अवलोकन
असैन्य परमाणु समझौते (2005) के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2008 में चार निर्यात नियंत्रण व्यवस्था समूहों को भारत की सदस्यता का समर्थन किया। तब से भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) को छोड़कर, वासेनार समझौते, ऑस्ट्रेलिया समूह एवं मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का सदस्य बन गया है। आर्थिक क्षेत्र में, संबंधों को आगे बढ़ाते हुए, अमेरिकी ट्रेजरी सचिव टिमोथी गेथनर ने 2010 में अपनी भारत यात्रा के दौरान तत्कालीन भारतीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ अमेरिका-भारत आर्थिक तथा वित्तीय भागीदारी शुरू की। मंत्री स्तरीय बैठकों में दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों की नींव रखी गई। भारत और अमेरिका ने भी अपनी पहली सामरिक वार्ता (2010) में आपसी सुरक्षा और आर्थिक बदलावों को शामिल किया। तब से भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर देते हुए साइबर सुरक्षा, बैंकिंग और ऊर्जा क्षेत्र पर समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों राष्ट्रों ने सुरक्षा सिद्धांतों की स्थापना की जो 2015 में "एशिया प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र के लिए संयुक्त सामरिक विजन" की घोषणा करके संबंधों को निर्देशित करने में मदद करेंगे।
रक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। भारत पर अवरोधोंऔर प्रतिबंधों की अवधि से हीसंयुक्त राज्य अमेरिका सक्रिय रूप से भारतीय रक्षा साझेदारी और निर्यात प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है। भारत दुनिया में सबसे बड़ा रक्षा उपकरण आयातक है और अमेरिका में, एयरोस्पेस सहित रक्षा उद्योग, अमेरिका सुरक्षा नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कुछ अनुमानों के अनुसार, 2018 मेंअमेरिकी रक्षा उद्योग ने अमेरिकी जीडीपी में 929 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया है। कुल मिलाकर, यह अकेले अमेरिका में करीब 2.5 मिलियन लोगों के लिए रोजगार का सृजन करता है और इस वजह सेयह देश का 20 प्रतिशत विनिर्माण आधार बन जाता है।1 ट्रम्प प्रशासन ने संयुक्त राज्य अमेरिका में विनिर्माण उद्योगों के पुनरुद्धार पर जोर दिया है, और रक्षा तथा एयरोस्पेस उद्योग इस लक्ष्य की दिशा में योगदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकी को भारत तक पहुंचाने में सक्षम करने हेतु संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2016 में भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में मान्यता दी। इस मान्यता से भारत को संयुक्त राज्य संधि सहयोगियों के साथ समान व्यवहार करने की अनुमति मिली, जबकि वह स्वयं इनमें से एक नहीं था। इसने भारत की रक्षा सूची हेतु प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के साथ-साथ हथियारों की प्रणालियों और अन्य प्लेटफार्मों की सरल खरीद का मार्ग प्रशस्त किया। दोनों देशों ने गहरे सैन्य सहयोग के लिए भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसमें रक्षा संबंध को क्षेत्र में ‘स्थिरता के सहारे’ के रूप में स्वीकार किया गया।
2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच पहली बैठक के दौरान जारी संयुक्त बयान में दोहराया गया कि “संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच घनिष्ठ साझेदारी क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता हेतु केंद्रीय है।”2
दोनोंनेताओंनेरक्षातथा सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने पर भी सहमति व्यक्त की। संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत की क्षमताओं को बढ़ाने तथा साझा सुरक्षा हितों को बढ़ावा देने सी 'मानवरहित हवाई प्रणाली सी गार्जियन' की बिक्री की पेशकश की।सी गार्डियन एक सशस्त्र ड्रोन है जिसका इस्तेमाल भारतीय तटों से समुद्री निगरानी हेतु किया जाएगा।ट्रम्प प्रशासन ने भारत को सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी है और एकीकृत हवाई तथा मिसाइल रक्षा प्रणालियों की पेशकश की है, जिसका उद्देश्य देश को अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देना और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र में साझा सुरक्षा हितों की रक्षा करना है।3
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प (स्रोत: द हिंदू)
पिछले कुछ वर्षों में भारत-अमेरिका के रणनीतिक संबंधों का अध्ययन, उनके संबंधित समुद्री डोमेन जागरूकता के निर्माण से उत्पन्न खतरों को समझने के एक बदलाव की ओर इशारा करता है।
जैसे-जैसे भू-कनेक्टिविटी का विस्तार होता है, इसे समुद्री लेन की सुरक्षा के साथ संवर्धित किया जाना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा वाणिज्य के लिए महासागर प्रमुख मार्ग हैं। विशेष रूप से भारत-प्रशांत और हिंद महासागर के जल में शांति तथा सुरक्षा भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। यह इस विचार द्वारा समर्थित है कि दोनों राष्ट्रों ने महसूस किया है कि रक्षा सहयोग का कोई भी क्षेत्र समुद्री सहयोग से अधिक वादा नहीं करता है।4 भारत हिंद महासागर में चीनी नौसेना की उपस्थिति को लेकर चिंतित है, खासकर जब चीन के दक्षिण चीन सागर में तनाव के लगातार बढ़ने की स्थिति को देखा जाए।
संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय रक्षा रणनीति में कहा गया है कि चीन एक रणनीतिक प्रतियोगी है जो अपने पड़ोसियों को अपनी आक्रामक आर्थिक और सैन्य रणनीतियों के माध्यम से डरा रहा है।
भारत और अमेरिका हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती रोधी कार्यों जैसे गैर-पारंपरिक खतरों को संबोधित करने हेतु क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैंऔर मानव तस्करी और / या प्राकृतिक आपदाओं के मामले में तस्करी तथा सहयोग करने वालों की आलोचना कर रहे हैं। निर्बाध सहयोग प्रदान करने हेतु दोनों राष्ट्रों ने निगरानी तथा खुफिया जानकारी साझा करने पर भी सहमति व्यक्त की है।
साझेदारी के गहरा होने से भारत अपनी क्षमताओं को क्षेत्र में ‘शुद्ध सुरक्षा प्रदाता’ के रूप में विकसित कर सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के लिएभारत एक ऐसा भागीदार है जो अमेरिकी सुरक्षा तंत्र पर तनाव को कम करने तथा सुरक्षा के बोझ को साझा करने में मदद कर सकता है।
2 + 2 संवाद 2018
2018 में भारत में आयोजित पहले 2 + 2 संवाद से घनिष्ठ सहयोग बनाने की प्रेरणा को आगे बढ़ाया गया। इस संवाद में "दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंध,बढ़तासैन्य से सैन्य संपर्क, संयुक्त अभ्यास और द्विपक्षीय विकास संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रस्तावित प्रौद्योगिकी तथा उपकरणों के स्तरों में रक्षा व्यापार और गुणात्मक सुधार को मान्यता मिली। भारत ने लाइसेंस मुक्त निर्यात रणनीतियों के तहत लाइसेंस मुक्त निर्यात और फिर से निर्यात तथा हस्तांतरण हेतु देशों की सूची में शामिल किए जाने का स्वागत किया।5
दोनों देशों ने बातचीत के दौरान पहला त्रि-सेवा अभ्यास आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की। यह 2019 में आयोजित किया गया था। रूस के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका एकमात्र दूसरा देश है, जिसने भारत में त्रि-सेवा अभ्यास आयोजित किया है।
2019 वार्ता से पहले दोनों देशों ने सुरक्षा साझेदारी को आगे बढ़ाने हेतु कदम उठाए हैं। संयुक्त राज्य प्रशासन ने ‘रणनीतिक क्षेत्रीय साझेदार’ के सुरक्षा हितों को मजबूत करने के घोषित लक्ष्य के साथ भारत को नौसेना बंदूकें, हेलीकॉप्टर और अन्य उपकरणों की बिक्री को मंजूरी दे दी है। भारत सरकार ने अतिरिक्त समुद्री निगरानी हवाई जहाजों के लिए भारतीय नौसेना के अनुरोध को मंजूरी दे दी है। बिक्री की मंजूरी दो राष्ट्रों के हित में अभिसरण का स्पष्ट संकेत है।
भारत-अमेरिका 2 + 2 वार्ता 2018 (स्रोत: अमेरिकी दूतावास भारत)
2 + 2 संवाद 2019
संयुक्त राज्य में आयोजित 2019 संवाद में "द्विपक्षीय रणनीतिक और रक्षा सहयोग को गहरा करने, वैश्विक विकास पर दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान करने तथा भारत-प्रशांत क्षेत्र में साझा नेतृत्व पर जोर दिया गया है।"62019 संवाद भारत-अमेरिका समुद्री सुरक्षा के साथ संवाद (2019) ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों की साझा सुरक्षा चिंताओं और प्राथमिकताओं को चिन्हित किया है। इसने बहुपक्षीय व्यस्तताओं की प्रक्रिया को भी निर्धारित किया है जो दोनों देशों को व्यापक भारत-अमेरिका रणनीतिक दृष्टि के दायरे में अपने समुद्री सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा। जैसा कि विदेश मंत्रालय के निदेशक श्री एस जयशंकर ने कहा है कि, 'परिचालन रूप से, यह केवल तर्कसंगत है कि नई वास्तुकला स्थापित करने की कोशिश करने के बजाय, हम पहले से मौजूद वास्तुकला के साथ काम करते हैं।... जबकि पूर्वी हिंद महासागर के राष्ट्र और प्रशांत को जोड़ने वाले समुद्रों पर स्थित राज्य इंडो-पैसिफिक के अपने दृष्टिकोण को परिभाषित कर रहे हैं, इस अवधारणा के एक पश्चिमी हिंद महासागर संस्करण के लिए भी जगह है।"7 भारत एक छोर से छोर तक की अवसंरचना का निर्माण करने का इच्छुक है जो सभी क्षेत्र के साझा हितों के सभी क्षेत्रों को कवर करेगा।
भारत-अमेरिका 2 + 2 वार्ता 2019 (स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स)
इस के पीछे भारत कानिहित सिद्धान्त यह सुनिश्चित करना रहा है कि क्षेत्र "संप्रभुता, समानता और नियमों पर आधारित प्रणाली के मापदंडों के भीतर सभी के साथ समावेशी भागीदारी हेतु खुला और मुक्त बना रहे।"8 मुक्त और खुले समुद्री मार्ग के सामरिक महत्व कोक्षेत्रीय जल पर प्रतिस्पर्धा के दावों के सामने महत्व मिला है। इनका महत्व और भी अधिक बढ़ेगा क्योंकि महासागरों का उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा तथा नीली अर्थव्यवस्था के विकास हेतु किया जाता है।
निष्कर्ष
सरकार के दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों के बीच बातचीत में कई मुद्दों को शामिल किया गया है ताकि संबंधित नीतिगत निर्णयों और आवश्यकताओं के दूसरे पक्ष पर चर्चा की जा सके। यह उन्हें द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक खतरे पर चर्चा करने, आतंकवाद का मुकाबला करने हेतु अभिसरण की रणनीति बनाने, समुद्री सुरक्षा को मजबुत करने और लोगों को लोगों से जोड़ने की अनुमति देता है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि 2 + 2 संवाद ने भारत तथा अमेरिका को भविष्य के अवसरों और चुनौतियों को पूरा करने हेतु द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने का एक मंच प्रदान किया है।
*****
*डॉ. स्तुति बनर्जी, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली की शोधकर्ता हैं।
अस्वीकरण: इसमें व्यक्त किए गए विचार शोधकर्ता के हैं, परिषद के नहीं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण:
[1]Figures have been taken from the 2019 state of the American aerospace and defense industry published by the Aerospace Industries Association, an association of American defence and aerospace companies. It is available at https://www.aia-aerospace.org/wp-content/uploads/2019/06/AIA-2019-Facts-and-Figures.pdf, Accessed on 23 Dec. 2019
2Ministry of External Affairs, Government of India, “Joint Statement - United States and India: Prosperity Through Partnership,” https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/28560/United_States_and_India_Prosperity_Through_Partnership, Accessed on 18 Dec. 2019.
3PTI, “US approves sale of armed drones, offers missile defense systems to India,” https://economictimes.indiatimes.com/news/defence/us-approves-sale-of-armed-drones-offers-missile-defense-systems-to-india/articleshow/69701845.cms?from=mdr, Accessed on 13 January 2020.
4AmanThakker, “U.S.-India Maritime Security Cooperation,” https://www.csis.org/analysis/us-india-maritime-security-cooperation, Accessed on 20 Dec, 2019.
5Ministry of External Affairs, Government of India, “Joint Statement on the Inaugural India-U.S 2+2 Ministerial Dialogue, https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/30358/Joint+Statement+on+the+Inaugural+IndiaUS+2432+Ministerial+Dialogue, Accessed on 18 Dec, 2019.
6Office of the Spokesperson, US Department of State, “2019 U.S. – India 2+2 Ministerial Dialogue,” https://www.state.gov/2019-u-s-india-22-ministerial-dialogue/, Accessed on 18 Dec. 2019.
7Ministry of External Affairs, Government of India, “Valedictory Address by External Affairs Minister at 11th Delhi Dialogue,” https://www.mea.gov.in/Speeches-Statements.htm?dtl/32212/Valedictory_Address_by_External_Affairs_Minister_at_11th_Delhi_Dialogue_December_14_2019, Accessed on 18 Dec, 2019.
8Ibid