एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एआईआईबी) ने 16 जनवरी 2021 को अपनी स्थापना की पांचवीं वर्षगांठ मनाई। इसने बैंक के प्रदर्शन और भारत के साथ इसके जुड़ाव के मूल्यांकन हेतु एक मंच तैयार किया है। एआईआईबी के सदस्यों की संख्या 2016 में 57 से बढ़कर 2021 में 103 हो गई है, जिनमें एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और ओशिनिया तक शामिल हैं। इस बैंक की स्थापना एशिया की चुनौतीपूर्ण अवसंरचना जरूरतों को पूरा करने हेतु सभी देशों को एक साथ लाने के लिए की गई थी। हालांकि, हमें सबसे पहले बैंक की स्थापना में अपनाई गई प्रक्रिया को समझना जरुरी है क्योंकि इससे सिद्धांतों और नीतियों से जुड़े हमारे कुछ अहम सवालों का जवाब मिल सकेगा।
स्थापना की प्रक्रिया
अक्टूबर 2013 में चीन ने एआईआईबी की स्थापना की पहल की। जनवरी 2016 में बैंक की औपचारिक रूप से स्थापना से पहले बातचीत के माध्यम से सहयोगात्मक प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें योजना बनाने तथा किसी समझौते तक पहुंचने में लगभग दो साल का वक्त लगा। एआईआईबी की स्थापना से पहले जो प्रक्रिया अपनाई गई, उसे बहुपक्षीय भावना का एक वास्तविक उदाहरण माना जा सकता है। एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (एआईआईबी) की स्थापना से पहले संस्थापक सदस्य राज्यों द्वारा मुख्य मार्गदर्शक सिद्धांतों जैसे कि पारदर्शिता, जवाबदेही, पर्यावरण संबंधी चिंताएं, परामर्श तंत्र/संवाद के महत्व पर चर्चा की गई और इनपर सहमति हुई।[i] इन्हीं सिद्धांतों को विगत पांच सालों में एआईआईबी ने जो सफलता हासिल की है, उसका आधार माना जाता है। यहां उल्लेखनीय है कि यह संवाद-संचालित परामर्श प्रक्रिया एआईआईबी को बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव जैसी चीन की अन्य परियोजनाओं से अलग करती है। एआईआईबी ने बीआरआई ढांचे के तहत कुछ परियोजनाओं का समर्थन किया है, हालांकि यह औपचारिक रूप से योजना से जुड़ा हुआ नहीं है।[ii]
परियोजनाएं और वित्तपोषण
एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक की अधिकृत पूंजी 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। सदस्य देशों का वोटिंग शेयर बैंक की अधिकृत पूंजी में योगदान पर नहीं बल्कि प्रत्येक सदस्य की अर्थव्यवस्था के आकार पर आधारित है। चीन के बाद भारत इसमें दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक है। पांच वर्षों के इस बेहद कम समय में, एआईआईबी ने 24.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कुल वित्तपोषण के साथ अपने सदस्यों की 119 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। निम्न तालिका दर्शाती है कि बैंक द्वारा मंजूर की गई निवेश राशि 2016 से हर साल लगातार बढ़ती गई है।
तालिका 1: एआईआईबी द्वारा वार्षिक अवसंरचना वित्तपोषण, 2016-2020
वर्ष |
राशि (बिलियन अमेरिकी डॉलर) |
2016 |
1.69 |
2017 |
2.5 |
2018 |
3.31 |
2019 |
4.54 |
2020 |
9.98 |
aiib.org के लेखक द्वारा संकलित
एआईआईबी ने भारत की कुल 23 परियोजनाओं का वित्त पोषण किया है, जिसकी कुल लागत 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर (तालिक 2) है। निम्नलिखित तालिका से पता चलता है कि इस बैंक ने भौतिक, सामाजिक और हरित अवसंरचना से जुड़ी कुछ विशेष और महत्वपूर्ण परियोजनाओं का समर्थन किया है, जो इसके प्राथमिकता के क्षेत्र रहे हैं। भारत की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को कहा था कि "2025 तक 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुमानित व्यय के साथ, भारत की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन, एआईआईबी की भागीदारी हेतु निवेश के नए अवसरों की संभावना पैदा की है।"[iii]
तालिका 2: भारत में एआईआईबी की स्वीकृत परियोजनाएं, 2017 - मई, 2021
वर्ष |
परियोजना |
क्षेत्र |
स्वीकृत राशि |
2021 |
पंजाब नगरपालिका सेवा सुधार परियोजना |
शहरी |
105 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2021 |
केरल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना |
शहरी |
105 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2021 |
असम अंतरराज्यीय हस्तांतरण प्रणाली संवर्धन परियोजना |
ऊर्जा |
304 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2020 |
अयाना अनंतपुरमु एनटीपीसी सौर परियोजना |
ऊर्जा |
35 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2020 |
दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम |
ट्रांसपोर्ट |
500 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2020 |
किफायती आवास के लिए एचडीएफसी लाइन ऑफ क्रेडिट |
वित्तीय संस्थान |
200 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2020 |
कोविड-19 सक्रिय प्रतिक्रिया और व्यय सहायता (केयर्स) |
आर्थिक लचीलापन / पीबीएफ |
750 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2020 |
कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली तत्परता परियोजना |
सार्वजनिक स्वास्थ्य |
500 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2019 |
एलएंडटी-सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर ऑन-लेंडिंग सुविधा |
वित्तीय संस्थान |
100 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2019 |
मुंबई शहरी परिवहन परियोजना - चरण III (एमयूटीपी) |
ट्रांसपोर्ट |
500 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2019 |
राजस्थान 250 मेगावाट सौर परियोजना-हीरो फ्यूचर एनर्जीज |
ऊर्जा |
65 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2019 |
टाटा क्लीनटेक सस्टेनेबल इन्फ्रास्ट्रक्चर ऑन-लेंडिंग सुविधा |
वित्तीय संस्थान |
75 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2019 |
पश्चिम बंगाल प्रमुख सिंचाई एवं बाढ़ प्रबंधन परियोजना |
जल |
145 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2018 |
आंध्र प्रदेश ग्रामीण सड़क परियोजना |
ट्रांसपोर्ट |
455 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2018
|
आंध्र प्रदेश शहरी जल आपूर्ति और सेप्टेज प्रबंधन सुधार |
जल |
400 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2018
|
मध्य प्रदेश ग्रामीण कनेक्टिविटी परियोजना |
ट्रांसपोर्ट |
140 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2018
|
राष्ट्रीय निवेश एवं अवसंरचना कोष चरण I |
वित्तीय संस्थान |
100 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2018
|
ओरिएंटल स्ट्रक्चरल इंजीनियर्स (ओरिएंटल इंफ्राट्रस्ट (ओएसई इनआईटी) |
ट्रांसपोर्ट |
50 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2017 |
आंध्र प्रदेश 24x7 - पावर फॉर ऑल |
ऊर्जा |
160 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2017 |
बैंगलोर मेट्रो रेल परियोजना - लाइन R6 |
ट्रांसपोर्ट |
355 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2017 |
गुजरात ग्रामीण सड़क (एमएमजीएसवाई) परियोजना |
ट्रांसपोर्ट |
329 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2017 |
ट्रांसमिशन सिस्टम सुदृढ़ीकरण (तमिलनाडु) परियोजना |
ऊर्जा |
100 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
2017 |
इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फंड |
वित्तीय संस्थान |
150 मिलियन अमेरिकी डॉलर |
aiib.org के लेखक द्वारा संकलित (मई 2021)
यह उल्लेखनीय है कि चीन के साथ सीमा तनाव के बीच एआईआईबी से कर्ज लेने के भारत के फैसले की भारत में काफी आलोचनाएं हुईं।[iv] यह सच है कि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में एलएसी पर अप्रैल-मई 2020 में होने वाली कुछ घटनाओं से द्विपक्षीय संबंधों को झटका लगा है। चीन के भड़काऊ व्यवहार और यथास्थिति को बदलने के एकतरफा कोशिश की वजह से पिछले एक साल में चीन के साथ द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। हालांकि, भारत में परियोजनाओं को मंजूरी देने का बैंक का फैसला "दोनों देशों के बीच चल रहा है, या आंतरिक या बाहरी समस्याओं पर नहीं बल्कि परियोजना की पात्रता पर आधारित है।"[v] एआईआईबी का मुख्यालय बीजिंग में है और चीन इसका सबसे बड़ा शेयरधारक है, लेकिन चीन ने खुद भी बैंक से कर्ज लिया है। एआईआईबी एक बहुपक्षीय विकास संस्थान है, इसलिए बहुपक्षीय संस्थानों तथा चीन की संस्थानों के साथ भारत के जुड़ाव के बीच अंतर को समझने की जरुरत है। इसलिए, भारत द्वारा एआईआईबी सहित किसी भी अन्य बहुपक्षीय संस्थानों के साथ अपने जुड़ाव को कम करने पर विचार करने का कोई अर्थ नहीं है।
कोविड-19 पर प्रतिक्रिया
कोविड-19 ने दुनिया के सभी देशों को प्रभावित किया है। विकासशील देश, विशेष रूप से निम्न-आय वाले देश इससे अधिक प्रभावित रहे हैं। एआईआईबी ने कोविड-19 क्राइसिस रिकवरी फैसिलिटी के तहत स्पेशल फंड विंडो (एसएफडब्ल्यू) का गठन करके इसमें एक सार्थक भूमिका निभाने का फैसला किया है।
कोविड-19 के मानवीय और वित्तीय प्रभाव से निपटने के उद्देश्य से आपातकालीन सहायता तीन प्रमुख क्षेत्रों में प्रदान की गई है: (1) स्वास्थ्य अवसंरचना तथा महामारी तत्परता के रूप में स्वास्थ्य देखभाल के दबाव को कम करने में मदद करना; (2) ऑन-लेंडिंग सुविधाओं तथा क्रेडिट लाइनों के माध्यम से तरलता समर्थन और (3) अन्य बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ साझेदारी में तत्काल वित्तीय एवं बजटीय सहायता।[vi] इस तरह की सहायता से महामारी प्रभावित कई देशों को लाभ मिला है। जिन देशों को 2020 और 2021 में कोविड-19/सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया हेतु आपातकालीन सहायता मिली है, उनमें चीन, भारत, इंडोनेशिया, श्रीलंका बांग्लादेश, जॉर्जिया, फिलीपींस, मंगोलिया, पाकिस्तान, मालदीव, कजाकिस्तान, तुर्की और उज्बेकिस्तान जैसे देश शामिल हैं।
कुल मिलाकर, एआईआईबी की स्थापना के पांच साल पूरे हो चुके हैं। भले ही अभी इसे ज्यादा समय नहीं हुआ है, लेकिन इसके अभी तक के प्रदर्शन से पता चलता है कि यह प्रभावी रूप से कार्य कर रहा है। इसे प्रमुख इंटरनेशनल क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से ट्रिपल-ए रेटिंग दी है। बैंक सुशासन का पालन करते हुए एशिया की अवसंरचना की कमी को सामान्य स्तर पर दूर करने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा, यह एशियाई विकास बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ एक पूरक की भी भूमिका निभा रहा है। एआईआईबी ने 2020 में कोविड संकट से निपटने हेतु सदस्य देशों की जरुरतों को तुरंत पूरा किया। यह इसकी त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र के प्रभावी होने और पेशेवर नैतिकता/प्रतिष्ठा का एक उदाहरण है।
भारत ने इसकी सफलता में अहम भूमिका निभाई है और इससे भारत को भी लाभ मिला है। एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक को भारत में भी अपना क्षेत्रीय कार्यालय खोलने पर विचार करना चाहिए। इससे दक्षिण एशिया और उसके आगे के क्षेत्रों में बैंक को अपने कामकाज का अधिक कुशल तरीके से संचालन करने में मदद मिलेगी।
*****
*डॉ. संजीव कुमार, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, नई दिल्ली में शोध अध्येता हैं।
अस्वीकरण: व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं।
डिस्क्लेमर: इस अनुवादित लेख में यदि किसी प्रकार की त्रुटी पाई जाती है तो पाठक अंग्रेजी में लिखे मूल लेख को ही मान्य माने ।
समाप्ति टिप्पणी
[i] Liu Dongmin, Vision and Governance of Asian Infrastructure Investment Bank (Beijing: Foreign Language Press , 2016), Sanjeev Kumar “Evolving Perspectives on AIIB”, available at /show_content.php?lang=1&level=3&ls_id=4791&lid=2210
[ii] Liu Dongmin, Vision and Governance of Asian Infrastructure Investment Bank (Beijing: Foreign Language Press , 2016), Sanjeev Kumar “Evolving Perspectives on AIIB”, available at /show_content.php?lang=1&level=3&ls_id=4791&lid=2210
[iii] “FM suggests AIIB to establish regional presence for effective project management” available at https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/policy/fm-suggests-aiib-to-establish-regional-presence-for-effective-project-management/articleshow/77222763.cms?utm_source=contentofinterest&utm_medium=text&utm_campaign=cppst accessed on January 20, 2021
[iv] D J Pandian, Vice President, AIIB as quoted in “One-third of funding by AIIB has gone to India” The Hindu, September 25, 2020. Available at https://www.thehindu.com/business/Industry/one-third-of-funding-by-aiib-has-gone-to-india/article32699050.ece, accessed on January 20, 2021
[v] D J Pandian, Vice President, AIIB as quoted in “One-third of funding by AIIB has gone to India” The Hindu, September 25, 2020. Available at https://www.thehindu.com/business/Industry/one-third-of-funding-by-aiib-has-gone-to-india/article32699050.ece, accessed on January 20, 2021
[vi] “AIIB Doubles COVID-19 Crisis Response to USD10 Billion” available at https://www.aiib.org/en/news-events/news/2020/AIIB-Doubles-COVID-19-Crisis-Response-to-USD10-Billion.html accessed on January 20, 2021.