अरब विश्व में चल रहे भू–राजनैतिक मंथन के बीच, सऊदी अरब ने 16 जुलाई 2022 को जेद्दा में सुरक्षा एवं विकास शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की। सऊदी के सुल्तान सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद ने खाड़ी सहयोग परिषद्(जीसीसी) के छह सदस्यों और अरब के तीन देशों– मिस्र, इराक और जॉर्डन ( जीसीसी प्लस पढ़ें) को आमंत्रित किया था। संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (अमेरिकी) के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और रियाद में 2016 और 2017 में आयोजित किए गए शिखर सम्मेलनों की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने की बात की। सऊदी अरब ने सुरक्षा और संवहनीय ऊर्जा से लेकर आर्थिक सुधार तक के क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए तीसरे शिखर सम्मेलन के आयोजन की पहल की। इसके अलावा, शिखर सम्मेलन में इस क्षेत्र में चीन और रूस की भूमिका और परमाणु हथियारों के अप्रसार से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा हुई। यह कोई संयोग नहीं था कि सऊदी ने इस शिखर सम्मेलन का आयोजन उस समय किया जब राष्ट्रपति इस क्षेत्र के दो सबसे महत्वपूर्ण देशों (अऊदी अरब और इज़राइल) के तीन दिवसीय दौरे (14-16 जुलाई 2022) पर थे। शिखर सम्मेलन में अमेरिका ने अरब– अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने और अरब क्षेत्र में सुरक्षा और अर्थव्यवस्था से संबंधित मामलों को सुलजाने के लिए रणनीतिक सहयोग हेतु नए मार्ग खोलने पर ज़ोर दिया। क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करने में अरब और खाड़ी देशों की भागीदारी, अमेरिकी भागीदारी द्वारा समर्थित, के कारण जेद्दा शिखर सम्मेलन प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण था। इसलिए, शिखर सम्मेलन का विषय ‘सुरक्षा और विकास’ था, जिसने सुरक्षा, स्थिरता और महामारी के बाद आर्थिक सुधार प्राप्त करने के लिए क्षेत्र की वर्तमान आवश्यकताओं को दर्शाया।
शिखर सम्मेलन में मुद्दे
शिखर सम्मेलन में परंपरागत और गैर– परंपरागत सुरक्षा मुद्दों पर ध्यान दिया गया था। पहले वाला ईरान के परमाणु कार्यक्रम, आतंकवाद से मुकाबला और क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता से संबंधित है जबकि दूसरा सतत विकास, जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के मुद्दों से संबंधित है।
सुरक्षा संबंधी परंपरागत मुद्दे
सऊदी अरब समझ गया है कि यूएस– जीसीसी प्लस (US-GCC Plus) क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। विशेष रूप से, सुल्तान सऊद ने मिस्र, इराक और जॉर्डन को इसलिए आमंत्रित किया था क्योंकि ये देश अरब क्षेत्र में आतंकवाद, राजनीतिक स्थिरता और क्षेत्रीय अखंडता का मुकाबला करने जैसे क्षेत्रों में काफी समय से राजनीतिक हितों का प्रतिनिधित्व करते आए हैं, जो जीसीसी (GCC) देशों के लिए अनिवार्य है।
इस क्षेत्र में ईरान के प्रभाव को कम करने में यूएस–जीसीसी प्लस का समान दिलचस्पी है।[i] शिखर सम्मेलन के सबसे महत्वपूर्ण नतीज़ों में से एक यह था कि नेताओं ने ईरान से इस क्षेत्र को विनाश के सामूहिक हथियारों से मुक्त रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ पूर्ण सहयोग करने का आह्वान किया। दूसरा, यमन के ईरान समर्थित हौथी विद्रोहियों द्वारा क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे के रूप में सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात के तेल भंडारों पर हमलों के बारे में जीसीसी प्लस देशों का चिंता प्रकट करना।[ii] देशों ने संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता के अधीन शांति वार्ता करने के लिए हौथियों को बुलाने का समेकित निर्णय लिया।
खाड़ी क्षेत्र में ईरान और हौथी विद्रोहियों द्वारा पैदा किए गए सुरक्षा संबंधी खतरों को देखते हुए, शिखर सम्मेलन में अमेरिका की भागीदारी उन आश्वासनों को फिर से मजबूत करने के लिए थी जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के 2015 के ईरान परमाणु समझौते से दूर होने के बाद गति खो चुकी थी। नतीज़तन, तेहरान, ने अपनी तरफ से, कथित रूप से अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है। अमेरिका ने इन देशों के साथ वाशिंगटन की महत्वपूर्ण सुरक्षा और राजनीतिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा पर जीसीसी प्लस का समर्थन किया। राष्ट्रपति बाइडेन ने सुनिश्चित किया कि अमेरिका अभी भी इस क्षेत्र के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों, जो अरब विश्व को वाशिंगटन से जोड़ता है, के लिए प्रतिबद्ध है। इसका मतलब यह भी था कि अमेरिका ने ईरान परमाणु समझौते जैसे मुद्दों पर चर्चा करने की तैयारी में विश्वास बहाल करने के लिए नए और स्वीकार करने योग्य आधार प्रदान किया। राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि “अमेरिका के इस क्षेत्र में सक्रिए बने रहने की संभावना है। हम दूर नहीं जाएंगे और चीन, रूस या ईरान के लिए खाली जगह नहीं छोड़ेंगे।”[iii] शिखर सम्मेलन में अमेरिका की भागीदारी ने अपनी रणनीतिक साझेदारी के महत्व पर प्रकाश डाला और अपने क्षेत्रीय साझेदारों की सुरक्षा और “क्षेत्रीय सुरक्षा” के लिए अमेरिका की "स्थायी प्रतिबद्धता" की पुष्टि की।
इस क्षेत्र में आतंकवाद और सांप्रदायिक समूहों से सुरक्षा खतरों ने अमेरिका और खाड़ी देशों को संयुक्त टास्क फोर्स 153 और टास्क फोर्स 59 बनाने की घोषणा करने को प्रेरित किया।[iv] संयुक्त रक्षा सहयोग को मजबूत करने, नौसोनै रक्षा में सुधार और अमेरिकी मध्य कमान एवं खाड़ी देशों के बीच समन्वय के माध्यम से समुद्री सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए दो कार्यबलों की स्थापना की गई थी। ये सुरक्षा पहल अत्याधुनिक प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों को नियोजित करके नौसेना के लिए खतरों का पता लगाने और नौसेना की सुरक्षा को पुख्ता करने में मदद करेगी।
सुरक्षा के गैर– परंपरागत मुद्दे
शिखर सम्मेलन में वैश्विक महत्व के कई गैर–परंपरागत मुद्दों जैसे सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा पर भी चर्चा की गई।[v] शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले देशों ने “सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव” (2016) और “मिडिल ईस्ट ग्रीन इनिशिएटिव” (2021) की सराहना की, जिसकी घोषणा सऊदी अरब ने की थी। इराक, जॉर्डन और मिस्र ने स्थिर, सुरक्षित और विकासोन्मुख अरब क्षेत्र बनाने के लिए जीसीसी देशों के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने की मांग की। इस संदर्भ में, नेताओं ने, जीसीसी देशों, इराक, जॉर्डन और मिस्र के बीच विद्युत ग्रिड को जोड़ने के समझौतों को अंतिम रूप देने की सराहना की।
शिखर सम्मेलन ने जल सुरक्षा और जल संसाधनों के समान तरीके से वितरण के संबंध में भी अपनी चिंताएं प्रकट की। विशेष रूप से मिस्र के राष्ट्रपति फतह अल–सीसी ने शिखर सम्मेलन में, मिस्र की जल सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए ग्रैंड इथियोपियन रीनेसन्स डैम (जीईआरडी/GERD) को भरने और उसके संचालन हेतु बाध्यकारी कानूनी समझौते की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया। परिणामस्वरूप, सऊदी अरब के नेतृत्व वाले जीसीसी देशों ने मिस्र की जल सुरक्षा का समर्थन किया और जीईआरडी के मुद्दे पर इथियोपिया और सूडान समेत सभी पक्षों के बीच एक राजनयिक प्रस्ताव बनाया जाना सुनिश्चित किया।[vi]
यूक्रेन में चल रहे संकट के कारण बढ़ती खाद्य असुरक्षा के बीच अमेरिका ने इस क्षेत्र को मानवीय और खाद्य सहायता के रूप में एक (1) बिलियन डॉलर देने का वादा किया। आर्थिक और सामाजिक विकास हेतु अरब कोष के अरब समन्वय समूह (एसीजी) के सहयोग के लिए यह पहल की गई थी, जिसने इससे पहले जून 2022 में 10 बिलियन डॉलर के खाद्य सुरक्षा पैकेज की घोषणा की थी।[vii]
शिखर सम्मेलन में एक और महत्वपूर्ण मुद्दा था– वैश्विक आर्थिक सुधार। कोविड-19 महामारी ने विश्व की अर्थव्यवस्था को पस्त कर दिया है और इससे अरब विश्व के आर्थिक और विकासात्मक संभावनाएं भी बहुत प्रभावित हुई हैं। देशों ने क्षेत्रीय और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सशक्त बनाने, व्यापार बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय विकास एवं व्यापार व्यवस्थाओं में सुधार की आवश्यकता पर विचार–विमर्श किया। उन्होंने उपभोक्ताओं और उत्पादकों के हितों की सेवा करने और आर्थिक विकास का समर्थन करने के लिए वैश्विक तेल बाज़ार को स्थिर करने की दिशा में ओपेक (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) (OPEC) + द्वारा किए गए निरंतर प्रयासों पर भी विचार किया। [viii]
शिखर सम्मेलन का समापन संयुक्त वक्तव्य के साथ हुआ। परिणामों और चर्चाओं का विश्वलेषण इस प्रकार है:
निष्कर्ष
सऊदी अरब द्वारा जीसीसी के बाहर के देशों को दिए गए आमंत्रण ने ईरान को स्पष्ट संकेत दिया कि सऊदी अरब एक क्षेत्रीय अगुआ की भूमिका में है। इससे यह भी पता चलता है कि सऊदी अरब सुरक्षा और स्थिरता को चुनौती देने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर इस क्षेत्र में अरब देशों का नेतृत्व कर सकता है। यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में आयोजित किया गया जब अमेरिका और इस क्षेत्र के बीच रणनीतिक साझेदारी अधिक स्पष्ट और अनिवार्य हो गई है, इस क्षेत्र को कई प्रकार की चुनौतियों, ईरानी परमाणु समझौते की बातचीत की विफलता से लेकर यमन युद्ध और युक्रेन संकट तक, का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर, शिखर सम्मेलन ने अरब देशों के बीच क्षेत्रीय स्तर पर सहयोग के नए रास्ते खोले। साथ ही, शिखर सम्मेलन में ईरान को शामिल न करने से पता चलता है कि यह क्षेत्र अभी भी सांप्रदायिक आधार पर विभाजित है जो क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने की चुनौती देगा।
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*डॉ. अर्शद, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफ़ेयर्स, सप्रू हाउस, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
अंत टिप्पण:
[i]Gregory Aftandilian, “Iraq-Jordan-Egypt Entente moves ahead despite the GCC’s Shadow”, Washington DC: Arab Center, (July 10, 2022), accessed https://arabcenterdc.org/resource/iraq-jordan-egypt-entente-moves-ahead-despite-the-gccs-shadow/, (July 19, 2022).
[ii]“Jeddah Summit calls on Iran to cooperate with nuclear watchdog,” The National News, (July 17, 2022), accessed
https://www.thenationalnews.com/gulf-news/saudi-arabia/2022/07/16/jeddah-summit-calls-on-iran-to-co-operate-with-nuclear-watchdog/, (August 5, 2022)
[iii]“Remarks by President Biden on his Meetings in Saudi Arabia,” The White House, accessed https://www.whitehouse.gov/briefing-room/speeches-remarks/2022/07/15/remarks-by-president-biden-on-his-meetings-in-saudi-arabia/, (August 3, 2022).
[iv] “Jeddah Security and Development Summit 2022,” Diplomacy and Beyond, (July 18, 2022), accessed https://diplomacybeyond.com/jeddah-security-and-development-summit-2022/, (August 19, 2022)
[v]“Final Statement of Jeddah Security and Development Summit Issued,” Ministry of Foreign Affairs: Saudi Arabia, (July 16, 2022), accessed https://www.mofa.gov.sa/en/ministry/officialvisits/saudi-us-summit/news/Pages/Final-Statement-of-Jeddah-Security-and-Development-Summit-Issued.aspx, (July 22, 2022).
[vi]“Jeddah Security and Development Summit supports Egypt’s Water rights,” Egypt Today, (July 16, 2022), accessed https://www.egypttoday.com/Article/1/117635/Jeddah-Security-and-Development-Summit-Supports-Egypt%E2%80%99s-water-rights, (July 19, 2022).
[vii]“Arab Fund for Economic and Social Development,” accessed https://www.arabfund.org/Default.aspx?pageId=610&mid=370, (August 1, 2022)
[viii] It is a combination of the 13-member Organization of the Petroleum Exporting Countries and an informal group of non-OPEC members led by Russia.