भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) के सभी 27 सदस्य देशों के नेताओं का शिखर सम्मेलन वर्चुअल प्रारुप में 8 मई 2021 को आयोजित किया गया था। इस शिखर सम्मेलन ने भारत और यूरोपीय संघ की बीच की साझेदारी का राजनीतिक महत्व दर्शाया। यह शिखर सम्मेलन अहम था, क्योंकि यूरोपीय संघ के सभी 27 सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष व शासनाध्यक्ष और उच्च प्रतिनिधि यूरोपीय संघ के +27 प्रारूप में इससे पहले केवल एक बार ही मार्च 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से मिले हैं। नीतिगत नज़रिए से भी, यह शिखर सम्मेलन यूरोपीय संघ द्वारा भारत के साथ संबंधों को बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने को दर्शाता है - यह यूरोपीय संघ की 2016 की वैश्विक रणनीति, जो भारत के साथ साझेदारी पर विशेष बल देते हुए यूरोपीय संघ के एशिया पर ध्यान केंद्रित करने पर प्रकाश डालती है; भारत पर यूरोपीय संघ की रणनीति 2018, जिसमें भारत को स्वभाविक भागीदार के रूप में मान्यता दी गई; और 2020 भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के दौरान अपनाये गए भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी : 2025 के लिए रोडमैप; के अनुरूप है। इसी तरह, भारत भी यूरोपीय संघ और उसके सदस्य राज्यों से लगातार संबंध बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है, जो 2016 से ही दिखाई दे रहा है। भारत ने यूरोपीय संघ को जलवायु परिवर्तन, कनेक्टिविटी और सैन्य से सैन्य संवाद जैसे विभिन्न रणनीतिक क्षेत्रों में विश्वसनीय भागीदार के रूप में मान्यता दी है। भारत-यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों के नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान एक संयुक्त बयान और भारत-यूरोपीय संघ कनेक्टिविटी साझेदारी को अपनाया गया। यह शोध-पत्र शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों का विश्लेषण करता है, और चर्चा के दौरान उठाये गए महत्वपूर्ण मुद्दों का अवलोकन करता है।
शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणाम
8 मई 2021 को हुए भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं के शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणाम निम्नवत हैं:
व्यापार और निवेश
व्यापार को भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों का आधार माना जाता है। यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और 2019 में 78 बिलियन यूरो से अधिक के व्यापार के साथ भारत के निर्यात का दूसरा सबसे बड़ा गंतव्य है। यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के माध्यम से 2019 में 75 बिलियन यूरो के साथ भारत में अग्रणी विदेशी निवेशक भी है। इसके अलावा, यूरोपीय निवेश बैंक (ईआईबी) ने अवसंरचना, ऊर्जा तथा जलवायु परियोजनाओं में 3.03 बिलियन यूरो से अधिक का निवेश किया है। भारत में 6,000 से अधिक यूरोपीय कंपनियां काम रह रही हैं, जिसे 1.7 मिलियन प्रत्यक्ष और 5 मिलियन अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हो रहा है।[i]
इस शिखर सम्मेलन का सबसे अहम परिणाम भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की लंबे समय से रुकी हुई वार्ता को फिर से शुरू करने की घोषणा थी। कई मुद्दों पर असहमति की वजह से 16 दौर की बातचीत के बाद यह वार्ता 2013 में बंद हो गई थी। इस वार्ता के फिर से शुरु होने की सबसे बड़ी वजह "द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश संबंधों" को गति देने हेतु 2020 में 15वें भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के दौरान उच्च स्तरीय व्यापार वार्ता स्थापित करने का लिया गया निर्णय है। इस संदर्भ में, पहली उच्च स्तरीय व्यापार वार्ता 5 फरवरी 2021 को आयोजित की गई थी जहां दोनों पक्षों ने वार्ता को फिर से शुरू करने की प्रतिबद्धता दोहराई थी।[ii] उच्च स्तरीय वार्ता का उद्देश्य बाजार पहुंच के मुद्दों और वार्ता की निगरानी करना है। मुक्त व्यापार समझौते वार्ता को फिर से शुरू करने के अलावा, भारत और यूरोपीय संघ ने एक स्टैंड-अलोन निवेश संरक्षण तथा भौगोलिक संकेतों पर समझौते के लिए बातचीत शुरू करने का भी फैसला किया, जो वार्ता की गति के आधार पर अलग से किया जायेगा या फिर व्यापार समझौते में ही शामिल होगा। साथ ही साथ "कोविड -19 महामारी से मिले अनुभव के आधार पर लचीली आपूर्ति श्रृंखला"[iii] और वस्तुओं व सेवाओं पर नियामक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह भी बनाया गया है।
यूरोपीय संघ-भारत कनेक्टिविटी साझेदारी
यूरोपीय संघ-भारत कनेक्टिविटी साझेदारी भी बैठक के प्रमुख परिणामों में से एक थी। दस्तावेज़ में "कनेक्टिविटी पर पारदर्शी, व्यवहार्य, समावेशी, टिकाऊ, व्यापक, और नियम-आधारित दृष्टिकोण" को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।[iv] यह भारत-यूरोपीय संघ से निवेश में स्थायी कनेक्टिविटी और पारदर्शिता को बढ़ावा देने पर बल देते हैं, जिसे रोडमैप 2025 में भी रेखांकित किया गया था। भारत पर यूरोपीय संघ की 2018 की रणनीति एवं 2018 में "कनेक्टिंग यूरोप एंड एशिया: बिल्डिंग ब्लॉक्स फॉर ए ईयू स्ट्रैटेजी" शीर्षक से जारी किए गए यूरोपीय संघ के रणनीति दस्तावेज में भी कनेक्टिविटी की पहचान दोनों भागीदारों के बीच सहयोग के उच्च क्षमता वाले क्षेत्र के रूप में की गई थी। नेताओं के शिखर सम्मेलन के बाद जारी किये गए ईयू-इंडिया कनेक्टिविटी पार्टनरशिप पर दस्तावेज से तीन मुख्य बातें सामने आती हैं -
पहला, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और निवेश पर जोर देना तथा निजी निवेश को प्रोत्साहन देना। ऐसा प्रत्यक्ष निवेश, इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट, ग्रीन बॉन्ड इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और एक्सपोर्ट क्रेडिट जैसे साधनों के माध्यम से "स्थायी परियोजनाओं में निजी निवेश को बढ़ावा देने हेतु वैश्विक पूंजी प्रवाह (सॉवरिन वेल्थ फंड और पेंशन फंड सहित) के साथ सार्वजनिक धन का लाभ उठाते" हुए किया जाना है।[v] दूसरा, दस्तावेज़ में व्यापक कनेक्टिविटी के चार विषयगत क्षेत्रों की पहचान कि गई है - जिसमें पहला है, डिजिटल - उपभोक्ता तथा व्यक्तिगत डेटा की उच्च सुरक्षा के साथ डिजिटल सेवाओं तक पहुंच को बढ़ावा देना; दूसरा है, परिवहन - नियामक ढांचे की बेहतर योजना को बढ़ावा देना, परिवहन गलियारों का इंटरकनेक्शन और परिवहन की सुरक्षा, स्मार्ट व स्थाई गतिशीलता और बंदरगाह क्षेत्रों में संयुक्त निवेश के अवसरों की पहचान करना; तीसरा है, ऊर्जा - अधिक जुड़े क्षेत्रीय प्लेटफॉर्म, विश्वसनीय और टिकाऊ ऊर्जा समाधान, आधुनिक प्रणालियों और पर्यावरण के अनुकूल समाधानों के दिशा में बाजार संचालित बदलाव; और चौथा है, लोगों से लोगों - शिक्षा, शोध, नवोन्मेष, संस्कृति और पर्यटन में सहयोग को बढ़ाना देना। कनेक्टिविटी से जुड़ी चुनौतियों के लिए अभिनव और तकनीकी संचालित समाधानों के लिए सह-निर्माण और सह-विकास हेतु एसएमई और स्टार्ट-अप को लक्षित करके यूरोपीय और भारतीय नवोन्मेष इकोसिस्टम को जोड़ने का समर्थन करना।
तीसरा, यूरोपीय संघ और भारत तथा बाकी देशों और क्षेत्र के बीच पारदर्शी, समावेशी और नियम-आधारित कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने हेतु बाकी देशों और क्षेत्र में स्थायी कनेक्टिविटी। दस्तावेज़ में सहयोग के तीन प्रमुख क्षेत्रों - अफ्रीका, मध्य एशिया और इंडो-पैसिफिक की पहचान की गई है। दस्तावेज़ में कनेक्टिविटी के क्षेत्रीय प्रयासों का समर्थन किया गया है, विशेष रूप से, बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (बिम्सटेक) पहल का समर्थन करने हेतु मिलकर काम करना। इसमें परियोजना को तैयार करने में तकनीकी सहायता के लिए उनका समर्थन करने पर विचार करने सहित, कनेक्टिविटी साझेदारी का समर्थन करने के लिए ईआईबी और यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों के वित्तीय संस्थानों द्वारा वित्तपोषण को संरेखित करने की बात की गई है।
ग्रीन ग्रोथ की ओर
भारत-यूरोपीय संघ की साझेदारी में जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख विषय है। 2017 के भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन के दौरान स्वच्छ ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन साझेदारी की स्थापना ने "जलवायु कार्रवाई और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को हमारे समाजों के विकास की एक जरुरत के रूप में चिन्हित किया।"[vi] संयुक्त बयान में पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने के महत्व के साथ-साथ "जलवायु परिवर्तन को उपायों को मजबूत करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने हेतु अनुकूलन व लचीलापन, वित्त सहित कार्यान्वयन के साधन प्रदान करने" के महत्व पर बल दिया गया।[vii] दोनों पक्षों ने आगामी जैव विविधता सीओपी15, जलवायु सीओपी26 और दूसरे संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन को सफल बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई। यूरोपीय संघ-भारत स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदारी हेतु नए कार्यक्रम पर भी बल दिया गया। इसका उद्देश्य अक्षय ऊर्जा की तैनाती में तेजी लाने, ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने, स्मार्ट ग्रिड और स्टोरेज टेक्नॉलिजी पर सहयोग करने और इलेक्ट्रिसिटी बाजार का आधुनिकीकरण करने पर सहयोग को मजबूत करना है।
इसकी एक अन्य प्रमुख बात भारत में ऋण और इक्विटी निवेश के माध्यम से ईआईबी की बढ़ती हुई गतिविधि थी। शिखर सम्मेलन से पहले, ईआईबी और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और वित्त मंत्रालय ने कानपुर और पुणे[viii] में शहरी मेट्रो सिस्टम में 300 मिलियन यूरो और एनईईवी II[ix] में 100 मिलियन यूरो के निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए, साथ ही जलवायु कार्रवाई हेतु अभिनव समाधान विकसित करने के लिए भारत में छोटे और मध्यम व्यवसायों का समर्थन करने हेतु एक इक्विटी फंड भी स्थापित किया गया। अर्थव्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण का समर्थन करने की जरुरत पर बल देते हुए, दोनों पक्षों ने प्रासंगिक नियामक दृष्टिकोणों, बाजार-आधारित साधनों और व्यापार मॉडल पर द्विपक्षीय आदान-प्रदान को गति देने के लिए नई सर्क्यलर इकोनॉमी और संसाधन दक्षता साझेदारी के कार्यान्वयन में तेजी लाने पर भी प्रतिबद्धता दोहराई। यूरोपीय संघ ने आपदा प्रतिरोधक बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन की सदस्यता और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को अपने समर्थन की भी पुष्टि की। यूरोपीय संघ ने भारत को 'लीडर्स प्लेज़ फॉर नेचर' का समर्थन करने के लिए भी आमंत्रित किया।[x]
वैश्विक स्वास्थ्य तत्परता
भारत और यूरोपीय संघ दोनों पर ही कोविड-19 का असर पड़ रहा है, जिसकी वजह से उनकी अर्थव्यवस्थाओं को भारी नुकसान हुआ है और उनकी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर बहुत अधिक दबाव है। "वैक्सीन, निदान और उपचार की यूनिवर्सल, सुरक्षित, न्यायसंगत और सस्ती पहुंच" मुहैया करने हेतु साथ मिलकर काम करने की उनकी प्रतिबद्धता इस बैठक के प्रमुख परिणामों में से एक थी। यह शिखर सम्मेलन भारत में सामने आए कोविड-19 संकट के दौरान आयोजित किया गया था, इसलिए बैठक से पहले, यूरोपीय संघ के नागरिक सुरक्षा तंत्र के माध्यम से, यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों ने भारत को कोविड-19 संकट से लड़ने में मदद करने हेतु 100 मिलियन यूरो से अधिक के आपातकालीन उपकरण - ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और दवा जुटाए थे। संयुक्त बयान में, दोनों भागीदारों ने चिकित्सा आपूर्ति श्रृंखला को लचीला बनाने, वैक्सीन और एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स सामग्री पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की। यूरोपीय संघ ने भारत को डब्ल्यूएचओ के ढांचे के तहत अंतर्राष्ट्रीय महामारी संधि की दिशा में काम करने के लिए भी आमंत्रित किया।
उपरोक्त के अलावा, वैश्विक शासन में भारत-यूरोपीय संघ की साझेदारी को मजबूत करने पर भी बल दिया गया। तीन समावेशी क्षेत्रों पर बल दिया गया था - जिसमें पहला आतंकवाद, कट्टरता, समुद्री सुरक्षा, साइबर खतरों, परमाणु प्रसार तथा निरस्त्रीकरण का मुकाबला करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा में संयुक्त समन्वय को बढ़ावा देना। दूसरा, इसे और अधिक पारदर्शी तथा प्रभावी बनाने के लिए यूएनएससी में व्यापक सुधार करना; जेसीपीओए के संरक्षण और अफगानिस्तान में स्थिरता जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर घनिष्ठ समन्वय। तीसरा, मुक्त, खुले, समावेशी और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक के प्रति प्रतिबद्धता थी। इंडो-पैसिफिक पर बल देना, जो इंडो-पैसिफिक पर हाल ही में जारी यूरोपीय संघ के निष्कर्षों में भी देखा गया है, क्षेत्रीय अखंडता, पारदर्शिता और नेविगेशन व ओवर-फ्लाइट की स्वतंत्रता के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह आसियान को इंडो-पैसिफिक के केंद्र में भी रखता है, जो भारत के अपने इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण अनुरुप है।
निष्कर्ष
इस शिखर सम्मेलन को भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों में एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण क्षण माना गया, जहां प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति एंटोनियो कोस्टा ने भी इसे "गहन भू-राजनीतिक महत्व का क्षण" कहा था।[xi] जुलाई 2020 में 15वीं शिखर बैठक और मई 2021 में नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान - दोनों भागीदारों ने सहयोग के लिए रोडमैप 2025 तैयार किया, समुद्री सुरक्षा पर नई वार्ता की शुरूआत की, मानवाधिकार वार्ता को फिर से शुरू किया, संयुक्त आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टास्क फोर्स स्थापित करने पर सहमत हुए, व्यापार तथा निवेश पर उच्च स्तरीय वार्ता शुरू की, और भारतीय विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर और यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल ने पहली बार अफगानिस्तान पर एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें जिसमें कहा गया था कि भारत और यूरोपीय संघ अपनी विदेश नीति का दृष्टिकोण साझा मुद्दों को ध्यान में रखते हुए तैयार कर सकते हैं। इसलिए, भारत-यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों के नेताओं का शिखर सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित हुआ जब साझेदारी तेजी से बढ़ रही है और बैठक के सफल होने की पूरी उम्मीद की जा रही थी।
अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर होने वाली चर्चाओं की वजह से विगत कुछ सालों में भारत-यूरोपीय संघ के संबंध रणनीतिक हो गए हैं। भारत-यूरोपीय संघ के बीच आतंकवाद, साइबर सुरक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण, विदेश नीति सहित विभिन्न मुद्दों पर 30 से अधिक संवाद तंत्र मौजूद हैं। ब्रसेल्स में भू-राजनीतिक कारक के रूप में उभरने का दबाव बढ़ रहा है और भारत कई मायनों में इसका एक स्वाभाविक भागीदार है। साथ ही, भारत दक्षिण एशिया और हिंद महासागर के आगे भी एक विश्वसनीय कारक के रूप में उभर रहा है, जिसकी वजह से यूरोपीय संघ अपनी सीमा से आगे बढ़ने हेतु प्रेरित हुआ। इस शिखर सम्मेलन ने साझेदारी को एक नई गति दी है और विभिन्न क्षेत्रों तथा प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला है, जिन पर ध्यान देने की जरुरत है। एफटीए वार्ता को फिर से शुरू करने का फैसला निवेश पर यूरोपीय संघ-चीन व्यापक समझौते को अनुसमर्थन के निलंबन[xii] और भारत के आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होने के फैसले के दौरान किया गया है। हालांकि, वार्ता को फिर से शुरू करना एक अच्छा कदम है, लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है, क्योंकि पारंपरिक मुद्दों (बाजार पहुंच, श्रम गतिशीलता, आदि) के अलावा, विगत कुछ सालों में कई नई चुनौतियां (जैसे डेटा सुरक्षा, प्राइवेसी के मुद्दे, कार्बन टैक्स आदि) भी सामने आई हैं, जिसके लिए दोनों पक्षों को बातचीत को नए सिरे से शुरु करने की जरुरत पड़ेगी। वार्ता को जारी रखने और एफटीए के निष्कर्ष को हासिल करने के लिए दोनों पक्षों से मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी। हालांकि, आने वाले सालों में भी भारत की एक प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक कारक के रुप में भूमिका बढ़ती रहेगी, इसलिए मजबूत साझेदारी और एफटीए का निष्कर्ष यूरोप को सहयोग का नया और विविध अवसर प्रदान करेगा।
इसी तरह, कनेक्टिविटी साझेदारी भी काफी अहम है क्योंकि ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब यूरोपीय संघ ने इस तरह की रणनीति पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे पहले 2019 में जापान के साथ हस्ताक्षर किए गए थे। पर्याप्त प्रभाव पड़े इसके लिए, भारत और यूरोपीय संघ को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के स्तर की प्रतिस्पर्धा करनी होगी। हालांकि, दोनों भागीदारों ने एशिया में कनेक्टिविटी पहलों में काफी अधिक निवेश किया है, लेकिन यह अभी भी पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अवसंरतचा के विकास के लिए जरुरी अनुमानित 1.3 ट्रिलियन यूरो से काफी कम है। साथ ही, भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा विश्व व्यापार संगठन के सामने रखे गए वैक्सीन के उत्पादन के लिए ट्रिप्स छूट से संबंधित मुद्दों पर भी तुरंत चर्चा करने की जरुरत है। शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने यूरोपीय संघ के नेताओं से कोविड-19 वैक्सीन के लिए ट्रिप्स छूट का समर्थन करने का आह्वान किया, ताकि वैक्सीन के उत्पादन में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके।[xiii] दोनों पक्षों ने वैश्विक स्वास्थ्य को लचीली बनाने पर साथ मिलकर काम करने और यूरोपीय संघ के वैक्सीन छूट पर गैर-प्रतिबद्ध रहने के साथ लचीला चिकित्सा आपूर्ति श्रृंखला पर ध्यान देने की प्रतिबद्धता दोहराई।
कुल मिलाकर, इस बैठक से पता चलता है कि भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों ने 2000 के बाद से एक लंबा रास्ता तय कर लिया है। अब, संयुक्त बयान से आगे बढ़कर संयुक्त कार्रवाई पर बल देने की जरुरत है, क्योंकि निर्णयों के कार्यान्वयन से ही भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी की आगे की दिशा तय होगी। क्योंकि भारत और यूरोपीय संघ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रूप से किस तरह से सहयोग करेंगे, इससे उनकी वैश्विक महत्वाकांक्षा और प्रतिष्ठा परिभाषित होगी।
*****
*डॉ. अंकिता दत्ता विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
समाप्ति टिप्पणी
[i] ‘EU-India Factsheet’, EU-India Strategic Partnership – Leaders’ Meeting, EEAS, 8 May 2021, https://eeas.europa.eu/headquarters/headquarters-homepage/98010/eu-india-leaders%E2%80%99-meeting-8-may-factsheet_en, Accessed on 12 May 2021
[ii] ‘EU and India launched the High-Level Dialogue on Trade and Investment’, European Commission, 6 February 2021, https://trade.ec.europa.eu/doclib/press/index.cfm?id=2242, Accessed on 12 May 2021
[iii] ‘EU and India launched the High-Level Dialogue on Trade and Investment’, European Commission, 6 February 2021, https://trade.ec.europa.eu/doclib/press/index.cfm?id=2242, Accessed on 12 May 2021
[iv] India-EU Connectivity Partnership, Ministry of External Affairs, 8 May 2021, https://www.mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/33854/IndiaEU+Connectivity+Partnership, Accessed on 13 May 2021
[v] Ibid.
[vi] EU-India Joint Statement on Clean Energy and Climate Change, 2017, European Council, https://www.consilium.europa.eu/media/23517/eu-india-joint-declaration-climate-and-energy.pdf, Accessed on 13 May 2021
[vii] EU-India Joint Statement on Clean Energy and Climate Change, 2017, European Council, https://www.consilium.europa.eu/media/23517/eu-india-joint-declaration-climate-and-energy.pdf, Accessed on 13 May 2021
[viii] ‘EIB supports COVID recovery, climate action and urban transport upgrades with EUR 325m of new sustainable investment’, EIB, 7 May 2021, https://www.eib.org/en/press/all/2021-152-eib-supports-india-covid-recovery-climate-action-and-urban-transport-upgrades-with-eur-325m-of-new-sustainable-investment#:~:text=All%20releases-,India%3A%20EIB%20supports%20COVID%20recovery%2C%20climate%20action%20and%20urban%20transport,325m%20of%20new%20sustainable%20investment&text=Werner%20Hoyer%2C%20President%20of%20the,the%20escalating%20COVID%2D19%20crisis., Accessed on 14 May 2021
[ix]‘India: New €100 million EIB and State Bank of India private sector climate action initiative launched at EU-India Leaders Meeting’, EIB, 7 May 2021, https://www.eib.org/en/press/all/2021-154-new-eur100-million-eib-and-state-bank-of-india-private-sector-climate-action-initiative-launched-at-eu-india-leaders-meeting#, Accessed on 14 May 2021
[x]‘India: New €100 million EIB and State Bank of India private sector climate action initiative launched at EU-India Leaders Meeting’, EIB, 7 May 2021, https://www.eib.org/en/press/all/2021-154-new-eur100-million-eib-and-state-bank-of-india-private-sector-climate-action-initiative-launched-at-eu-india-leaders-meeting#, Accessed on 14 May 2021
[xi] Politico.eu, 7 May 2021, https://www.politico.eu/article/trade-eu-india-partnership-narendra-modi-antonio-costa/, Accessed on 15 May 2021
[xii] The Guardian, 4 May 2021, https://www.theguardian.com/world/2021/may/04/eu-suspends-ratification-of-china-investment-deal-after-sanctions, Accessed on 15 May 2021
[xiii]ANI News, 9 May 2021, https://www.aninews.in/news/world/asia/pm-modi-asks-eu-to-support-trips-waiver-eu-doesnt-see-it-as-magic-solution20210508235712/, Accessed on 15 May 2021