7 मार्च, 2021 को संयुक्त राज्य अमेरिका के सचिव एंटनी ब्लिंकेन ने अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी को एक पत्र लिखा, जिसमें शांति प्रक्रिया से संबंधित चर्चाओं में तेजी लाने तथा अफगानिस्तान में स्थायी युद्धविराम के लिए चार प्रमुख सुझाव दिए गए।.यह पत्र[i]एक अफगान समाचार आउटलेट टोलोन्यूज़ द्वारा प्रकाशित किया गया था तथा यह कहा कि वाशिंगटन शांति परिषद के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला के साथ एक समान संदेश साझा करेगा। 8 मार्च को एक सभा को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने इस बात की पुष्टि की कि खलीलजाद की काबुल यात्रा से दो दिन पहले यह पत्र उन्हें और राष्ट्रपति दोनों को सौंपा गया था । रिपोर्ट[ii], के अनुसार, अमेरिका के विशेष दूत ज़ालमे खलीलजाद काबुल, दोहा तथा अन्य इस क्षेत्र की राजधानियों की यात्रा पर हैं, अमेरिका में राष्ट्रपति पद बदलने के बाद से यह पहली यात्रा तथा अमेरिका-तालिबान समझौते की ' समीक्षा ' करने के बिडेन प्रशासन के इरादे से की गई है.[iii]
ब्लिंकेन के तीन पेज के पत्र से चार प्रमुख ग्रहण करने योग्य तथ्य हैं[iv]: पहला,अफगानिस्तान में शांति का समर्थन करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण पर चर्चा करने के लिए रूस, चीन, पाकिस्तान, ईरान, भारत तथा अमेरिका के विदेश मंत्रियों तथा राजदूतों के साथ संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में बुलाने का प्रस्ताव है। दूसरा, ज़ालमे खलीलजाद बातचीत के समझौते तथा युद्ध विराम की चर्चा में तेजी लाने के लिए अशरफ गनी तथा तालिबान नेतृत्व के साथ प्रस्तावों को साझा करेगा। इनमें से कुछ प्रस्ताव शांति प्रक्रिया के रोडमैप में शामिल पहले के विचारों को दर्शाते हैं। तीसरा, तुर्की को शांति समझौते को अंतिम रूप देने के लिए आने वाले सप्ताहों में दोनों पक्षों की वरिष्ठ स्तर की बैठक की मेजबानी करने के लिए कहा जाएगा। ब्लिंकेन ने अफगान राष्ट्रपति अथवा उनके "आधिकारिक रूपरेखा तैयार करनेवाले" से उस बैठक में भाग लेने का आग्रह किया। अंत में, तालिबान द्वारा आक्रामकता को रोकने तथा पार्टियों के बीच राजनीतिक समाधान का समर्थन करने के इरादे से 90 दिनों हिंसा में कमी के लिए एक संशोधित प्रस्ताव तैयार किया गया है। ब्लिंकेन के पत्र में उल्लेख किया गया है कि अमेरिका उच्च स्तरीय कूटनीतिक प्रयास कर रहा है ताकि मामलों को एक समझौते तथा स्थायी तथा व्यापक युद्धविराम की ओर अधिक मौलिकता तथा शीघ्रता से आगे बढ़ाया जा सके।”[v] दोनों पक्षों के प्रारंभिक नियमों पर सहमत होने के बाद अंतर-अफगान वार्ता का पहला दौर दिसंबर में समाप्त हो गया। हिंसा तथा लक्षित हत्या में वृद्धि के बीच, वार्ता का दूसरा दौर जनवरी 2021 में शुरू हुआ था तथा यह उम्मीद की जा रही थी कि दूसरे दौर में अंततः कई महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान होगा; परंतु उन वार्ताओं को एक महीने से अधिक समय के लिए निलंबित कर दिया गया था। कथित तौर पर काबुल में अशरफ गनी तथा खलीलजाद के बीच चर्चा के अहम मुद्दों में से एक दोहा में सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच रुकी बातचीत को पुनर्जीवित करने पर था। शांति वार्ता को बढ़ावा देने के लिए गनी सरकार ने अफगानिस्तान में नए सिरे से चुनाव कराने पर विचार-विमर्श शुरू करने की इच्छा व्यक्त करते हुए इस बात पर जोर दिया कि किसी भी नई सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए उभरना चाहिए। तालिबान के प्रवक्ता नईम वारदक ने सशस्त्र समूह, खलीलजाद तथा जनरल स्कॉट मिलर, अमेरिकी सेनाओं के प्रमुख तथा नाटो के नेतृत्व वाले गैर-लड़ाकू दृढ़ समर्थन मिशन के बीच एक बैठक की पुष्टि की, जहां दोनों पक्षों ने दोहा समझौते के पूर्ण कार्यान्वयन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।[vi] पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा तथा पाकिस्तान में वरिष्ठ नागरिक अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान राजदूत खलीलजाद ने अफगानिस्तान में सिर्फ तथा सतत शांति की दिशा में प्रगति में तेजी लाने की जरूरत पर जोर दिया ।”[vii]
जहां तक अमेरिकी सेना की वापसी के बारे में महत्वपूर्ण फैसले का प्रश्न है, पत्र में कहा गया है कि वाशिंगटन ने किसी भी विकल्प से इनकार नहीं किया है-जिसमें 1 मई तक अपनी सेनाओं की पूर्ण वापसी शामिल है। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार शेष 2500 सैनिकों के लिए "सभी विकल्प बातचीत की मेज पर हैं"।[viii] इससे पहले, रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने संकेत दिया था कि अमेरिका तथा नाटो सेनाओं को खतरे में डालने वाली जल्दबाजी अथवा अव्यवस्थित वापसी नहीं होगी तथा हिंसा में कमी के साथ अंतर-अफगान वार्ता की प्रगति पर जोर दिया था।.[ix] जैसे ही अमेरिका-तालिबान शांति समझौते की संभावित समीक्षा तथा बिडेन प्रशासन द्वारा एक शर्त आधारित सेना की वापसी के बारे में चर्चा शुरू हुई, पाकिस्तान में तालिबान तथा उसके समर्थकों द्वारा इस समझौते से जुड़े रहने के महत्व को उजागर करने के प्रयास शुरू हो गए हैं। तालिबान नेता मुल्ला अब्दुल गनी बारादर ने अमेरिकी लोगों को संबोधित एक खुले पत्र[x] में अमेरिका से समझौते के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध रहने का आग्रह किया। जनरल बाजवा ने जाहिरा तौर पर अमेरिकी सेंटकॉम कमांडर जनरल केनेथ मैकेंजी जूनियर से कहा कि विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन को तालिबान नेताओं को समय सीमा विस्तार का अनुरोध करने के लिए बुलाना चाहिए। [xi] अंतर-अफगान वार्ताओं की शुरुआत में छह महीने की देरी का हवाला देते हुए प्रख्यात विद्वान बार्नेट रूबीन ने छह महीने के विस्तार तथा घटनाक्रम को फिर से स्थापित करने के पक्ष में दलील दी है। [xii] रूबीन ने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को हटाने तथा तालिबान कैदियों की रिहाई का लाभ उठाने के रूप में इस्तेमाल करते हुए अमेरिका के साथ पूरे समझौते के पुनर्मूल्यांकन के समर्थन में एक तर्क दिया।
जब तक नए संविधान पर सहमति नहीं बन जाती तथा अफगानिस्तान में चुनाव कराए जाते हैं, तब तक अंतरिम प्रशासन (गनी सरकार की जगह) के लिए प्रस्ताव आए हैं। उस व्यवस्था के अंतर्गत, राष्ट्रीय संसद का विस्तार या तो तालिबान के सदस्यों को शामिल करने के लिए किया जा सकता है अथवा या चुनाव होने के बाद तक स्थगित किया जा सकता है।ज़ालमे खालीज़ाद ने गनी सरकार तथा अफगानिस्तान में कई अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक निर्वाचन क्षेत्रों के साथ आठ पन्नों की परिवर्ती शांति सरकार का मसौदा साझा किया। मसौदे में युद्धविराम तथा इसके प्रवर्तन की शर्तों को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा का आह्वान किया गया है तथा 42 वर्षों के संघर्ष को ठीक करने के उद्देश्य से एक सत्य और सुलह आयोग की परिकल्पना की गई है।[xiii] यह देखते हुए कि पहले गनी ने अंतरिम सरकार की संभावना को एकमुश्त खारिज कर दिया था, जिसमें यह तर्क दिया गया था कि अफगान जनता लोकतंत्र के विघटन का समर्थन नहीं करते हैं तथा यह स्पष्ट करते हैं कि वह विधि अनुसार अपने उत्तराधिकारी को शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण के पक्ष में थे; यह देखना बाकी है कि काबुल परिवर्ती शांति सरकार के मसौदे पर कैसी प्रतिक्रिया देगा।
जहां तक भारत की बात है, नई दिल्ली अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य प्रस्थान तथा अंतर-अफगान वार्ताओं को बारीकी से देख रही है, क्योंकि इन घटनाक्रमों का क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव पड़ेगा । हालांकि भारत ने अफगान राजनीतिक व्यवस्था में तालिबान शामिल करने के बारे में सतर्क आशावाद बनाए रखा है, परंतु भारत ने अफगान नेतृत्व, अफगान स्वामित्व वाली तथा अफगान नियंत्रित शांति प्रक्रिया का पुरजोर समर्थन किया है। अफगानिस्तान में परिवर्तन के इस महत्वपूर्ण चरण में, नई दिल्ली ने काबुल को समर्थन देने के लिए अपने प्रयासों को आगे बढ़ाया है- भारत पहला देश था जिसने कोविड-19 टीकों की 5,00,000 खुराकें भेजी थीं।.[xiv] दोनों देशों ने अफगानिस्तान के सामाजिक-आर्थिक विकास के प्रति दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच नई विकास साझेदारी के हिस्से के रूप में अफगानिस्तान में लालंदर (शाथूट) बांध के निर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए। अफगानिस्तान के सबसे बड़े क्षेत्रीय दाता तथा एक महत्वपूर्ण विकास साझेदार होने के नाते, अमेरिकी विदेश मंत्री द्वारा काबुल को साझा की गई योजना के मसौदे में भारत का शामिल होना संतोषजनक विकास है। जहां तक अन्य क्षेत्रीय भागीदारों का संबंध है, ईरान का समावेश का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है परन्तु अफगानिस्तान के मध्य एशियाई पड़ोसियों की अनुपस्थिति है।
अपनी बात समाप्त करने के लिए, यह कहना उचित है कि काबुल को ब्लिंकेन का पत्र और एक परिवर्ती शांति सरकार का प्रस्ताव, शांति पहल में तेजी लाने तथा अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के व्यवस्थित निकास को सुनिश्चित करने के लिए वाशिंगटन द्वारा साझा किए गए कुछ मसौदा विचार हैं। अफगानिस्तान में शांति पहल का समर्थन करने के लिए अन्य सभी अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के पूरक के लिए, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन तथा पाकिस्तान के साथ-साथ एक अफगान सरकार के प्रतिनिधिमंडल और तालिबान के प्रतिनिधियों को एक साथ लाने की योजना बना रहा है जो 18 मार्च के लिए निर्धारित है। .[xv] दी गई परिस्थितियों में, अफगानिस्तान के घरेलू और बाहरी क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाले दोनों को अभेद्य होना स्वाभाविक है, तथा आने वाले दिनों में इनका समाधान और सामंजस्य कैसे किया जा सकता है, यह देखा जाना बाकी है।
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*डॉ. अन्वेषा घोष , शोधकर्ता, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली ।
व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं ।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i]“Exclusive: US Secretary Antony Blinken in a letter to President Ghani--similar to one shared with Chairman Abdullah--presents four suggestions for Afghan peace process.” Tolo News Twitter Handle-@TOLOnews, March 7, 2021. Available at:https://twitter.com/TOLOnews/status/1368523273114419203?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1368523273114419203%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.aljazeera.com%2Fnews%2F2021%2F3%2F7%2Fblinken-proposes-plan-to-accelerate-peace-process-in-afghanistan
(Accessed on 8.3.2021)
[ii] “US envoy seeking support to shake up Afghan Peace process, warring parties object”, Reuters, March 7, 2021. Available at: https://www.reuters.com/article/us-usa-afghanistan-khalilzad/u-s-envoy-seeking-support-to-shake-up-afghan-peace-process-warring-parties-object-idUSKBN2AY0MS?il=0(Accessed on 8.3.2021)
[iii] “Biden administration to review US-Taliban deal”.Al Jazeera, Jan 23, 2021. Available at: https://www.aljazeera.com/news/2021/1/23/biden-administration-to-review-us-taliban-deal(Accessed on 8.3.2021)
[iv] Ibid.
[v]“Exclusive: US Secretary Antony Blinken in a letter to President Ghani--similar to one shared with Chairman Abdullah--presents four suggestions for Afghan peace process.” Tolo News Twitter Handle-@TOLOnews, March 7, 2021.Op.cit.
[vi]“US says decision unclear on May 1 ‘force posture’ in Afghanistan”. AL Jazeera, March 8, 2021. Available at:https://www.aljazeera.com/news/2021/3/8/us-says-decision-unclear-on-may-1-force-posture-in-afghanistan(Accessed on 9.3.2021)
[vii] “Statement on the visit to Pakistan by Ambassador Khalilzad”.US Embassy and Consulate in Pakistan, March 8, 2021. Available at:https://pk.usembassy.gov/statement-on-the-visit-to-pakistan-by-ambassador-khalilzad-03082021/(Accessed on 8.3.2021)
[viii] Ibid
[ix] “The US will not undertake a hasty or disorderly withdrawal from Afghanistan, Says Defence Secretary Lloyd Austin”. BusinessLink, Feb 21. 2021. Available at: https://www.thehindubusinessline.com/news/world/the-us-will-not-undertake-a-hasty-or-disorderly-withdrawal-from-afghanistan-says-defence-secretary-lloyd-austin/article33885769.ece(Accessed on 9.3.2021)
[x]“Open Letter to the people of United States of Ameriace”, Voice of Jihad, February 16, 2021. Available at: http://alemarahenglish.net/?p=42767(Accessed on 9.3.2021)
[xi] Seema Sirohi, “Pakistan doesn’t want Biden to renegotiate Afghan Peace Pact”,The Print, Feb 23, 2021, Available at: https://theprint.in/opinion/pakistan-doesnt-want-biden-to-renegotiate-afghan-peace-pact/610320/
[xii] Barnett Rubin, “How to bargain with the Taliban”.War on the Rocks, February 19, 2021.Avaialable at: https://warontherocks.com/2021/02/how-to-bargain-with-the-taliban/(Accessed on 9.3.2021)
[xiii] “US proposes interim govt could run Afghanistan until new polls”. AL Jazeera, March 9, 2021. Available at: https://www.aljazeera.com/news/2021/3/9/us-proposes-interim-govt-could-run-afghanistan-until-new-polls(Accessed on 9.3.2021)
[xiv] “India becomes the first country to give Covid vaccines to Afghanistan.”Business Line, Feb8, 2021. Available at:https://www.thehindubusinessline.com/news/world/india-becomes-first-country-to-give-covid-vaccine-to-afghanistan/article33780029.ece(Accessed on 9.3.2021)
[xv] “Russia to host Afghanistan meet to advance intra-Afghan talks”. AL Jazeera, March 10, 2021. Available at: https://www.aljazeera.com/news/2021/3/10/russia-to-host-afghanistan-meet-to-advance-inter-afghan-talks (Accessed on 16.3.2021)