प्रमुख नेता आयतुल्लाह ख़ुमैनी ने सालाना होने वाले नवरूज समारोह के दौरान अपने संबोधन में सलाह दी कि, आगामी राष्ट्रपति चुनाव अभियान में, “उम्मीदवारों को देश की अर्थव्यवस्था को दूसरों के फैसले और प्रतिबंध हटाने के निर्णयों पर आश्रित नहीं बनने देना चाहिए और प्रतिबंधों के आधार पर देश की अर्थव्यवस्था की योजना बनानी चाहिए।”[i] इसके अलावा, ख़ुमैनी ने यह भी कहा कि अच्छा राष्ट्रपति वह होगा जो 'रेवलूशनेरी जिहादी' हो। 'रेवलूशनेरी जिहादी' या 'हिज़्बुल्लाही' को अक्सर रूढ़िवादी इस्लामी वैश्विक नजरिये का माना जाता है, जो वैचारिक रुप से विलायत-ए-फ़कीह ((ज्यूरिस्ट की संरक्षकता) संस्था को सर्वोच्च मानते हैं और सांस्कृतिक, आर्थिक व भू-राजनीतिक क्षेत्र में पश्चिमी आधिपत्य का विरोध करते हैं। संयुक्त व्यापक कार्य योजना (2015) की बहाली पर होने वाली बातचीत में सुलह का संकेत देते हुए, ख़ुमैनी यह की टिप्पणी रूहानी सरकार के व्यावहारिक एजेंडे की विफलता को रेखांकित करती है, और प्रतिबंधों को खत्म करके एवं अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के साथ पुन: एकीकरण द्वारा देश के आर्थिक विकास से संबंधित है। वाशिंगटन के 'अधिकतम दबाव' और महामारी के गंभीर आर्थिक नतीजे ने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की आर्थिक भूमिका को मजबूत स्थिति में ला दिया है और उन्हें जून 2021 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में हावी होने के लिए राजनीतिक रूप से सशक्त बना दिया है।
आर्थिक दृष्टिकोण की लड़ाई
पहले के प्रशासन के प्रतिबंधों, भ्रष्टाचार और लोकलुभावन कुप्रबंधन से ईरानी अर्थव्यवस्था में आये संरचनात्मक संकट को दूर करने के लिए सार्वजनिक खर्चों को सीमित करने, एकाधिकार को समाप्त करने और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश एवं व्यापार उदारीकरण को बढ़ावा देने जैसे आर्थिक सुधारों को लाने का अह्ववान किया था।[ii] रूहानी के आर्थिक-उदारीकरण और बजट के एजेंडे में बेरोजगारी और मुद्रास्फीति पर श्रमिक वर्ग की चिंताओं को ज्यादा प्रमुखता नहीं दी गई थी।[iii] दिसंबर 2017 में हुए देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की मुख्य वजह आर्थिक शिकायतें थीं, जो उच्च ईंधन की कीमतों के बाद शुरु हो गईं और जिसे रूढ़िवादी राजनीतिक समूहों ने अपना समर्थन दिया।
ट्रम्प प्रशासन द्वारा 'अधिकतम दबाव' अभियान की शुरुआत के साथ, 'प्रतिरोध की अर्थव्यवस्था' की अवधारणा, पहली बार 2010 में ओबामा-काल के प्रतिबंधों के दौरान सर्वोच्च नेता द्वारा गढ़ी गई, जो अर्थव्यवस्था के विविधीकरण और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की वकालत करने वाली अवधारणा का उन्नत रुप है। इस अवधारणा के तहत विभिन्न गुटों के बीच की प्रतिस्पर्धा की व्याख्या को शामिल माना गया है। वित्तीय सुधारों और भ्रष्टाचार विरोधी उपायों तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों से मेल खाती हुई पारदर्शिता को बढ़ावा देते हुए रूहानी प्रशासन ने 'लचीला अर्थव्यवस्था' की तलाश में, जिसका इस्तेमाल अक्सर 'प्रतिरोध की अर्थव्यवस्था' के साथ परस्पर रुप में किया जाता है, वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ ईरान को फिर से जोड़ते हुए अपने आर्थिक सुधार एजेंडे को तैयार किया। वित्तीय सूचना और पारदर्शिता को बढ़ावा देने और देश को अंतर सरकारी वित्तीय कार्य बल (एफएटीएफ) के अनुपालन में लाने हेतु रूहानी प्रशासन की 'कार्य योजना' से जुड़े चार कानूनी मुद्दों को लेकर लंबे समय से चले आ रहा राजनीतिक विवाद घरेलू राजनीतिक लड़ाई को बढ़ाते हुए इसे एकीकरण के समर्थकों बनाम बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सतर्क और सीमित जुड़ाव की नीति का पालन करने वाले के बीत टकराव का कारण बन गया। 2018 के अंत में संसद ने विधेयकों को मंजूरी दे दी, और ईरान के अनुसमर्थन से संबंधित दो विवादास्पद विधेयक यानि आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला (सीएफटी) विधेयक और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन विधेयक को अभिभावक परिषद द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया था और ये अभी संवैधानिक मध्यस्थता निकाय 'एक्सपीडिएंसी काउंसिल (ईसी)' के समक्ष समीक्षाधीन हैं।[iv] फरवरी 2020 में ईरान को एफएटीएफ के ब्लैकलिस्ट में डाल दिया गया था।
रूहानी सरकार ने यह माना है कि विधेयकों को पारित करना अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग संबंधों के लिए जरुरी है, विशेष रूप से यूरोप के साथ और प्रतिबंधों को कम करने के प्रयास तब तक निरर्थक रहेंगे जब तक कि ईरान पर एफएटीएफ 'ब्लैकलिस्ट' की वजह से लगाए गए प्रतिबंधक-उपाय या वित्तीय बाधाएं हटाए नहीं जाते। कट्टरवादी आलोचकों का कहना है कि अनुसमर्थन से ईरान को भविष्य में अधिक रियायतें देने हेतु संवेदनशील वित्तीय जानकारी मिल जाएगी, विशेष रूप से यमन में फिलिस्तीनी समूहों और हौथिस जैसे क्षेत्रीय समूहों के अपने समर्थन के संदर्भ में, जिन्हें अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है।[v] व्यय परिषद (ईसी) के सचिव मोहसिन रेज़ाई ने लंबित विधेयकों को 'कूटनीति का एक साधन' बताते हुए यह तर्क दिया कि परिषद तेहरान के एफ़एटीएफ तक पहुंच से संबंधित निर्णय लेने में तब तक देरी करेगा जब तक अमेरिकी प्रतिबंध बने रहते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि नियमों का पूर्ण अनुपालन ईरान के प्रतिबंधों को खत्म करने के प्रयासों को बाधित करेगा। मार्च की शुरुआत में, रूढ़िवादी-प्रभुत्व वाली संसद के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने एफ़एटीएफ कानून से जुड़े एक बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें ईसी की चेयरपर्सन साडेग लारिजानी से आग्रह किया गया कि वे आगे की समीक्षा हेतु कानून को संसद में वापस कर दें। कानूनी आधार की कमी की वजह से इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया था।[vi] रूहानी के अनुरोध पर, ख़ुमैनी ने 20 मार्च को आधिकारिक ईरानी कैलेंडर वर्ष के समाप्त होने के बाद भी परिषद द्वारा विधेयकों पर विचार करने की समय सीमा बढ़ा दी।
सौदे से अमेरिका के पीछे हटने की वजह से विदेशी निवेश का कार्यान्वित होना विफल रहा, इस वजह से आईआरजीसी की इंजीनियरिंग शाखा खटम अल-अनबिया और कंस्ट्रक्शन समूह कन्ग्लामरिट ने बड़ी परियोजनाओं, विशेष रूप से तेल एवं गैस उद्योगों और अवसंरचना के विकास से जुड़ी परियोजनाओं पर कब्जा कर लिया।[vii] 'प्रतिरोधी अर्थव्यवस्था' के ढांचे ने आईआरजीसी की देश के तीसरे सबसे बड़े उद्योग यानि ऑटो उद्योग जैसे नए क्षेत्रों में आर्थिक भूमिका को वैध बनाने में मदद की है, जिसे पहले पारंपरिक रूप से व्यावहारिक एवं व्यापारिक समुदाय में उसके रूढ़िवादी सहयोगियों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था।[viii] जून 2020 में, ईरान की सबसे बड़ी वाहन निर्माण कंपनी खोड़रो का दौरा करके दौरान एयरोस्पेस फोर्स के कमांडर अली हाजीजादेह ने आईआरजीसी के तकनीकी अनुभव को साझा करने का वादा किया, और कहा कि आईआरजीसी की भूमिका सलाहकार की होगी और वह कभी भी इस उद्योग में प्रवेश नहीं करेगा।[ix] प्रतिबंधों के असर को कम करने हेतु उच्च प्रौद्योगिकी और तेल के विविधीकरण में कट्टरपंथियों के आत्मनिर्भरता से जुड़े महत्व के बावजूद, वे विशेष रूप से पड़ोसी देशों में आर्थिक गतिविधियों के लिए नए अंतरराष्ट्रीय सहयोग खोजने को प्राथमिकता दे रहे हैं। ईरान की क्षेत्रीय सक्रियता के प्रमुख खतरों जैसे कि सीरिया, इराक और लेबनान में, तेहरान की सीमा पार परिवहन को बेहतर बनाने के लिए खनिज संसाधनों और कृषि में निवेश करने के लिए राजनीतिक रुचि हासिल करने हेतु गैर-वापसी योग्य सहायता करने की नीति में बदलाव देखने को मिलता है। वास्तविकता यह है कि आर्थिक निर्भरता से अमेरिका के लिए क्षेत्रीय राज्यों को अपने देशों में ईरानी आर्थिक गतिविधियों को बंद करने हेतु मजबूर करना मुश्किल हो जाएगा।[x]
देश के संदर्भ में अपनी आर्थिक विजन की बात करते हुए, नवरूज समारोह के दौरान अपने संबोधन में आयतुल्लाह ख़ुमैनी ने, "आर्थिक विकास के लिए क्रांतिकारी संघों और लोकप्रिय धर्मार्थ संगठनों की आवश्यकता" पर बल दिया।”[xi] आईआरजीसी ने मॉड्यूलर हॉस्पिटल और कीटाणुशोधन करने वाली वायरोलॉजी इकाइयों का निर्माण करके महामारी के दौरान अहम भूमिका निभाई है और 3.5 मिलियन निम्न-आय वाले परिवारों की सुरक्षा हेतु एक नया चेरिटी इमाम हसन मुख्यालय स्थापित किया है।[xii] कृषि, पर्यटन, विनिर्माण और तेल व गैस से लेकर क्षेत्रों में सक्रिय व्यावसायिक सहायक कंपनियों के साथ सुप्रीम लीडर और आईआरजीसी के कार्यालय से संबद्ध बोनीड्स नामक मजबूत पैरा-सरकारी दान फाउंडेशन ने भी अपनी गतिविधियों को बढ़ाया है। सुप्रीम लीडर को रिपोर्टिंग करने वाले मोस्टाज़ाफ़ान नामक इस संगठन पर ट्रम्प प्रशासन ने नवंबर 2020 में प्रतिबंध लगा दिया था। एक कट्टरवादी प्रशासन के तहत, आईआरजीसी न केवल प्रमुख क्षेत्रों में अपनी आर्थिक भूमिका को मजबूत करेगा, बल्कि कल्याण व सुरक्षा के प्रावधान करेगा, जो निम्न-मध्यम वर्ग के बीच फैले असंतोष को समझने के लिए जरुरी माना जाता है, और इसे धार्मिक धर्मार्थ और पैरा-सरकारी एजेंसियों के साथ आवश्यक काम सौंपा जाएगा।
प्रभावी स्थिति में परंपरावादी-कट्टरपंथी
जेसीपीओए के बाद से, रूहानी प्रशासन की सबसे बड़ी उपलब्धि, ट्रम्प प्रशासन के साथ 'अधिकतम दबाव' की नीति के बाद अस्पष्ट रही है, ''सिद्धांतवादी या कट्टरपंथी प्रभावी रहे हैं। हालांकि, संरक्षक परिषद द्वारा 99 पदस्थ संसदीय सांसदों को अयोग्य घोषित किए जाने सहित कई सुधारवादी और उदारवादी उम्मीदवारों के बीच आपसी मतभेद के बिना रूढ़िवादी दल ने फरवरी 2020 के संसदीय चुनावों में आसानी से बहुमत हासिल कर लिया। कट्टरपंथी पेंडारी, (इस्लामिक क्रांति स्थिरता के मोर्चे के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला फारसी का संक्षिप्त शब्द) के उम्मीदवारों को एसएचएएनए (क्रांतिकारी क्रांति गठबंधन परिषद के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला फारसी का संक्षिप्त शब्द) द्वारा मैदान में उतारे गए उम्मीदवारों की सूची में जगह नहीं मिली। आईआरजीसी के पूर्व कमांडर और तेहरान के पूर्व महापौर मोहम्मद बाघेर ग़ालिबफ, जो कि एसएचएएनए में एक विशेष स्थान रखते हैं, ने सूची में बदलाव करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया, लेकिन कट्टरपंथियों ने इस बदलाव को मनाने से इंकार कर दिया, जिन्होंने अपनी खुद की सूची बनाई थी और जिससे उन्होंने ग़ालिबफ को बाहर कर दिया।
इससे पहले 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में, तीन बार के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे ग़ालिबफ ने रूहानी के खिलाफ इब्राहिम रायसी की जीतने की संभावना को बढ़ाने के लिए चुनाव से हट गए थे। अस्थान-ए-कुद्स फाउंडेशन के प्रमुख रायसी ने 38 प्रतिशत वोट हासिल किए और उनकी हार के बाद ख़ुमैनी को न्यायपालिका का प्रमुख नियुक्त किया गया। जबकि तेहरान के महापौर (2005-2017) और पुलिस प्रमुख (1999-2005) के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान ग़ालिबफ का नाम कुछ हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार मामलों से जुड़ा रहा है, उसी दौरान रायसी ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रचार अभियान शुरू किया।[xiii] संयुक्त पादरी संघ, ईरान के प्रमुख रूढ़िवादी समूह और यूनिटी काउंसिल ऑफ प्रिंसीप्लिस्ट्स ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा न करने के बावजूद रायसी के लिए अपने समर्थन की घोषणा कर दी।
रूहानी के पहले कार्यकाल के दौरान रक्षा मंत्री के रूप में कार्य करने वाले आईआरजीसी के पूर्व कमांडर और ख़ुमैनी के वरिष्ठ सैन्य सलाहकार हुसैन देहगान ने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है। उन्होंने खुद को 'सभी दलों से समर्थन प्राप्त उम्मीदवार' के रूप में दिखाने के लिए अपने गुटीय संबद्धता की कमी का उपयोग करने की कोशिश की। युद्ध के बाद की अवधि के दौरान, आईआरजीसी की निवेश शाखा बोनाड-ए तावोन-ए सिपाह के महाप्रबंधक के रूप में देहगान ने आईआरजीसी की आर्थिक गतिविधियों के संचालन में अहम भूमिका निभाई।[xiv] खतम अल-अनबिया के अध्यक्ष मोहम्मद सईद ने हाल ही में शीर्ष कार्यकारी पद के लिए चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, उन्हें आईआरजीसी के कमांडर इन चीफ, हुसैन सलामी के विशेष सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया। इन उम्मीदवारों का कहना है कि, आईआरजीसी में उनको तकनीकी अनुभव है, इसलिए वो शीर्ष कार्यकारी पद और 'प्रतिरोध अर्थव्यवस्था' के विजन को आगे बढ़ाने के अच्छे विकल्प हैं। उम्मीदवारों के पुनरीक्षण की जिम्मेदारी संभालने वाले संरक्षक परिषद के प्रवक्ता अब्बास अली कदखोदे ने हाल ही में साफ किया कि सैन्य बैकग्राउंड वाले व्यक्ति चुनाव लड़ने के हकदार हैं, लेकिन सैन्य कर्मियों द्वारा चुनाव में केवल किसी राजनीतिक गुट या पार्टी का समर्थन करना प्रतिबंधित है। दूसरी ओर, सुधारवादियों का कहना है कि संविधान के अनुसार राष्ट्रपति को राजनेताओं द्वारा चुना जाना चाहिए न कि सैन्य कर्मचारियों द्वारा।[xv] आईआरजीसी द्वारा पद हेतु आईआरजीसी पृष्ठभूमि वाले कई उम्मीदवारों के मामले में किसी विशिष्ट उम्मीदवार का समर्थन करने की संभावना नहीं है।
पिछले साल के संसदीय चुनावों में कम संख्या में मतदान को देखते हुए, चुनाव में रुचि और भागीदारी को बढ़ाने के लिए सुधारवादी और उदारवादी खेमे की भागीदारी अहम है। सुधारवादी अली मोताहरी, जो आईआरजीसी के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव के आलोचक रहे हैं, उन्होंने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए कहा है कि “संरक्षक परिषद को उन लोगों की योग्यता की पुष्टि करनी चाहिए जिन्होंने लोगों की भागीदारी (चुनाव में) को बढ़ाने के लिए ईरानी संविधान को स्वीकार किया था।"[xvi] विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़, जो कई मौकों पर चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं, उनकी देश की विदेश नीति पर आईआरजीसी के प्रभाव से संबंधित उनका भाषण लीक होने के बाद वो विवादों में घिर गए हैं, जिन्हें मोहसिन हाशमी रफसंजानी के साथ ईरान की कंस्ट्रक्शन पार्टी के उदारवादी-सुधारवादी कार्य समूह द्वारा चुना गया है। हालांकि, ज़रीफ़ की टिप्पणियों पर सर्वोच्च नेता की आलोचना को देखते हुए इस बात की संभावना नहीं है कि ज़रीफ़ द्वारा उनकी उम्मीदवारी की घोषणा करने की स्थिति में संरक्षक परिषद उनके नामांकन को मंजूरी देगी।
परमाणु मुद्दे पर कट्टरपंथियों का दृष्टिकोण लचीलेपन और समझौता करने के बजाए अस्थिरता और ईरान पर पश्चिमी विषमतावादी दबाव का असर नहीं होगा, इस राष्ट्रवादी-क्रांतिकारी विचार के उनके समर्थन पर आधारित है। दिसंबर 2020 में, कट्टरपंथी वर्चस्व वाली संसद ने सरकार को 20 प्रतिशत शुद्धता के साथ यूरेनियम संवर्धन शुरू करने, उन्नत सेंट्रीफ्यूज स्थापित करने और कानून के अनुसमर्थन से तीन महीने के बाद तथा अगर अमेरिका प्रतिबंधों को नहीं हटाता है तो, परमाणु अप्रसार संधि के लिए अतिरिक्त प्रोटोकॉल का अनुपालन निलंबित करने के लिए मजबूर करने वाला एक विधेयक पारित किया। कट्टरपंथियों ने जेसीपीओए के अनुपालन पर चल रहे गतिरोध में रूहानी को ईरान द्वारा सख्त रुख अपनाने के लिए मजबूर किया है ताकि नरमपंथियों को सकारात्मक राजनयिक स्थिति का चुनाव में लाभ न मिल सके। पिछले हफ्ते फरवरी में, ईरान ने अतिरिक्त प्रोटोकॉल को लागू करने से निलंबित करने के बाद वह एजेंसी के साथ एक तकनीकी समझौते पर पहुंचा, जो आईएईए को तुरंत डेटा एक्सेस करने में सक्षम किए बिना डेटा एकत्र करने की अनुमति देगा।[xvii] क्योंकि रूहानी प्रशासन चुनावों से पहले जेसीपीओए को दोबारा प्रचलित करना करने हेतु समझौता करना चाहता है, आईआरजीसी के पूर्व प्रमुख मोहसिन रेजाई, जो 2013 के राष्ट्रपति चुनाव में तीसरे स्थान पर आए थे और आगामी चुनाव के संभावित उम्मीदवार हैं, ने मार्च की शुरुआत में कहा कि तेहरान फिर से बातचीत शुरु कर सकता है अगर वाशिंगटन यह 'स्पष्ट' करता है कि जेसीपीओए से अमेरिका के बाहर होने के बाद लगाए गए प्रतिबंध एक साल के भीतर हटा दिए जाएंगे।[xviii] रेजाई की टिप्पणी को विदेश मंत्रालय द्वारा एक औपचारिक बयान देकर रद्द कर दिया गया।[xix]
निष्कर्ष
क्रांति की शुरुआती दशकों से बिल्कुल उलट, जब अर्थव्यवस्था के मामलों को क्रांतिकारी एजेंडे पर केंद्रित राजनीतिक वर्ग द्वारा पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया था, पिछले एक दशक में आर्थिक मामलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो हमें 'प्रतिरोध की अर्थव्यवस्था' की अवधारणा को लेकर ईरान के विभिन्न राजनीतिक गुटों में संघर्ष में देखने को मिल रहा है। सुधारवादियों और नरमपंथियों का मानना है कि ईरान के आर्थिक विकास के लिए इसके अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को सामान्य बनाना जरुरी है, जो ऐसा काम है जिसे आगामी चुनावों में रूढ़िवादी पक्ष की जीत के बावजूद भी कर पाना मुश्किल होगा। कई विश्लेषकों का मानना है कि न्यायपालिका व संसद में कट्टरपंथियों का प्रभुत्व मजबूत होने के बाद उनके लिए शीर्ष कार्यकारी पद अर्थव्यवस्था पर बने दबाव, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत और सर्वोच्च नेता के उत्तराधिकार की महत्वपूर्ण चुनौतियों के संदर्भ में एक अधिक सामंजस्यपूर्ण और समरूप राजनीतिक व्यवस्था बनाने की रणनीति है।[xx] हालांकि, वर्तमान में 'अधिकतम भागीदारी' अभी की सबसे बड़ी चुनौती होगी, जिसका जिक्र आयतुल्लाह ख़ुमैनी ने नवरूज समारोह के दौरान अपने संबोधन में किया था।
*****
*डॉ. दीपिका सारस्वत, विश्व मामलों की भारतीय परिषद में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
समाप्ति टिप्पणी
[i]‘Zionist Regime’s Normalising of ties with pitiful governments cannot save it,” KHAMENERI.IR, 21, March, 2021, https://english.khamenei.ir/news/8433/Zionist-regime-s-normalizing-ties-with-pitiful-govts-can-t-save(Accessed on 7 April, 2021)
[ii]‘Zionist Regime’s Normalising of ties with pitiful governments cannot save it,” KHAMENERI.IR, 21, March, 2021, https://english.khamenei.ir/news/8433/Zionist-regime-s-normalizing-ties-with-pitiful-govts-can-t-save(Accessed on 7 April, 2021)
[iii]‘Zionist Regime’s Normalising of ties with pitiful governments cannot save it,” KHAMENERI.IR, 21, March, 2021, https://english.khamenei.ir/news/8433/Zionist-regime-s-normalizing-ties-with-pitiful-govts-can-t-save(Accessed on 7 April, 2021)
[iv]‘Iran's FATF gridlock spawns 'death threats,’ Al-Monitor, 28 January, 2019,
https://www.al-monitor.com/originals/2019/01/iran-fatf-bills-cft-palermo-convention-ansari-death-threats.html#ixzz6qb34kHAa(Accessed on 8 April, 2021)
[v]Ibid
[vi]Ibid
[vii] Saraswat Deepika. ‘Economy of Resistance and Regional Economic Outreach: How Iran is Coping with the US ‘maximum pressure’ Indian Council of World Affairs, /show_content.php?lang=1&level=3&ls_id=4310&lid=3198#_edn6
[viii]Behravesh Mayasam, ‘Corruption is a Job Qualification in Today’s Iran,’ Foreign Policy, 26 June, 2020, https://foreignpolicy.com/2020/06/26/corruption-is-a-job-qualification-in-todays-iran/(Accessed on 8 April, 2021)
[ix]‘IRGC says to provide technology to automotive industry’ Tehran Times, 29 June, 2020,https://www.tehrantimes.com/news/449405/IRGC-says-to-provide-technology-to-automotive-industry(Accessed on 7 April, 2021)
[x]‘IRGC says to provide technology to automotive industry’ Tehran Times, 29 June, 2020,https://www.tehrantimes.com/news/449405/IRGC-says-to-provide-technology-to-automotive-industry(Accessed on 7 April, 2021)
[xi]‘Zionist Regime’s Normalising of ties with pitiful governments cannot save it,” KHAMENERI.IR, 21, March, 2021, https://english.khamenei.ir/news/8433/Zionist-regime-s-normalizing-ties-with-pitiful-govts-can-t-save(Accessed on 7 April, 2021)
[xii]‘Zionist Regime’s Normalising of ties with pitiful governments cannot save it,” KHAMENERI.IR, 21, March, 2021, https://english.khamenei.ir/news/8433/Zionist-regime-s-normalizing-ties-with-pitiful-govts-can-t-save(Accessed on 7 April, 2021)
[xiii]‘No one allowed to violate law, top judge says,’ Tehran Times, 13 March, 2021, https://www.tehrantimes.com/news/459121/No-one-allowed-to-violate-law-top-judge-says(Accessed on 8 April, 2021)
[xiv]Aarabi Kasra, ‘The Militarisation of Iran’s Presidency: The IRGC and the 2021 Election,’ Royal United Service Institute, 1 October, 2020, https://www.rusi.org/commentary/militarisation-iran-presidency-irgc-and-2021-elections(Accessed on 7 April, 2021)
[xv]Aarabi Kasra, ‘The Militarisation of Iran’s Presidency: The IRGC and the 2021 Election,’ Royal United Service Institute, 1 October, 2020, https://www.rusi.org/commentary/militarisation-iran-presidency-irgc-and-2021-elections(Accessed on 7 April, 2021)
[xvi]‘Main battle in presidential polls will be between principalists, HashemiTaba predicts,’ Tehran Times, 26 February, 2021, https://www.tehrantimes.com/news/458529/Main-battle-in-presidential-polls-will-be-between-principlists (Accessed on 9 April, 2021)
[xvii] Murphy Francois, ‘IAEA chief Grossi describes black box-type deal reached with Iran, Reuters, 23 February, 2021, https://www.reuters.com/article/us-iran-nuclear-iaea-deal/iaea-chief-grossi-describes-black-box-type-deal-reached-with-iran-idUSKBN2AN1UU (Accessed on 9 April, 2021)
[xviii] Murphy Francois, ‘IAEA chief Grossi describes black box-type deal reached with Iran, Reuters, 23 February, 2021, https://www.reuters.com/article/us-iran-nuclear-iaea-deal/iaea-chief-grossi-describes-black-box-type-deal-reached-with-iran-idUSKBN2AN1UU (Accessed on 9 April, 2021)
[xix] Murphy Francois, ‘IAEA chief Grossi describes black box-type deal reached with Iran, Reuters, 23 February, 2021, https://www.reuters.com/article/us-iran-nuclear-iaea-deal/iaea-chief-grossi-describes-black-box-type-deal-reached-with-iran-idUSKBN2AN1UU (Accessed on 9 April, 2021)
[xx]Vakil, Sanam, ‘EbrahimRaisi: Will he Stay or Will he go?’ Atlantic Council, 6 April, 2021, (Accessed on 9 April, 2021)