यूक्रेन के आसपास रूसी सैनिकों की बढ़ती तैनाती के बीच, इसके राष्ट्रपति व्लादिमिर ज़ेलेंस्की ने 19 फरवरी को 58वें म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन में एक भाषण दिया। मास्को के प्रति अपनी 'तुष्टिकरण' की नीति को छोड़ने के लिए पश्चिम से कहते हुए उन्होंने उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (एनएटीओ/ नाटो) के साथ–साथ यूरोपीय संघ (ईयू) में यूक्रेन की सदस्यता के लिए एक स्पष्ट समय सीमा की मांग की।[i] दो दिन बाद, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने टेलीविज़न पर दिए एक भाषण में, डोनेट्स्क पीपुल्स रिपब्लिक (डीपीआर) और लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक (एलपीआर) की स्वतंत्रता को मान्यता दी।[ii] उन्होंने रूसी संघ और इन नए मान्यता प्राप्त गणराज्यों के बीच मित्रता, सहयोग एवं पारस्परिक सहायता संधि के अनुसमर्थन पर संघीय कानून पर भी हस्ताक्षर किए। संघीय कानून को ड्यूमा राज्य द्वारा अपनाया गया था और 22 फरवरी को फेडरेशन काउंसिल द्वारा अनुमोदित किया गया था।[iii] राष्ट्रपति पुतिन ने इसके बाद यूक्रेन पर थल, वायु और जल मार्ग से पूर्ण रूप से हमले की मंजूरी दी, जिसे उन्होंने 24 फरवरी को “विशेष सैन्य अभियान” के रूप में संदर्भित किया था।[iv] इसने पिछले वर्ष दिसंबर में संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) और नाटो से सुरक्षा गारंटी[v] के लिए रूस से जवाबी कार्रवाई की शुरुआत को चिन्हित किया।
तब से, यूक्रेन संकट की नई लहर में उलझा हुआ है जिसके परिणामस्वरूप पश्चिम से कड़ा प्रतिरोध हुआ है। यह पत्र वर्तमान संकट के मूल कारणों और पश्चिम से मिली प्रतिक्रियाओं की पड़ताल करता है। यह भारत की प्रतिक्रिया और भारत के लिए अमेरिका/ ईयू– रूस के नए सिरे से टकराव के निहितार्थों को रेखांकित करते हुए समाप्त होता है।
पृष्ठभूमि
वर्ष 2013 में, यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के यूरोपीय संघ के साथ एक संधि समझौता करने से इनकार करने के बाद यूक्रेन में विरोध की लहर शुरू हो गई जिसने आने वाले महीनों में हिंसक रूप ले लिया। यूरोपीय संघ के समझौते को अस्वीकार करने का यानुकोविच का फैसला रूस का विरोध न करने के तर्क पर आधारित था। उक्त सौदे से अचानक मुकर जाने और छोड़ने के बढ़ते दवाब के कारण यानुकोविच 22 फरवरी 2014 को कीव से भाग गए और रूस की शरण ली। इसके तुरंत बाद, रूस ने क्रीमिया प्रायद्वीप में एक (बहस) जनमत संग्रह कराया और उस पर कब्ज़ा कर लिया। हालांकि क्रीमिया की अंतरराष्ट्रीय स्थिति अभी भी विवादित है और इसे ‘राज्य–हरण' माना जाता है, रूस क्रीमिया को अपने देश का अभिन्न अंग मानता है। इस बीच, यूक्रेन का रूसी भाषी पूर्वी किनारा– डोनबास जिसमें डोनेट्स्क और लुहांस्क आते हैं, का झुकाव रूस की ओर है और पिछले आठ वर्षों से संघर्षरत है। रूस द्वारा इन अलग– अलग क्षेत्रों को 21 फरवरी को अचानक दी गई मान्यता और मित्रता, सहयोग एवं पारस्परिक सहायता संधि का समर्थन एवं 24 फरवरी को 'विशेष सैन्य अभियान' शुरू किए जाने से यूक्रेन और रूस के बीच शत्रुता के नए चरण की शुरुआत हुई। अनुसमर्थन के समय मॉस्को में क्रमशः डीपीआर और एलपीआर नेताओं– डेनिस पुशिलिन और लियोनिद पासचनिक की उपस्थिति यूक्रेन के पूर्व– पश्चिम विभागजन को भी उजागर करती है।
जैसा कि यूक्रेन में घटनाएं जारी हैं, रूस और यूक्रेन की वार्ता[vi] से अब तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है।
रूसी कार्रवाई के कारक
यूक्रेन में 2014 का संकट यूरोपीय संघ– रूस के बीच आम भौगोलिक स्थान पर टकराव के नए चरण की शुरुआत थी जिसे रूस ‘विदेश के पास’ के रूप में संदर्भित करता है। इससे पहले 2008 में ऐसा ही टकराव जॉर्जिया में भी हुआ था। हालांकि 2014 में रूस की प्रतिक्रिया के कारण यूक्रेन ने ईयू से ‘संधि' कर ली थी, वर्तमान प्रतिक्रिया अनिवार्य रूप से नाटो और अमेरिका की ओर लक्षित है।
रूस अक्सर पश्चिम पर नाटो के पूर्व की ओर विस्तार को रोकने के अपने ‘वादे’ को तोड़ने का आरोप लगाता रहा है। पोलैंड, हंग्री और चेक गणराज्य(1999); बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया (2004); अल्बानिया और क्रोएशिया (2009), मोंटेनेग्रो (2017) और उत्तरी मैसेडोनिया (2020) को शामिल करने के लिए नाटो की क्रमिक लहरें का रूस में संशयवाद से मेल हुआ। लगभग उसी समय यूरोपीय संघ के पूर्व की ओर विस्तार के साथ संयुक्त नाटो विस्तार को रूस में रूस को अलग– थलग करने के पश्चिमी प्रयासों के रूप में देखा गया। यहां इस बात पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि 1990 के दशक के दौरान और 2000 के दशक के आरंभ में, रूसी विदेश नीति की प्राथमिकता यूरोप के साथ एकीकरण की थी। हालांकि, नाटो के विस्तार, यूरोपीय संघ की यूरोपीय पड़ोस नीति और बाद में इसकी पूर्वी साझेदारी पहल को रूस में बढ़ती निराशा का सामना करना पड़ा। रूस की इन शिकायतों को 2007 में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन के प्रसिद्ध भाषण में स्पष्ट रूप से व्यक्त किया गया था जहां उन्होंने नाटो के पूर्व की ओर विस्तार की निंदा की थी।
इस संदर्भ में देखा जाए तो यूक्रेन में चल रहा संघर्ष रूसी शिकायतों और मांगों का ही परिणाम है जिसे पश्चिम ने नज़रअंदाज़ कर दिया है। हालांकि रूस ने नाटो के विस्तार को रोकने के लिए अतीत में कई प्रयास किए लेकिन दिसंबर 2021 में इसने एक कदम आगे बढ़ाया जब उसने “ सुरक्षा गारंटी पर रूसी संघ और अमेरिका के बीच संधि का मसौदा”, के साथ– साथ “रूसी संध और नाटो के सदस्य देशों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर समझौता का मसौदा” सौंपा। इनके साथ मॉस्को ने नाटो से “किसी भी प्रकार के और विस्तार से बचने हेतु” प्रतिबद्धता सहित सुरक्षा गारंटी और अन्यों के अलावा “ यूक्रेन के साथ– साथ पूर्वी यूरोप में अन्य राज्यों, दक्षिण कोकेशस और मध्य एशिया में किसी भी सैन्य गतिविधि का संचालन न किए जाने”[vii] की मांग की। 24 फरवरी को देश की कार्रवाई इस प्रकार यूक्रेन की नाटो सदस्या को रोकने का एक हताश प्रयास था, जिसे वह “न केवल एक पड़ोसी देश बल्कि अपने इतिहास, संस्कृति, आध्यात्मिक स्थल का अभिन्न अंग मानता है”[viii], इसके अलावा वह कीव को मिन्स्क समझौते का अनुपालन करने को विवश करना चाहता था।[ix] राष्ट्रपति पुतिन के भाषण में यह दृष्टिकोण साफ झलकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि “…वर्तमान परिस्थित में, जब मौलिक मुद्दों पर समान वार्ता के हमारे प्रस्ताव वास्तव में अमेरिका और नाटो द्वारा अनुत्तरित हो गए हैं, जब हमारे देश के लिए संकट का स्तर बहुत बढ़ रहा है, रूस को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जवाबी कार्रवाई करने का पूरा अधिकार है। हम बिल्कुल यही करेंगें”। जैसे, जारी संकट ने शीत युद्ध की समाप्ति के बाद पहली बार “पूर्व सोवियत क्षेत्र में पश्चिमी गठबंधन के और विस्तार को रोकने के लिए सैन्य बल का उपयोग करने हेतु रूस की तत्परता” का प्रदर्शन किया है।[x]
इस संबंध में, रूस के आक्रमण के मुख्य कारण इलाके में उसके सुरक्षा हित हैं। इसके अलावा, पश्चिम की ओर यूक्रेन का रुझान और पश्चिमी संगठनों का हिस्सा बनने की उसकी आकांक्षाएं भी रूस के साथ उसके साझा इतिहास को देखते हुए चिंता का कारण रही हैं। जैसा कि रूसी विद्वान आंद्रे सुशंत्सोव कहते हैं, “बीते तीन दशकों में, रूस ने इस विश्व में अपना स्थान बनाने की कोशिश की है जो कि उसके ह?तों के अनुसार था। पहले तो सावधानी से और यहां तक कि डर– डर के और फिर अधिक दृढ़ता के साथ, रूस ने संकेत दिया था कि यदि उसके हितों की अनदेखी की गई तो विश्वव्यापी संकट पैदा हो सकता है”।[xi]
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
रूस के हमले की पश्चिम ने तीखी आलोचना की है। अमेरिकी राष्ट्रपति, जो बाइडेन ने रूस के अभियान को ‘पूर्वनियोजित’ बताया और कहा कि अमेरिका एवं उसके सहयोगी और साझीदार ‘एकजुट होकर और निर्णायक रूप से इसका जवाब देंगें’। उन्होंने अपने नाटो सहयोगियों के साथ “गठबंधन के खिलाफ किसी भी आक्रामकता को रोकने के लिए सशक्त, एकजुट प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने हेतु” समन्वय करने की प्रतिबद्धता जताई।[xii] इसी प्रकार, यूरोपीय संघ के साथ–साथ इसके भीतर अलग– अलग सदस्य देश यूक्रेन में सैन्य बल के उपयोग की आलोचना कर रहे हैं।
यूरोपीय संघ और अमेरिका ने यूक्रेन पर ‘हमले’ के खिलाफ जावाबी कार्रवाई के रूप में रूस पर और प्रतिबंध लगाए हैं। इनमें, अन्यों के अलावा, सबसे प्रमुख हैं– स्विफ्ट वैश्विक भुगतान प्रणाली से "चुनींदा" रूसी बैंकों को अलग करने; रूस के केंद्रीय बैंक पर ''प्रतिबंधात्मक उपाय''; रूस के विमानों के लिए अमेरिकी और यूरोपीय संघ के हवाई क्षेत्र को बंद करना; रूस में एप्पल इंक. द्वारा अपने उत्पादों की बिक्री कम करना; यूनिवर्सल और पैरामाउंट द्वारा रूस में नाट्य विमोचनों को स्थगित करने का फैसला। यूरोपीय संघ ने रूस की सहायता करने के लिए बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्ज़ेंडर लुकाशेंको पर भी प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।[xiii]
हालांकि इन प्रतिबंधों से रूसी अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान होगा, यह तो आने वाले महीनों में स्पष्ट होगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि मौजूदा प्रतिबंध सख्त हैं और रूस को पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं से और भी अलग–थलग कर देंगे। विशेष रूप से स्विफ्ट प्रणाली (SWIFT system) से अलग किए जाने से रूस के लिए कई समस्याएं पैदा होंगी। रूस की मुद्रा– रूबल, पहले ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच चुकी है जिसके कारण रूसी सेंट्रल बैंक ने ''बढ़े हुए मूल्यह्रास और मुद्रास्फीति जोखिमों की भरपाई हेतु'' और ''नागरिकों की बचत को मूल्यह्रास से बचाने के लिए'' अपनी मुख्य ब्याज दर को 9.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत प्रति वर्ष कर दिया है।[xiv]
साथ ही, इन प्रतिबंधों का, रूस के साथ स्विफ्ट लेन–देन के कारण अमेरिकी और यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित करने की संभावना है। इसके अलावा, तेल की कीमतों में 100 डॉलर ($ 100) प्रति बैरल से अधिक की वृद्धि जारी है, इससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति में बाधा की चिंता पैदा हो रही है। अपने नवीनतम स्टेट ऑफ द यूनियन एड्रेस में, राष्ट्रपति बाइडेन ने घोषणा की कि अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ “विश्व भर के भंडार से 60 मिलियन बैरल तेल जारी करने हेतु” काम करेगा और मूल्य वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए “अपने स्वयं के सामरिक पेट्रोलियम भंडार से 30 मिलियन बैरल तेल जारी'' कर योगदान करेगा।[xv]
इस संदर्भ में इस बात पर भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि बीते आठ वर्षों में रूस ने प्रतिबंधों का सामना करना सीख लिया है और अपने लाभ के लिए उनके उपयोग की तैयारी भी कर रहा था। जोखिम को कम करने के लिए, मॉस्को 2014 से राष्ट्रीय भुगतान कार्ड प्रणाली के माध्यम से घरेलू लेनदेन कर अपनी घरेलू वित्तीय प्रणाली को सुरक्षित करने का काम कर रहा है। इसी साल, सेंट्रल बैंक ऑफ रशा ने भी वित्तीय संदेशों के हस्तांरण हेतु एक प्रणाली (एसपीएफएस) की स्थापना की जिसका उद्देश्य “ब्रसेल्स– आधारित इंटरबैंक हस्तांतरण प्रणाली के कार्यों के जैसे ही काम करना'' है।[xvi] रूस द्वारा किए गए सुरक्षात्मक उपायों के बावजूद, प्रतिबंधों के व्यापक दायरे और तीव्रता के कारण रूसी अर्थव्यवस्था पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्ष: भारत के लिए अर्थ
यूक्रेन में युद्ध ने पूर्वी यूरोप में अमेरिका/ यूरोपीय संघ और रूस की ‘प्रतिस्पर्धी तर्कसंगतता’ एवं नीतियों को सामने लाया है।[xvii] हालांकि रूस यूक्रेन को “न केवल पड़ोसी राष्ट्र” मानता है, बल्कि “उसे अपने इतिहास, संस्कृति, आध्यात्मिक स्थल” का एक अभिन्न अंग भी मानता है।[xviii] पश्चिम ने अक्सर यूक्रेन की संप्रभुता के अधिकार और अपने लिए स्वतंत्र रास्ता चुनने पर ज़ोर दिया है। हालांकि, यह अपने संस्थानों में यूक्रेन के एकीकरण पर स्पष्ट रूपरेखा बनाने से कतराता रहा है।
वैश्विक स्तर पर, यूक्रेन संकट ने यूरोपीय सुरक्षा स्थापत्य में नाटो के ध्यान और सीमाओं को वापस ला दिया है। यूरोपीय संघ के सदस्य देशों की बीच रणनीतिक स्वायत्तता को सुरक्षित करने की भावना बढ़ रही है। जैसे, जर्मनी ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए युद्ध क्षेत्रों में हथियारों की आपूर्ति न करने की अपनी नीति को बदल दिया है। वह यूक्रेन को हथियार भेजने पर सहमत हो गया है और साथ ही वह अपने रक्षा व्यय को बढ़ाने (जीडीपी का 2 प्रतिशत) का भी फैसला कर चुका है। [xix]
वर्तमान युद्ध का एक और महत्वपूर्ण परिणाम अमेरिका के साथ रूस– चीन की बाद में होने वाली प्रतिस्पर्धा पर अच्छी समझ है। रूसी अर्थव्यवस्था में नकारात्मक प्रवृत्तियों के साथ– साथ पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं से इसका अलगाव, रूस को चीन की ओर बढ़ने को प्रेरित करेगा, एक ऐसा कारक जिसका पश्चिम के साथ– साथ भारत पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
पश्चिम और रूस के बीच इस संघर्ष के बीच, भारत शामिल पक्षों के साथ अपने बढ़ते संबंधों के कारण कठिन स्थिति में है। हालांक रूस के साथ यह ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त’ रणनीतिक साझेदार के संबंध रखता है, अमेरिका के साथ– साथ यूरोप के साथ भी इसके घनिष्ठ और लगातार बेहतर होते संबंध हैं। इसके अलावा, यह यूक्रेन के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध भी रखता है जो भारतीय छात्रों के लिए, विशेष रूप से चिकित्सा के क्षेत्र में प्रमुख स्थानों में से एक है। इस घटनाक्रम के कारण, भारत सभी पक्षों से वर्तमान संकट को हल करने के लिए कूटनीति और बातचीत का रास्ता अपनाने का आग्रह करता रहा है। अब तक, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के खिलाफ मतदान करने से परहेज़ किया है लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के 'तत्काल युद्धविराम' के आह्वान का समर्थन भी किया है।[xx] प्रधानमंत्री मोदी ने रूस[xxi] और यूक्रेन[xxii] दोनों से फोन पर बातचीत की है और संकट के राजनयिक समाधान निकालने की बात कही है।
कुल मिलाकर, यह तेज़ी से स्पष्ट होता जा रहा है कि यूक्रेन में उभरती स्थिति का न केवल यूरोपीय सुरक्षा स्थापत्य पर बल्कि उभरती विश्व व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ेगा। यह भारत पर अपरिहार्य प्रभाव डालेगा क्योंकि देश अपने राष्ट्रीय हितों को बचाना चाहता है और विभिन्न हितधारकों के साथ अपनी भागीदारी को आगे बढ़ाता है।
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*डॉ. हिमानी पन्त, शोध अध्येता, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i]Zelensky’s full speech at Munich Security Conference , The Kyiv Independent, 19 February 2022, https://kyivindependent.com/national/zelenskys-full-speech-at-munich-security-conference/, Accessed on 21 February 2022.
[ii] Message from the President of the Russian Federation, The Kremlin, 21 February 2022, Accessed on 22 February 2022, http://kremlin.ru/events/president/news/67828.
[iii]President signed Federal Law On Ratifying the Treaty of Friendship, Cooperation and Mutual Assistance between the Russian Federation and DPR and LPR , The Kremlin, http://kremlin.ru/acts/news/67834, Accessed on 26 February 2022.
[iv] Address by the President of the Russian Federation, The Kremlin, http://en.kremlin.ru/events/president/news/67843, Accessed on 24 February 2022
[v] Agreement on measures to ensure the security of The Russian Federation and member States of the North Atlantic Treaty Organization, MFA Russia ,
https://mid.ru/ru/foreign_policy/rso/nato/1790803/?lang=en&clear_cache=Y, Accessed on 21 December 2021.
[vi] Russian-Ukrainian talks not cancelled, merely postponed — diplomatic source, TASS, 2 March 2022, https://tass.com/world/1414779?utm_source=google.com&utm_medium=organic&utm_campaign=google.com&utm_referrer=google.com, Accessed on 2 March 2022.
[vii] Agreement on measures to ensure the security of The Russian Federation and member States of the North Atlantic Treaty Organization https://mid.ru/ru/foreign_policy/rso/nato/1790803/?lang=en&clear_cache=Y, Accessed on 21 December 2021.
[viii] Message from the President of the Russian Federation, The Kremlin, 21 February 2022, Accessed on 22 February 2022, http://kremlin.ru/events/president/news/67828
[ix] Kommersant, “The Russian flag on the front line in the Donbass will sharply raise the stakes in case of an escalation”, 22 February 2022,
https://www.kommersant.ru/doc/5229110?from=author_3&stamp=637815534464867893, Accessed on 24 February 2022
[x] Dmitri Trenin, Mapping Russia’s New Approach to the Post-Soviet Space, Carnegie Moscow Center, 15 February 2022, https://carnegiemoscow.org/commentary/86438, Accessed on 26 February 2022.
[xi]Andrey Sushentsov, Russia-Ukraine: Quo Vadis?, Valdai Club, 26 February 2022, https://valdaiclub.com/a/highlights/russia-ukraine-quo-vadis-/, Qaccessed on 27 February 2022
[xii] Statement by President Biden on Russia’s Unprovoked and Unjustified Attack on Ukraine, The White House, 23 February 2022, accessed online on 24 February 2022, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2022/02/23/statement-by-president-biden-on-russias-unprovoked-and-unjustified-attack-on-ukraine/
[xiii]Statement by President von der Leyen on further measures to respond to the Russian invasion of Ukraine,European Commission, 27 February 2022 ,
https://ec.europa.eu/commission/presscorner/detail/en/statement_22_1441, Accessed on 28 February 2022.
[xiv] Bank of Russia increases the key rate to 20% p.a., Central bank of Russia, 28 february 2022, https://www.cbr.ru/eng/press/pr/?file=28022022_094500Key_eng.htm, Accessed on 1 March 2022.
[xv] Remarks of President Joe Biden – State of the Union Address As Prepared for Delivery, The White House, 1 March 2021, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/speeches-remarks/2022/03/01/remarks-of-president-joe-biden-state-of-the-union-address-as-delivered/, Accessed on 2 March 20222.
[xvi] Maria Shagina, “How Disastrous Would Disconnection From SWIFT Be for Russia?” Carnegie Moscow Center, 28 May 2021 , https://carnegiemoscow.org/commentary/84634, Accessed on 27 February 2022.
[xvii] Derek Averre, “Competing Rationalities: Russia, the EU and the 'Shared Neighbourhood', Europe-Asia Studies, Vol. 61, No. 10, 2009, pp. 1689-1713.
[xviii] Message from the President of the Russian Federation, The Kremlin, 21 February 2022, http://kremlin.ru/events/president/news/67828, Accessed on 22 February 2022
[xix]Reuters, “Germany to increase defence spending in response to Putin war' – Scholz”, 27 February 2022, https://www.reuters.com/business/aerospace-defense/germany-hike-defense-spending-scholz-says-further-policy-shift-2022-02-27/ Accessed on 27 February 2022
[xx]Statement by Ambassador T/S. Tirumurti, Permananet Representative of India to the UN, https://twitter.com/ambtstirumurti/status/1499073038154874881/photo/2
[xxi] Phone call between Prime Minister Shri Narendra Modi and H. E. Vladimir Putin, President of the Russian Federation, Ministry of External Affairs, 24 February 2022, http://mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/34898/Phone+call+between+Prime+Minister+Shri+Narendra+Modi+and+H+E+Vladimir+Putin+President+of+the+Russian+Federation, accessed on 25 February 2022,
[xxii] Prime Minister speaks to His Excellency President Volodymyr Zelenskyy of Ukraine,
26 February 2022, Ministry of External Affairs, https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/34902/Prime_Minister_speaks_to_His_Excellency_President_Volodymyr_Zelenskyy_of_Ukraine, Accessed on 27 February 2022.