नोम पेन्ह, कंबोडिया में आयोजित आसियान शिखर सम्मेलन 2022 में रूस– यूक्रेन के जारी युद्ध, म्यांमार में बढ़ती राजनीतिक परिस्थिति के साथ– साथ खाद्य पदार्थों एवं ऊर्जा की बढ़ती कीमतों समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई।[i] तीन दिवसीय आसियान शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों में भारत और अमेरिका, दोनों देशों का अपने संबंधित संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) के स्तर पर ले जाना था। यह उस सीएसपी का अनुसरण करता है जिसे आसियान ने 2021 में चीन और ऑस्ट्रेलिया के साथ बनाया था। आसियान शिखर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया, आसियान और न्यूज़ीलैंड के बीच मुक्त व्यापार संधि पर भी हस्ताक्षर किया गया।
एक प्रमुख मुद्दा जिस पर आसियान शिखर सम्मेलन में प्रमुखता से चर्चा की गई थी, वह था हिन्द–प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती भू–राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और चुनौतियां। यह चिंता का एक प्रमुख कारण है क्योंकि यह दक्षिणपूर्व एशिया में स्थिरता और विकास को प्रभावित करता है। इंडोनेशिया, जिसे 2023 में आसियान की अध्यक्षता मिलेगी, के राष्ट्रपति श्री जोकोवि ने शिखर सम्मेलन में कहा कि, 10 देशों के क्षेत्रीय ब्लॉक को “एक शांतिपूर्ण क्षेत्र और वैश्विक स्थिरता का उद्घोषक बनने ...(और), अंतरराष्ट्रीय कानूनों का लगातार पालन करने वाला एवं किसी भी देश का प्रतिनिधि मात्र न बने रहने ” का प्रयास करना चाहिए।[ii] हिन्द– प्रशांत क्षेत्र की बढ़ती रणनीतिक प्रासंगिकता, जिसमें आर्थिक और सुरक्षा संरचना के निर्माण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका भी शामिल है, ने आसियान को अपने दृष्टिकोण पर फिर से विचार करने और साझे सरोकारों से उभर रहे सहयोग के लिए बाहरी साझेदारों के साथ तालमेल बिठाने को प्रेरित किया है।
हिन्द– प्रशांत आसियान के रणनीतिक अभिधान का हिस्सा बन रहा है
आसियान भौगोलिक रूप से हिन्द–प्रशांत क्षेत्र के केंद्र में स्थित है, जो पहले की तुलना में अधिक विवादित और प्रमुख शक्तियों के बीच संघर्षों के बढ़ते जोखिमों से भर गया है। आसियान द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर हिन्द–प्रशांत के अनेक देशों के साथ काम कर रहा है। शुरुआत में, हिन्द–प्रशांत के प्रति चीन की संवेदनशीलता को देखते हुए; दक्षिणपूर्व एशिया के देश ध्रुवीकृत थे और पूरी तरह से एवं आधिकारिक तौर पर इस अवधारणा का समर्थन करने को अनिच्छुक थे। हालांकि, नए सुरक्षा खतरों के साथ– साथ उभरती भू– राजनीतिक चुनौतियों ने आसियान को हिन्द–प्रशांत संरचना के विकास के प्रति अपने दृष्टिकोण को फिर से विचार करने को प्रेरित किया है। यह देखते हुए कि आसियान सभी प्रमुख देशों से जुड़ा है, इसे हिन्द–प्रशांत की नई भू–राजनीति के लिए अधिक रणनीतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।[iii] ऐसे में जबकि हिन्द– प्रशांत आसियान की रणनीतिक संस्कृति के हिस्से के रूप में आंतरिक हो रहा है, आसियान के सदस्य राष्ट्रों (एएमएस) के भीतर एक मान्यता जड़ पकड़ती जा रही है कि उभरती हुई यह संरचना स्थायी बनाने के लिए है।[iv]
हिन्द– प्रशांत में नियम–आधारित क्षेत्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए, हिन्द– प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण (एओआईपी) को जून 2019 में अपनाया गया था। एओआईपी हिन्द– प्रशांत क्षेत्र में आसियान की भागीदारी हेतु एक गाइड प्रदान करता है जो आसियान की केंद्रीयता को बढ़ावा देता है और क्षेत्रीय एवं उप–क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए आसियान के नेतृत्व वाली व्यवस्था पर ज़ोर देता है, जो शांति, स्वतंत्रता और समृद्धि के रखरखाव में योगदान देगा। एओआईपी ने हिन्द–प्रशांत पर व्यापक दृष्टिकोण और आसियान की स्थिति प्रदान की है जो भूगोल के संदर्भ में दो दावे करता है; पहला, आसियान हिन्द– प्रशांत को एशिया– प्रशांत क्षेत्र के साथ हिन्द महासागर क्षेत्र के रूप में देखता है। दूसरा, हिन्द महासागर क्षेत्र और प्रशांत महासागर क्षेत्र को आसियान द्वारा केवल निकटस्थ प्रादेशिक स्थान नहीं माना जाता है बल्कि घनिष्ठ रूप से एकीकृत और परस्पत जुड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता है जिसमें आसियान की केंद्रीय और सामरिक भूमिका है।[v] इसके अलावा, हिन्द– प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, एओआईपी ने प्राथमिकता वाले चार क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया – समुद्री सहयोग; कनेक्टिविटी; यूएन एसडीजी 2030; एवं आर्थिक और सहयोग के अन्य क्षेत्र।[vi]
हिन्द– प्रशांत पर आसियान का उभरती संभावना
एक समावेशी और बहुपक्षीय दृष्टिकोण के माध्यम से विश्वसनीय और सुरक्षित सुमद्री स्थान सुनिश्चित करने के लिए हिन्द– प्रशांत अवधारणा और इसकी दृष्टि एएमएस एवं अतिरिक्त क्षेत्रीय शक्तियों, दोनों, के द्वारा साझा की जाती है। यह अलग– अलग देशों के आधिकारिक दस्तावेजों जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों, रक्षा श्वेत पत्रों, विदेश नीति, समुद्री सुरक्षा रणनीतियों और अन्य आधिकारिक दस्तावेजों में अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है। हिन्द– प्रशांत की उभरती संरचना के संबंध में एक आम धारणा आसियान की केंद्रीयता है जो इस क्षेत्र के देशों के साथ प्रतिध्वनित होती रहती है। भारत के लिए, आसियान की केंद्रीयता न केवल इसकी लुक ईस्ट एवं एक्ट ईस्ट पॉलिसियां से उपजी है बल्कि यह क्षेत्रीय शांति और समृद्धि के हिन्द– प्रशांत दृष्टिकोण का अभिन्न अंग भी है। 12 नवंबर 2022 को जारी आसियान– भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर संयुक्त बयान में हिन्द– प्रशांत क्षेत्र में विकसित क्षेत्रीय संरचना में आसियान की केंद्रीयता के लिए समर्थन को दोहराया गया है क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होगा। [vii] इस संबंध में हिन्द– प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) जिसकी घोषणा 2019 में भारत के प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में की गई थी, का उद्देश्य, हिन्द–प्रशांत क्षेत्र में उभरते मतभेदों एवं चुनौतियों के आलोक में आम सहमति के माध्यम से सहयोग का निर्माण करना है। आईपीओआई समुद्री सहयोग और सहयोग के सात बुनियादी पहलुओं की पहचान करता है जो एओआईपी के सहयोग के व्यापक क्षेत्रों के साथ पूरकता साझा करता है। [viii] 28 अक्टूबर 2021 को 18वें आसियान– भारत शिखर सम्मेलन में अपनाए गए क्षेत्र में शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के लिए हिन्द–प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण पर सहयोग पर आसियान–भारत संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि एओआईपी और आईपीओआई दोनों “.. शांति एवं सहयोग को बढ़ावा देने हेतु प्रासंगिक मूलभूत सिद्धांतों को साझा करें..”।[ix] यह 12 नवंबर 2022 को अपनाए गए आसियान– भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर संयुक्त वक्तव्य में कहा गया था।[x]
संयुक्त राज्य अमेरिका, जिसने आसियान के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को सीएसपी के स्तर तक बढ़ाया है, हिन्द–प्रशांत की उभरती संरचना में इसकी केंद्रीयता का समर्थन करता है।[xi] अमेरिका की व्यापक हिन्द–प्रशांत रणनीति में, इसे हिन्द–प्रशांत कार्य योजना के हिस्से के रूप में 'दस प्रमुख प्रयासों' का उल्लेख है।[xii] जिनमें से एक है 2022 में लॉन्च किया गया इंडो– पैसेफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ)। एएमएस के सात सदस्य आईपीईएफ में शामिल हो गए हैं जो व्यापक रूप से साझा शांतिपूर्ण हिन्द–प्रशांत रणनीति में योगदान करते हुए दक्षिणपूर्व एशिया के साथ अमेरिकी आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करता है।
ऐसे में जबकि आसियान देशों के बीच अभी भी हिन्द–प्रशांत के प्रति अलग– अलग प्रतिबद्धता बनी हुई है, यह क्षेत्र एक उभरती हुई और जटिल संरचना के केंद्र में है। क्षेत्रीय संघर्षों से लेकर खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों तक फैले सुरक्षा खतरों की प्रकृति के परिणामस्वरूप यह क्षेत्र चुनौती के अधीन है। आसियान यह भी स्वीकार करता है कि एक स्थिर हिन्द–प्रशांत वैश्विक शांति, सुरक्षा एवं समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होगा। इसने एओआईपी की स्थापना में आसियान को एक सामूहिक प्रयास की ओर धकेलने में भूमिका निभाई है। इसलिए, एओआईपी ने प्रतिद्वंद्वित के बजाय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय ब्लॉक की केंद्रीय और रणनीतिक भूमिका की कल्पना की, जिससे सभी के लिए विकास और समृद्धि आएगी।[xiii]
आसियान नेताओं के लिए शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक एओआईपी का संचालन करना है, जो वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के परिणामस्वरूप नाटकीय रूप से बदला है।[xiv] 11 नवंबर 2022 को आयोजित 40वें आसियान शिखर सम्मेलन में, नेताओं की घोषणा के साथ एओआईपी के चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को मुख्यधारा में लाने हेतु नेताओं की घोषणा के साथ हिन्द– प्रशांत को प्रमुखता मिली। एओआईपी के तहत सहयोग को आगे बढ़ाने पर आसियान में चर्चा का उद्देश्य बाहरी भागीदारों के साथ रचनात्मक जुड़ाव बढ़ाना है। इससे आसियान की केंद्रीयता को बढ़ावा मिलेगा जो खुलेपन, पारदर्शिता, समावेशिता एवं नियम– आधारित ढांचे को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।[xv] इसलिए नेताओं की घोषणा महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे न केवल हिन्द– प्रशांत को केंद्र में रखा जा सकेगा बल्कि क्षेत्रीय ब्लॉक में इसकी वास्तविकता को भी स्वीकार किया जाएगा।
निष्कर्ष
ऐसे में जब कि आसान ने हिन्द– प्रशांत के तहत भौगोलिक स्थान को स्वीकार कर लिया है, इसने अपनी विवेचना को बरकरार रखा है जो है– केंद्र में आसियान के साथ दो महाद्वीप का एक होना। एओआईपी इस संबंध में एक महत्वपूर्ण कदम था क्योंकि इसने न केवल विशाल भौगोलिक क्षेत्र को मान्यता प्रदान की बल्कि उभरते क्षेत्रीय अवसंरचना में आसियान की केंद्रीयता और तटस्थता पर भी ज़ोर दिया। हिन्द–प्रशांत में बढ़ते विचलन के आलोक में, आसियान की भूमिका सभी प्रमुख शक्तियों के साथ जुड़ने में अपनी भूमिका के माध्यम से महत्वपूर्ण होगी। इसके अलावा, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा एवं पर्यावरण के संदर्भ में हिन्द– प्रशांत क्षेत्र द्वारा सामना की जाने वाली जटिल चुनौतियां; आसियान–नीत व्यवस्था में संवाद और सहयोग के लिए उपयोगी मंच के रूप में काम करेंगे।
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*डॉ. तेनजेनमेरेन आओ, रिसर्च फेलो, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद टिप्पणियां
[i] Philip Heijmans, “Key Takeaways from ASEAN Meeting before Xo-Biden Summit at G-20”, Bloomberg, November 13, 2022, https://www.bloomberg.com/news/articles/2022-11-13/key-takeaways-from-asean-meeting-before-xi-biden-summit-at-g-20?leadSource=uverify%20wall, Accessed on November 15, 2022.
[ii]Gabriel Dominguez, “Intensifying geopolitical rivalries dominate ASEAN summits”, The Japan Times, November 14, 2022, https://www.japantimes.co.jp/news/2022/11/14/asia-pacific/politics-diplomacy-asia-pacific/asean-china-us-japan-analysis/, Accessed on November 15, 2022.
[iii]Amitav Acharya, “ASEAN and the new geopolitics of the Indo-Pacific”, East Asia Forum, December 29, 2021, https://www.eastasiaforum.org/2021/12/29/asean-and-the-new-geopolitics-of-the-indo-pacific/, Accessed on November 15, 2022.
[iv]Hoang Thi Ha, “ASEAN Navigates between Indo-Pacific Polemics and Potential”, ISEAS Perspective 2021/49, April 20, 2021, https://www.iseas.edu.sg/articles-commentaries/iseas-perspective/2021-49-asean-navigates-between-indo-pacific-polemics-and-potentials-by-hoang-thi-ha/, Accessed on November 14, 2022.
[v]“ASEAN-India Development and Cooperation Report 2021: Avenues for Cooperation in Indo-Pacific”, ASEAN-India Centre (AIC)- Research and Information System for Developing Countries (RIS), New Delhi, 2020.
[vi]“ASEAN Outlook on the Indo-Pacific”, ASEAN, June 2019, https://asean.org/asean2020/wp-content/uploads/2021/01/ASEAN-Outlook-on-the-Indo-Pacific_FINAL_22062019.pdf, Accessed on November 14, 2022.
[vii]“Joint Statement on ASEAN-India Comprehensive Strategic Partnership”, ASEAN, November 12, 2022, https://asean.org/wp-content/uploads/2022/11/Joint-Statement-on-ASEAN-India-CSP-final.pdf, Accessed on November 14, 2022.
[viii]Pradeep Chauhan, Prabir De, Sarabjeet Singh Parmar, and DurairajKumarasamy, “Indo_pacific Cooperation: AOIP and IPOI”, AIC Working Paper, No 3, 2020, http://aic.ris.org.in/sites/default/files/Publication%20File/AIC%20Working%20Paper%20October%202020.pdf., Accessed on November 14, 2022.
[ix] “ASEAN-India Joint Statement on Cooperation on the ASEAN Outlook on the Indo-Pacific for Peace, Stability, and Prosperity in the Region”, ASEAN, October 28, 2021, https://asean.org/wp-content/uploads/2021/10/71.-ASEAN-India-Joint-Statement-on-Cooperation-on-the-ASEAN-Outlook-on-the-Indo-Pacific-for-Peace-Stability-and-Prosperity-in-the-Region-Final.pdf, Accessed on November 18, 2022.
[x] “Joint Statement on ASEAN-India Comprehensive Strategic Partnership”, ASEAN, November 12, 2022, https://asean.org/wp-content/uploads/2022/11/Joint-Statement-on-ASEAN-India-CSP-final.pdf, Accessed on November 18, 2022.
[xi]“ASEAN-U.S. Leaders’ Statement on the Establishment of the ASEAN-U.S. Comprehensive Strategic Partnership”, ASEAN, November 12, 2022, https://asean.org/wp-content/uploads/2022/11/ASEAN-US-Leaders-Statement-on-CSP-final-1.pdf, Accessed on November 14, 2022.
[xii]“Indo-Pacific Strategy of the United States”, The White House, February 2022, https://www.whitehouse.gov/wp-content/uploads/2022/02/U.S.-Indo-Pacific-Strategy.pdf, Accessed on November 17, 2022.
[xiii]“ASEAN Outlook on the Indo-Pacific”, ASEAN, June 2019, https://asean.org/asean2020/wp-content/uploads/2021/01/ASEAN-Outlook-on-the-Indo-Pacific_FINAL_22062019.pdf, Accessed on November 15, 2022.
[xiv]Kavi Chongkittavorm, “It’s time to mainstream the AOIP”, Bangkok Post, November 1, 2022, https://www.bangkokpost.com/opinion/opinion/2427000/its-time-to-mainstream-the-aoip, Accessed on November 15, 2022.
[xv]“ASEAN Leaders’ Declaration on Mainstreaming Four Priority Areas of the ASEAN Outlook on the Indo-Pacific Within ASEAN-led Mechanisms”, ASEAN, November 11, 2022, https://asean.org/wp-content/uploads/2022/11/25-ASEAN-Leaders-Declaration-on-Mainstreaming-Four-Priority-Areas-of-the-ASEAN-Outlook-on-the-Indo-Pacific-within-ASEAN-led-Mechanisms.pdf, Accessed on NOVEMBER 14, 2022.