यूरोपीय संघ (ईयू) ने अप्रैल 2021 में "हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की यूरोपीय संघ की रणनीति के निष्कर्ष" नामक अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति जारी की। यह रणनीति दर्शाती है कि यूरोपीय संघ ने इंडो-पैसिफिक के उभरते भू-राजनीतिक महत्व और इस क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों व अवसरों को समझा है। यह निष्कर्ष दर्शाता है कि यूरोपीय संघ "इंडो-पैसिफिक में स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी और नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देते हुए, क्षेत्र की स्थिरता, सुरक्षा, समृद्धि व सतत विकास में योगदान करने के उद्देश्य से इंडो-पैसिफिक में अपने रणनीतिक लक्ष्य, मौजूदगी और कार्यों को सुदृढ़ करने हेतु प्रतिबद्ध हैं।"[i] यह इस क्षेत्र में अभी हो रहे बदलावों को भी इंगित करता है जिसकी वजह "गहन भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा पैदा हुआ है...और जिससे इस क्षेत्र और उससे आगे क्षेत्रों की स्थिरता व सुरक्षा को खतरा पैदा हो रहा है, जिसका सीधा प्रभाव यूरोपीय संघ के हितों पर पड़ता है।"[ii]
इंडो-पैसिफिक रणनीति की वजह क्या है?
यूरोपीय संघ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के महत्व को समझता है, क्योंकि यह दुनिया का आर्थिक तथा रणनीतिक केंद्र है। इन निष्कर्षों में इस क्षेत्र को "अफ्रीका के पूर्वी तट से प्रशांत द्वीप राज्यों तक के भौगोलिक क्षेत्र को शामिल करते हुए"[iii] परिभाषित किया गया है। यहां दुनिया की 60% आबादी रहती है, जो दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का 60% उत्पादन करती है, जिसका योगदान मौजूदा वैश्विक विकास में दो-तिहाई का है। इसके अलावा, इस क्षेत्र में यूरोपीय संघ के चार रणनीतिक साझेदार - चीन, भारत, जापान और कोरिया गणराज्य स्थित हैं। यूरोपीय देश भी व्यापार और निवेश के जरिए इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। एशिया के साथ यूरोपीय संघ का व्यापार 2018 में 1.8 ट्रिलियन यूरो था और एशिया में एफडीई की राशि 90 बिलियन यूरो था।[iv] क्योंकि इसके व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इंडियन और प्रशांत महासागरों के समुद्री मार्ग से होकर गुजरता है, इसलिए "सभी के हित का ध्यान रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से यूएनसीएलओएस का पूरी तरह से अनुपालन करते हुए सुरक्षित मुक्त और खुले समुद्री आपूर्ति मार्ग"[v] पर रणनीति में बल दिया गया है।
यूरोपीय संघ सतत विकास और जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को हासिल करने में इस क्षेत्रों अहम मानता है। क्योंकि, यूरोपीय संघ के इस क्षेत्र के देशों के साथ बहुआयामी संबंध हैं, इसलिए इस निष्कर्ष का उद्देश्य "सभी भागीदारों के साथ अपने संबंधों में सुदृढ़ बनाना...विकास तथा मानवीय सहायता में योगदान देना, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि और प्रदूषण जैसी समस्याओं से निपटना, महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौतों का हल निकालना, और मानव अधिकारों तथा नेविगेशन की स्वतंत्रता सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून को बनाए रखने में योगदान करना हैं।"[vi] निष्कर्ष को पेश करने की एक वजह यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों के भीतर चीन को लेकर बदलती धारणा भी है। हालांकि, इस रणनीति में साफ तौरपर किसी देश का नाम नहीं लिया गया है, फिर भी यह भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता, आपूर्ति श्रृंखला, कनेक्टिविटी और अंतरराष्ट्रीय कानून के शासन से संबंधित चुनौतियों की ओर इशारा करती है।
प्राथमिकता के क्षेत्र
ये निष्कर्ष क्षेत्र के संदर्भ में यूरोपीय संघ के व्यापक एजेंडे को दर्शाते हैं। इसमें नियम आधारित बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने हेतु भागीदारों के साथ मिलकर काम करने को प्राथमिकता दी गई है। यह समुद्री व विमान मार्गों की सुरक्षा, आर्थिक विकास, प्रवास, प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों को हल करने हेतु क्षेत्र के समान विचारधारा वाले भागीदारों और प्रमुख हितधारकों के साथ सहयोग बढ़ाने पर बल देता है। यह इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए क्षेत्रीय संगठनों विशेष रूप से आसियान को केंद्र को मानते हुए इसके साथ जुड़ाव बढ़ाने की बात करता है, जो भारत के इंडो-पैसिफिक विजन के अनुरुप है। हिन्द महासागर तटीय सहयोग संघ, एएसईएम, पैसिफिक आइलैंड फोरम और प्रशांत क्षेत्रीय संगठनों एवं प्रशांत समुदाय की परिषद के साथ भी राजनीतिक और रणनीतिक जुड़ाव बढ़ाने का उल्लेख किया गया है।
निष्कर्ष के प्रमुख पहलुओं में से एक यूरोपीय संघ का सुरक्षा कारक के रुप में उभरना है। इंडो-पैसिफिक में मौजूद समुद्री सुरक्षा, अप्रसार, साइबर सुरक्षा, विघटनकारी तकनीकों, आतंकवाद से मुकाबला जैसी कई सुरक्षा चुनौतियों का जिक्र निष्कर्ष में किया गया है। इन सभी मुद्दों में से, "अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से यूएनसीएलओएस के अनुसार क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा की निगरानी और नेविगेशन की स्वतंत्रता तथा पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए" इंडो-पैसिफिक में परस्पर लाभ के समुद्री क्षेत्र की स्थापना पर बल दिया गया है।[vii] इसके लिए, यूरोपीय संघ यूरोपीय तथा एशियाई देशों की नौसेनाओं के बीच जुड़ाव और समुद्री क्षेत्र में जागरूकता को बढ़ाना चाहता है। क्योंकि, ईयूएनएवीएफओआर अटलंता के माध्यम से यूरोपीय संघ के पास हिंद महासागर में पर्याप्त अनुभव है, इसलिए यह क्रिमारियो II के भौगोलिक दायरे का हिंद महासागर से दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया तक विस्तार करने की योजना बना रहा है ताकि समुद्री मार्गों में संचार को सुरक्षित बनाया जा सके। यह दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में क्रिमारियो को दोहराने की भी योजना बना रहा है।
निष्कर्ष का मुख्य उद्देश्य आर्थिक संबंधों को बढ़ाना है। इसने समावेशी सामाजिक-आर्थिक सुधार और विकास को बढ़ावा देने को प्राथमिकता दी है। ऐसा विशेष तौरपर ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और न्यूजीलैंड के साथ नए व्यापार और निवेश समझौतों - और चीन के साथ निवेश संबंधी समझौते को पूरा करने और भारत के साथ आर्थिक संबंधों को गहरा करने हेतु जरुरी कदम उठाने के माध्यम से किये जाने की योजना है। यूरोपीय संघ संयुक्त शोध और विकास परियोजनाओं तथा उच्च शिक्षा में आदान-प्रदान के माध्यम से नवोन्मेष पर सहयोग को मजबूत करने पर भी बल देगा। कनेक्टिविटी परिषद के निष्कर्षों का एक प्रमुख घटक है। यूरोपीय संघ की 2018 कनेक्टिविटी रणनीति और कनेक्टिविटी और यूरोपीय संघ-एशिया संबंधों पर यूरोपीय संघ की संसद की मसौदा रिपोर्ट (2020) की तरह ही मौजूदा रणनीति भी इस क्षेत्र में धारणीय कनेक्टिविटी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर बल देती है। यह कनेक्टिविटी की बहु-आयामीता और "निजी पूंजी को प्रोत्साहित करने और यूरोपीय संघ के व्यवसायों को शामिल करने की आवश्यकता पर केंद्रित है, जहां यूरोपीय संघ के भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के वित्तीय साधनों का इस्तेमाल करना व्यवहार्य हो।"[viii] इसके अलावा, कोविड-19 के सबक से सीखते हुए, विकास और नौकरियों को प्रोत्साहित करने हेतु शुरु की गई वरीयता की सामान्यीकृत योजना (जीएसपी) के माध्यम से देशों की मदद करने के साथ-साथ फार्मास्युटिकल और स्वास्थ्य संबंधित आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुरक्षा और विविधीकरण पर भी बल दिया गया है।
निष्कर्ष
यूरोपीय संघ की इंडो-पैसिफिक रणनीति एक अच्छा कदम है; लेकिन, यूरोपीय संघ को अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बहुत अधिक प्रयास करने होंगे। पहला, फ्रांस के अलावा, यूरोपीय संघ के किसी भी अन्य देश के पास इंडो-पैसिफिक में स्थित होने का लाभ नहीं है - इसलिए, यूरोपीय संघ को अपने तय लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कड़े प्रयास और कार्य करने होंगे। दूसरा, प्रभावी क्रियान्वयन के लिए उसे चीन को लेकर आंतरिक बंटवारे को दूर करना होगा। चीन पर आर्थिक निर्भरता की वजह से यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश संघ के भीतर विभाजन पैदा करने वाले चीन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का समर्थन करने से कतराते रहे हैं। हालांकि, महामारी के दौरान बीजिंग द्वारा अपनाई गई राजनयिक स्थिति के कारण यूरोपीय संघ कुछ हद तक विभाजनों को दूर कर सका है, लेकिन, क्या इसे लंबे समय तक कायम रखा जा सकता है, यह कहना मुश्किल है। तीसरा, हालांकि, इंडो-पैसिफिक के भागीदार देश यूरोप से अपने जुड़ाव को बढ़ाना चाहते हैं, इसलिए यूरोपीय संघ द्वारा इस भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक हॉटस्पॉट को काफी देर से स्वीकृति को देखते हुए इस क्षेत्र के प्रति उसे व्यावहारिक और सक्रिय होने की जरुरत है। चौथा, कनेक्टिविटी के मामले में यूरोपीय संघ को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी। अब तक, यूरोपीय संघ ने 2014-2020 में एशिया में कनेक्टिविटी से जुड़ी पहलों पर लगभग 8 बिलियन यूरो[ix] का निवेश किया है, जो कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अवसंरचना के विकास के लिए जरुरी अनुमानित 1.3 ट्रिलियन यूरो[x] से काफी कम है।
कुल मिलाकर, क्योंकि 2021 के अंत तक विस्तृत रणनीति आने की उम्मीद है, इसलिए इन निष्कर्षों को "सहयोगी" भागीदार के रूप में अपनी भूमिका को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से यूरोपीय संघ की बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षा और इस क्षेत्र के समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ सहयोग करके अपनी मौजूदगी को बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।
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*डॉ. अंकिता दत्ता विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
समाप्ति टिप्पणी
[i] “EU Strategy for cooperation in the Indo-Pacific - Council Conclusions”, Council of the European Union, 16 April 2021, Brussels
[ii] Ibid.
[iii] Ibid.
[iv] “Explained- the economic ties between Europe and Asia”, World Economic Forum, 14 May 2019, https://www.weforum.org/agenda/2019/05/ways-asia-and-europe-together-connected/, Accessed on 4 May 2021
[v] Council Conclusions, n.1
[vi] Council Conclusions, n.1
[vii] Ibid.
[viii] Council Conclusions, n.1
[ix] “Explaining the European Union's approach to connecting Europe and Asia”, European Council, 2018, https://ec.europa.eu/commission/presscorner/detail/en/MEMO_18_5804, Accessed on 4 May 2021
[x] “Prospects for EU-Asia connectivity - The European way to connectivity”, Briefing, European Parliament, 2021