2000 के शुरुआती दशक में एचआईवी-एड्स संकट और 2013-16 में इबोला प्रकोप के बाद कोविड-19 नई सहस्राब्दी में अफ्रीका को प्रभावित करने वाला तीसरा बड़ा प्रकोप बन गया है। इन दोनों स्वास्थ्य संकटों ने महाद्वीप को गंभीर रूप से प्रभावित किया और इसमें जीवन का आगामी नुकसान बहुत अधिक था। इसलिए, कोविड-19 के प्रकोप के संदर्भ में, अफ्रीकी राज्य प्रसार को रोकने और इसके नकारात्मक प्रभावों को अधिकतम सीमा तक सीमित रखना सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक होंगे। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि अब तक चीन, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) की तुलना में अफ्रीका कोरोना वायरस से अपेक्षाकृत कम प्रभावित रहा है। वास्तव में, 28 मार्च 2020 तक, लगभग 1.2 बिलियन लोगों के महाद्वीप में 5000 से कम लोग वायरस से संक्रमित हुए हैं। दक्षिण अफ्रीका 1187 मामलों के साथ अफ्रीका में सबसे बुरी तरह से प्रभावित देश प्रतीत होता है और इसलिए, देश लॉकडाउन में है। अन्य बड़े देशों जैसे कि अल्जीरिया (454) और मिस्र (576) ने भी अधिक मामलों की सूचना दी है। आश्चर्यजनक रूप से, नाइजीरिया, जो अब तक का सबसे अधिक आबादी वाला अफ्रीकी देश है, में केवल 89 सुनिश्चित मामले सामने आए हैं।1 हालांकि, यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि पिछले कुछ दिनों में अफ्रीका में इसकी संख्या में लगातार वृद्धि हुई है और अगले कुछ सप्ताह उचित प्रतिक्रिया के विनियोजन और कार्यान्वयन, परीक्षण और प्रभावित नागरिकों की देखभाल और आर्थिक प्रभाव को कम करने के अर्थों में महत्वपूर्ण होंगे। चूंकि पूरी दुनिया कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए संघर्ष कर रही है और पूरी तरह से लॉकडाउन, आवाजाही पर प्रतिबंध, हवाई अड्डों को बंद करने और घरेलू और साथ ही अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को रद्द करने जैसे कठोर उपायों को लागू कर रही है, इसलिए पिछले दो प्रकोपों और उनके प्रभाव की समीक्षा करना प्रासंगिक होगा। यह हमें कोविड-19 के कारण उत्पन्न वर्तमान संकट को भी परिप्रेक्ष्य में रखने में मदद करेगा
एचआईवी-एड्स संकट
1990 के दशक में, एड्स तेजी से अफ्रीका में फैल गया और अधिकांश सरकारें इसके प्रति प्रतिक्रिया देने में सुस्त थीं। हालांकि पूरे महाद्वीप को एड्स के प्रसार की चुनौती का सामना करना पड़ा, लेकिन दक्षिणी अफ्रीकी क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ था। 1999 में, यह अनुमान लगाया गया था कि दक्षिण अफ्रीकी आबादी का लगभग 10 प्रतिशत, यानी 4 मिलियन लोग, एचआईवी पॉजिटिव थे और यह कि एड्स के कारण लगभग 500,000 लोग पहले ही अपनी जान गंवा चुके थे। हालांकि, दक्षिण अफ्रीकी सरकार समय पर संकट की प्रतिक्रिया देने में विफल रही। वास्तव में, बार-बार चेतावनी मिलने और वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध होने के बावजूद, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति थाबो मबेकी एड्स के खतरे और इसके विनाशकारी प्रभाव के बारे में गंभीर नहीं दिखाई दिए।2
यह संकट इतना गंभीर था कि 2000 में संयुक्त राष्ट्र की एड्स एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार, एड्स के कारण 250,000 लोगों की मौत हुई थी और यह कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दक्षिण अफ्रीकी वयस्क आबादी का पांचवां हिस्सा एचआईवी पॉजिटिव था। अनुमान लगाया गया था कि इसे अगर अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो अगले दशक में दक्षिण अफ्रीका के 5 से 7 मिलियन लोग एड्स के कारण ख़त्म हो जाएंगे। यह संकट इतना गंभीर था कि दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को सरकार से काम करने का आग्रह करते हुए सार्वजनिक रूप से आवाज़ उठाने पर मजबूर होना पड़ा। 1999-2002 के दौरान यह संकट अपने चरम पर था। यह अनुमान लगाया गया था कि उन तीन वर्षों के दौरान, सरकार द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने के कारण, केवल दक्षिण अफ्रीका में ही 35,000 शिशुओं समेत 365,000 लोगों की समय से पहले मौत हो गई थी।3 हालांकि, एड्स का प्रकोप केवल दक्षिण अफ्रीका तक ही सीमित नहीं था। अन्य दक्षिणी अफ्रीकी राज्य जैसे कि मोज़ाम्बिक, ज़िम्बाब्वे, मलावी, एस्वतिनी और ज़ाम्बिया भी एड्स के कारण गंभीर रूप से प्रभावित थे। 2001 में, एड्स से प्रभावित वयस्क आबादी का प्रतिशत बोत्सवाना में 27 प्रतिशत, जिम्बाब्वे में 25 प्रतिशत, ज़ाम्बिया में 14.4 प्रतिशत और मोजाम्बिक में 9.7 प्रतिशत जितना अधिक था।4 सरकारी प्रयासों, सार्वजनिक शिक्षा, अंतर्राष्ट्रीय सहायता और सामुदायिक जागरूकता के संयोजन से एड्स के प्रसार और अतिरिक्त वृद्धि को सीमित करने में मदद मिली। हालांकि, अब भी, दुनिया के अन्य क्षेत्रों की तुलना में, दक्षिणी अफ्रीका में एचआईवी पॉजिटिव वयस्क आबादी का प्रतिशत अधिक बना हुआ है।
इबोला प्रकोप
एड्स संकट के लगभग एक दशक बाद, 2013-16 में अफ्रीका का सामना इबोला की चुनौती से हुआ। एड्स ने दक्षिणी अफ्रीका को तबाह कर दिया था जबकि इबोला मुख्य रूप से पश्चिम अफ्रीकी राज्यों में केंद्रित था। इबोला के कारण गिनी, लाइबेरिया और सिएरा लियोन देश सबसे अधिक प्रभावित हुए थे। 2013-2016 के दौरान, इबोला ने 11,315 लोगों की जानें ले ली और लाइबेरिया में सबसे अधिक लोगों की मौत दर्ज हुई थी। लाइबेरिया में 4800 मौतें हुईं और लगभग 11,000 लोग इबोला से संक्रमित हुए। 2014 के मध्य में संकट अपने चरम पर होने के दौरान, लाइबेरिया से हर हफ्ते लगभग 300-400 मामलों की सूचना आ रही थी।5 इसका प्रकोप इतना गंभीर था कि कई देशों में, पूरे समुदायों को संगरोध में रखा गया था। सिएरा लियोन में, यहां तक कि क्रिसमस समारोह भी रद्द कर दिया गया था। इसके अलावा, लाइबेरिया में, इबोला के सामाजिक प्रभाव को रेखांकित करते हुए, जो सामान्य मानव स्पर्श से फैलता है, पारंपरिक अभिवादन और दफ़नाने की प्रथाओं को बदलना पड़ा।6
चूंकि इबोला का प्रसार पश्चिम अफ्रीका तक सीमित था, अगस्त 2018 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) ने इबोला प्रकोप का सामना किया। पिछले 18 महीनों में, डीआरसी में इबोला के कारण अनुमानित 2,200 लोगों की जान गई है और वास्तव में हाल ही में 9 मार्च, 2020 को, डीआरसी में इबोला के आखरी रोगी को अस्पताल से रिहा किया गया था और पिछले दो हफ्तों में कोई नया मामला सामने नहीं आया है।7 यह अनुमान लगाया गया था कि इबोला संकट (2013-16) की कुल लागत $ 53 बिलियन से अधिक थी और गिनी, सिएरा लियोन और लाइबेरिया की अर्थव्यवस्थाएं काफी तनाव में आ गई थीं। प्रकोप के दौरान, चूंकि सभी अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल संसाधन इबोला से लड़ने के लिए बंधे हुए थे, इसलिए एड्स, तपेदिक और मलेरिया जैसी अन्य बीमारियों ने 10, 623 लोगों की जान ले ली।8
कोविड-19 और अफ्रीका पर इसका प्रभाव
एड्स के संकट और इबोला के प्रकोप की तुलना में, कोविड-19 ने अब तक इतनी जानें नहीं ली हैं। हालांकि, कोविड-19 का प्रभाव बहु-आयामी होने की संभावना है और इससे पहले कि सामाजिक-आर्थिक नुकसान की वास्तविकता को मापा जा सके, कुछ समय लगेगा। जीवन की हानि और सीमित स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर बढ़ता तनाव स्पष्ट रूप से कई अफ्रीकी राज्यों के लिए चिंता का एक बड़ा विषय है। चुनौती की गंभीरता को देखते हुए, पूर्ण लॉकडाउन, सीमा बंदी और उड़ानों को रद्द करने जैसे कठोर उपायों के परिणामस्वरूप अफ्रीका की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को बड़ी आर्थिक पीड़ा सहनी पड़ रही है। अपेक्षा है कि कोविड-19 के कारण अफ्रीका में गरीबी न्यूनीकरण दर में गिरावट आएगी। वास्तव में, गरीबी उन्मूलन दर धीमा पड़ने के अर्थों में यह प्रभाव दक्षिण एशिया की तुलना में कही अधिक होगा।9 इसके अलावा, आवाजाही पर प्रतिबंध लगने से कई लोगों के लिए भोजन तक पहुंचना और खरीदना कठिन हो जाएगा।10
कोविड-19 के परिणामस्वरूप, पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था 2020 में मंदी की ओर जा रही है। संभावना है कि अफ्रीका भी इससे प्रभावित होगा। इसलिए, इथियोपिया के प्रधान मंत्री (पीएम) अबी अहमद ने 20 अर्थव्यवस्थाओं के समूह (जी -20) से आग्रह किया है कि वे कोविड-19 के दुष्प्रभावों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए अफ्रीका को ऋण राहत और आपातकालीन धन के रूप में $ 150 बिलियन प्रदान करें। कई राज्यों के भारी कर्ज के बोझ को देखते हुए, आर्थिक संकट को दूर करने की प्रतिस्कंदी क्षमता सीमित है। इसलिए, अफ्रीकी वित्त मंत्रियों ने पहले ही “तत्काल आपातकालीन आर्थिक प्रोत्साहन” के रूप में $ 100 बिलियन देने का अनुरोध किया था। इसके अलावा, अफ्रीका के लिए संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक आयोग के अनुसार, 2020 में, अफ्रीका के आर्थिक विकास में 3.2 प्रतिशत से 2 प्रतिशत तक की आधी गिरावट आने की संभावना है और पूरे विश्व में तेल की कीमतों में तेजी से आई गिरावट के कारण, तेल निर्यातक देशों को $ 65 बिलियन का राजस्व खोना पड़ सकता है।11 यह नाइजीरिया और अल्जीरिया जैसे राज्यों की अपने आर्थिक वृद्धि को पुनर्जीवित करने की क्षमता को घटाता है।
यह भी चिंताजनक है कि जैसे-जैसे दुनिया कोविड-19 पर ध्यान केंद्रित करने के लिए तैयार हो रही है, वैसे-वैसे अफ्रीका में आतंकवादी गतिविधियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। 23 मार्च, 2020 को, उत्तरी मोजाम्बिक के इस्लामी राज्य के आतंकवादियों ने काबो डेलगाडो प्रांत के मोकिम्बा दा प्राया शहर पर हमला किया और उसे अपने कब्जा में कर लिया। यह शहर एक ऐसे क्षेत्र के करीब स्थित है, जहाँ लगभग $ 60 बिलियन की प्राकृतिक गैस परियोजनाएँ विकसित की जा रही हैं।12 इस बीच, पश्चिम अफ्रीका में 24 मार्च, 2020 को लेक चाड बेसिन के एक द्वीप पर हुए हमले में बोको हराम के आतंकवादियों ने 92 चाडियन सैनिकों को मार डाला। यह चाड पर बोको हराम का अब तक का सबसे घातक हमला था।13 दोनों हमले राष्ट्रीय सरकारों के लिए नई चुनौतियां खड़ी करने पर आतंकवादी संगठनों की क्षमता और इच्छा की ओर इशारा करते हैं, जबकि इन सरकारों का ध्यान वर्तमान विचलित है और कोविड-19 से लड़ने की तैयारी में लगा हुआ है। आने वाले हफ्तों और महीनों में इस तरह की और भी घटनाओं की अपेक्षा की जा सकती है।
इसलिए, हालांकि कोविड-19 ने अफ्रीका को जीवन हानि के अर्थों में इतने गंभीर रूप से सीधे प्रभावित नहीं किया है जितना कि इटली या स्पेन को किया है; पर यह कई राज्यों की सामाजिक-आर्थिक संभावनाओं को प्रभावित कर सकता है और परिणामस्वरूप, अधिकांश अफ्रीकी आबादी के कल्याण को प्रभावित कर सकता है। संभावना है कि कोविड-19 अफ्रीका में पहले से ही तनी हुई स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था को और भी कसेगा और इस चुनौती से निपटने में सरकारों की गंभीरता को भी परखेगा। इसके अलावा, कमजोर राज्य क्षमता के मध्य आतंकवाद जैसी जारी सुरक्षा चुनौतियां और एक बड़ा स्वास्थ्य संकट निश्चित रूप से अफ्रीकी राज्यों की क्षमताओं और उनके लचीलेपन का परीक्षण करेगा। यह स्पष्ट है कि हालांकि कोविड-19 जैसी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां अफ्रीका के लिए नई नहीं हैं; पर फिर भी अफ्रीका द्वारा इस नई सहस्राब्दी में सामना किए गए पिछले दो संकटों की तुलना में इसका प्रभाव अधिक बहुआयामी होने की संभावना है।
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*डॉ. संकल्प गुर्जर, विश्व मामलों की भारतीय परिषद की शोधकर्ता |
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
संदर्भ:
2 Martin Meredith, The State of Africa: A History of the Continent Since Independence, Simon&Schuster, London, 2013, pp. 673-678
3 Ibid
4Joint United Nations Programme on HIV/AIDS (UNAIDS), UNAIDS Report on the global AIDS epidemic, Geneva, 2012, pp. A5-A6
5 “Ebola: Mapping the Outbreak”, BBC News, January 14, 2016, at: https://www.bbc.com/news/world-africa-28755033 (Accessed March 26, 2020)
6SmithaMundasad, “How Ebola changed the world”, BBC News, March 23, 2015,at: https://www.bbc.com/news/health-31982078 (Accessed March 26, 2020)
8 Tom Miles, “West Africa’s Ebola outbreak cost $ 53 billion-study”, Reuters, October 24, 2018, at: https://www.reuters.com/article/us-health-ebola-cost/west-africas-ebola-outbreak-cost-53-billion-study-idUSKCN1MY2F8 (Accessed March 26, 2020)
9 Rob Vos, Will Martin and David Laborde, “How much will global poverty increase because of COVID-19?”, IFPRI Blog: Issue Post, March 20, 2020, at: https://www.ifpri.org/blog/how-much-will-global-poverty-increase-because-covid-19 (Accessed March 26, 2020)
10 William Moseley, “How will COVID-19 affect Africa’s food systems”, African Arguments, March 25, 2020, at: https://africanarguments.org/2020/03/25/covid-19-africa-food-systems/ (Accessed March 26, 2020)
11 Cristina Krippahl, “Africa gears for COVID-19 pandemic's economic fallout”, Deutsche Welle, March 24, 2020, at: https://www.dw.com/en/africa-gears-for-covid-19-pandemics-economic-fallout/a-52901775 (Accessed March 26, 2020)
12 Matthew Hill, “Islamic State Claims Bold Raid on Strategic Mozambique Town”, Bloomberg, March 25, 2020, at: https://www.bloomberg.com/news/articles/2020-03-25/islamic-state-claims-raid-on-mozambique-town-site-says (Accessed March 26, 2020)
13AFP, “Boko Haram kills 92 Chadian soldiers in seven-hour attack”, The Guardian, March 24, 2020, at: https://www.theguardian.com/world/2020/mar/24/boko-haram-kills-92-chadian-soldiers-in-seven-hour-attack (Accessed March 26, 2020)