Page 11 - ICWA Newsletter Hindi April-June 2021
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स�ू हाउस





















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            पैसिफिक की वैकल्पिक धारणा में अभी भी िस्ागत िरचना
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            एव प्ाथममकताओं पर िहमतत का अभाव नज़र आता ह।
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            जाफहर तौरपर, प्ाथममकताए राष्ट्ीय फहतों क आधार पर तय
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            की जा िकती हैं, जजििे इडो-पैसिफिक क रणनीततक और
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            आर्थक उद्श्य को लकर आम िहमतत में बाधा आ रही है।
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            जैिा फक एक लखक का तक है फक, ियुक्त राज्य अमेररका
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            द्ारा आसियान क तहत मुक्त और खुल इडो-पैसिफिक
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            (एिओआईपी) की घोषणा आसियान क भीतर, एओआईपी
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            (या इडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलक) की घोषणा
            का कारण रहा है, जजिका उद्श्य चीन और एिओआईपी क
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                                                        े
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            िमथ्ककों क बीच तटस् रहना है।
            फिर भी, इडो-पैसिफिक भारत को क्ाड क िुरक्ा उद्श्यों
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            क इतर अलग रास्े पर चल रहे तवयतनाम जैिे राज्यों क
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            िाथ िबधों को फिर िे स्ातपत करने का अविर दता है।
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            िकारात्मक पक् की बात कर तो 1960 और 1970 क दशक
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            में तवयतनाम क युद्ध में िमथ्कन का एक लबा इततहाि ह, और
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            हाल ही में ऊजा्क क्ेत्र में तनवेश और िमुद्ी िुरक्ा व िहयोग
            पर ध्ान दते हुए रक्ा आदान-प्दान बढा ह। िमुद्ी िुरक्ा
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            और िहयोग भतवष्य में असधक महत्वूपवूण्क हो िकता ह, लफकन
            इिक ललए असधक प्याि की आवश्यकता है कोंफक दोनों
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            पक्ों की स्स्तत िाव्कजतनक कटनीतत क क्ेत्र िमेत अलग-
            अलग हैं।
             मधु भल्ा
              सपादक
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              इडिया क्ाररली



            अक : 25  |  अप्रैल-जून 2021                                                                     11
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