31 अक्टूबर 2021 को हुए जापान के आम चुनाव में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) का सत्तारूढ़ गठबंधन और उसके सहयोगी कोमीतो को जीत हासिल हुई। हालांकि, उन्हें चुनाव से पहले अनुमानित 305 सीटों की तुलना में 12 सीटें कम मिलीं, फिर भी गठबंधन 'डायट में पूर्ण स्थाई बहुमत' पाने में कामयाब रहा। लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने 261 सीटें जीतकर चुनाव विशेषज्ञों को हैरानी में डाल दिया। सत्ता-विरोधी भावना, विशेष रूप से सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के प्रबंधन को लेकर ऐसी उम्मीदें थी की सीटों में काफी अधिक कमी आयेगी।[1] चुनाव अभियान के दौरान, एलडीपी के नव निर्वाचित नेता, प्रधानमंत्री फ़ुमिओ किशिदा ने गठबंधन की साधारण बहुमत हासिल करने की उम्मीद कम ही रखी थी।[2]
डायट में 261 सीटों के साथ, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी स्थिर सरकार बनाएगी तथा अपने गठबंधन सहयोगी के दबाव से निपट सकेगी, जहां उनके बीच नीतिगत मुद्दों पर कुछ मतभेद हैं। संख्या 261 को जापानी संसदीय संदर्भ में एक जादुई संख्या माना जाता है, क्योंकि, किसी भी पार्टी या सत्तारूढ़ गठबंधन को 'स्थाई बहुमत' के लिए इतनी सीटें जीतनी होती है, ताकि सरकार सुचारू तरीके से अपना कामकाज कर सके और इससे सत्तारूढ़ पार्टी को संसद के सभी पदों पर काबिज होने तथा उसपर अपने सदस्यों की नियुक्ति करने की सहुलियत मिल जाती है।
चित्र 1: डायट-निचले सदन की सदस्य संख्या-चुनाव के पश्चात[3]
डायट 2: डायट-निचले सदन की सदस्य संख्या-चुनाव के पूर्व
चुनाव से ठीक पहले योशीहिदे सुगा को हटाकर नेतृत्व किशिदा के हाथों में सौंपना एलडीपी की चुनावों में जीत का एक महत्वपूर्ण कारक था। किशिदा को पार्टी का मुख्य चेहरा बनाने से योशीहिदे प्रशासन द्वारा कोविड प्रतिक्रिया की खामियों की वजह से फैले जनता के बीच के असंतोष को दूर करने में एलडीपी को मदद मिली। दूसरा, चुनाव से ठीक पहले कोविड के मामलों में उल्लेखनीय कमी से भी सत्तारूढ़ गठबंधन को अपनी छवि ठीक करने में मदद मिली। हालांकि इन कारकों की वजह से सत्तारूढ़ गठबंधन को कई सीटों का नुकसान भी हुआ, लेकिन इस चुनाव से जापानी मतदाताओं की स्थिरता व यथास्थिति की प्राथमिकता तथा स्थिर सरकार देने में एलडीपी की क्षमता में उनका विश्वास नज़र आता है, खासकर तब जब देश अनिश्चितता का माहौल है।
विपक्ष की नाजुक स्थिति
चुनाव के परिणाम जापानी विपक्षी दलों के लिए निराशाजनक रहे, जिन्होंने कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से एलडीपी की हाई डिसअप्रूवल रेटिंग को भुनाने की पुरजोर कोशिश की। एलडीपी विरोधी पार्टियों के बीच वोट का बंटवारा न हो इसके लिए, मुख्य विपक्षी दल - कांस्टीट्यूशनल डेमोक्रेटिक पार्टी (सी.डी.पी.) ने जापान कम्युनिस्ट पार्टी (जे.सी.पी.), रीवा शिंसेंगुमी तथा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी सहित कई अन्य विपक्षी दलों के साथ सामरिक गठबंधन किया, और कुल 289 एकल चुनावी जिलों में से 213 या 75 प्रतिशत पर सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ अपने विपक्षी उम्मीदवार को खड़ा करने में कामयाब रहे।[4] हालांकि, इनमें से 139 सीटें सत्तारूढ़ गठबंधन ने जीती, जबकि एकीकृत विपक्षी उम्मीदवार केवल 59 सीटें की जीत सकें। बाकी की सीटें दक्षिणपंथी निप्पॉन इशिन नो काई तथा स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जीतीं। कुल मिलाकर, सी.डी.पी. को 96 सीटें मिली, जो चुनाव से पहले की 110 से कम थी, जे.सी.पी. ने 10 सीटें जीतीं, रीवा को 3 तथा एस.डी.पी. ने केवल एक सीट जीती।[5]
सीडीपी ने एकीकृत मोर्चे को एलडीपी को चुनौती देने की एक अच्छी चुनावी रणनीति माना, और इससे सीडीपी के कई पारंपरिक समर्थक उससे हट गए, जिसमें जापानी ट्रेड यूनियन संघ रेंगो भी शामिल था, मुख्य रूप से सीडीपी तथा जेसीपी के बीच वैचारिक व नीतिगत अंतर के कारण।[6] मतदाताओं का कम मतदान करना भी विपक्ष के निराशाजनक प्रदर्शन का एक कारण रहा है। 56 प्रतिशत मतदान के साथ, यह चुनाव युद्ध के बाद के जापान के चुनावी इतिहास में तीसरा सबसे कम प्रतिशत मतदान था। हार की जिम्मेदारी लेते हुए सीडीपी नेता युकिओ एडानो तथा उनके डिप्टी टेटसुरो फुकुयामा ने इस्तीफा दे दिया है।[7]
चुनाव की एक अन्य महत्वपूर्ण बात ओसाका स्थित दक्षिणपंथी क्षेत्रीय पार्टी निप्पॉन ईशिन नो काई का उदय होना है जो डायट के निचले सदन में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। ईशिन ने पिछले चुनाव में 11 सीटों की तुलना में 41 सीटें जीतकर अपनी स्थिति को मजबुत कर लिया है। ओसाका की ईशिन के नेतृत्व वाली प्रांतीय सरकार द्वारा कोविड-19 पर जल्द कार्रवाई करना ओसाका के पश्चिमी प्रान्त में सभी सीटों पर जीत हासिल करने में मतदाताओं के बीच पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता का एक महत्वपूर्ण कारक रही है। यह मतदाताओं द्वारा एलडीपी तथा सीडीपी के अलावा किसी तीसरे दल का समर्थन करने की रुचि को भी दर्शाता है।[8] संवैधानिक संशोधन और रक्षा व राष्ट्रीय सुरक्षा पर एलडीपी और ईशिन के बीच अभिसरण को देखते हुए, आगे डायट में ईशिन की भूमिका क्या रहती है, यह देखना दिलचस्प होगा।
चुनाव की एक अन्य महत्वपूर्ण बात कई दिग्गज दिग्गज राजनेताओं की हार थी। हालांकि, ऐसा सभी पार्टियों में देखा गया, लेकिन जिस पर सबसे अधिक ध्यान जाता है, वे एलडीपी के नेता थे, जिनमें पार्टी के महानिदेशक अकीरा अमारी भी शामिल थे। भले ही अमारी, जिनपर रिश्वत लेने का आरोप है, पार्टी की प्रतिनिधित्व सूची के ज़रिए निचले सदन हेतु चुने गए थे, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ था जब एलडीपी के मौजूदा दूसरे नंबर के नेता को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। अपनी हार के बाद, अमारी ने महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी ने ले ली। एलडीपी के अन्य दिग्गज नेता जो अपनी घरेलू सीटों से चुनाव हार गए हैं, वे हैं नोबुटेरू इशिहारा - पूर्व मंत्री तथा एलडीपी महासचिव और वर्तमान में एक छोटे गुट एलडीपी गुट के प्रमुख, ताकेशी नोडा, जो लंबे समय से पार्टी के बड़े नेता थे, जिन्होंने हाल ही में पार्टी नेतृत्व पाने के लिए किशिदा के खिलाफ चुनाव लड़ा था। विपक्षी खेमे से हारने वाले नेताओं में इचिरो ओज़ावा, जिन्हें अक्सर उनपर राजनीतिक प्रभाव के कारण 'शैडो शोगुन' कहा जाता है और सीडीपी के उप नेता कियोमी त्सुजिमोटो शामिल हैं।
किशिदा प्रशासन: भावी रास्ता
आम चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन की सफलता प्रधानमंत्री किशिदा के लिए एक बड़ी जीत है, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा के इस्तीफे के पश्चात चुनाव से एक महीने पहले ही पार्टी का नेतृत्व संभाला था। किशिदा ने पार्टी के भीतर अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए चुनाव से पहले की इस आशंका को खत्म कर दिया है कि जापान में प्रधानमंत्रियों के बार-बार बदलने का दौर वापस आ सकता है। किशिदा के सामने अगली चुनौती 2022 की गर्मियों में होने वाला ऊपरी सदन का चुनाव है। इस बार के विपरीत, इसमें प्रशासन के प्रदर्शन का आंकलन सार्वजनिक होगी।
चुनावों में जीत से किशिदा प्रशासन को अपने नीतिगत एजेंडे को लागू करने का एक ठोस आधार भी मिलेगा। उनके प्रशासन की पहली प्राथमिकता कोविड महामारी की नई लहर से बचना तथा आर्थिक सुधार की होगी। आर्थिक सुधार के लिए, किशिदा ने एक बड़ा प्रोत्साहन पैकेज देने का वादा किया था। आर्थिक नीति एकमात्र ऐसा मुद्दा है जिसपर किशिदा प्रशासन पिछले अबे/सुगा मंत्रिमंडल से अलग नज़र आ रहा है। आर्थिक विकास तथा धन के पुनर्वितरण दोनों पर समान जोर देने के साथ 'नए जापानी पूंजीवाद' का किशिदा द्वारा आह्वान।[9] यह नई नीति एबेनॉमिक्स के तहत लागू किए गए नव-उदारवादी एजेंडे के नकारात्मक परिणामों को दूर करने का प्रयास है। हालांकि, आर्थिक नीति में इस तरह के बदलाव की बात करना, करने से कही अधिक कठिन है। इसके अलावा, गर्मियों में ऊपरी सदन के चुनाव को ध्यान में रखते हुए, नया प्रशासन संवैधानिक संशोधन, रक्षा खर्च में वृद्धि, पहले-हमला करने की क्षमता जैसे अभी तक के अप्रिय मुद्दों को दबाने पर होने वाली बहस में टालमटोल या देरी करेगा।
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*डॉ. जोजिन वी. जॉन, अध्येता, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।.
अस्वीकरण: व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद-टिप्पणियां
[1] "Polls suggest Japan's ruling bloc will cling to election majority", Reuters, October 21, 2021, https://www.reuters.com/world/asia-pacific/japans-ruling-bloc-seen-cling-majority-oct-31-election-2021-10-21/, Accessed on November 8, 2021
[2] "Polls suggest Japan's ruling bloc will cling to election majority", Reuters, October 21, 2021, https://www.reuters.com/world/asia-pacific/japans-ruling-bloc-seen-cling-majority-oct-31-election-2021-10-21/, Accessed on November 8, 2021
[3] “"House of Representatives election 2021", Nikkei, https://www.nikkei.com/special/shuin2021, Accessed on November 8, 2021
[4] "General Election 2021 Live Updates", Japan Times, November 1, 2021, https://www.japantimes.co.jp/election-2021-live-updates/, Accessed on November 8, 2021
[5] "General Election 2021 Live Updates", Japan Times, November 1, 2021, https://www.japantimes.co.jp/election-2021-live-updates/, Accessed on November 8, 2021
[6] "Japan's opposition CDP leader to resign after election loss", Nikkei Asia Review, November 2, 2021, https://asia.nikkei.com/Politics/Japan-s-opposition-CDP-leader-to-resign-after-election-loss, Accessed on November 8, 2021
[7] "Japan's opposition CDP leader to resign after election loss", Nikkei Asia Review, November 2, 2021, https://asia.nikkei.com/Politics/Japan-s-opposition-CDP-leader-to-resign-after-election-loss, Accessed on November 8, 2021
[8] "Swing voters key to Ishin nearly quadrupling seats", The Japan News, November 1, 2021, https://the-japan-news.com/news/article/0007941312, Accessed on November 8, 2021
[9] Daisuke Akimoto and Larissa Stünkel, "What Is Kishidanomics?", The Diplomat, October 14, 2021, https://thediplomat.com/2021/10/what-is-kishidanomics/, Accessed on November 8, 2021