नवंबर 2022 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन या मिस्र के शर्म अल शेख में पक्षों के सम्मेलन (सीओपी 27) की तैयारी में, मेजबान देश ने नेक्सस ऑफ वॉटर, फूड एंड एनर्जी (एनडब्ल्यूएफई) कार्यक्रम के लिए जुलाई 2022 में देश में एक मंच लॉन्च किया। यह मई 2022 में घोषित मिस्र की 2050 राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन रणनीति का एक हिस्सा था।[i] मिस्र एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम के माध्यम से अपने जल, खाद्य एवं ऊर्जा (डब्ल्यूएफई) सुरक्षा[ii] के लिए समग्र दृष्टिकोण का गठन करने वाले पहले देशों में से एक है। सीओपी 27 में, मिस्र के राष्ट्रपति, अब्देल फतह अल-सिसी ने कहा, “मिस्र द्वारा शुरू किए गए जल, ऊर्जा एवं खाद्य परियोजनाओं में निवेश का राष्ट्रीय कार्यक्रम इन तीन क्षेत्रों में कम उत्सर्जन वाली हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में मिस्र के संक्रमण को प्रतिबिंबित कर सकता है।”[iii] एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम मिस्र में जलवायु कार्रवाई परियोजनाओं को लागू करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है, और इसके कार्यान्वयन की समय सीमा 2023 से 2030 तक है। यह पेपर जलवायु परिवर्तन से निपटने में कार्यक्रम के महत्व और क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने तथा अंतरराष्ट्रीय कर्ताओं की प्रतिक्रियाओं पर चर्चा करता है।
पृष्ठभूमि
उत्तरी अफ्रीकी क्षेत्र ग्लोबल वार्मिंग के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जिसके कारण भारी और कम अनुमानित बारिश हो रही है, जिसकी वजह से कुछ क्षेत्रों में खतरनाक बाढ़ और भूस्खलन हो रहा है। इसी समय, अन्य भागों में लंबे समय तक सूखा, जल अभाव और लंबा गर्म मौसम बना रहा है। मिस्र के उत्तर की ओर भूमध्य सागर मौजूद होने एवं पश्चिमी और दक्षिणी दिशाओं में शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों से घिरा होने की अनूठी भौगोलिक स्थिति के कारण मिस्र में समुद्र स्तर में वृद्धि, मिट्टी की लवणता में वृद्धि और मरुस्थलीकरण देख रहा है, जो इसके खाद्य एवं जल सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है।[iv]
पिछले कुछ दशकों में पानी और गेहूं की तेजी से बढ़ती मांग ने मिस्र के जल संसाधनों और खाद्य प्रणालियों पर दबाव डाला है।[v] इसके अलावा, ग्रैंड इथियोपियाई रेनेसंस डैम (जीईआरडी) के भरने के कारण नील नदी से विश्वसनीय जल आपूर्ति को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं।[vi] नील जल बंटवारे पर मिस्र और इथियोपिया के बीच एक दशक से अधिक समय से चल रही बातचीत के बाद भी कोई सफल सहमति नहीं बन पाई है।[vii] खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में, यूक्रेन और रूस मिस्र को 85% गेहूं, 73% सूरजमुखी तेल और 23% मक्का आयात प्रदान कर रहे थे। 2022 में यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से, गेहूं की कीमतों में 44% की तेजी से वृद्धि हुई है, और सूरजमुखी तेल की कीमतों में 32% की वृद्धि हुई है।[viii] इसके अलावा, मिस्र की खाद्य सुरक्षा तब प्रभावित हुई जब रूस ने 20 जुलाई, 2023 को ब्लैक सी अनाज पहल [ix] को समाप्त कर दिया। इस पहल के तहत, मिस्र गेहूं, मक्का और सोया सहित लगभग 1.6 मिलियन मीट्रिक टन अनाज प्राप्त करता था।[x] मिस्र अपनी कच्चे तेल की माँगों को पूरा करने के लिए काफी हद तक सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और अल्जीरिया पर भी निर्भर है। मिस्र हरित ऊर्जा स्रोतों को अपनाने के लिए पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। इसलिए, ऊर्जा परिवर्तन मिस्र के राष्ट्रीय विकास का एक और महत्वपूर्ण पहलू है। मिस्र को अपनी जल, खाद्य और ऊर्जा संसाधनों की माँगों को पूरा करने के लिए एक स्थायी तंत्र तैयार करना होगा।
जल एवं खाद्य सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव, प्राथमिक खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतें और यूक्रेन संकट के कारण तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने राष्ट्रपति अल-सिसी के शासन के लिए चिंताएं बढ़ा दी हैं। जल, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा की जटिल परस्पर क्रिया क्षेत्र में अन्तः-अंतरराज्यीय प्रतिस्पर्धा को जन्म दे सकती है। इस संदर्भ में, राष्ट्रपति अल-सिसी का एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम न केवल जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ देश की लड़ाई के परिप्रेक्ष्य से बल्कि देश की राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मिस्र का जल, खाद्य एवं ऊर्जा गठजोड़
एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम की संकल्पना मिस्र के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा की गई थी और इसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय द्वारा समन्वित किया गया है। सितंबर 2022 में, मिस्र-अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मंच (मिस्र-आईसीएफ) के लिए काहिरा में एक बैठक बुलाई गई थी जिसमें संयुक्त राष्ट्र, ग्लासगो फाइनेंशियल अलायंस फॉर नेट ज़ीरो (जीएफएएनजज़ी) और द्विपक्षीय तथा अफ्रीकी साझेदारों सहित अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विकास बैंकों के प्रतिनिधि एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम पर चर्चा के लिए शामिल हुए थे।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं हैं: सबसे पहले, इसका उद्देश्य सतत और समावेशी विकास के लिए जलवायु वित्त और निजी निवेश जुटाकर मिस्र के राष्ट्रीय जलवायु एजेंडे में तेजी लाना है। दूसरा, कार्यक्रम में जल, खाद्य और ऊर्जा क्षेत्रों में अनुकूलन और शमन के लिए उच्च प्राथमिकता वाली परियोजनाएं शामिल हैं। तीसरा, यह जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस जैसी उन्नत अर्थव्यवस्थाओं से वैज्ञानिक अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के महत्व पर जोर देता है। चौथा, कार्यक्रम का उद्देश्य सतत जल आपूर्ति के माध्यम से मिस्र की आबादी के लचीलेपन के साथ इसकी पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना है, जिससे समावेशी आर्थिक विकास हो सके। पांचवां, कार्यक्रम में शामिल शासन तंत्र में राष्ट्रीय एनडब्ल्यूएफई समिति, मंत्रिस्तरीय तकनीकी समितियां और त्वरित "स्पीड-ट्रैक" क्लीयरेंस प्रक्रिया शामिल हैं।[xi]
एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम के तहत, मिस्र ने जल, खाद्य और ऊर्जा स्तंभों के साथ नौ परियोजनाएं शुरू कीं। इन परियोजनाओं को 1.4 बिलियन डॉलर की सिंचाई एवं जल से संबंधित तीन परियोजनाओं, 3.3 बिलियन डॉलर की खाद्य एवं कृषि पर केंद्रित पांच परियोजनाओं और 10 बिलियन डॉलर की एक ऊर्जा परियोजना में विभाजित किया गया था।[xii] जून 2023 तक कार्यक्रम के लिए मिस्र को प्राप्त कुल निवेश जल स्तंभ के लिए 2.8 बिलियन डॉलर, खाद्य स्तंभ के लिए 17.4 बिलियन डॉलर और ऊर्जा स्तंभ के लिए 3.2 बिलियन डॉलर और एनडब्ल्यूएफई+ परिवहन स्तंभ के लिए 3.5 बिलियन डॉलर है। जल एवं खाद्य स्तंभ की परियोजनाओं को अनुमानित लागत से कहीं अधिक निवेश प्राप्त हुआ, जो इस पहल में मिस्र के अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के भरोसे और जलवायु परिवर्तन के सन्दर्भ में क्षेत्रीय सुरक्षा बनाए रखने की दिशा में संभावित रूप से महत्वपूर्ण योगदान को प्रदर्शित करता है। परियोजना का कार्यान्वयन नवंबर 2023 में शुरू होने वाला है।[xiii]
एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम 2019 में संकल्पित मिस्र की 'गो ग्रीन' पहल का पूरक है, जिसका उद्देश्य देश के नागरिकों को उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव करके और सतत जीवन शैली बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करके पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना है। टॉप-डाउन और बॉटम-अप दोनों उपागमों का लक्ष्य मिस्र के लिए समावेशी और सतत विकास हासिल करना है।
अंतर्राष्ट्रीय कर्ताओं की प्रतिक्रियाएँ
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने मिस्र के एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने माना है कि दुनिया का लगभग 12% व्यापार और 30% शिपिंग मिस्र की भू-रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्वेज नहर से होकर गुजरती है, जो एशिया को यूरोप से जोड़ती है।[xiv] वैश्वीकृत दुनिया के लिए एक सुरक्षित और सतत मिस्र महत्वपूर्ण है। इसलिए, एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम को राज्य और गैर-सरकारी एजेंसियों सहित विभिन्न संस्थाओं से वित्तीय सहायता प्राप्त है। अफ़्रीकी विकास बैंक जल स्तंभ के लिए मिस्र का भागीदार संगठन है।[xv] ऊर्जा स्तंभ के लिए यूरोपीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (ईबीआरडी) से साझेदारी प्राप्त हुई है।[xvi] इसके विपरीत, खाद्य सुरक्षा स्तंभ को अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) से समर्थन प्राप्त हुआ है।[xvii] वास्तव में, जीएफएएनज़ी एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम का निजी वित्त कार्य समूह है।[xviii] कार्यक्रम के अन्य साझेदारों में अफ्रीका 50, आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए अरब फंड (एएफईएसडी), इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक (आईएसडीबी), एवं अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए पेट्रोलियम निर्यातक देशों के फंड का संगठन (ओपीईसी फंड) आदि शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अलावा, देशों ने भी मिस्र के एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम को वित्तीय सहायता प्रदान की है। जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस और यूके ने अधिकांश वित्तीय सहायता ऊर्जा स्तंभ को समर्पित की है, जापान एकमात्र एशियाई देश है जो एनडब्ल्यूएफई की क्षमता निर्माण का लक्ष्य रखता है।[xix] हालाँकि फ़्रांस ने भी खाद्य स्तंभ में सहायता प्रदान की है, लेकिन किसी अन्य देश ने खाद्य एवं जल स्तंभ के लिए प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता विस्तारित नहीं की है। हालाँकि मिस्र वर्तमान में फ्रांस, रोमानिया, बुल्गारिया और जर्मनी से गेहूं का आयात कर रहा है, लेकिन इस क्षेत्र में पहले से मौजूद और बढ़ते संबंधों को देखते हुए, भारत के लिए एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम में अपने योगदान के माध्यम से मिस्र के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने की अभी भी महत्वपूर्ण गुंजाइश है।
स्रोत: 'भारत: गेहूं निर्यात का मान 2022'. 2022. स्टेटिस्टा. 22 नवंबर 2022 https://www.statista.com/statistics/652172/export-value-of-wheat-india/.
उपरोक्त ग्राफ़ दर्शाता है कि 2015 के बाद से भारत का गेहूं निर्यात किस तरह बढ़ा है, जो 2022 में बढ़कर 2,121 मिलियन अमरीकी डॉलर के उच्चतम स्तर तक पहुँच गया। भारत ने अप्रैल 2022 में घोषणा की कि उसका लक्ष्य 2022-2023 में मिस्र को 3 मिलियन टन गेहूं निर्यात करने का है।[xx] सीओपी 27 के दौरान, भारत और मिस्र ने अपने स्वदेशी कार्यक्रमों का समर्थन किया जिसका उद्देश्य हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करना था। मिस्र ने भारत की 'LiFE' पहल[xxi] के साथ एकजुटता व्यक्त की, जबकि भारत ने मिस्र की 'गो ग्रीन' पहल का समर्थन किया। जनवरी 2023 में भारत के 74वें गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में भारत-मिस्र संबंधों के पचहत्तरवें वर्ष के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति अल-सिसी के दौरे के दौरान, दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया। इसके अलावा, उन्होंने खाद्य पदार्थों की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करने और अपने द्विपक्षीय व्यापार एवं विकास आदान-प्रदान में सतत प्रथाओं को बढ़ावा देने के महत्व पर ध्यान दिया।[xxii] जून 2023 में, भारत के प्रधान मंत्री ने मिस्र का दौरा किया, जहां कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सहयोग हेतु भारत गणराज्य के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और अरब गणराज्य मिस्र के कृषि एवं भूमि सुधार मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।[xxiii] मिस्र के साथ कृषि क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के साथ ही भारत की इस क्षेत्र में खाद्य पदार्थों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनने की संभावना बढ़ गई है।
आगे का रास्ता
मिस्र का जल, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा गठजोड़ एक जटिल और अन्योन्याश्रित चुनौती है जिसके लिए समन्वित और एकीकृत उपागम की आवश्यकता है। एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम इन चुनौतियों का समाधान करने और अपने संसाधनों और पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए मिस्र की अर्थव्यवस्था को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है। फिर भी, यह एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, और यह देखना बाकी है कि क्या यह सतत एवं समावेशी विकास के अनुसरण में अन्य देशों के लिए एक मॉडल बन सकता है और एक सुरक्षित एवं सतत विश्व के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में योगदान दे सकता है।
मिस्र द्वारा शुरू किया गया एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम जल अभाव, खाद्य असुरक्षा एवं ऊर्जा मांग की परस्पर जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालाँकि, मिस्र को अपने गठजोड़ उद्देश्यों को प्राप्त करने में विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिसके लिए मिस्र के एनडब्ल्यूएफई कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन हेतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन और साझेदारी महत्वपूर्ण है। विभिन्न संस्थाओं से प्राप्त वित्तीय सहायता विश्व स्तर पर मिस्र की चुनौतियों की पहचान और उन्हें संबोधित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसके अलावा, भारत और मिस्र के बीच रणनीतिक साझेदारी एक दूसरे के जल, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा उद्देश्यों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण हो सकती है। भारत की कृषि एवं नवीकरणीय ऊर्जा सहयोग मिस्र की खाद्य सुरक्षा और निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
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*निखिल गुव्वाडी, भारतीय वैश्विक परिषद, नई दिल्ली में शोध प्रशिक्षु हैं।
अस्वीकरण : यहां व्यक्त किए गए विचार निजी हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
पाद-टिप्पणियां
[i]MoIC NWFE. ‘Ministry of International Cooperation - NWFE’. July 2022. https://moic.gov.eg/page/nwfe.
[ii] There has been a growing recognition and acknowledgement of their inseparable nature and a need for an integrated management strategy to bolster efficiency as the world is rapidly urbanising and industrialising with an increasing population amid an environmental emergency.
[iii] MoIC. 2022. ‘Ministry of International Cooperation - Dr. Rania Al-Mashat on Signing the Partnership Agreements for the “NWFE +”, “NWFE +” and Green Funding at COP27: Egypt Provides a Model for the World to Shift from Pledges to Implementation through the National Platform for Green Projects “NWFE” Program’. 9 November 2022. https://moic.gov.eg/news/778.
[iv]Soffiantini, Giulia. 2020. ‘Food Insecurity and Political Instability during the Arab Spring’. Global Food Security 26 (September): 100400. https://doi.org/10.1016/j.gfs.2020.100400.
[v]Terwisscha van Scheltinga, Catharien, Ángel De Miguel, Gert-Jan Wilbers, Hanneke Heesmans, Rutger Dankers, and Eric Smaling. 2021. ‘Unravelling the Interplay between Water and Food Systems in Arid and Semi-Arid Environments: The Case of Egypt’. Food Security 13 (September). https://doi.org/10.1007/s12571-021-01208-1.
[vi]Ethiopia built Africa’s largest hydroelectric power dam, raising water flow concerns for lower riparian states, especially Egypt.
[vii]Pemunta, Ngambouk Vitalis, Ngo Valery Ngo, Choumbou Raoul Fani Djomo, Sianga Mutola, Judith Achin Seember, Grace Annih Mbong, and EnjeckayangAsomaneiForkim. 2021. ‘The Grand Ethiopian Renaissance Dam, Egyptian National Security, and Human and Food Security in the Nile River Basin’. Edited by Robert Read. Cogent Social Sciences 7 (1): 1875598. https://doi.org/10.1080/23311886.2021.1875598.
[viii] Tanchum, Michaël. 2022. ‘The Russia-Ukraine War Has Turned Egypt’s Food Crisis into an Existential Threat to the Economy’. Middle East Institute. 3 March 2022. https://www.mei.edu/publications/russia-ukraine-war-has-turned-egypts-food-crisis-existential-threat-economy.
[ix] The Initiative on the Safe Transportation of Grain and Foodstuffs from Ukrainian Ports, also called the Black Sea Grain Initiative, was an agreement between Ukraine and Russia brokered by Turkey and the United Nations to mitigate the effects of the Ukraine crisis on global food security given the significant contribution of Ukraine and Russia to the global food supply of essential foodstuff.
[x] United Nations. 2023. ‘Secretary-General’s Press Encounter on the Black Sea Initiative | United Nations Secretary-General’. 17 July 2023. https://www.un.org/sg/en/content/sg/press-encounter/2023-07-17/secretary-generals-press-encounter-the-black-sea-initiative.
[xi]MoIC. ‘Egypt’s Country Platform for the NWFE Program’. June 2023. https://mmd-moic.s3.eu-west-1.amazonaws.com/files/NWFE%20June-2023-.pdf
[xii] MoIC NWFE. ‘Egypt’s Country Platform for ُو نـــ NWFE Program Joint Statement’. 7 September 2022. https://mmd-moic.s3.eu-west-1.amazonaws.com/files/NWFE-Joint%20Statement%20-%20Eng%20Vr.pdf
[xiii]MoIC. ‘Egypt’s Country Platform for the NWFE Program’. June 2023. https://mmd-moic.s3.eu-west-1.amazonaws.com/files/NWFE%20June-2023-.pdf
[xiv] Myers, Joe. 2021. ‘The Suez Canal in Numbers’. World Economic Forum. 25 March 2021. https://www.weforum.org/agenda/2021/03/the-suez-canal-in-numbers/.
[xv] African Development Bank. 2023. ‘Egyptian Leader Lauds African Development Bank for Supporting Continent through Tough Times’. Text. African Development Bank Group - Making a Difference. African Development Bank Group. 7 April 2023. https://www.afdb.org/en/news-and-events/press-releases/egyptian-leader-lauds-african-development-bank-supporting-continent-through-tough-times-60303.
[xvi]EBRD. 2022. ‘How the EBRD Became Egypt’s Leading Partner for Renewable Energy’. EBRD. 4 November 2022. https://www.ebrd.com/news/2022/how-the-ebrd-became-egypts-leading-partner-for-renewable-energy-.html.
[xvii]IFAD. 2022. ‘IFAD to Lead the Food Pillar of Egypt’s Nexus for Water, Food and Energy (NWFE)’. IFAD. 10 November 2022. https://www.ifad.org/en/web/latest/-/ifad-to-lead-the-food-pillar-of-egypt-s-nexus-for-water-food-and-energy-nwfe-.
[xviii] GFANZ. 2022. ‘GFANZ Private Finance Working Group for NWFE: Statement of Support’. Glasgow Financial Alliance for Net Zero (blog). 9 November 2022. https://www.gfanzero.com/press/gfanz-private-finance-working-group-for-nwfe-statement-of-support/.
[xix] ‘Political Statement on Egypt’s NWFE Platform and NDC’. 11 November 2022. https://mmd-moic.s3.eu-west-1.amazonaws.com/files/Egypt%20Political%20Declaration%20FINAL%20%282%29.pdf
[xx] ‘India Aims to Export 3 Mn Tonnes of Wheat to Egypt in 2022-23.’ 2022. AgriexchangeApeda. 18 April 2022. https://agriexchange.apeda.gov.in/news/NewsSearch.aspx?newsid=43130.
[xxi]At the 2021 COP26, the Prime Minister of India announced Mission LiFE to bring individual behaviours to the forefront of the global climate action narrative. LiFE envisions replacing the prevalent 'use-and-dispose' economy—governed by mindless and destructive consumption—with a circular economy, which would be defined by mindful and deliberate utilisation. The Mission intends to nudge individuals to undertake simple acts in their daily lives that can contribute significantly to climate change when embraced across the world.
[xxii] MEA, GoI. 2023. ‘India-Egypt Joint Statement during the State Visit of the President of Egypt to India (January 24-27, 2023)’. 26 January 2023. https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/36148/IndiaEgypt_Joint_Statement_during_the_State_Visit_of_the_President_of_Egypt_to_India_January_2427_2023.
[xxiii] MEA, GoI. 2023. ‘List of Outcomes: State Visit of Prime Minister to Egypt (June 24-25, 2023)’. 25 June 2023. https://mea.gov.in/bilateral-documents.htm?dtl/36741/List_of_Outcomes_State_visit_of_Prime_Minister_to_Egypt_June_2425_2023.